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निरसन एवं संशोधन विधेयक, 2025

Lokesh Pal December 18, 2025 03:59 19 0

संदर्भ

लोकसभा ने निरसन एवं संशोधन विधेयक, 2025’ (Repealing and Amending Bill, 2025) पारित किया है, जिसका उद्देश्य अप्रचलित, अनावश्यक तथा औपनिवेशिक कालीन विधियों को हटाना है।

विधेयक के पीछे का तर्क

  • सरकार के अनुसार, इस विधेयक का निम्नलिखित उद्देश्य है:
    • औपनिवेशीकरण के प्रभावों को उलटने हेतु पुरानी औपनिवेशिक विधियों को निरस्त करना।
    • विधिक अव्यवस्था को समाप्त करना तथा विधि संहिता को अधिक सुलभ बनाना।
    • नागरिकों, व्यवसायों एवं संस्थानों पर अनुपालन-भार को कम करना।
  • केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री ने उल्लेख किया, कि:
    • वर्ष 2014 से अब तक 1,562 अप्रचलित अधिनियम निरस्त किए गए हैं और 15 में संशोधन किया गया है।
    • पिछले 11 वर्षों में 40,000 से अधिक अनुपालन आवश्यकताओं को समाप्त किया गया है।
  • यह सुधार निम्नलिखित प्रशासनिक दर्शन को प्रतिबिंबित करता है:
    • न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन
    • नागरिक-केंद्रित नीति-निर्माण
    • सुधार, प्रदर्शन, परिवर्तन।

मुख्य प्रावधान

  • अप्रचलित कानूनों का निरसन: विधेयक 71 अधिनियमों को निरस्त करता है, जिनमें से 65 संशोधन अधिनियम हैं, जिनके प्रावधान पहले ही मूल अधिनियमों में समाहित किए जा चुके हैं।
  • विद्यमान अधिनियमों में संशोधन
    • विधेयक चार अधिनियमों में मसौदा-संबंधी त्रुटियों को ठीक करने, पारिभाषिक शब्दावली अद्यतन करने तथा प्रक्रियात्मक अनावश्यकताओं को हटाने हेतु संशोधन करता है।
  • निरस्त किए जा रहे अधिनियम
    • भारतीय ट्रामवे अधिनियम, 1886
    • लेवी शुगर मूल्य समानीकरण निधि अधिनियम, 1976
    • भारत पेट्रोलियम निगम लिमिटेड (कर्मचारियों की सेवा-शर्तों का निर्धारण) अधिनियम, 1988।
    • अन्य अनेक अप्रचलित संशोधन अधिनियम, जिनकी स्वतंत्र रूप से अब आवश्यकता नहीं रह गई है।

संशोधित अधिनियम

  • सामान्य प्रावधान अधिनियम, 1897 तथा दीवानी प्रक्रिया संहिता, 1908: पंजीकृत डाक से संबंधित पारिभाषिक शब्दों को अद्यतन किया गया है।
  • भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925
    • कुछ परिस्थितियों में वसीयतों के लिए न्यायालयीय सत्यापन (प्रोबेट) की अनिवार्यता को हटाया गया है।
    • कोलकाता, मद्रास और मुंबई में हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और पारसी समुदायों की वसीयतों के लिए पूर्व ‘प्रोबेट’ आवश्यकता को कम किया गया है।

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005

  • एक मसौदा-त्रुटि को सुधारते हुए रोकथाम” शब्द को “तैयारी” शब्द से प्रतिस्थापित किया गया है।

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