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पूर्व और दक्षिण चीन सागर में तनाव

Lokesh Pal September 28, 2024 02:33 105 0

संदर्भ

चीन द्वारा सेनकाकू/दियाओयू द्वीपों और दक्षिण चीन सागर पर अपने दावे प्रस्तुत करने के कारण इस क्षेत्र में तनाव बढ़ रहा है और इस क्षेत्र की राजनीतिक गतिशीलता में नया परिवर्तन आ रहा है।

पूर्वी चीन सागर

  • पूर्वी चीन सागर की सीमा चीन, ताइवान, जापान और दक्षिण कोरिया से लगती है।
  •  पूर्वी चीन सागर मुख्य रूप से सेनकाकू/दियाओयू द्वीपों पर चीन और जापान के बीच क्षेत्रीय विवाद के लिए जाना जाता है।

दक्षिण चीन सागर

  • दक्षिण चीन सागर की सीमा चीन, ताइवान और पाँच दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई, फिलीपींस और इंडोनेशिया से लगती है।
  • यह अतिव्यापी क्षेत्रीय दावों के कारण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सबसे महत्त्वपूर्ण विवाद मुद्दों में से एक बन गया है।
  • सबसे उल्लेखनीय विवाद चीन के व्यापक दावों से संबंधित है, जिसे ‘नाइन-डैश लाइन’ द्वारा सीमांकित किया गया है, जो अन्य देशों के अनन्य आर्थिक क्षेत्रों (EEZ) का अतिक्रमण करता है।

पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर का महत्त्व

  • समुद्री सामरिक व्यापार मार्ग: दोनों समुद्र वैश्विक व्यापार के लिए महत्त्वपूर्ण हैं तथा प्रमुख समुद्री मार्ग इनसे होकर गुजरते हैं।
    • ताइवान जलडमरूमध्य एक महत्त्वपूर्ण समुद्री चोक पॉइंट (Choke Point) के रूप में कार्य करता है।
  • वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था: इस क्षेत्र में वैश्विक संचार और डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक महत्त्वपूर्ण समुद्री केबल मौजूद हैं।
  • ऊर्जा आपूर्ति और परिवहन: वर्ष 2023 में, दक्षिण चीन सागर के माध्यम से 10 बिलियन बैरल पेट्रोलियम और 6.7 ट्रिलियन क्यूबिक फीट तरलीकृत प्राकृतिक गैस का परिवहन किया गया, जो ऊर्जा आपूर्ति के लिए इसके महत्त्व को दर्शाता है।
  • अप्रयुक्त प्राकृतिक संसाधन: समुद्र में अप्रयुक्त तेल और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार हैं, जो उनके सामरिक महत्त्व में योगदान करते हैं।

चीन के लिए दक्षिण चीन सागर (SCS) और पूर्वी चीन सागर (ECS) के महत्त्व के कारण

  • संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता: चीन पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर को अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण मानता है।
    • वर्ष 2019 के चीनी रक्षा श्वेत-पत्र में दक्षिण चीन सागर के द्वीपों और दियाओयू द्वीपों को अपने क्षेत्र का ‘अविभाज्य हिस्सा’ घोषित किया गया है।
  • ऐतिहासिक और राष्ट्रवादी दावे: समुद्र में स्थित इन द्वीपों को चीन अपना ‘ऐतिहासिक क्षेत्र’ मानता है और देश उन्हें क्षेत्रीय आधिपत्य के रूप में अपने उदय के प्रतीक के रूप में पुनः प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा और सामरिक रक्षा
    • ऐतिहासिक रूप से समुद्र की दृष्टि से कमजोर चीन अपनी समुद्री सीमाओं के चारों ओर सुरक्षा घेरा बनाकर अपनी सीमा को सुरक्षित करना चाहता है।
    • पूर्वी चीन सागर (ECS) में स्थित दियाओयू/सेनकाकू द्वीपों को जापान और अमेरिका के विरुद्ध रक्षात्मक बफर के रूप में देखा जाता है।
    • जापान, अमेरिका और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों से संभावित खतरों से बचाव के लिए इन जलक्षेत्रों पर नियंत्रण अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • प्राकृतिक संसाधन
    • दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर दोनों ही प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध हैं, जिनमें हाइड्रोकार्बन (तेल और प्राकृतिक गैस) और समुद्री जैव विविधता शामिल हैं।
    • मछलीपालन उद्योग, विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में, चीन की अर्थव्यवस्था में योगदान देता है और वैश्विक जलीय संसाधन निर्यात में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • रणनीतिक नौवहन और व्यापार मार्ग
    • दक्षिण चीन सागर विश्व के सबसे व्यस्त शिपिंग मार्गों में से एक है, जो प्रशांत और हिंद महासागर को जोड़ता है।
    • महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों पर नियंत्रण से चीन अपनी ऊर्जा शिपमेंट और वैश्विक व्यापार की सुरक्षा करने में सक्षम होगा, साथ ही अपनी समुद्री नौवहन क्षमताओं को बढ़ाएगा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी नौसेना की मौजूदगी को भी चुनौती दे सकता है।

पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में चीन की गतिविधियाँ

  • आक्रामक क्षेत्रीय दावे: चीन क्षेत्रीय देशों के दावों का विरोध करते हुए सैन्य बुनियादी ढाँचे और कृत्रिम द्वीपों का निर्माण करके क्षेत्रीय दावों को बढ़ा रहा है। 
  • उदाहरण
    • दक्षिण चीन सागर में, यह बुनियादी ढाँचे का निर्माण करता है और द्वीपों और चट्टानों पर रक्षात्मक प्रणालियाँ तैनात करता है। 
    • इसी तरह, पूर्वी चीन सागर में, चीन अपनी संप्रभुता के दावों को मजबूत करने के लिए डियाओयू द्वीपों के आसपास नियमित गश्त करता है।

  • पूर्वी चीन सागर विवाद: चीन को जापान के साथ संकट का सामना करना पड़ा है, जैसे कि वर्ष 2010 में मछली पकड़ने वाली नाव की घटना और वर्ष 2012 में सेनकाकू द्वीपों का राष्ट्रीयकरण, जिसके कारण तनाव बढ़ गया।
    • वर्ष 2023 में, सेनकाकू के आसपास चीनी तटरक्षक बल की गतिविधियाँ बढ़ गईं, जो चीन की इस क्षेत्र में दखल का संकेत है।
  • दक्षिण चीन सागर में वृद्धि: दक्षिण चीन सागर चीनी आक्रामकता का केंद्र बिंदु है, जिसमें नौसेना तटरक्षक बल और नौसेना को ‘ग्रे जोन‘ रणनीति का उपयोग करके यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया जा रहा है।
  • फिलीपींस के साथ बढ़ते तनाव: द्वितीय थॉमस शोल और सबीना शोल चीन की हालिया आक्रामकता का केंद्र रहे हैं।
  • सैन्य सहयोग
    • चीन ने अपना प्रभाव जताने के लिए जुलाई 2024 में रूस के साथ नौसैनिक अभ्यास किया, हालाँकि, वर्ष 2016 में एक स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के फैसले के अनुसार, दक्षिण चीन सागर में उसके दावों का कोई कानूनी आधार नहीं है।
    • चीन ने उस फैसले को अस्वीकार कर दिया है।

क्षेत्रीय देशों की प्रतिक्रिया

  • रक्षा व्यय में वृद्धि: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा व्यय में वृद्धि हुई है, क्योंकि क्षेत्रीय देश चीन के साथ बराबरी करने की कोशिश कर रहे हैं। 
    • उदाहरण के लिए, वर्ष 2027 तक जापान अपने रक्षा व्यय को दोगुना करना चाहता है। 
    • फिलीपींस ने भारत से एंटी-शिप, ब्रह्मोस मिसाइलें खरीदी हैं।
  • चीन के विरुद्ध सक्रिय प्रतिरोध
    • हाल ही में, फिलीपींस ने चीन के साथ टकराव को कम करने की अपनी रणनीति को बदलकर चीनी आक्रामकता की घटनाओं को सक्रिय रूप से प्रचारित करना शुरू कर दिया है।
    • वह सार्वजनिक कूटनीति उपकरणों का उपयोग कर रहा है, जिसमें चीनी जहाजों के साथ हुई मुठभेड़ों का दस्तावेजीकरण और सोशल मीडिया पर साझा करना तथा पुनः आपूर्ति मिशनों में अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों को शामिल करना शामिल है।
  • अमेरिका के साथ गठबंधन को मजबूत करना
    • फिलीपींस, जापान और दक्षिण कोरिया अमेरिका के संधि सहयोगी हैं और उसके साथ अपने रक्षा संबंधों को मजबूत कर रहे हैं।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता बढ़ाने के लिए एक ‘स्क्वाड’ का गठन किया है।
    • प्रथम  बार, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रियों ने वर्ष 2024 में जापान में मुलाकात की।
      • उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के समुद्री क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास का कड़ा विरोध किया और नौवहन एवं उड़ान की स्वतंत्रता सहित अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करने पर जोर दिया।

आगे की राह

  • UNCLOS का पालन: समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS) का कठोरता से पालन करना और समुद्री विवादों को सुलझाने में इसकी भूमिका को बढ़ावा देना। 
    • देशों को सामूहिक रूप से अंतरराष्ट्रीय  निर्णयों, जैसे कि वर्ष 2016 के स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के निर्णय, के अनुपालन का आह्वान करना चाहिए।
  • रक्षा गठबंधन: क्षेत्र के देशों को आक्रामक कार्रवाइयों को रोकने के लिए रक्षा गठबंधन और सुरक्षा साझेदारी को मजबूत करना चाहिए, जैसे कि क्वाड (अमेरिका, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया) और अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के बीच त्रिपक्षीय व्यवस्था।
  • बहुपक्षीय वार्ता: क्षेत्रीय विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए चीन और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को शामिल करते हुए बहुपक्षीय वार्ता को प्रोत्साहित करना।

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