100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

ऊर्जा क्षेत्र का रोडमैप

Lokesh Pal June 09, 2025 02:44 6 0

संदर्भ

भारत का ऊर्जा क्षेत्र आत्मनिर्भरता, ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए गहन परिवर्तन से गुजर रहा है और वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

भारत का ऊर्जा क्षेत्र परिदृश्य 

  • ऊर्जा मिश्रण: भारत का ऊर्जा परिदृश्य पारंपरिक जीवाश्म ईंधन स्रोतों (कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस) पर निर्भरता तथा सौर, परमाणु और जैव ऊर्जा जैसे बढ़ते नवीकरणीय स्रोतों द्वारा आकार लेता है।
  • ऊर्जा माँग: ऊर्जा की बढ़ती वैश्विक माँग में भारत का हिस्सा लगभग 25% है, जिसके वर्ष 2047 तक ढाई गुना बढ़ने की उम्मीद है।
    • भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा और तेल उपभोक्ता, चौथा सबसे बड़ा रिफाइनर और चौथा सबसे बड़ा LNG आयातक है।
  • ऊर्जा संक्रमण लक्ष्य: भारत ने वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने का संकल्प लिया है और वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है, जो कि उसके NDCs में गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा से 50% संचयी विद्युत स्थापित क्षमता के बराबर है।

भारत की ऊर्जा रणनीति

भारत की ऊर्जा रणनीति चार-आयामी दृष्टिकोण के माध्यम से उपलब्धता, सामर्थ्य और स्थिरता की ऊर्जा विविधता को संबोधित करती है:-

  • स्रोतों एवं आपूर्तिकर्ताओं का विविधीकरण
    • आपूर्तिकर्ता आधार का विस्तार: भारत ने अपने कच्चे तेल आपूर्तिकर्ताओं की संख्या वर्ष 2006-07 में 27 देशों से बढ़ाकर वर्ष 2021-22 में 39 कर ली है, जिसमें कोलंबिया, रूस, लीबिया, गैबॉन, इक्वेटोरियल गिनी आदि जैसे नए देश शामिल हैं।
  • घरेलू उत्पादन का विस्तार
    • भारत का अन्वेषण क्षेत्र: सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक एक मिलियन वर्ग किलोमीटर को कवर करने के लक्ष्य के साथ 42 बिलियन टन तेल और तेल-समतुल्य गैस अन्वेषण क्षमता का दोहन करना है।
      • भारत का अन्वेषण क्षेत्र वर्ष 2025 में दोगुना होकर 16% हो गया है।
    • तेल एवं गैस भंडार की खोज: ONGC द्वारा मुंबई अपतटीय, कैम्बे, महानदी और असम बेसिन में 25 हाइड्रोकार्बन खोजें की गई हैं।

  • नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण
    • वैकल्पिक ईंधन: सतत (SATAT) और राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम जैसी पहलों के माध्यम से इथेनॉल मिश्रण, CBG, बायोडीजल और जैव ऊर्जा उपयोग को प्रोत्साहित करना।
      • उदाहरण: ‘वहनीय परिवहन की दिशा में सतत् विकल्प’ (Sustainable Alternative Towards Affordable Transportation- SATAT) पहल के तहत 100 से अधिक संपीड़ित बायोगैस (CBG) संयंत्रों को प्रारंभ किया गया है और वर्ष 2028 तक 5% CBG मिश्रण अधिदेश का लक्ष्य रखा है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा: PM-KUSUM (सौर ऊर्जा), ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और अपतटीय पवन परियोजनाओं जैसी पहलों के साथ गैर-जीवाश्म क्षमता का विस्तार करना।
      • उदाहरण: भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित उत्पादन क्षमता वर्ष 2015 के 29% से बढ़कर वर्ष 2024 में कुल स्थापित क्षमता का 45% हो गई है।
  • सामर्थ्य
    • भारत अपने आयात स्रोतों में विविधता ला रहा है और घरेलू कराधान लाभों के साथ-साथ अपने गैस-मूल्य निर्धारण तंत्र में बदलाव कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप भारत में पेट्रोल एवं डीजल की कीमतें कम हो गई हैं, जबकि वैश्विक कीमतें बढ़ रही हैं।
      • उदाहरण: प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के अंतर्गत लाभार्थियों को प्रति LPG सिलेंडर ₹553 का भुगतान करना होता है, जो लक्षित सब्सिडी तथा तेल विपणन कंपनियों को सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले मुआवजे से संभव हो पाता है। यह राहत ऐसे समय में दी जा रही है, जब वैश्विक स्तर पर LPG की कीमतों में लगभग 58% की वृद्धि दर्ज की गई है।

