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चुनाव का बढ़ता खर्च

Lokesh Pal October 30, 2024 03:59 76 0

संदर्भ 

नवंबर 2024 में आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति एवं कांग्रेस के चुनावों के लिए कुल खर्च लगभग 16 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।

भारत का वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव व्यय

  • वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए, सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (Centre for Media Studies-CMS) का अनुमान है, कि विभिन्न राजनीतिक दलों ने कुल मिलाकर लगभग ₹1,00,000 करोड़ खर्च किए।

चुनाव व्यय सीमा क्या है?

  • यह सीमा उस धनराशि को संदर्भित करती है, जो एक उम्मीदवार चुनाव प्रचार पर खर्च कर सकता है।
  • यह भारत के चुनाव आयोग (Election Commission of India- ECI) द्वारा निर्धारित किया जाता है, जो चुनाव के प्रकार एवं राज्यों के आकार के आधार पर भिन्न होता है। 

भारत में चुनाव व्यय सीमा

  • लोकसभा उम्मीदवारों के लिए सीमाएँ
    • बड़े राज्यों में, प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र के लिए व्यय सीमा ₹95 लाख है।
    • छोटे राज्यों के लिए, सीमा ₹75 लाख प्रति निर्वाचन क्षेत्र निर्धारित है।
  • विधानसभा उम्मीदवारों के लिए सीमाएँ
    • बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की खर्च सीमा ₹40 लाख है।
    • छोटे राज्यों में विधानसभा उम्मीदवारों के लिए सीमा 28 लाख रुपये है।
  • चुनाव आयोग द्वारा विनियमन
    • ये व्यय सीमाएँ भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा समय-समय पर संशोधित एवं निर्धारित की जाती हैं।
    • विशेष रूप से, चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों पर कोई व्यय सीमा नहीं लगाई गई है।

चुनावी फंडिंग

  • यह चुनावी फंडिंग की एक व्यवस्था है, जिसमें सरकार राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ने के लिए फंड देती है। 
  • लाभ
    • चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है– नागरिक चुनावी फंडिंग एवं व्यय के बारे में जान सकते हैं (जानने के अधिकार के तहत)।
    • निष्पक्षता: यह सुनिश्चित करता है, कि सभी राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों के पास समान धन हो। ऐसा करने से निर्वाचन आयोग धनी व्यक्तियों के प्रभाव को कम कर देता है। 
    • अवैध फंडिंग पर अंकुश: राजनीति में अवैध धन के उपयोग को कम करने में मदद करता है। 

सरकार की प्रमुख रिपोर्ट जो राज्य वित्त पोषण हेतु प्रस्तुत की गई थी:

  • चुनावों के राज्य वित्त पोषण पर इंद्रजीत गुप्ता समिति (1998)
  • चुनावी कानूनों के सुधार पर विधि आयोग की रिपोर्ट (1999)
  • संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग (2001)
  • द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (2008)।

भारत में चुनाव व्यय को नियंत्रित करने वाले कानून 

  • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77: यह अधिनियम भारत में चुनाव व्यय के संबंध में नियमों एवं विनियमों की रूपरेखा प्रस्तुत करता है। 
    • लेखा-जोखा रखना: प्रत्येक उम्मीदवार को नामांकन की तारीख से लेकर परिणाम की घोषणा तक सभी चुनाव खर्चों का लेखा-जोखा रखना आवश्यक है।
    • खाते में तारीख, उद्देश्य एवं राशि जैसी सभी जानकारी रखनी चाहिए।
  • चुनाव खर्च से छूट
    • पार्टी नेता यात्रा; राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा यात्रा एवं प्रचार पर किए गए खर्च को व्यक्तिगत उम्मीदवारों के खर्च के रूप में नहीं माना जाता है। 
    • सरकारी अधिकारी: अधिनियम की धारा 123(7) के अनुसार, सरकारी अधिकारियों के आधिकारिक कर्तव्यों से संबंधित खर्चों को चुनाव व्यय के रूप में नहीं गिना जाता है। 
  • व्यय विवरण प्रस्तुत करना: सभी उम्मीदवारों या उनके चुनाव एजेंट को भारत के चुनाव आयोग को व्यय विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक है। 
    • यह चुनाव घोषित होने के 30 दिनों के भीतर किया जाता है। 
    • यदि कोई उम्मीदवार यह विवरण प्रस्तुत करने में विफल रहता है या गलत जानकारी प्रदान करता है, तो इससे उम्मीदवार को तीन वर्ष तक के लिए अयोग्य ठहराया जा सकता है। 

