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स्टेट ऑफ वर्ल्ड फिशरीज एंड एक्वाकल्चर 2024

Lokesh Pal June 12, 2024 05:17 74 0

संदर्भ 

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) ने ‘स्टेट ऑफ वर्ल्ड फिशरीज़ एंड एक्वाकल्चर (SOFIA) 2024″ रिपोर्ट जारी की है।

संबंधित तथ्य

  • इस रिपोर्ट का वर्ष 2024 का संस्करण ‘ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन’ की ठोस प्रगति पर प्रकाश डालता है, जिसमें स्थायी जलीय कृषि विस्तार एवं गहनता, प्रभावी ढंग से प्रबंधित मत्स्य पालन तथा दक्षता, सुरक्षा एवं इक्विटी को प्राथमिकता देने वाली मूल्य शृंखलाओं की दिशा में परिवर्तन लाने में सदस्यों तथा भागीदारों के सहयोग से FAO की भूमिका को प्रदर्शित किया गया है।

स्टेट ऑफ वर्ल्ड फिशरीज एंड एक्वाकल्चर (State of World Fisheries and Aquaculture- SOFIA) के बारे में

  • SOFIA एक FAO फ्लैगशिप रिपोर्ट है जो वैश्विक मत्स्य स्टॉक की स्थिति एवं स्वास्थ्य के साथ-साथ वैश्विक तथा क्षेत्रीय स्तर पर मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि के रुझानों का विश्लेषण करती है। 

खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization) 

  • खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो भूखमरी से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करती है।
  • लक्ष्य: सभी के लिए खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना एवं यह सुनिश्चित करना कि लोगों को सक्रिय, स्वस्थ जीवन जीने के लिए पर्याप्त उच्च गुणवत्ता वाले भोजन तक नियमित पहुँच हो। 
  • सदस्य: 195 सदस्य (194 देश एवं यूरोपीय संघ), भारत FAO का सदस्य है।
  • स्थापना: वर्ष 1945 में
  • मुख्यालय: रोम (इटली)।

ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन इन एक्शन 

  • परिचय: FAO द्वारा वर्ष 2021 में ‘ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन’ विजन लाया गया था।
  • लक्ष्य: जलीय खाद्य प्रणालियों का लाभ उठाना, खाद्य सुरक्षा बढ़ाना, पोषण में सुधार करना आदि।
  • उद्देश्य: समान लाभ वितरण के साथ वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए सतत जलीय कृषि विस्तार।
    • स्वस्थ स्टॉक एवं उचित आजीविका के लिए प्रभावी मत्स्य पालन प्रबंधन।
    • सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने वाली उन्नत जलीय मूल्य शृंखलाएँ।

सांख्यिकी

  • उत्पादन पर
    • वैश्विक मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि: 223.2 मिलियन टन।
    • वैश्विक जलकृषि: 130.9 मिलियन टन।
    • जलीय जीव: 185.4 मिलियन टन। 
      • क्षेत्रवार: एशिया (70%), यूरोप (9%), लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन (9%), अफ्रीका (7%), उत्तरी अमेरिका (3%) तथा ओशिनिया (1%)।
      • देशवार: चीन (36%), भारत (8%), इंडोनेशिया (7%), वियतनाम (5%) एवं पेरू (3%)।
    • शैवाल: 37.8 मिलियन टन।
    • ग्लोबल कैप्चर फिशरीज: 92.3 मिलियन टन।
  • स्थिरता:
    • FAO (2021) द्वारा निगरानी की गई स्थायी रूप से समुद्री मत्स्य स्टॉक का अनुपात: 62.3%। 
    • उत्पादन द्वारा भारित FAO द्वारा निगरानी किए गए स्थायी रूप से समुद्री मत्स्य स्टॉक स्तर का अनुपात (2021): 78.9%।
  • उपभोग:
    • जलीय पशु खाद्य पदार्थों की वैश्विक स्पष्ट खपत (2021): 162.5 मिलियन टन।
    • प्रति व्यक्ति जलीय खाद्य पदार्थों की वैश्विक स्पष्ट खपत (2021): 20.6 किग्रा।
    • प्रति व्यक्ति जलीय खाद्य पदार्थों की वैश्विक स्पष्ट खपत में वृद्धि: वर्ष 1961 में 9.1 किलोग्राम से वर्ष 2021 में 20.6 तक।
  • रोजगार:
    • प्राथमिक उत्पादन में कार्यरत लोग: 61.8 मिलियन।
    • क्षेत्र के अनुसार श्रमिक: मत्स्य पालन (54%), जलकृषि (36%), क्षेत्र निर्दिष्ट नहीं (10%)।
    • क्षेत्र के अनुसार नौकरियों का प्रतिशत: एशिया (85%), अफ्रीका (10%), लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन (4%), यूरोप, ओशिनिया तथा उत्तरी अमेरिका संयुक्त रूप से (1%)।
  • व्यापार:
    • जलीय पशु उत्पादों के शीर्ष निर्यातक: चीन, नॉर्वे, वियतनाम, इक्वाडोर, चिली।
    • जलीय पशु उत्पादों के शीर्ष आयातक: संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान, स्पेन, फ्राँस।
    • जलीय उत्पादों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का मूल्य: 195 बिलियन अमेरिकी डॉलर।

