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भारत-इंडोनेशिया संबंधों का विकास

Lokesh Pal January 29, 2025 02:50 49 0

संदर्भ

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो भारत के 76वें गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

यात्रा के दौरान प्रमुख समझौते और सहयोग

  • दक्षिण चीन सागर पर संयुक्त वक्तव्य
    • शांति, स्थिरता और नौवहन की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए वर्ष 1982 के UNCLOS के अनुरूप एक ‘पूर्ण एवं प्रभावी’ संहिता पर जोर दिया गया। 
    • विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और बिना किसी बाधा के वैध समुद्री वाणिज्य का आह्वान किया गया। 
    • चीन के सैन्य दावों के बीच अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने पर जोर दिया गया।
  • समुद्री सहयोग
    • गुरुग्राम में वर्ष 2018 में स्थापित भारत के सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र (Information Fusion Centre-Indian Ocean Region/IFC-IOR) में एक इंडोनेशियाई संपर्क अधिकारी को तैनात करने के लिए समझौता।
    • द्विपक्षीय समुद्री और साइबर सुरक्षा वार्ता की शीघ्र स्थापना।
    • हाइड्रोग्राफी,  पनडुब्बी खोज और बचाव में द्विपक्षीय सहयोग।
  • रक्षा और सामरिक संबंध
    • गहन रक्षा संबंधों के लिए रक्षा सहयोग समझौते (DCA) का अनुसमर्थन।
    • इंडोनेशिया को 3,800 करोड़ रुपये की ब्रह्मोस मिसाइलों के निर्यात के लिए समझौता किया गया।
    • विमान वाहक और जहाज निर्माण में सहयोग पर चर्चा की गई।
  • आर्थिक सहयोग
    • व्यापार और वित्तीय एकीकरण को बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय लेन-देन में स्थानीय मुद्रा के उपयोग आधारित समझौता ज्ञापन (MoU) को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। वर्ष 2025 तक आसियान-भारत व्यापार समझौते (AITIGA) की संचालित समीक्षा के शीघ्र समापन पर सहमति व्यक्त की गई।
    • इंडोनेशिया ने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन में शामिल होने के लिए भारत के निमंत्रण का स्वागत किया।
    • ऊर्जा, महत्त्वपूर्ण खनिजों और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में साझेदारी की गई है।
      • उदाहरण के लिए: भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) इंडोनेशिया में नुनुकान तेल और गैस ब्लॉक को विकसित करने के लिए 121 मिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना बना रही है।
  • सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संबंध
    • इंडोनेशियाई भाषा, संस्कृति और आनुवंशिकी पर भारत का प्रभाव देखा जा सकता है।
    • स्वास्थ्य, पारंपरिक चिकित्सा, डिजिटल विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान से संबंधित समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
  • आतंकवाद विरोधी सहयोग पर समझौता ज्ञापन का नवीनीकरण: सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा, संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके सहयोगियों के विरुद्ध वैश्विक ठोस कार्रवाई का आह्वान।
    • भारत-इंडोनेशिया आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ाना।

सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR)

  • स्थापना: वर्ष 2018 में गुरुग्राम के सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (IMAC) में; भारतीय नौसेना द्वारा स्थापित किया गया।
  • उत्पत्ति: 26/11 के बाद, IMAC की स्थापना वर्ष 2014 में समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए की गई थी; नौसेना और तटरक्षक बल द्वारा संयुक्त रूप से प्रबंधित किया जाता है।
  • उद्देश्य: ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’ (SAGAR) के भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोगात्मक समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना।
  • सीमा: हिंद महासागर क्षेत्र और आसपास के समुद्री क्षेत्र
    • चार क्षेत्र: गिनी की खाड़ी, अदन की खाड़ी, अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और दक्षिण पूर्व एशिया।

आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता (AITIGA)

  • यह एक व्यापार समझौता है, जिसका उद्देश्य भारत और आसियान सदस्य देशों के बीच वस्तुओं के आवागमन को सुगम बनाना है।
  • इस पर अगस्त, 2009 में बैंकॉक में हस्ताक्षर किए गए थे और यह वर्ष 2010 से लागू हुआ।

भारत-इंडोनेशिया संबंध

प्रारंभिक संबंध और उपनिवेशवाद के विरुद्ध एकजुटता (1940-1950)

  • ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध: 2,000 से अधिक वर्षों से साझा सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संबंध।
    • हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और इस्लाम भारत से इंडोनेशिया आए।
    • रामायण और महाभारत जैसे भारतीय महाकाव्य इंडोनेशियाई लोककथाओं और कलाओं को प्रभावित करते हैं।
  • उपनिवेश-विरोधी साझा संघर्ष: भारत ने डच औपनिवेशिक काल (1945-49) के दौरान इंडोनेशिया की स्वतंत्रता का समर्थन किया।
    • नेहरू ने भारतीय हवाई क्षेत्र में डच एयरलाइनों पर प्रतिबंध लगा दिया और इंडोनेशियाई राष्ट्रवादियों को मानवीय सहायता प्रदान की।
    • भारतीय पायलट बीजू पटनायक ने वर्ष 1947 में इंडोनेशियाई क्रांति के दौरान प्रमुख इंडोनेशियाई नेताओं, सुतन सजाहिर और मोहम्मद हट्टा के संरक्षण में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
  • राजनयिक संबंधों को मजबूत करना: राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के पहले गणतंत्र दिवस (1950) के मुख्य अतिथि थे।
    • वर्ष 1951 में हस्ताक्षरित मैत्री संधि का उद्देश्य “स्थायी शांति और अपरिवर्तनीय मित्रता” था।
  • गुटनिरपेक्षता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग: उपनिवेशवाद-विरोधी, रंगभेद और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व जैसे वैश्विक मुद्दों पर घनिष्ठ समन्वय।
    • बांडुंग सम्मेलन (1955) में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने वर्ष 1961 में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की नींव रखी।

संबंधों में गिरावट (1960-1970)

  • चीन के मामले में मतभेद: वर्ष 1959 के तिब्बती विद्रोह के बाद भारत के चीन के साथ संबंध खराब हो गए, जबकि इंडोनेशिया ने चीन के साथ मजबूत संबंध बनाए रखे।
  • शीतयुद्ध संबंधी तनाव: वर्ष 1962 के चीन-भारत युद्ध के दौरान, इंडोनेशिया ने भारत के साथ बहुत कम एकजुटता दिखाई।
    • इंडोनेशिया ने वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान के साथ गठबंधन किया, यहाँ तक कि पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति भी की।
  • इंडोनेशिया में आंतरिक बदलाव: वर्ष 1965 के तख्तापलट के बाद सुकर्णो को सत्ता से हटा दिया गया और जनरल सुहार्तो ने सत्ता सँभाली, जिससे इंडोनेशिया की विदेश नीति में बदलाव आया।
    • जकार्ता ने भारत के साथ संबंधों को सुधारना शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1967 में व्यापार समझौते हुए।
  • संबंधों में ठहराव: हालाँकि वर्ष 1977 के समुद्री सीमा समझौते जैसे प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे, शीतयुद्ध के कारण व्यापक संबंध सीमित रहे।

पुनरुद्धार और ‘लुक ईस्ट’ नीति

  • शीतयुद्ध के बाद का पुनर्संतुलन: पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार ने 1990 के दशक में ‘लुक ईस्ट’ (Look East) नीति शुरू की, जिसका लक्ष्य इंडोनेशिया सहित दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ मजबूत संबंध बनाना था।
  • आर्थिक उदारीकरण: भारत के सुधारों ने आर्थिक और व्यापारिक साझेदारी के अवसर उत्पन्न किए।
    • इंडोनेशिया आसियान (ASEAN) में, विशेषकर व्यापार और निवेश में भारत के लिए एक प्रमुख भागीदार बन गया।
  • व्यापक रणनीतिक साझेदारी (2018): भारत और इंडोनेशिया ने रक्षा, व्यापार और समुद्री सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया।
    • प्रधानमंत्री मोदी की जकार्ता यात्रा के दौरान इंडो-पैसिफिक समुद्री सहयोग के लिए साझा दृष्टिकोण अपनाया गया।
  • उच्च स्तरीय सहभागिता: संबंधों को मजबूत करने के लिए नेताओं द्वारा नियमित यात्राएँ।
    • गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में सुकर्णो (1950) से लेकर प्रबोवो सुबियांतो (2025) तक।
    • वर्ष 2018 में पीएम मोदी की इंडोनेशिया यात्राएँ एवं आसियान और G20 शिखर सम्मेलनों के दौरान कई द्विपक्षीय वार्ताएँ।