अंतरराष्ट्रीय मानक

  • संयुक्त राज्य अमेरिका
    • चुनावी फंडिंग मुख्य रूप से व्यक्तिगत एवं PAC योगदान से आती है।
    • उम्मीदवारों के लिए व्यक्तिगत एवं PAC योगदान के लिए खर्च की सीमाएँ हैं।
    • सुपर PACs, बिना किसी खर्च सीमा के, समग्र लागत में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
    • वर्ष 2024 में राष्ट्रपति चुनाव के लिए लगभग 5.5 बिलियन डॉलर एवं कांग्रेस के लिए 10.5 बिलियन डॉलर की उम्मीद है।
  • यूनाइटेड किंगडम
    • राजनीतिक दल प्रति निर्वाचन क्षेत्र £54,010 खर्च कर सकते हैं, जो सभी निर्वाचन क्षेत्रों के लिए कुल मिलाकर लगभग £35 मिलियन है।
    • उम्मीदवार की खर्च सीमा लंबे अभियान के दौरान £46,000-49,000 एवं छोटे अभियान के दौरान £17,000-20,000 तक होती है।

बढ़ते चुनावी खर्च की चुनौती

  • अत्यधिक खर्च: राजनीतिक दल, विशेष रूप से भाजपा एवं कांग्रेस जैसे प्रमुख दल, नियमित रूप से व्यय सीमा से अधिक खर्च करते हैं।
    • यह खर्च दान से प्रेरित होता है, जो अक्सर अनुचित प्रभाव एवं हितों का टकराव उत्पन्न करता है।
  • अवैध फंडिंग: चुनाव फंड का एक बड़ा हिस्सा मतदाताओं को नकद वितरण जैसी अवैध गतिविधियों पर खर्च किया जाता है।
  • सीमा का उल्लंघन: भारत में प्रमुख राजनीतिक दल अक्सर निर्धारित उम्मीदवार व्यय सीमा को पार कर जाते हैं, जबकि पार्टी का खर्च अप्रतिबंधित रहता है।
  • भ्रष्टाचार: चुनावों की उच्च लागत भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है, क्योंकि राजनेता अपने निवेश की वसूली करना चाहते हैं।
  • अनौपचारिक खर्च: CMS की रिपोर्ट है कि चुनाव निधि का 35% अभियानों के लिए आवंटित किया जाता है, एवं 25% मतदाता प्रलोभन पर खर्च किया जाता है।

संभावित सुधार

हालाँकि राज्य वित्त पोषण एवं एक साथ चुनाव सहित विभिन्न प्रस्तावित समाधान हैं, लेकिन उनके कार्यान्वयन में महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं। 

  • पार्टी फंडिंग को उम्मीदवारों तक सीमित करना
    • विधान: यह सुनिश्चित करने के लिए कानून में संशोधन करें कि राजनीतिक दल उम्मीदवारों को उनकी निर्धारित व्यय सीमा से अधिक वित्तीय सहायता प्रदान नहीं कर सकें।
  • राजनीतिक दल व्यय पर कैपिंग
    • अधिकतम सीमा: किसी राजनीतिक दल के कुल व्यय पर उसके उम्मीदवारों की व्यक्तिगत व्यय सीमा के आधार पर एक सीमा लगाना।
  • चुनाव संबंधी मामलों के निपटान में तेजी
    • न्यायिक दक्षता: व्यय सीमा के उल्लंघन को रोकने, चुनाव से संबंधित मामलों के निपटान में तेजी लाने के लिए उच्च न्यायालयों में अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति करें।

इन सुधारों को लागू करके, हम अधिक न्यायसंगत एवं पारदर्शी चुनावी प्रणाली बना सकते हैं, धन के प्रभाव को कम कर सकते हैं तथा निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा दे सकते हैं।

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