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Lokesh Pal
July 13, 2024 01:58
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भारत में नवगठित गठबंधन सरकार को आर्थिक सुधारों, विशेषकर विनिर्माण से संबंधित सुधारों पर अपने प्रयासों को दोगुना करना होगा।
विनिर्माण, अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न एवं बड़ा हिस्सा है। इसमें अयस्क, लकड़ी और खाद्य पदार्थों जैसे कच्चे माल को संसाधित तथा परिष्कृत करके तैयार उत्पादों जैसे धातु के सामान, फर्नीचर एवं प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में बदलना शामिल है। इन कच्चे माल को किसी अधिक उपयोगी चीज में बदलना मूल्य जोड़ता है।
भारत विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए एक आकर्षक केंद्र है। कई मोबाइल फोन, लक्जरी और ऑटोमोबाइल ब्रांड्स ने देश में अपना विनिर्माण केंद्र स्थापित कर लिया है या स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।
भारत के विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2025 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की क्षमता है।
विनिर्माण क्षेत्र को सामाजिक और आर्थिक विकास की रीढ़ माना जाता है। हालाँकि, इसे निम्नलिखित विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है:
भारत सरकार ने देश में विनिर्माण क्षेत्र के विकास के लिए स्वस्थ वातावरण को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं। इनमें से कुछ उल्लेखनीय पहल और विकास इस प्रकार हैं:
भारत का विनिर्माण क्षेत्र वर्ष 2025-26 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की ओर अग्रसर है, जिसका नेतृत्व गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु कर रहे हैं, जिसे ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ा उद्योगों में निवेश से बल मिलेगा।
भारत के राष्ट्रीय चुनाव ने नीति का आकलन एवं पुनर्निर्देशन करने का अवसर प्रदान किया। लेकिन मौजूदा विनिर्माण प्रोत्साहन के पीछे भारत की मुख्य जरूरतें (नौकरियाँ, व्यापार और सुरक्षा) नहीं बदलेंगी। वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए, विशेष रूप से भारत में राज्य स्तर पर, ‘मेक इन इंडिया’ को और गति देने के लिए और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है।
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