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डिजिटल इंडिया के दस वर्ष पूर्ण

Lokesh Pal July 03, 2025 06:12 91 0

संदर्भ

1 जुलाई 2025 को, भारत ने डिजिटल इंडिया पहल के दस वर्ष पूर्ण होने का जश्न मनाया, जिसने देश के डिजिटल, वित्तीय और शासन परिदृश्य को महत्त्वपूर्ण रूप से परिवर्तित कर दिया है और भारत को विजन @ 2047 प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ाया है।

डिजिटल इंडिया मिशन के बारे में

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जुलाई, 2015 को शुरू किए गए डिजिटल इंडिया मिशन का उद्देश्य इंटरनेट पहुँच को बढ़ाकर, डिजिटल बुनियादी ढाँचे में सुधार करके और सभी नागरिकों के लिए डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा देकर भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज तथा ज्ञान अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करना है।
  • नोडल मंत्रालय: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY)।
  • मुख्य घटक
    • डिजिटल अवसंरचना एक मुख्य उपयोगिता के रूप में
    • माँग पर शासन और सेवाएँ
    • नागरिकों का डिजिटल सशक्तीकरण।
  • यह मिशन डिजिटल विभाजन को पाटने और समाज के सभी वर्गों को सशक्त बनाने के लिए समावेशिता, सामर्थ्य, पहुँच और नवाचार पर केंद्रित है।

डिजिटल इंडिया के दस वर्षों में प्रभाव के प्रमुख क्षेत्र

  • कनेक्टिविटी और इन्फ्रास्ट्रक्चर: डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने भारत की डिजिटल आधारभूत संरचना को व्यापक रूप से सुदृढ़ किया है, जिससे सुदूरवर्ती क्षेत्रों और गाँवों तक कनेक्टिविटी पहुँचाकर समावेशी विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं।
    • वर्ष 2025 तक 99.6% जिलों को कवर करते हुए 4.74 लाख से अधिक 5G टॉवर लगाए गए हैं, जबकि भारतनेट ने 2.18 लाख ग्राम पंचायतों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ा है।
  • इंटरनेट और दूरसंचार विस्तार: इस पहल ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुँच को सस्ता और व्यापक बना दिया है।
    • इंटरनेट कनेक्शन वर्ष 2014 में 25.15 करोड़ से बढ़कर 2024 में 96.96 करोड़ हो गए, जबकि डेटा लागत वर्ष 2014 में ₹308 प्रति जीबी से घटकर वर्ष 2022 में केवल ₹9.34 रह गई।
  • डिजिटल वित्तीय समावेशन: डिजिटल प्लेटफॉर्म ने वित्तीय समावेशन और डिजिटल भुगतान में वैश्विक नेतृत्व को बढ़ावा दिया है।
    • अप्रैल 2025 में, UPI ने एक महीने में ₹24.77 लाख करोड़ मूल्य के 1,867.7 करोड़ लेन-देन दर्ज किए। भारत अब वैश्विक रियल-टाइम लेन-देन के 49% का प्रबंधन करता है।
  • ई-गवर्नेंस और सार्वजनिक सेवा वितरण: ई-गवर्नेंस पहल ने नागरिकों के लिए सेवाओं को अधिक सुलभ, पारदर्शी और कुशल बना दिया है।
    • जून 2025 तक डिजिलॉकर के 53.92 करोड़ उपयोगकर्ता हो जाएँगे।
    • उमंग, 23 भाषाओं में 2,300 सेवाएँ प्रदान करता है, जिसके 8.34 करोड़ उपयोगकर्ता होंगे और वर्ष 2025 के मध्य तक 597 करोड़ लेन-देन होंगे।
    • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) ने फर्जी लाभार्थियों को हटाकर ₹3.48 लाख करोड़ से अधिक की बचत की।
  • डिजिटल कॉमर्स को बढ़ावा: इस मिशन ने छोटे व्यवसायों को डिजिटल मार्केटप्लेस तक पहुँचने में सक्षम बनाया है।
    • वर्ष 2022 में लॉन्च किया गया। ONDC अब 616 से अधिक शहरों को शामिल करता है और 7.64 लाख विक्रेताओं को सहायता प्रदान करता है।
    • सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) ने वित्त वर्ष 2024-25 के केवल दस महीनों में ₹4.09 लाख करोड़ GMV दर्ज किया।
  • AI और सेमीकंडक्टर क्षमताओं को आगे बढ़ाना: डिजिटल इंडिया ने उभरती प्रौद्योगिकियों में भारत की स्थिति को मजबूत किया है।
    • वर्ष 2024 में शुरू किए गए इंडिया AI मिशन ने मई 2025 तक 34,000 GPU की राष्ट्रीय कंप्यूट क्षमता हासिल कर ली है।
    • इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (India Semiconductor Mission- ISM) ने ₹1.55 लाख करोड़ की लागत वाली छह सेमीकंडक्टर परियोजनाओं को मंजूरी दी, जिनमें से पाँच इकाइयाँ निर्माणाधीन हैं।
  • भाषिनी के माध्यम से भाषा सुलभता: यह मिशन सभी भाषाओं में डिजिटल समावेशिता सुनिश्चित करता है, जिससे सभी को आवश्यक सेवाएँ सुलभ हो जाती हैं।
    • भाषिनी 1,600 AI मॉडल के साथ 35 से अधिक भाषाओं का समर्थन करता है, जो IRCTC और NPCI जैसे प्लेटफॉर्म पर भाषा संबंधी बाधाओं को समाप्त करता है।
  • क्षमता निर्माण और सिविल सेवा प्रशिक्षण: डिजिटल इंडिया ने क्षमता निर्माण और डिजिटल कौशल विकास के माध्यम से शासन को मजबूत किया है।
    • मिशन कर्मयोगी के iGOT प्लेटफॉर्म ने मई 2025 तक जारी किए गए 3.24 करोड़ लर्निंग सर्टिफिकेट के साथ 1.21 करोड़ से अधिक अधिकारियों को जोड़ा है।

