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पृथ्वी पर सबसे पुराने चुंबकीय क्षेत्र की खोज

Lokesh Pal April 30, 2024 06:15 286 0

संदर्भ 

प्राचीन चट्टानें, जिनमें पृथ्वी के प्रारंभिक चुंबकीय क्षेत्र के सबसे पुराने अवशेष पाए गए हैं, उन्हें MIT और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के भू-वैज्ञानिकों द्वारा ग्रीनलैंड में खोजा गया है।

संबंधित तथ्य 

  • इस उल्लेखनीय खोज को ‘द जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च’ में प्रकाशित किया गया।
  • अध्ययन हेतु नमूना: इस अध्ययन के लिए दक्षिण-पश्चिमी ग्रीनलैंड में स्थित ‘इसुआ सुप्राक्रस्टल बेल्ट’ की चट्टान संरचनाओं का नमूना लिया गया था।
    • चट्टान के नमूने की संरचना ‘लोहे’ के समान थी। यह एक प्रकार का चट्टान है, जिसमें लौह और सिलिका की उपस्थिति धारियों के रूप में दिखाई देती है।
  • उद्देश्य: वैसे चट्टानों को ढूँढना, जिनके निर्माण में पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का योगदान था।
  • प्रक्रिया: रीमैग्नेटाइजेशन (Remagnetisation) की प्रक्रिया के माध्यम से शोधकर्ताओं ने यूरेनियम और सीसे के अनुपात का उपयोग किया, परिणामस्वरूप कुछ चुंबकीय खनिज प्राप्त हुए, जो लगभग 3.7 बिलियन वर्ष पुराने थे।

जाँच का परिणाम

  • चट्टानें लगभग 3.7 अरब वर्ष पुरानी मानी गई हैं, जिनमें कम-से-कम 15 माइक्रोटेस्ला की क्षमता वाले चुंबकीय क्षेत्र के लक्षण मौजूद हैं।
    • वर्तमान में पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र लगभग 30 माइक्रोटेस्ला माप सकता है।
  • चट्टान की उत्पत्ति: इन चट्टानों की संरचना के आधार पर इनका निर्माण संभवतः मूल रूप से लगभग 2.5 अरब वर्ष पहले वायुमंडलीय ऑक्सीजन में वृद्धि से पहले महासागरों में हुआ।

महत्त्व

  • यह खोज चुंबकीय क्षेत्र के जीवनकाल को 200 मिलियन वर्ष तक बढ़ा देती है, ये चट्टानें पृथ्वी के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं।
    • पिछले अध्ययनों से प्राप्त हुआ है कि पृथ्वी पर चुंबकीय क्षेत्र कम-से-कम 3.5 अरब वर्ष पुराना है।
  • पृथ्वी पर रहने योग्य वातावरण पर प्रारंभिक साक्ष्य: यह खोज इस बात पर प्रकाश डालती है कि पृथ्वी के आरंभिक विकास के दौरान पृथ्वी पर जीवन की संभावनाओं का निर्माण किस तरह हो रहा था। आंशिक रूप से पृथ्वी पर जीवन-निर्वाह की संभावनाओं के लिए चुंबकीय क्षेत्र जिम्मेवार था तथा ग्रह को हानिकारक सौर विकिरण से बचाने में सक्षम था।

पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र (Earth’s Magnetic Field)

  • इसे भू-चुंबकीय क्षेत्र भी कहा जाता है। यह ग्रह के आंतरिक भाग में उत्पन्न होकर अंतरिक्ष में फैलता है, जिससे एक क्षेत्र का निर्माण होता है जिसे ‘मैग्नेटोस्फीयर’ (Magnetosphere) के रूप में जाना जाता है।
  • पहली खोज: ब्रिटिश ध्रुवीय खोजकर्ता जेम्स क्लार्क रॉस ने सबसे पहले वर्ष 1831 में कनाडा के नुनावुत क्षेत्र में बूथिस प्रायद्वीप पर चुंबकीय उत्तरी ध्रुव की पहचान की थी।
  • स्थान: चुंबकीय क्षेत्र की आकर्षण रेखाएँ, जिन स्थानों से पृथ्वी में प्रवेश करती हैं, उन स्थानों पर चुंबकीय ध्रुव का निर्माण होता है। चुंबकीय उत्तरी ध्रुव को उत्तरी डिप ध्रुव (North Dip Pole) के रूप में भी जाना जाता है तथा वर्तमान में यह उत्तरी कनाडा में ‘एलेस्मेरे द्वीप’ (Ellesmere Island) पर स्थित है।
    • चुंबकीय उत्तरी ध्रुव भौगोलिक उत्तरी ध्रुव से लगभग 310 मील (500 किलोमीटर) दूर स्थित है।
  • विशेषताएँ
    • द्विध्रुवीय (Dipolar): चुंबकीय क्षेत्र के स्रोत द्विध्रुवीय (उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव) होते हैं। चुम्बक में विपरीत ध्रुव (North और South) एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं जबकि अन्य ध्रुव (N और N, S और S) एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।
      • इस कारण, उत्तरी चुंबकीय ध्रुव जो भौगोलिक उत्तरी ध्रुव के करीब स्थित है, मूलतः दक्षिणी चुंबकीय ध्रुव है।
    • अस्थिर: पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव स्थिर नहीं हैं और समय के साथ इनकी स्थिति में परिवर्तन होता है। रॉयल म्यूजियम ग्रीनविच के अनुसार, ‘चुंबकीय उत्तरी ध्रुव’ उत्तर पश्चिम दिशा में लगभग 25 मील (40 किलोमीटर) प्रतिवर्ष घूम रहा है।
    • चुंबकीय उत्क्रमण (Magnetic Reversals): पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव भी विपरीत हो गए हैं जिससे उत्तर-दक्षिण आपस में परिवर्तित हो गए हैं। यह घटना नियमित अंतराल पर घटित होती है।
      • पृथ्वी का सबसे हालिया चुंबकीय उत्क्रमण लगभग 790,000 वर्ष पहले हुआ था।
    • औरोरास (Auroras): यह पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर देखी गई मैग्नेटोस्फीयर बाधा (Magnetosphere Disturbances) की एक विशेषता है।
      • पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में बाधा आयनों को पृथ्वी के ध्रुवों की ओर खींचती है जहाँ वे पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के परमाणुओं से टकराते हैं, फलस्वरूप चमकदार प्रकाश उत्पन्न होता है।
      • इस घटना को उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तरी रोशनी या ऑरोरा बोरेलिस (Northern Lights /Aurora Borealis) तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणी रोशनी या ऑरोरा ऑस्ट्रेलिया (Southern Lights /Aurora Australis) के रूप में जाना जाता है।

पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का कारण 

  • जियोडायनेमो प्रक्रिया (Geodynamo Process) नामक माध्यम से चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
    • ग्रह की घूर्णन गति तेज होनी चाहिए।
    • ग्रह के आंतरिक भाग में तरल माध्यम उपस्थित होना चाहिए।
    • आंतरिक द्रव में बिजली संचालित करने की क्षमता होनी चाहिए।
    • पृथ्वी के अंतर्भाग (Earth-Core) में ऊर्जा का आंतरिक स्रोत होना चाहिए, जो तरल आंतरिक भाग में संवहन धाराओं को प्रेरित करता है।
  • प्रक्रिया
    • पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र, पृथ्वी के आंतरिक भाग के बाहरी कोर के रूप में जानी जाने वाली परत में उत्पन्न होता है।
    • ऊर्जा का रूपांतरण: यहाँ पिघले लोहे की संवहनीय ऊर्जा को विद्युत और चुंबकीय ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
    • फीडबैक लूप (Feedback Loop): चुंबकीय क्षेत्र उन विद्युत धाराओं को प्रेरित करता है, जो स्वयं अपना चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने में सक्षम हैं।
  • महत्त्व
    • संरक्षित वायुमंडलीय परत: मैग्नेटोस्फीयर (Magnetosphere) सौर पवन, जैसे हानिकारक अंतरिक्ष मौसम से बचाता है। इस परत की अनुपस्थिति में सौर हवा हमारे वायुमंडल को नष्ट कर देती, परिणामस्वरूप हमारे ग्रह पर जीवन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन नहीं बचता।

    • हानिकारक विकिरण: मैग्नेटोस्फीयर पृथ्वी को कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejection- CME) घटनाओं के दौरान उत्सर्जित कण विकिरण के प्रभाव तथा कॉस्मिक किरणों (सुदूर अंतरिक्ष से पृथ्वी पर आने वाला परमाणु) से बचाता है।
    • वैन-एलन बेल्ट (Van-allen Belts): मैग्नेटोस्फीयर हानिकारक ऊर्जा को पृथ्वी से दूर धकेलता है तथा इसे ‘वैन एलन’ विकिरण बेल्ट नामक क्षेत्रों में भेज देता है। सूर्य की गतिविधियाँ बढ़ने पर विकिरण की मात्रा बढ़ सकती है।
      • यह आवेशित कणों का क्षेत्र है जो किसी ग्रह के ‘मैग्नेटोस्फीयर’ के चारों ओर उपस्थित होता है।
      • पृथ्वी पर ऐसे दो क्षेत्र हैं तथा कभी-कभी अस्थायी रूप से अन्य क्षेत्रों का निर्माण भी किया गया है।

अन्य ग्रहों पर चुंबकीय क्षेत्र

  • ग्रहों पर चुंबकीय क्षेत्र: बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण सभी ग्रहों पर पृथ्वी की तुलना में अधिक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र उपस्थित है, लेकिन इसके निर्माण के लिए जिम्मेदार अंतर्निहित प्रक्रिया की खोज नहीं हो पाई है।
  • चुंबकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति वाले ग्रह
    • मंगल (Mars): इस ग्रह के आंतरिक भाग में पर्याप्त तापमान नहीं है तथा साथ ही  इसमें चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए आवश्यक तरल पदार्थ उपस्थित नहीं है।
    • शुक्र (Venus): इसमें एक तरल कोर की उपस्थिति है, किंतु चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए इसकी घूर्णन गति पर्याप्त नहीं है।

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