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भारत में आतंकवाद

Lokesh Pal April 24, 2025 03:13 21 0

संदर्भ

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में कई पर्यटक मारे गए।

आतंकवाद के बारे में

  • शब्द ‘आतंकवाद’ की उत्पत्ति वर्ष 1793-94 के आतंक के शासन (रेजीम डे ला टेरेउर) से हुई है।

अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (Comprehensive Convention on International Terrorism-CCIT) 

  • वर्ष 1996 में, भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (CCIT) को अपनाने का प्रस्ताव रखा।
  • यह एक प्रस्तावित संधि है, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के सभी रूपों को अपराधी घोषित करना और आतंकवादियों, उनके वित्तपोषकों तथा समर्थकों को धन, हथियार एवं सुरक्षित ठिकानों तक पहुँच से वंचित करना है।
  • इसे अभी UNGA द्वारा अपनाया जाना बाकी है।

आतंकवाद की परिभाषा

  • आतंकवाद की कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत कानूनी परिभाषा नहीं है।
  • संयुक्त राष्ट्र अपराध शाखा: श्मिड (Schmid) द्वारा संयुक्त राष्ट्र अपराध शाखा (1992) को प्रस्तावित संक्षिप्त कानूनी परिभाषा यह है कि आतंकवाद का कृत्य, युद्ध अपराध के शांतिकालीन व्यवधान के समकक्ष है।
  • ‘लीग ऑफ नेशंस कन्वेंशन’ (1937): आतंकवाद को ‘किसी राज्य के विरुद्ध निर्देशित सभी आपराधिक कृत्य और किसी विशेष व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह अथवा आम जनता के मन में आतंक की स्थिति उत्पन्न करने के उद्देश्य से की गई कार्रवाई के रूप में वर्णित करता है।

भारत में स्थिति

  • कोई IPC प्रावधान नहीं: भारतीय दंड संहिता, 1860 में आतंकवाद को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है।
    • पहला विशिष्ट कानून आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (TADA), 1987 [Terrorist and Disruptive Activities (Prevention) Act (TADA), 1987] था, उसके बाद पोटा (POTA) (2002) आया, जिसे वर्ष 2004 में निरस्त कर दिया गया। आतंकवादी कृत्यों को परिभाषित करने के लिए गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 को वर्ष 2004 और वर्ष 2019 में संशोधित किया गया।
  • UAPA के तहत परिभाषा: आतंकवादी कृत्य में भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा या संप्रभुता को खतरे में डालने के उद्देश्य से की गई कोई भी कार्रवाई शामिल है, जैसे- बम, आग्नेयास्त्र, रसायन या जैविक हथियार जो मौत, चोट या विनाश का कारण बनते हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (CCIT) परिभाषा: आतंकवाद में ये कार्य शामिल हैं:
    • मृत्यु या गंभीर चोट का कारण बनना।
    • सार्वजनिक अवसंरचना सहित संपत्ति को महत्त्वपूर्ण क्षति पहुँचाना।
    • लोगों को डराने या सरकारों अथवा अंतरराष्ट्रीय संगठनों को मजबूर करने का इरादा रखना।
  • भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023: धारा 113 के तहत भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा या आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालने या लोगों में आतंक उत्पन्न करने के उद्देश्य से किया गया कोई भी कार्य।
    • इसमें विस्फोटकों, आग्नेयास्त्रों या अन्य खतरनाक पदार्थों का उपयोग करके मृत्यु, चोट, संपत्ति की क्षति या आवश्यक सेवाओं में बाधा उत्पन्न करने जैसे कार्य शामिल हैं।
  • भारतीय कानूनी: पश्चिमी परिभाषाओं के विपरीत, भारतीय कानून आतंकवाद के पीछे वैचारिक या धार्मिक उद्देश्यों पर जोर नहीं देता है।
    • इसका ध्यान अंतर्निहित उद्देश्य के बजाय कृत्य की प्रकृति और उसके प्रभाव पर अधिक है।

आतंकवाद की कोई सार्वभौमिक परिभाषा क्यों नहीं?

  • राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर असहमति: कई देश, विशेष तौर पर वे देश जिन पर आतंकवाद को प्रायोजित या समर्थन करने का आरोप है (जैसे- पाकिस्तान), ऐसी परिभाषाओं का विरोध करते हैं, जो उनकी अपनी राज्य एजेंसियों या प्रॉक्सी को इसमें शामिल कर सकती हैं।
  • आतंकवाद और स्वतंत्रता संघर्ष के बीच भ्रम: कई देश तर्क देते हैं कि विदेशी अधिग्रहण के खिलाफ या आत्मनिर्णय (जैसे- फिलिस्तीनी कारण) के लिए हिंसक प्रतिरोध को आतंकवाद नहीं कहा जाना चाहिए।
    • इससे संयुक्त राष्ट्र वार्ता में गतिरोध उत्पन्न होता है, विशेषतः प्रस्तावित व्यापक अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद अभिसमय (CCIT) के संबंध में।

आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र

  • जम्मू और कश्मीर: पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों जैसे लश्कर, जैश और TRF द्वारा लगातार हमले करना।
    • लक्ष्यों में नागरिक, सुरक्षा बल और बुनियादी ढाँचा शामिल हैं, जिन्हें सीमा पार से घुसपैठ का समर्थन प्राप्त है।
  • उत्तर-पूर्व भारत: उल्फा एवं NSCN जैसे समूहों द्वारा नृजातीय-राष्ट्रवादी विद्रोह स्वायत्तता या अलगाव की माँग करते हैं।
    • उग्रवाद नृजातीय पहचान, आर्थिक उपेक्षा और सीमा जटिलताओं से उत्पन्न हुआ है।
  • मध्य भारत (रेड कॉरिडोर): सशस्त्र क्रांति के माध्यम से लोकतांत्रिक सत्ता को उखाड़ फेंकने की कोशिश कर रहे माओवादी (नक्सली) हिंसा से प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।
    • इसमें छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं।
  • शहरी भारत (आंतरिक क्षेत्र): दिल्ली और मुंबई जैसे प्रमुख शहरों में इंडियन मुजाहिदीन और सिमी द्वारा समन्वित बम विस्फोट किए गए हैं।
    • इन हमलों का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में दहशत उत्पन्न करना और स्लीपर सेल गतिविधि को प्रदर्शित करना है।
  • पंजाब (ऐतिहासिक): 1980-90 के दशक में खालिस्तानी अलगाववादी आतंकवाद द्वारा प्रभावित हुआ, जो अब काफी हद तक नियंत्रण में है।
    • विदेशी प्रचार और फंडिंग के माध्यम से कभी-कभार पुनरुद्धार के प्रयास किए जाते हैं।

आतंकवाद के प्रकार 

  • नृजातीय राष्ट्रवादी आतंकवाद: अलग राज्य या प्रभुत्व की आकांक्षा रखने वाले उप-राष्ट्रीय नृजातीय समूहों द्वारा की जाने वाली हिंसा; उदाहरण के लिए, श्रीलंका में तमिल टाइगर्स, पूर्वोत्तर भारत में विद्रोही।
  • धार्मिक आतंकवाद: इस विश्वास से प्रेरित कि हिंसा एक दैवीय कर्तव्य या पवित्र दायित्व है; उदाहरण के लिए, अल-कायदा, इस्लामिक स्टेट, TRF।
  • विचारधारा-उन्मुख आतंकवाद: राजनीतिक विचारधाराओं में निहित हिंसा-
    • वामपंथी: पूँजीवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकने का लक्ष्य; उदाहरण के लिए, भारत में माओवादी, रेड ब्रिगेड (इटली)।
    • दक्षिणपंथी: पारंपरिक व्यवस्था या राष्ट्रवाद को बनाए रखने का लक्ष्य; उदाहरण के लिए, कू क्लक्स क्लान (USA), नाजी मिलिशिया।
  • राज्य प्रायोजित आतंकवाद: विदेश नीति के एक उपकरण के रूप में सरकारों द्वारा समर्थित आतंकवाद; उदाहरण के लिए, भारत में आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान की ISI सहायता।
  • नार्को-आतंकवाद: ड्रग तस्करी द्वारा वित्तपोषित या समर्थित आतंकवाद; उदाहरण के लिए, FARC (कोलंबिया), IMU (उज्बेकिस्तान), कश्मीर में ISI समर्थित नेटवर्क।