डिजिटल इंडिया मिशन में सतत् चुनौतियाँ

  • अपर्याप्त डिजिटल अवसंरचना: कई सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी और कम गति वाले नेटवर्क की समस्या है, जिससे डिजिटल सेवाओं की पहुँच सीमित हो जाती है।
  • कार्यान्वयन में देरी: भारतनेट चरण-II के तहत, 8 राज्यों में लगभग 65,000 ग्राम पंचायतों को राज्य सरकार द्वारा राज्य नेतृत्व मॉडल के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है।
    • इसका कार्यान्वयन लक्षित समय सीमा को पूरा नहीं कर पा रहा है, क्योंकि कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं।
  • कम डिजिटल साक्षरता: जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा, विशेष रूप से ग्रामीण भारत में, बुनियादी डिजिटल कौशल का अभाव है, जिससे डिजिटल प्लेटफॉर्म और सेवाओं की उपलब्धता के बावजूद उनका प्रभावी ढंग से उपयोग करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।
    • भारत के केवल 38% घरों को डिजिटल रूप से साक्षर माना जाता है, शहरी क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता की दर ग्रामीण क्षेत्रों (25%) की तुलना में अधिक (61%) है।
  • डिजिटल अपराधों में वृद्धि: PIB के साइबर सुरक्षा अपडेट के अनुसार, साइबर धोखाधड़ी, डेटा उल्लंघन और ऑनलाइन वित्तीय घोटालों के बढ़ते मामले, उपयोगकर्ता के विश्वास तथा डिजिटल सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण खतरे पैदा करते हैं।
    • वर्ष 2025 में, भारत में डिजिटल अपराधों में उल्लेखनीय वृद्धि होने का अनुमान है, जिसमें अनुमानित नुकसान ₹20,000 करोड़ तक पहुँच सकता है।
  • क्षेत्रीय और लैंगिक असमानताएँ: डिजिटल अभियान को अपनाने में एक बड़ा क्षेत्रीय अंतराल मौजूद है, जिसमें केरल जैसे राज्य सबसे आगे हैं, जबकि कई पूर्वोत्तर राज्य पीछे हैं। इसके अतिरिक्त, महिलाओं की डिजिटल पहुँच काफी कम है, जो लगातार लैंगिक विभाजन को दर्शाती है।
    • NSO डेटा के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में आधी से अधिक (51.6%) महिलाओं के पास मोबाइल फोन नहीं है।