नीतिगत सुधार

  • तेल क्षेत्र (विनियमन एवं विकास) संशोधन अधिनियम 2024: इसने हाइब्रिड लीज को सक्षम किया है, जिससे हाइड्रोकार्बन के साथ-साथ नवीकरणीय ऊर्जा की अनुमति मिलती है। 
  • संशोधित गैस मूल्य निर्धारण तंत्र: संशोधित गैस मूल्य निर्धारण तंत्र के अंतर्गत गैस की कीमतों को अब भारतीय कच्चे तेल की बास्केट के 10% से जोड़ा गया है, तथा नए उत्पादित तेल के लिए 20% तक प्रीमियम की अनुमति दी गई है। इस नीति परिवर्तन से शहरी गैस वितरण नेटवर्क तथा औद्योगिक उपयोग के लिए गैस की उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • ‘नो-गो’ (No-Go) क्षेत्रों में 99% की कमी: भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र में 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर अवसादी बेसिन को अन्वेषण के लिए खोल दिया गया है, जिससे 42 बिलियन टन तेल और तेल-समतुल्य गैस की संभावित खोज का मार्ग प्रशस्त हुआ है। 
  • ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP): यह OMC को राष्ट्रीय डेटा रिपॉजिटरी (NDR) में उपलब्ध डेटा के आधार पर हाइड्रोकार्बन अन्वेषण एवं उत्पादन के लिए विशिष्ट ब्लॉकों की पहचान करने और चुनने की अनुमति देता है।

ऊर्जा क्षेत्र में अवसर

  • बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण: भारत अपने ग्रिड बुनियादी ढाँचे को आधुनिक बनाने और उन्नत करने के लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठा रहा है, जिसमें स्मार्ट ग्रिड और स्मार्ट मीटरिंग शामिल हैं।
    • उदाहरण: राष्ट्रीय स्मार्ट ग्रिड मिशन (NSGM) के तहत 51.62 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं, और वर्ष 2022 तक 61.13 लाख और लगाए जाने हैं।
  • ऊर्जा भंडारण क्षमता: भारत एकल एवं एकीकृत अक्षय ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (RE+ESS) दोनों पर ध्यान केंद्रित करके अपने ऊर्जा भंडारण बुनियादी ढाँचे को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहा है, जिसमें पीक पावर, अक्षय ऊर्जा एकीकरण और फर्म एंड डिस्पैचेबल रिन्यूएबल एनर्जी (FDRE) जैसी तकनीकें शामिल हैं।
  • ग्रीन हाइड्रोजन: भारत ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन एवं उपयोग को प्राथमिकता दे रहा है और इसके लिए एक समर्पित मिशन (राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन) तैयार कर रहा है, जिससे ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान, विकास और उपयोग के क्षेत्र में अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
    • उदाहरण: ग्रीन हाइड्रोजन को 8.62 लाख टन उत्पादन और 3,000 मेगावाट ‘इलेक्ट्रोलाइजर टेंडर’ प्रदान करके बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया गया है।
  • गैस नेटवर्क का विस्तार: एकीकृत पाइपलाइन टैरिफ के साथ भारत का शहरी गैस नेटवर्क वर्ष 2025 तक 307 भौगोलिक क्षेत्रों तक बढ़ गया है, जिसमें पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) कनेक्शन 25 लाख से बढ़कर 1.5 करोड़ हो गए हैं और 7,500 से अधिक संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) स्टेशन चालू हैं।
  • नवीकरणीय ऊर्जा: भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि में वैश्विक नेतृत्त्वकर्त्ता है, जिसमें नीतिगत हस्तक्षेपों द्वारा सहायता प्राप्त सौर ऊर्जा पर मजबूत ध्यान केंद्रित किया गया है।
    • उदाहरण: प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना का लक्ष्य 1 करोड़ घरों को छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र प्रदान करना है, जिससे प्रत्येक महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी।

राष्ट्रीय विद्युत योजना (2022-32)