भू-रणनीतिक संबंध

  • समुद्री पड़ोसी: हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में साझा समुद्री सीमाएँ।
    • मलक्का जलडमरूमध्य का सामरिक महत्त्व, एक महत्त्वपूर्ण व्यापार मार्ग।
  • भारत-प्रशांत सहयोग: भारत-प्रशांत में समुद्री सहयोग पर साझा दृष्टिकोण को अपनाना (2018)।
    • इंडोनेशिया के वैश्विक समुद्री आधार दृष्टिकोण के साथ भारत की एक्ट ईस्ट नीति का संरेखण।
  • नौवहन की स्वतंत्रता: भारत-प्रशांत में नियम-आधारित व्यवस्था के लिए UNCLOS (1982) के प्रति संयुक्त प्रतिबद्धता।
    • समुद्री सुरक्षा, नौवहन की स्वतंत्रता और ‘ओवरफ्लाइट’ अधिकारों पर बल।
  • क्षेत्रीय संपर्क
    • मलक्का जलडमरूमध्य तक बेहतर पहुँच के लिए इंडोनेशिया के सबंग बंदरगाह का विकास।
    • अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह तथा इंडोनेशिया के आचेह के बीच संबंधों को मजबूत किया गया।

मलक्का जलडमरूमध्य 

  • मलक्का जलडमरूमध्य 800 किलोमीटर लंबा और 65 से 250 किलोमीटर चौड़ा एक सँकरा जलक्षेत्र है, जो उत्तर-पूर्व में मलय प्रायद्वीप और दक्षिण-पश्चिम में इंडोनेशियाई द्वीप सुमात्रा के बीच स्थित है तथा अंडमान सागर एवं दक्षिण चीन सागर को जोड़ता है।

रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग

  • सैन्य सहयोग: गरुड़ शक्ति (सेना) और समुद्र शक्ति (नौसेना) अभ्यास अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाते हैं।
    • इंड-इंडो कॉर्पेट (IND-INDO CORPAT) (समन्वित गश्त) समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने और समुद्री खतरों से निपटने के लिए।
  • रक्षा आधुनिकीकरण: ब्रह्मोस मिसाइलों और हल्के लड़ाकू विमानों जैसे भारतीय रक्षा उत्पादों में इंडोनेशिया ने अपनी इच्छा जताई।
    • इस निर्णय का कारण इंडोनेशिया के रक्षा विनिर्माण और आधुनिकीकरण प्रयासों के लिए समर्थन करना था।
  • समुद्री सुरक्षा: गुरुग्राम में भारत के सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR) में संपर्क अधिकारी नियुक्त किया गया।
    • हाइड्रोग्राफी और पनडुब्बी खोज और बचाव कार्यों पर सहयोग पर ध्यान देने के लिए।

आर्थिक संबंध

  • व्यापार संबंध: सिंगापुर के बाद इंडोनेशिया आसियान में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
    • द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2005-06 में 4.3 बिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 38.84 बिलियन डॉलर और वर्ष 2023-24 में 29.40 बिलियन डॉलर हो गया।
      • भारतीय आयात: कोयला, कच्चा पाम तेल, रबर, खनिज।
      • भारतीय निर्यात: परिष्कृत पेट्रोलियम, दूरसंचार उपकरण, कृषि उत्पाद।
  • निवेश सहयोग: वर्ष 2000-2024 के दौरान इंडोनेशिया में भारतीय निवेश 1.56 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया, जिसमें कपड़ा, बुनियादी ढाँचे और खनन पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • स्थानीय मुद्रा निपटान (Local Currency Settlement-LCS): मार्च 2024 में, विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता कम करने और वित्तीय एकीकरण को गहरा करने के लिए रुपये में व्यापार हेतु भारतीय रिजर्व बैंक और बैंक इंडोनेशिया के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