विश्व मत्स्य पालन एवं जलकृषि की स्थिति 2024 पर महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि:

  • उत्पादन में वृद्धि: विश्व मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि उत्पादन वर्ष 2022 में 223.2 मिलियन टन की वृद्धि के साथ एक नई ऊँचाई पर पहुँच गया है, जो वर्ष 2020 से 4.4% की वृद्धि है।
    • वर्ष 2022 में एवं इतिहास में पहली बार, जलीय कृषि ने जलीय जानवरों के मुख्य उत्पादक के रूप में मत्स्य पालन को पीछे छोड़ दिया। 
    • जलीय कृषि में वृद्धि के बावजूद, मत्स्य पालन जलीय पशु उत्पादन का एक आवश्यक स्रोत बना हुआ है। 
      • 1.9 मिलियन टन के साथ, भारत अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन में पहले स्थान पर है।
      • अंतर्देशीय संसाधन: वे नदियों एवं नहरों, बाढ़ क्षेत्र की झीलों, तालाबों तथा टैंकों, जलाशयों, खारे पानी, खारे/क्षारीय प्रभावित क्षेत्रों आदि के रूप में हैं।
  • जलीय कृषि पर प्रभुत्व रखने वाले देश: चीन, इंडोनेशिया, भारत, वियतनाम, बांग्लादेश, फिलीपींस, कोरिया गणराज्य, नॉर्वे, मिस्र एवं चिली-कुल उत्पादन का 89.8% से अधिक। 
    • लेकिन अफ्रीका एवं एशिया के कई कम आय वाले देश अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर रहे हैं। 
  • जलीय खाद्य पदार्थों की वैश्विक खपत में वृद्धि: खाद्य असुरक्षा एवं कुपोषण से निपटने की क्षमता के कारण जलीय पशु खाद्य पदार्थों की वैश्विक खपत वर्ष 2021 में 162.5 मिलियन टन तक पहुँच गई।
    • वर्ष 1961 के बाद से यह आँकड़ा विश्व जनसंख्या की दर से लगभग दोगुनी दर से बढ़ा है, वैश्विक प्रति व्यक्ति वार्षिक खपत वर्ष 1961 में 9.1 किलोग्राम से बढ़कर वर्ष 2022 में 20.7 किलोग्राम हो गई है। 
    • कुल जलीय पशु उत्पादन में से, 89% का उपयोग प्रत्यक्ष मानव उपभोग के लिए किया गया था, एवं बाकी का उपयोग अप्रत्यक्ष या गैर-खाद्य उपयोग के लिए किया गया था, मुख्य रूप से मछली के भोजन तथा मछली के तेल के उत्पादन के लिए। 
  • जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव: बढ़ती वैश्विक जनसंख्या के कारण, वर्ष 2050 तक जलीय पशु खाद्य पदार्थों की स्पष्ट खपत को वर्ष 2022 के अनुमानित स्तर 20.7 किलोग्राम प्रति व्यक्ति पर बनाए रखने के लिए कुल जलीय पशु खाद्य आपूर्ति में 36 मिलियन टन (22% की वृद्धि) की वृद्धि की आवश्यकता होगी।
    • यह उस दुनिया में ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन प्राथमिकता वाले कार्यों में तेजी लाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है, जहाँ जलीय खाद्य पदार्थ भूख, कुपोषण एवं गरीबी को समाप्त करने में अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • आवश्यक क्रियाएँ: 
    • आगे की परिवर्तनकारी एवं अनुकूली कार्रवाइयाँ: जलीय खाद्य प्रणालियों की दक्षता, समावेशिता, लचीलापन तथा स्थिरता को मजबूत करने के लिए इनकी आवश्यकता है।
      • खाद्य असुरक्षा, गरीबी उन्मूलन एवं सतत शासन को संबोधित करने में अपनी भूमिका को मजबूत करने के लिए भी इनकी आवश्यकता है।
    • सतत जलीय कृषि को बढ़ावा देना: विशेष रूप से अफ्रीका में सतत जलीय कृषि को बढ़ावा देने के लिए लक्षित नीतियाँ, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, क्षमता निर्माण एवं जिम्मेदार निवेश महत्वपूर्ण हैं।
    • आगे की खपत का समर्थन करना: दुनिया भर में स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने एवं पोषण में सुधार के लिए स्थायी स्रोतों से खपत महत्वपूर्ण है। 
      • जलीय खाद्य पदार्थ उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन एवं ओमेगा -3 फैटी एसिड, खनिज तथा विटामिन सहित प्रमुख पोषक तत्व प्रदान करते हैं।

भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए सरकारी पहल

  • समुद्री मत्स्य पालन प्रबंधन: भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत मत्स्य पालन राज्य का विषय है। क्षेत्रीय जल से परे मछली पकड़ना एवं मत्स्य पालन संघ सूची में है।
  • प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Scheme- PMMSY): मत्स्य पालन क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उत्पादकता एवं उत्पादन अंतराल को संबोधित करने के लिए, नवाचार तथा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना आदि। 
  • राष्ट्रीय मत्स्य पालन नीति (National Fisheries Policy), 2020: समुद्री मत्स्य पालन पर राष्ट्रीय नीति (National Policy on Marine Fisheries), 2017 (NPFM), मसौदा राष्ट्रीय अंतर्देशीय मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि नीति (National Inland Fisheries and Aquaculture Policy) (NIFAP) तथा राष्ट्रीय समुद्री संस्कृति नीति को एकीकृत करके एक व्यापक एवं एकीकृत ‘राष्ट्रीय मत्स्य पालन नीति (National Mariculture Policy), 2020 (NMP) प्रस्तुत करना, फसल कटाई के बाद के तत्वों के साथ।
  • सागर परिक्रमा: यह 75वें आजादी का अमृत महोत्सव की भावना के रूप में सभी मछली किसानों एवं संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने वाली तटीय पट्टी के पार समुद्र में एक यात्रा है। 

संबंधित अंतरराष्ट्रीय पहल

  • जलवायु परिवर्तन पर 2023 संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (United Nations Framework Convention on Climate Change- UNFCCC) महासागर संवाद ने महत्त्वपूर्ण जलवायु समाधान प्रदान करने के लिए जलीय खाद्य पदार्थों की क्षमता को मान्यता दी।
    • वर्ष 2023 में, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों की समुद्री जैविक विविधता के संरक्षण एवं स्थायी उपयोग के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि पर सहमत हुए।
  • FAO विशिष्ट क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के लिए पारंपरिक ज्ञान को एकीकृत करता है, जैसे कि उभरती परिस्थितियों के लिए उपयुक्त स्थानीय प्रजातियाँ।
  • कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क (Kunming-Montreal Global Biodiversity Framework- GBF): जैव विविधता पर कन्वेंशन (Convention on Biological Diversity) (CBD) ने देशों को जैव विविधता की रक्षा एवं प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के लिए राष्ट्रीय योजनाएँ विकसित करने में मदद करने के लिए वर्ष 2022 में GBF को अपनाया।
  • इंटीग्रेटेड मल्टी-ट्रॉफिक एक्वाकल्चर फिशिंग (Integrated Multi-Trophic Aquaculture Fishing- IMTA): IMTA के अंतर्गत दक्षता में सुधार, अपशिष्ट को कम करने एवं जैव-उपचार जैसी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ प्रदान करने के लिए विभिन्न ट्रॉफिक स्तरों से कई जलीय प्रजातियों को एकीकृत तरीके से खेती की जाती है।  
    • IMTA को भूमि या समुद्र पर जलीय कृषि को अधिक सतत एवं लाभदायक बनाने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है।

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