  • इस योजना में पिछले पाँच वर्षों (2017-22) की समीक्षा, वर्ष 2022-27 अवधि के लिए विस्तृत योजना और वर्ष 2027-32 की अवधि के लिए संभावित योजना शामिल है।
  • संबंधित संस्था: राष्ट्रीय विद्युत योजना (2022-32) को विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 3(4) के अनुसार, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा तैयार किया गया है।
    • राष्ट्रीय विद्युत योजना (NEP) को राष्ट्रीय विद्युत नीति के अनुरूप होना चाहिए और इसे पाँच वर्ष में एक बार अधिसूचित किया जाना चाहिए।
  • अनुमानित विद्युत माँग: 20वें विद्युत ऊर्जा सर्वेक्षण (EPS) माँग अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2031-32 के लिए अखिल भारतीय बिजली की अधिकतम माँग और विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता 366.4 गीगावाट और 2473.8 BU है।
  • उद्देश्य: देश में संसाधनों का इष्टतम उपयोग और सभी के लिए विश्वसनीय, किफायती, निर्बाध (24×7) और गुणवत्तापूर्ण विद्युत उपलब्ध कराना।
  • घटक: यह योजना निम्नलिखित घटकों पर ध्यान केंद्रित करती है:-
    • स्थापित क्षमता: वर्ष 2031-32 तक अनुमानित विद्युत स्थापित क्षमता बढ़कर 900,422 मेगावाट हो जाएगी, जिसमें शामिल हैं:-
      • 304,147 मेगावाट की पारंपरिक क्षमता (कोयला-259,643 मेगावाट, गैस-24,824 मेगावाट, परमाणु-19,680 मेगावाट)
      • 596,275 मेगावाट की नवीकरणीय आधारित क्षमता (वृहद हाइड्रो-62,178 मेगावाट, सौर-364,566 मेगावाट, पवन-121,895 मेगावाट, लघु हाइड्रो-5450 मेगावाट, बायोमास-15,500 मेगावाट, PSP-26,686 मेगावाट)
    • ट्रांसमिशन अवसंरचना: वर्ष 2022-2032 के बीच की अवधि में 191,000 सर्किट किलोमीटर से अधिक ट्रांसमिशन लाइनें और 1,270 GVA परिवर्तन क्षमता को जोड़ना, जिसमें उच्च-वोल्टेज सिस्टम (220 kV और उससे अधिक) पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
    • ऊर्जा भंडारण क्षमता: पंप स्टोरेज प्लांट (PSP) और बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (BESS) से ऊर्जा भंडारण क्षमता वर्ष 2031-32 तक 73.93 GW (26.69 GW PSP और 47.24 GW BESS) बढ़ जाएगी।

भारतीय ऊर्जा क्षेत्र में चुनौतियाँ

  • जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता: भारत का ऊर्जा क्षेत्र मुख्य रूप से कोयले पर आधारित है, जो कुल उत्पादन का लगभग 70% है, जिससे पर्यावरण संबंधी चिंताएँ उत्पन्न होती हैं तथा यह वैश्विक डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों के विपरीत है।
  • आयात पर निर्भरता: भारत का ऊर्जा क्षेत्र जीवाश्म ईंधन के आयात पर अत्यधिक निर्भर है, जिससे अंतरराष्ट्रीय संकट के समय कीमतों में अस्थिरता और ऊर्जा असुरक्षा होती है। 
    • उदाहरण: वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की तेल पर आयात निर्भरता 87% से अधिक हो जाएगी, जिसका अर्थ है कि घरेलू उत्पादन कुल माँग का 13% से भी कम पूरा करता है।
  • अक्षय ऊर्जा चुनौती: अक्षय ऊर्जा के उत्पादन में तीन मुख्य चुनौतियाँ हैं:-
    • अंतर्निहित परिवर्तनशीलता: सौर और पवन स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा में वास्तविक समय में उतार-चढ़ाव होता है।
    • अनिश्चितता: अक्षय ऊर्जा स्रोतों का सटीक पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है।
    • संकेंद्रण: अक्षय ऊर्जा स्रोत पूरे वर्ष उपलब्ध नहीं होते हैं क्योंकि इनका संकेंद्रण पूरे वर्ष में विशिष्ट अवधि तक ही सीमित होता है।
  • अपर्याप्त पारेषण और वितरण अवसंरचना: भारत का कुल तकनीकी और वाणिज्यिक घाटा औसतन लगभग 32% विद्युत क्षेत्र से संबंधित है, जबकि विकसित देशों में यह (6-11%) है।
  • अवसंरचना और ग्रिड एकीकरण के मुद्दे: अवसंरचना और ग्रिड एकीकरण से संबंधित चुनौतियाँ भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। 
    • वर्तमान में देश में संक्रमण ईंधन (Transitional Fuel), विशेष रूप से प्राकृतिक गैस की कमी है, जिसे आमतौर पर ग्रिड की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए उपयोग किया जाता है। यह कमी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की तीव्र वृद्धि के समक्ष एक बड़ी बाधा उत्पन्न कर सकती है।
  • निवेश और नीतिगत अनिश्चितताएँ: अक्षय क्षेत्र को निविदाओं की कमजोर माँग, बिजली खरीद समझौतों में देरी और परियोजना रद्द होने जैसी बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जो अधिक मजबूत नीतिगत ढाँचे और निवेशकों के विश्वास की आवश्यकता को दर्शाता है।