भारत में आतंकवाद के कारण

  • राज्य प्रायोजित आतंकवाद (विशेषतः पाकिस्तान से): पाकिस्तान आतंकवाद को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे छद्म समूहों के माध्यम से विदेश नीति के एक उपकरण के रूप में उपयोग करता है।
    • वर्ष 2019 के पुलवामा हमले को पाकिस्तान स्थित आत्मघाती हमलावर ने अंजाम दिया था; ISI नकली मुद्रा, अल-रशीद जैसे चैरिटी और ड्रग मनी के माध्यम से आतंकवाद को फंड करता है।
  • वैचारिक उग्रवाद (वामपंथी एवं दक्षिणपंथी): चरमपंथी विचारधाराएँ राजनीतिक या सामाजिक परिवर्तन प्राप्त करने के लिए हिंसा को उचित ठहराती हैं।
    • छत्तीसगढ़ और झारखंड में वामपंथी उग्रवाद (LWE) सक्रिय है।
  • अलगाववादी और नृजातीय-राष्ट्रवादी आंदोलन: कुछ क्षेत्र पहचान-आधारित शिकायतों के कारण अलगाव या स्वायत्तता चाहते हैं।
    • खालिस्तान आंदोलन (1980-90 के दशक) और प्रवासी समूहों द्वारा नए सिरे से प्रयास; पूर्वोत्तर के विद्रोही संगठन नृजातीय पहचान मान्यता चाहते हैं।
  • कट्टरपंथ और ऑनलाइन प्रचार: आतंकवादी समूह चरमपंथी विचारधाराओं को फैलाने और युवाओं को भर्ती करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं।
    • फरवरी 2024 में, हनी ट्रैपिंग और सोशल मीडिया प्रचार सहित ऑनलाइन माध्यमों से कट्टरपंथी बनने के आरोप में चार युवाओं को गिरफ्तार किया गया था।
  • संगठित अपराध और नार्को-आतंकवाद: आतंकवादी समूह नशीली दवाओं की तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियों के माध्यम से संचालन को निधि देते हैं।
  • उच्च युवा बेरोजगारी: आर्थिक अस्थिरता से चिह्नित उच्च युवा बेरोजगारी, आतंकवादी भर्ती की संवेदनशीलता को बढ़ाती है, जो उद्देश्य एवं वित्तीय लाभ की भावना प्रदान करती है।
  • गरीबी एवं निरक्षरता: गरीबी एवं निरक्षरता भेद्यता की स्थिति उत्पन्न करती है, जिससे व्यक्ति शिकायतों को संबोधित करने के साधन के रूप में चरमपंथी प्रचार और हिंसा के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
  • तकनीकी और वैश्विक प्रभाव: वैश्वीकरण और तकनीक की पहुँच ने डिजिटल संचार और रसद के माध्यम से आतंक की पहुँच का विस्तार किया है।
    • आतंकवादी हमलों का समन्वय करने और प्रचार साझा करने के लिए एन्क्रिप्टेड ऐप और इंटरनेट प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं; अंतरराष्ट्रीय समर्थन TRF जैसे समूहों को पुनर्सक्रिय करने में मदद करता है।