बहुपक्षीय जुड़ाव

  • वैश्विक और क्षेत्रीय मंच: ASEAN, G20, IORA और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में सक्रिय भागीदारी।
    • ASEAN केंद्रीयता और इंडोनेशिया की ब्रिक्स सदस्यता के लिए भारत का समर्थन।
  • भारत-प्रशांत समन्वय: भारत की भारत-प्रशांत महासागर पहल (Indo-Pacific Oceans Initiative-IPOI) के साथ भारत-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण को समन्वित करना।
    • ब्लू इकोनॉमी, समुद्री संसाधनों और आपदा संबंधी लचीलेपन  पर सहयोग।
  • दक्षिण-दक्षिण सहयोग: विकासशील देशों की प्राथमिकताओं को बढ़ाने के लिए ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ’ जैसे मंचों के तहत सहयोग।
  • क्षेत्रीय सुरक्षा: दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता के लिए संयुक्त रूप से समर्थन करना।
    • IOR में समुद्री डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध मत्स्यन से निपटने पर निरंतर ध्यान केंद्रित करना।

इंडो-पैसिफिक महासागर पहल (Indo Pacific Oceans Initiative-IPOI) 

  • यह एक गैर-संधि आधारित, स्वैच्छिक व्यवस्था है, जिसे भारत ने वर्ष 2019 में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में शुरू किया था।
    • यह भारत की वर्ष 2015 की ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’ (SAGAR) पहल पर आधारित है।
  • इसका उद्देश्य: सुरक्षा, पारिस्थितिकी, संसाधन प्रबंधन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण जैसे विभिन्न समुद्री क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना है।
  • यह ‘स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत’ के सिद्धांत और अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों का सम्मान करने पर आधारित है।

सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग

  • सांस्कृतिक बंधन: इंडोनेशियाई लोककथाओं में रामायण और महाभारत का प्रभाव।
    • प्रंबानन मंदिर का जीर्णोद्धार और संरक्षण।
    • जकार्ता और बाली में भारतीय सांस्कृतिक केंद्रों के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान।
    • जकार्ता में वर्ष 1989 में जवाहरलाल नेहरू भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की गई थी।
  • शैक्षिक सहयोग: इंडोनेशियाई छात्रों के लिए ITEC और ICCR कार्यक्रमों के तहत छात्रवृत्तियाँ प्रदान की गई।
    • विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग, जिसमें आसियान-भारत नेटवर्क के तहत समझौता ज्ञापन शामिल हैं।
  • नागरिक संबंध: इंडोनेशिया में लगभग 14,000 भारतीय नागरिक (NRI) रहते हैं, जिनमें उद्यमी, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, IT पेशेवर, सलाहकार, बैंकर और अन्य पेशे से जुड़े लोग शामिल हैं।
    • सीधी उड़ानों और बाली यात्रा जैसी पर्यटन को बढ़ावा देने वाली पहलों के साथ बेहतर संपर्क।
    • अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसे कार्यक्रमों का संयुक्त उत्सव।
  • कौशल विकास: भारतीय क्षमता निर्माण पहल के तहत इंडोनेशियाई स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और नीति निर्माताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम।

भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (Indian Technical & Economic Cooperation-ITEC) कार्यक्रम।

  • विदेश मंत्रालय का एक प्रमुख क्षमता निर्माण कार्यक्रम, ITEC, 1964 से अस्तित्व में है।
  • ITEC विकासशील दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ ज्ञान और विशेषज्ञता साझा करने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम रहा है।
  • यह विकासशील देशों के छात्रों को भारत में उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (Indian Council for Cultural Relations-ICCR) छात्रवृत्ति

  • भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) विदेशी छात्रों को भारत में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करती है।
  • छात्रवृत्ति में स्नातक, स्नातकोत्तर और  Ph.D. कार्यक्रमों सहित विभिन्न पाठ्यक्रम शामिल हैं।

द्विपक्षीय संबंधों में हालिया तनाव

  • नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC): CAA और NRC के खिलाफ भारत में विरोध प्रदर्शनों ने इंडोनेशिया के साथ संबंधों को प्रभावित किया।
    • इंडोनेशिया, जो कि मुख्य रूप से एक मुस्लिम देश है, ने भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ किए जा रहे व्यवहार पर चिंता व्यक्त की।
  • जम्मू और कश्मीर मुद्दा: अगस्त 2019 में भारत द्वारा अनुच्छेद-370 (जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा) को निरस्त करने की इंडोनेशिया द्वारा आलोचना की गई, जिससे तनाव बढ़ गया।
  • आर्थिक प्रतिशोध: कश्मीर और CAA पर इंडोनेशिया की आलोचना के जवाब में, भारत ने इंडोनेशिया के पाम ऑयल पर टैरिफ बढ़ा दिया, जो इंडोनेशिया के लिए एक प्रमुख निर्यात है।