भारत में ऊर्जा क्षेत्र में प्रमुख नियामक निकाय

  • ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency- BEE): यह संगठन मानकों और लेबलिंग (जैसे- उपकरणों के लिए) को विकसित करके ऊर्जा दक्षता और संरक्षण को बढ़ावा देता है, उद्योगों के लिए PAT (प्रदर्शन, उपलब्धि, व्यापार) योजना को लागू करता है और राज्य-स्तरीय ऊर्जा संरक्षण कार्यक्रमों का समर्थन करता है।
  • पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (PNGRB): यह डाउनस्ट्रीम तेल और गैस अवसंरचना और बाजारों को नियंत्रित करता है और उचित मूल्य निर्धारण एवं प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करता है।
    • यह पाइपलाइनों और टर्मिनलों में अनुपालन और सुरक्षा की निगरानी भी करता है।
  • केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA): यह विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत एक वैधानिक निकाय है और विद्युत मंत्रालय का एक ‘संलग्न कार्यालय’ है।
    • CEA कार्यक्रमों के तकनीकी समन्वय और पर्यवेक्षण तथा विद्युत प्रणाली के विकास के लिए राष्ट्रीय विद्युत नीति तैयार करने के लिए जिम्मेदार है।
  • केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (CERC ): यह उत्पादन, पारेषण, व्यापार और वितरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए अंतर-राज्यीय विद्युत मामलों को नियंत्रित करता है।
    • CERC केंद्रीय उत्पादन स्टेशनों के लिए टैरिफ तय करता है।

आगे की राह

  • नीतिगत और विनियामक स्थिरता निवेशकों, बाजारों और अन्य हितधारकों को ऊर्जा संक्रमण में भाग लेने और समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
  • वास्तविक समय के बाजारों (भारत के ग्रिडों में बिजली की आपूर्ति-माँग को संतुलित करने में मदद करने के लिए); सामान्य नेटवर्क एक्सेस (सौर और पवन के लिए बेहतर ट्रांसमिशन कनेक्टिविटी के लिए); और सौर PV मॉड्यूल निर्माण के लिए PLI योजना जैसी मौजूदा विनियामक पक्ष पहलों को जारी रखना।
  • प्रोत्साहन: रूफटॉप सौर ऊर्जा और कृषि पंपों के सौरकरण सहित नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन, सब्सिडी और कर छूट प्रदान करना।
  • डिजिटलीकरण में निवेश करना: उन्नत सॉफ्टवेयर समाधान प्रस्तुत करने से माँग प्रतिक्रिया कार्यक्रमों के निर्माण द्वारा ग्रिड-स्तरीय संचालन को अनुकूलित किया जा सकता है
    • उदाहरण: यह उद्योगों को दिन के दौरान अपने लोड को उस समय स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित कर सकता है जब ग्रिड पर अधिक ऊर्जा उपलब्ध होती है, जिससे पीक डिमांड कम हो जाती है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को अपनाने में तेजी लाने के लिए अनुसंधान एवं विकास पर जोर देना, साथ ही पंप हाइड्रो, बैटरी और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के अन्य रूपों के लिए निविदाओं सहित नए वाणिज्यिक ढाँचे को प्रस्तुत करना।

निष्कर्ष

पिछले दशक में नीतिगत सुधारों और पहलों के माध्यम से भारत के ऊर्जा क्षेत्र में आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और रणनीतिक दूरदर्शिता में वृद्धि देखी गई है। ऊर्जा को केवल एक वस्तु के रूप में नहीं बल्कि संप्रभुता, सुरक्षा और सतत् विकास के उत्प्रेरक के रूप में देखा जा रहा है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.