विजन @ 2047 और डिजिटल इंडिया

डिजिटल इंडिया पहल डिजिटल सशक्तीकरण, नवाचार एवं समावेशी अवसरों की समान पहुँच के माध्यम से युवा, निर्धन, महिलाएँ और किसान जैसे विकसित भारत के चार मूल स्तंभों को संगठित रूप से सशक्त करती है, और इस प्रकार ‘विजन @ 2047’ को साकार करने के लिए एक प्रभावी उत्प्रेरक सिद्ध होती है।

  • डिजिटल समावेशन: डिजिटल इंडिया ने दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुँच को सफलतापूर्वक बढ़ाया है, जिससे स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और बैंकिंग जैसी आवश्यक सेवाएँ ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध हो गई हैं। 
    • उदाहरण के लिए, पारदर्शी कृषि विपणन के लिए e-NAM, वास्तविक समय के मौसम और बाजार अपडेट के लिए किसान सुविधा ऐप और समय पर सब्सिडी भुगतान के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer- DBT) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुँच के माध्यम से किसान लाभान्वित हो रहे हैं।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था का विकास: भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था ने वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय आय में 11.74% का योगदान दिया और वर्ष 2024-25 तक 13.42% तक पहुँचने की उम्मीद है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक लगभग 20% योगदान देना है।
  • तकनीकी सशक्तीकरण: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग और मजबूत डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर द्वारा संचालित, डिजिटल इंडिया नई नौकरियाँ सृजित कर रहा है, उद्यमशीलता को बढ़ावा दे रहा है और विकसित भारत के विजन को सशक्त बना रहा है।
    • स्वयं सहायता समूहों (SHG) को लक्षित करके महिलाओं के लिए वित्तीय समावेशन को बढ़ाने के डिजिटल तरीके भारत में डिजिटल वित्तीय समावेशन को गति दे रहे हैं और बढ़ावा दे रहे हैं।
  • अवसरों की कमी को पाटना: डिजिटल इंडिया ने न केवल लोगों को तकनीक से जोड़ा है, बल्कि उन्हें विकास के अवसरों के और निकट भी लाया है, जिससे विकसित भारत मिशन के अनुरूप समावेशी विकास संभव हुआ है। 
    • उदाहरण के लिए- स्किल इंडिया, डिजिलॉकर जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन उद्यमिता के अवसरों के माध्यम से युवाओं को लाभ मिल रहा है, जिससे रोजगार की संभावनाएँ बढ़ रही हैं।

निष्कर्ष

विजन @ 2047 को पूरी तरह से साकार करने के लिए, भारत को डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी, कम डिजिटल साक्षरता, बढ़ते साइबर अपराध और क्षेत्रीय और लैंगिक असमानताओं जैसी चुनौतियों का समाधान करना होगा। डिजिटल इंडिया को राष्ट्रीय प्रगति का वास्तव में समावेशी, लचीला और परिवर्तनकारी चालक बनाने के लिए कार्यान्वयन को मजबूत करना, साइबर सुरक्षा को बढ़ाना, डिजिटल कौशल को बढ़ावा देना तथा समान पहुँच सुनिश्चित करना आवश्यक होगा।

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