भारत में प्रमुख आतंकवादी समूह

  • पाकिस्तान-आधारित समूह (जम्मू-कश्मीर में सक्रिय)
    • लश्कर-ए-तैयबा (LeT): पाकिस्तान समर्थित; 26/11 मुंबई हमलों (2008) और अन्य बड़े हमलों के लिए जिम्मेदार।
      • हमलों को ‘स्वदेशी’ के रूप में प्रस्तुत करने के लिए द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) जैसे प्रॉक्सी का उपयोग करता है।
    • द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF): लश्कर-ए-तैयबा का ‘सैडो’ संगठन, अनुच्छेद-370 निरस्तीकरण (वर्ष 2019) के बाद गठित हुआ।
      • केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वर्ष 2023 में गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया।
      • यह कश्मीर की अर्थव्यवस्था को बाधित करने के लिए हमलों (जैसे- वर्ष 2025 पहलगाम पर्यटक हत्याकांड) को अंजाम देता है।
      • सोशल मीडिया प्रचार और एन्क्रिप्टेड तकनीक का उपयोग करता है।
    • जैश-ए-मोहम्मद (JeM): वर्ष 2001 के संसद हमले तथा वर्ष 2019 के पुलवामा आत्मघाती बम विस्फोट के पीछे इसकी भूमिका का पता चला।
      • पाकिस्तान की ISI से जुड़ा हुआ; उच्च प्रोफाइल सैन्य/नागरिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • हिजबुल मुजाहिद्दीन: कश्मीर-केंद्रित; स्थानीय भर्ती को पाक समर्थन के साथ मिलाता है।
  • स्वदेशी समूह
    • इंडियन मुजाहिदीन (IM): सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) की शाखा; शहरी केंद्रों को निशाना बनाती है (जैसे- वर्ष 2013 हैदराबाद विस्फोट)।
    • ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (PFI): कथित आतंकी संबंधों और कट्टरपंथ के कारण वर्ष 2022 में प्रतिबंधित किया गया था।
  • वामपंथी उग्रवादी
    • CPI-माओवादी: ‘रेड कॉरिडोर’ (छत्तीसगढ़, झारखंड) में सक्रिय है।
      • जबरन वसूली, खनन करों के माध्यम से धन जुटाता है।
  • इस्लामिक स्टेट से जुड़े संगठन
    • ISIS-खुरासन (IS-K): डार्क वेब के माध्यम से भर्ती करता है; फंडिंग के लिए क्रिप्टो (मोनरो) का उपयोग करता है।
    • ISIS का अल-हिंद मॉड्यूल: बंगलूरू कैफे विस्फोट (वर्ष 2024) से जुड़ा हुआ है।
  • पूर्वोत्तर विद्रोही: ULFA, NSCN
    • अलगाव की माँग करना; म्याँमार के साथ छिद्रपूर्ण सीमाओं का लाभ उठाना।

प्रमुख आतंकवादी घटनाएँ

  • संयुक्त राज्य अमेरिका पर 9/11 हमले (वर्ष 2001): अल-कायदा ने 11 सितंबर, 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को निशाना बनाया, जिसमें लगभग 3,000 लोग मारे गए।
    • इस हमले ने अमेरिका को आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सैन्य अभियान, आतंक के खिलाफ युद्ध शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
  • 26/11 मुंबई हमले, भारत (वर्ष 2008): लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के आतंकवादियों ने मुंबई में कई स्थानों पर समन्वित हमले किए, जिसमें 166 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए।
  • फ्राँस में नाइस ट्रक हमला (वर्ष 2016): बैस्टिल दिवस समारोह के दौरान, एक हमलावर द्वारा चलाया जा रहा ट्रक भीड़ में घुस गया, जिसमें 86 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हो गए।
  • सैमुअल पैटी का सिर कलम करना (वर्ष 2020): अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक कक्षा में चर्चा के दौरान पैगंबर मुहम्मद के कैरिकेचर दिखाने के लिए एक फ्राँसीसी स्कूल शिक्षक की हत्या कर दी गई।
    • फ्राँस में धर्मनिरपेक्षता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कट्टरपंथ विरोधी रणनीतियों पर राष्ट्रीय बहस छिड़ गई।

भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए उठाए गए कदम

  • आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टाॅलरेंस’ नीति: सरकार आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टाॅलरेंस’ की नीति अपनाती है, जो आतंकी गतिविधियों और उनके समर्थन नेटवर्क को पूरी तरह से समाप्त करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA): यह भारत में केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
    • स्थापना: इसकी स्थापना 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के बाद राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी अधिनियम, 2008 के माध्यम से की गई थी।
    • NIA के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि: NIA अधिनियम में संशोधन करके NIA के अधिकार क्षेत्र को बढ़ा दिया गया है और अब यह विदेशों में भी आतंकी मामलों की जाँच कर सकती है।
  • राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (NATGRID) की स्थापना: यह आतंकवाद-रोधी कार्य हेतु एक एकीकृत डाटाबेस है, जो भारत की 21 प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों के डाटाबेस को जोड़ता है।
    • यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए व्यापक आसूचना पैटर्न तक चौबीसों घंटे पहुँच को सक्षम बनाता है।
  • UAPA में संशोधन: UAPA में संशोधन करके, अब अधिकारियों के पास संपत्ति जब्त करने और संगठनों और व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार है।
  • 25-सूत्रीय एकीकृत योजना की तैयारी: जिहादी आतंकवाद और वामपंथी उग्रवाद सहित आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए 25-सूत्रीय एकीकृत योजना तैयार की गई है।
  • मल्टी एजेंसी सेंटर (MAC) का दायरा बढ़ाया गया: खुफिया जानकारी जुटाने वाले तंत्र मल्टी एजेंसी सेंटर (MAC) का दायरा बढ़ाया गया।
    • कारगिल के बाद स्थापित, IB के नेतृत्व वाली यह ग्रिड केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के बीच 24/7 खुफिया समन्वय को सक्षम बनाती है।
  • राष्ट्रीय स्तर का आतंकवाद डेटाबेस
    • राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली (NAFIS): आतंकवादी संदिग्धों की पहचान और ट्रैकिंग को बढ़ाने के लिए 90 लाख से अधिक फिंगरप्रिंट रिकॉर्ड रखती है।
    • आतंकवाद की एकीकृत निगरानी (IMT): आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों की निगरानी एवं विश्लेषण में सहायता करते हुए, 22,000 आतंकवादी मामलों पर डेटा रखती है।
    • गिरफ्तार नार्को-अपराधियों पर राष्ट्रीय एकीकृत डेटाबेस: ड्रग्स और आतंकवाद के बीच साँठगाँठ से निपटने के लिए नार्को-आतंकवाद में शामिल 5 लाख से अधिक अपराधियों की निगरानी करती है।
    • मानव तस्करी अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस: आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ी मानव तस्करी से निपटने के प्रयासों का समर्थन करते हुए, लगभग 1 लाख मानव तस्करों का डेटा रखती है।
  • अन्य
    • आतंकी फंडिंग और जाली मुद्रा (Terror Funding and Fake Currency- TFFC) सेल: आतंकवादी फंडिंग और जाली मुद्रा मामलों पर केंद्रित जाँच करने के लिए राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (NIA) में एक सेल का गठन किया गया है।
    • समन्वय समूह: केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जाली मुद्रा नोटों के प्रचलन की समस्या का मुकाबला करने के लिए राज्यों/केंद्रों की सुरक्षा एजेंसियों के बीच खुफिया/सूचना साझा करने के लिए FICN समन्वय समूह (FICN Coordination Group- FCORD) का गठन किया गया है।

आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय पहल

  • संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 8 सितंबर, 2006 को सर्वसम्मति से संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति को अपनाया। 
    • यह रणनीति आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को बढ़ाने के लिए एक अद्वितीय वैश्विक साधन है।
    • महासभा प्रत्येक दो वर्ष में रणनीति की समीक्षा करती है, जिससे यह सदस्य देशों की आतंकवाद-रोधी प्राथमिकताओं के अनुरूप एक जीवंत दस्तावेज बन जाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक कार्यालय (United Nations Office of Counter-Terrorism- UNOCT): आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है और वैश्विक आतंकवाद निरोधक रणनीति को लागू करने में सदस्य देशों का समर्थन करता है।
  • आतंकवाद के दमन पर सार्क सम्मेलन (वर्ष 1987): दक्षिण एशियाई देशों के बीच आतंकवाद से निपटने और क्षेत्र के भीतर आतंकवादियों के प्रत्यर्पण में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक क्षेत्रीय समझौता।
  • वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF): FATF वैश्विक मानकों को निर्धारित करके और नियमित मूल्यांकन के माध्यम से देशों द्वारा अनुपालन सुनिश्चित करके मनी लॉण्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए काम करता है।
  • इंटरपोल: अपनी सुरक्षित संचार प्रणालियों के साथ सदस्य देशों के बीच तेजी से डेटा साझा करने में सक्षम होने के साथ, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से लड़ने के लिए वैश्विक पुलिस सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) 1267 समिति: इसकी स्थापना वर्ष 1999 में UNSC संकल्प 1267 के तहत की गई थी (जिसे वर्ष 2011 तथा वर्ष 2015 में अद्यतन किया गया), जो किसी भी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश को किसी आतंकवादी या आतंकी समूह का नाम समेकित सूची में जोड़ने का प्रस्ताव करने की अनुमति देता है।
  • आतंकवाद के दमन पर ‘अरब सम्मेलन’: 22 अप्रैल, 1998 को काहिरा में अरब राज्यों की लीग के महासचिवालय में आयोजित बैठक में इस पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • आतंकवाद की रोकथाम और मुकाबला करने पर अफ्रीकी एकता संगठन (OAU) अभिसमय: इसे वर्ष 1999 में अल्जीयर्स में अपनाया गया था। यह वर्ष 2002 में लागू हुआ।

भारत में आतंकवाद से निपटने की चुनौतियाँ

  • छिद्रपूर्ण सीमाएँ और भौगोलिक भेद्यता: भारत पाकिस्तान, नेपाल, म्याँमार और बांग्लादेश के साथ लंबी और छिद्रपूर्ण सीमाएँ साझा करता है, जो घुसपैठ को सुविधाजनक बनाती हैं।
    • समुद्री सीमाओं, विशेष रूप से पश्चिमी तट को भी प्रभावित किया गया है (उदाहरण के लिए, 26/11 मुंबई हमले)।
  • संगठित अपराध और नार्को-आतंकवाद: आतंकवादी हथियारों, रसद और सुरक्षित ठिकानों के लिए आपराधिक सिंडिकेट के साथ साझेदारी कर रहे हैं।
    • पंजाब और जम्मू-कश्मीर में सीमाओं के पार नशीली दवाओं और हथियारों की तस्करी आतंकवाद को वित्तपोषित करती है।
  • उन्नत तकनीक का उपयोग: आतंकवादी एन्क्रिप्टेड ऐप, VPN और ड्रोन का लाभ उठाते हैं, जिससे निगरानी एवं ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है।
    • वर्ष 2021 में जम्मू एयर फाॅर्स स्टेशन पर हुए ड्रोन हमले इन खतरों को उजागर करते हैं।
    • सीमापार आतंकवाद और राज्य प्रायोजन: लश्कर एवं जैश जैसे आतंकवादी समूहों को भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने के लिए पाकिस्तान की ISI से समर्थन मिलता है।
    • वर्ष 2019 के पुलवामा हमले को पाकिस्तान स्थित आत्मघाती हमलावर ने अंजाम दिया था।
  • सोशल मीडिया के माध्यम से कट्टरपंथ: ट्विटर, टेलीग्राम और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर आतंकवादी प्रचार ने भारतीय युवाओं को कट्टरपंथी बना दिया है।
    • फरवरी 2024 में, NIA ने हनी-ट्रैपिंग सहित ऑनलाइन कट्टरपंथी बनाए गए 4 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया।
  • एजेंसियों के बीच अपर्याप्त समन्वय: राज्य और केंद्रीय बलों के बीच निर्बाध सूचना साझा करने की कमी से त्वरित प्रतिक्रिया कमजोर होती है।
    • MAC की भूमिका के बावजूद, समन्वय में खामियाँ अभी भी मौजूद हैं, जिससे फील्ड ऑपरेशन प्रभावित हो रहे हैं।
  • कानूनी एवं संरचनात्मक बाधाएँ: संघीय जटिलताएँ समान आतंकवाद-रोधी ढाँचों में बाधा डालती हैं; कानूनों के दुरुपयोग से अविश्वास उत्पन्न होता है।
    • राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी केंद्र की स्थापना में देरी और ‘टाडा’ तथा ‘पोटा’ जैसे कानूनों के दुरुपयोग की चिंताओं के कारण उन्हें निरस्त कर दिया गया।
  • आतंकवाद का वित्तपोषण: हवाला लेन-देन की अपर्याप्त निगरानी, ​​धर्मार्थ संस्थाओं और गैर-सरकारी संगठनों का दुरुपयोग।
    • भारत ने FATF मानदंडों के अनुपालन में सुधार किया है, लेकिन प्रवर्तन असमान बना हुआ है।
  • साइबर एवं बायोटेरर के उभरते खतरे: आतंकवादी ‘जैविक एजेंटों’ या महत्त्वपूर्ण डेटा सिस्टम को हथियार बना सकते हैं।
    • भारत के इमिग्रेशन डेटाबेस में एक चीनी फर्म द्वारा सेंध लगाई गई, जो साइबर भेद्यता को उजागर करती है।

भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए आगे की राह 

  • खुफिया समन्वय को मजबूत करना: MAC, NIA और राज्य पुलिस जैसी एजेंसियों के बीच वास्तविक समय डेटा साझाकरण को बढ़ाना।
    • NATGRID को पूरी तरह से संचालित करना और इसे AI-आधारित खतरा विश्लेषण इकाई के साथ एकीकृत करना।
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म को विनियमित तथा मॉनीटर करना: एन्क्रिप्टेड चैनलों और सोशल मीडिया हैंडल को ट्रैक करके ऑनलाइन कट्टरपंथी गतिविधियों पर अंकुश लगाना।
    • डिजिटल आतंकी सामग्री की निगरानी तथा उसके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए एक साइबर कमांड सेंटर स्थापित करना।
  • आतंकी वित्तपोषण पारिस्थितिकी तंत्र को लक्षित करना: मजबूत वित्तीय निगरानी के माध्यम से नार्को-आतंकवाद, हवाला और गैर-सरकारी संगठनों के दुरुपयोग को रोकना।
    • FIU की भूमिका का विस्तार करना तथा FCRA दिशा-निर्देशों के तहत विदेशी-वित्तपोषित गैर-सरकारी संगठनों का ऑडिट करना।
  • पुलिस और सुरक्षा बलों की क्षमता में वृद्धि करना: राज्य स्तर पर आतंकवाद-रोधी प्रशिक्षण, हथियार और तकनीक में निवेश करना।
    • NIA मॉडल पर प्रत्येक प्रमुख राज्य में विशेष आतंकवाद-रोधी इकाइयों का निर्माण करना।
  • नागरिक स्वतंत्रता के साथ सुरक्षा को संतुलित करना: अलगाव को रोकने और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए UAPA जैसे कानूनों के दुरुपयोग से बचेगा।
    • आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत गिरफ्तारियों की न्यायिक निगरानी और समय-समय पर समीक्षा सुनिश्चित करना।
    • कट्टरपंथी प्रभाव को कम करने के लिए शिक्षा, रोजगार और समावेशी शासन को बढ़ावा देना।
    • मुख्यधारा से भटके युवाओं के लिए पुनर्वास योजनाओं को लागू करना और सामुदायिक नेत्रत्त्वकर्त्ताओं  को शामिल करना।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सीमा प्रबंधन: सीमा पार के खतरों पर नजर रखने के लिए FATF, INTERPOL और द्विपक्षीय संबंधों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर सहयोग करना।
    • विशेष रूप से पश्चिमी मोर्चे पर ड्रोन और हाई-टेक बाड़ लगाकर सीमा निगरानी को मजबूत करना।

निष्कर्ष 

भारत में आतंकवाद, राज्य प्रायोजित समूहों, वैचारिक उग्रवाद और सामाजिक-आर्थिक कमजोरियों जैसे विविध कारकों से प्रेरित है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। नागरिक स्वतंत्रता के साथ सुरक्षा को संतुलित करके और गरीबी और कट्टरपंथ जैसे मूल कारणों को संबोधित करके, भारत इस बहुआयामी चुनौती का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकता है।

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