भारत और इंडोनेशिया के बीच प्रमुख द्विपक्षीय यात्राएँ

  • राष्ट्रपति सुकर्णो की भारत यात्रा (1950): भारत के गणतंत्र दिवस पर प्रथम मुख्य अतिथि; ‘स्थायी शांति और अपरिवर्तनीय मित्रता’ सुनिश्चित करने के लिए मैत्री संधि (1951) पर हस्ताक्षर किए।
  • प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की इंडोनेशिया यात्रा (1950): गुटनिरपेक्षता और उपनिवेशवाद विरोधी संबंधों को मजबूत किया; बांडुंग सम्मेलन (1955) के लिए आधार तैयार किया।
  • राष्ट्रपति सुकर्णोपुत्री की भारत यात्रा (2002): रक्षा सहयोग समझौते (DCA) पर हस्ताक्षर किए, संयुक्त सैन्य अभ्यास और रक्षा उत्पादन वार्ता की शुरुआत की।
  • प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की इंडोनेशिया यात्रा (2013): आतंकवाद से निपटने, सुरक्षा और न्यायिक सहयोग को मजबूत करने पर प्रत्यर्पण संधि तथा समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया।
  • राष्ट्रपति जोको विडोडो की भारत यात्रा (2016): संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में उन्नत किया; समुद्री सुरक्षा और ऊर्जा सहयोग पर समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इंडोनेशिया यात्रा (2018): भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग पर साझा दृष्टिकोण को अपनाया गया, भारत-प्रशांत क्षेत्र पर रणनीतियों को संरेखित किया गया।

भारत-इंडोनेशिया संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ

  • व्यापार असंतुलन: कच्चे पाम ऑयल और कोयले के आयात के कारण भारत को इंडोनेशिया के साथ महत्त्वपूर्ण व्यापार घाटे का सामना करना पड़ रहा है।
    • वर्ष 2022-23 में, इंडोनेशिया से भारत का आयात 20 बिलियन डॉलर था, जबकि निर्यात केवल 9 बिलियन डॉलर था और अकेले पाम ऑयल का आयात व्यापार असंतुलन का 50% से अधिक हिस्सा है।
  • सीमित संपर्क: अपनी निकटता के बावजूद, भारत और इंडोनेशिया के बीच सीधा हवाई संपर्क सीमित है, जिससे पर्यटन, व्यापार और लोगों के बीच आपसी संबंध प्रभावित हो रहे हैं।
    • उड़ानें मुख्य रूप से दिल्ली, जकार्ता और बाली जैसे प्रमुख केंद्रों को जोड़ती हैं, लेकिन द्वितीयक शहरों तक बहुत कम पहुँच है।
  • चीन का प्रभुत्व: इंडोनेशिया ने चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) के तहत जकार्ता-बांडुंग हाई-स्पीड रेल परियोजना सहित पर्याप्त निवेश स्वीकार किया है।
    • इंडोनेशिया में चीन का निवेश $20 बिलियन से अधिक है, जो लगभग $1.56 बिलियन के भारतीय निवेश से कहीं अधिक है।
  • नियामक और प्रक्रियात्मक चुनौतियाँ: रक्षा खरीद प्रक्रियाओं में अंतर ने गहन सैन्य सहयोग में बाधा उत्पन्न की है।
    • रक्षा विनिर्माण जैसे संयुक्त उत्पादन पहलों को नौकरशाही बाधाओं और अधिग्रहण में देरी का सामना करना पड़ता है।
  • भू-राजनीतिक मतभेद: दक्षिण चीन सागर और कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर इंडोनेशिया का रुख कभी-कभी अस्पष्ट रहा है।
    • दक्षिण चीन सागर में परस्पर विरोधी दावों वाले क्षेत्रों में चीन के साथ इंडोनेशिया के संयुक्त विकास समझौते भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति के लिए चिंताएँ बढ़ाते हैं।
  • अप्राप्य आर्थिक क्षमता: 38.84 बिलियन डॉलर (2022-23) के व्यापार मूल्य के बावजूद, द्विपक्षीय व्यापार अपनी क्षमता से कम है।
    • दोनों देशों ने वर्ष 2025 तक 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार का लक्ष्य रखा है, जिसमें अक्षय ऊर्जा, आईटी और स्वास्थ्य सेवा में अप्रयुक्त अवसर सम्मिलित हैं।
  • समुद्री सुरक्षा और गैर-पारंपरिक खतरे: दोनों देशों को हिंद महासागर में अवैध मत्स्यन, समुद्री डकैती और तस्करी से चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • मलक्का जलडमरूमध्य, एक महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्ग, गैर-पारंपरिक खतरों के प्रति संवेदनशील है, जिसके लिए मजबूत सहयोग की आवश्यकता है।

