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Lokesh Pal
October 09, 2025 03:34
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हाल ही में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने ‘द स्टेट ऑफ सोशल जस्टिस इन इंडिया: ए वर्क इन प्रोग्रेस’ (2025) शीर्षक से अपनी प्रमुख रिपोर्ट जारी की।
ILO की ‘द स्टेट ऑफ सोशल जस्टिस इन इंडिया: ए वर्क इन प्रोग्रेस’ (2025) रिपोर्ट प्रगति के साथ विरोधाभास, असमानता और घटते विश्वास के बीच विकास को उजागर करती है। भारत के लिए, सामाजिक न्याय संविधान की आत्मा और लोकतंत्र का मूल है। इसे साकार करने के लिए कार्य संबंधी कल्याण को सशक्तीकरण में, विकास को समावेशिता में और नीति को वास्तविकता में बदलना आवश्यक है, ताकि एक न्यायसंगत, समतामूलक और समावेशी भारत का निर्माण हो, जहाँ शांति और समृद्धि सामाजिक न्याय पर आधारित हों।
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