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‘तहरीक-ए-हुर्रियत’ गैरकानूनी संगठन घोषित (Tehreek-e-Hurriyat declared as ‘unlawful association)

Samsul Ansari January 01, 2024 04:26 323 0

संदर्भ

केंद्र सरकार ने तहरीक-ए-हुर्रियत (TEH), जम्मू-कश्मीर को ‘विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम’ (UAPA) के तहत पाँच वर्ष के लिए ‘गैर-कानूनी संगठन’ घोषित कर दिया है।

संबंधित तथ्य

‘गैर-कानूनी संगठन’ घोषित करने के कारण

  • विभाजनकारी गतिविधियों में शामिल: केंद्र सरकार के अनुसार, तहरीक-ए-हुर्रियत (TEH) जम्मू-कश्मीर को भारत से विभाजित करने और इस्लामिक शासन स्थापित करने के लिए निषिद्ध गतिविधियों में शामिल है।
    • यह देश की अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए हानिकारक है।
  • अलगाववाद को बढ़ावा देना: यह समूह जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए भारत विरोधी प्रचार करने और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है।
  • अवैध वित्त संग्रहण: TEH, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर निरंतर पथराव सहित गैर-कानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान और उसके प्रॉक्सी संगठनों सहित विभिन्न स्रोतों के माध्यम से धन जुटाने में शामिल रहा है।
  • संवैधानिक व्यवस्था के प्रति अनादर: TEH, अपनी गतिविधियों से संवैधानिक प्राधिकरण और देश की संवैधानिक व्यवस्था के प्रति अनादर दर्शाता रहा है।
    • अधिसूचना के अनुसार, TeH ने कभी भी शासन की लोकतांत्रिक प्रणाली में विश्वास नहीं किया और कई अवसरों पर विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने का आह्वान किया।

विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967

[Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967]

  • यह कानून भारत की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालने वाली गतिविधियों को रोकने के उद्देश्य से बनाया गया था।
  • गैर-कानूनी गतिविधियों से तात्पर्य उन कार्यवाहियों से है जो किसी व्यक्ति/संगठन द्वारा देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को भंग करने वाली गतिविधियों को बढ़ावा देती है।
  • यह कानून संविधान के अनुच्छेद-19 द्वारा प्रदत वाक् व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शस्त्रों के बिना एकत्र होने के अधिकार और संघ बनाने के अधिकार पर युक्तियुक्त प्रतिबंध आरोपित करता है।
  • इस कानून में पूर्व में भी वर्ष 2004, 2008 और 2012 में संशोधन किया जा चुका है।
  • संशोधन: विधि विरुद्ध क्रिया-कलाप (निवारण) संशोधन अधिनियम, 2019 के माध्यम से इस अधिनियम की अनुसूची-4 में संशोधन करके, NIA को आतंकवादी संबंधों वाले किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को आतंकवादी के रूप में नामित करने की अनुमति दी जाएगी। 
    • वर्तमान परिदृश्य में, संशोधन किए जाने से पहले केवल संगठनों को ‘आतंकवादी संगठन‘ के रूप में नामित किया जाता था।

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