भारत-इंडोनेशिया संबंधों के लिए आगे की राह

  • व्यापार को मजबूत करना: अक्षय ऊर्जा, IT और फार्मास्यूटिकल्स में व्यापार की संभावना तलाश कर कच्चे पाम ऑयल और कोयले के आयात पर निर्भरता कम करना।
    • स्थानीय मुद्रा व्यापार को बढ़ावा देना: अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए स्थानीय मुद्रा निपटान (LCS) प्रणाली के कार्यान्वयन में तेजी लाना।
  • निवेश को प्रोत्साहित करना: नियामक बाधाओं को दूर करें और इंडोनेशिया के बुनियादी ढाँचे तथा ऊर्जा क्षेत्रों में भारतीय निवेशकों के लिए एक समर्पित सुविधा तंत्र स्थापित करना।
  • कनेक्टिविटी बढ़ाना: पर्यटन और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत तथा इंडोनेशिया के अधिकतर शहरों के बीच सीधी उड़ानों का विस्तार करना।
    • अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के साथ समुद्री संपर्क बढ़ाने के लिए इंडोनेशिया के सबंग बंदरगाह को विकसित करने में सहयोग करना।
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग को गहरा करना: मलक्का जलडमरूमध्य में समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने और समुद्री डकैती और अवैध मत्स्यन से निपटने के लिए IND-INDO ​​CORPAT जैसे ढाँचों के तहत सहयोग को मजबूत करना।
    • ब्रह्मोस मिसाइल सौदे में तेजी लाना और रक्षा उपकरणों के संयुक्त उत्पादन की संभावनाएँ तलाशना।
  • सांस्कृतिक संबंधों का लाभ उठाना: प्रंबानन मंदिर को पुनर्स्थापित करने और बाली यात्रा जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों को आयोजित करने जैसी पहलों के माध्यम से साझा विरासत को बढ़ावा देना।
    • ITEC और ICCR कार्यक्रमों के तहत छात्रवृत्ति में वृद्धि करना और विश्वविद्यालयों के आसियान-भारत नेटवर्क के माध्यम से अकादमिक साझेदारी को सुविधाजनक बनाना।
  • क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना: इंडो-पैसिफिक में शांति और स्थिरता बनाए रखने में ASEAN की केंद्रीय भूमिका को बनाए रखने के लिए इंडोनेशिया के साथ मिलकर कार्य करना।
    • नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए इंडोनेशिया के वैश्विक समुद्री आधार को भारत की इंडो-पैसिफिक महासागर पहल (IPOI) के साथ जोड़ना।
  • रणनीतिक चुनौतियों का समाधान
    • चीन का प्रतिकार करना: इंडोनेशिया में विशेष रूप से बुनियादी ढाँचे जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में चीनी निवेश के प्रति संतुलित दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करना।
    • गैर-पारंपरिक खतरों का मुकाबला करना: हिंद महासागर में तस्करी, मानव तस्करी और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए तंत्र को मजबूत करना।
    • दक्षिण चीन सागर आचार संहिता: UNCLOS (1982) के तहत नियमों पर आधारित व्यवस्था और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करने में इंडोनेशिया का समर्थन करना।

निष्कर्ष 

भारत-इंडोनेशिया संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक आयामों के माध्यम से विकसित हुए हैं, दोनों देश रक्षा, व्यापार और समुद्री सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। हालाँकि व्यापार असंतुलन और भू-राजनीतिक मतभेद जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं, निरंतर सहयोग और प्रमुख मुद्दों को संबोधित करने से क्षेत्रीय स्थिरता तथा विकास के लिए उनकी साझेदारी की पूरी क्षमता का दोहन किया जा सकता है।

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