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हरित क्रांति के प्रणेता एम. एस. स्वामीनाथन को भारत रत्न

Lokesh Pal February 10, 2024 03:24 106 0

संदर्भ

पी. वी. नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह के साथ-साथ हरित क्रांति के प्रणेता एम. एस. स्वामीनाथन को भारत रत्न प्रदान किया जाएगा।

  • भारत रत्न हेतु समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर और पूर्व उप-प्रधान मंत्री लालकृष्ण आडवाणी का नाम पहले ही घोषित किया गया है।

संबंधित तथ्य

एम. एस. स्वामीनाथन

  • परिचय:
      • एम. एस. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को कुंभकोणम, तमिलनाडु, भारत हुआ था, जो महात्मा गांधी की मान्यताओं और भारत के स्वतंत्रता संग्राम से काफी प्रभावित थे।
  • कॅरियर:
      • उन्होंने कृषि अध्ययन व अनुसंधान को आगे बढ़ाया, आनुवंशिकी और प्रजनन में गहनता से कार्य किए, इस विश्वास के साथ कि उन्नत फसल किस्मों का किसानों के जीवन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है एवं खाद्य की कमी को दूर करने में मदद मिल सकती है।
      • उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) के महानिदेशक के रूप में कार्य किया, जहाँ उन्होंने भारत में कृषि अनुसंधान और शिक्षा को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
      • उन्होंने खाद्य और कृषि संगठन परिषद के स्वतंत्र अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया तथा अंतरराष्ट्रीय संरक्षण एवं कृषि संगठनों में नेतृत्वकारी भूमिकाएँ निभाईं।
  • योगदान:
  • हरित क्रांति में भूमिका: उन्हें हरित क्रांति में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका के लिए व्यापक रूप से पहचाना गया, जो भारतीय कृषि में एक परिवर्तनकारी चरण था जिसने फसल उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि की और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।
  • अधिक उपज वाले गेहूँ और चावल: अधिक उपज वाली गेहूँ और चावल की किस्मों, विशेष रूप से अर्द्ध-बौनी (Semi-Dwarf) गेहूँ की किस्मों को विकसित करने में स्वामीनाथन के अभूतपूर्व कार्य ने 1960 एवं 70 के दशक के दौरान भारत में कृषि में क्रांति ला दी।
  • अन्य पुरस्कार:
      • वर्ष 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार विजेता
      • उन्हें पद्म श्री (1967), पद्म भूषण (1972) और पद्म विभूषण (1989) से भी सम्मानित किया गया है।
      • रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1971) और अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार (1986) सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सम्मान।
  • निधन: 28 सितंबर, 2023।

चौधरी चरण सिंह

  • परिचय:
      • जन्म: वर्ष 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के नूरपुर में हुआ था और 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक वे भारत के प्रधानमंत्री रहे।
  • योगदान:
    • ग्रामीण और कृषि विकास के समर्थक होने के नाते, उन्होंने भारत के नियोजन के केंद्र में कृषि को रखने के लिए निरंतर प्रयास किए।
    • पूरे देश में किसानों के उत्थान और कृषि के विकास की दिशा में उनके काम के लिए उन्हें ‘चैंपियन ऑफ इंडियाज पीजेंट्स‘ का उपनाम दिया गया था।
    • साहूकारों से किसानों को राहत दिलाने के लिए, उन्होंने ऋण मोचन विधेयक 1939 के निर्माण और इसे अंतिम रूप देने में अग्रणी भूमिका निभाई।
    • उन्होंने भूमि जोत अधिनियम, 1960 को लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका उद्देश्य पूरे राज्य में भूमि जोत की सीमा को कम करना था ताकि इसे एक समान बनाया जा सके।
    • उन्होंने वर्ष 1967 में कॉन्ग्रेस छोड़ दी और अपनी स्वतंत्र पार्टी बनाई जिसे भारतीय लोक दल के नाम से जाना जाता है।
    • उन्होंने दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वे वर्ष 1979 में भारत के प्रधानमंत्री बने।
    • साहित्यिक कार्य: ‘जमींदारी का उन्मूलन’, ‘को-ऑपरेटिव फार्मिंग एक्सरेड’, ‘भारत की गरीबी और उसका समाधान’, ‘किसान स्वामित्व या श्रमिकों के लिए भूमि’ तथा ‘श्रमिकों के विभाजन की रोकथाम’ सहित ‘प्रीवेंशन ऑफ डिवीजन ऑफ होल्डिंग्स ब्लो अ सर्टेन मिनिमम’ जैसी कई पुस्तकों और पुस्तिकाओं के लेखक थे।

पी. वी. नरसिम्हा राव

  • परिचय
      • पीवी नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून, 1921 को तत्कालीन हैदराबाद राज्य में हुआ था ।
      • वह एक स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद् और साहित्यकार थे। 
      • वह वर्ष 1991 से 1996 तक भारत के 9 वें प्रधानमंत्री भी रहे।
  • आर्थिक सुधार 
  • उन्होंने लाइसेंस राज के तहत लगाए गए प्रतिबंधों को खत्म करने, लालफीताशाही को कम करने और भारतीय उद्योगों को अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाने की माँग की। 
  • उन्हें भारत में आर्थिक उदारीकरण की नीति लाने के लिए जाना जाता है ।
  • भारत में आर्थिक उदारीकरण का तात्पर्य देश की आर्थिक नीतियों के उदारीकरण से है।
  • इसकी शुरुआत वर्ष 1991 में अर्थव्यवस्था को अधिक बाजार और सेवा-उन्मुख बनाने एवं निजी तथा विदेशी निवेश की भूमिका का विस्तार करने के लक्ष्य के साथ की गई थी।
  • संवैधानिक सुधार: स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने वाले 73वें और 74 वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम उनके कार्यकाल के दौरान लागू किए गए थे।

भारत रत्न के संबंध में जानें: कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) सम्मान

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