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लोकसभा में दूरसंचार विधेयक (The Telecommunications Bill)

Samsul Ansari December 21, 2023 10:48 197 0

संदर्भ

हाल ही में केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा ‘दूरसंचार विधेयक (The Telecommunications Bill), 2023’ को  लोकसभा में पेश किया गया।

संबंधित तथ्य

  • दूरसंचार गतिविधियों को सुव्यवस्थित करना: इसका उद्देश्य अनुमोदन प्रणाली (Authorization system) में परिवर्तन करके दूरसंचार नेटवर्क के लिए मौजूदा लाइसेंसिंग प्रणाली को सुव्यवस्थित करना है।
    • वर्तमान में, दूरसंचार विभाग 100 से अधिक प्रकार के लाइसेंस, पंजीकरण और अनुमतियाँ जारी करता है और विधेयक का लक्ष्य उनमें से कई को एक ही प्राधिकरण प्रक्रिया में समेकित करना है।

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI)

  • इसके बारे में: यह भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
  • अधिदेश (Mandate): दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करना, जिनमें दूरसंचार सेवाओं के लिए टैरिफ का निर्धारण/संशोधन शामिल है, ध्यातव्य है कि पूर्व में ये शक्तियाँ केंद्र सरकार के पास थी।
  • TDSAT: संचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (Telecommunications Dispute Settlement and Appellate Tribunal- TDSAT) की स्थापना और न्यायिक एवं विवाद कार्यों को TRAI से लेकर TDSAT को देने के लिए TRAI अधिनियम, 1997 में संशोधन किया गया था।

भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885

  • यह भारत में टेलीग्राफ के उपयोग को विनियमित  करता है।
  • यह सरकार को टेलीग्राफ सेवाओं पर पूर्ण अधिकार प्रदान करने के साथ, टेलीग्राफ के उपयोग को विनियमित करने और कुछ परिस्थितियों में संदेशों को की जाँच करने या पढ़ने का अधिकार प्रदान करता है।

भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933

  • यह वायरलेस टेलीग्राफी उपकरण के स्वामित्व को विनियमित  करता है।

टेलीग्राफ तार (गैर-कानूनी कब्जा) अधिनियम, 1950

  • यह टेलीग्राफ तारों के स्वामित्व को विनियमित करता है और गैर-कानूनी रूप से इन्हें रखने के अपराध के लिए दंड का प्रावधान करता है।

  • दूरसंचार कानून में व्यापक बदलाव: यह वर्ष 1885 के भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम,  वर्ष 1933 के भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम और वर्ष 1950 के टेलीग्राफ तार (गैर-कानूनी कब्जा) अधिनियम को निरस्त करता है।
  • यह भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) अधिनियम,1997 में भी संशोधन करता है।

विधेयक की आवश्यकता

  • क्षेत्र में बदलाव:  दूरसंचार क्षेत्र में पिछले दशक में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन देखे गए हैं, जिसमें इसकी प्रकृति, उपयोग और अंतर्निहित प्रौद्योगिकियों (Underlying Technologies) में परिवर्तन शामिल हैं।
  • उदाहरण के लिए, 5G तकनीक और उसका अनुप्रयोग।
  • पुराने कानूनों में सुधार: भारत दूरसंचार और इंटरनेट कंपनियों के लिए एक बड़ा बाजार है। हालाँकि, भारत में दूरसंचार क्षेत्र मुख्य रूप से तीन कानूनों द्वारा शासित था, जिनमें से दो औपनिवेशिक काल में और तीसरा वर्ष 1950 में बनाया गया था।
    • दूरसंचार विधेयक, 2023 एक कानूनी और नियामक ढाँचा प्रदान करता है, जो समावेशी डिजिटल विकास को बढ़ावा देते हुए दूरसंचार नेटवर्क की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है।

विधेयक की विशेषताएँ

  • दूरसंचार से संबंधित गतिविधियों के लिए प्राधिकार: निम्नलिखित गतिविधियों के लिए केंद्र सरकार से पूर्व अनुमति की आवश्यकता होगी:
    • दूरसंचार सेवाएँ प्रदान करने हेतु।
    • दूरसंचार नेटवर्क की स्थापना, संचालन, रखरखाव या विस्तार करने हेतु।
    • रेडियो उपकरण रखने हेतु।
  • स्पेक्ट्रम का आवंटन : विशिष्ट उपयोग के मामलों को छोड़कर, स्पेक्ट्रम आवंटन मुख्य रूप से नीलामी के माध्यम से होगा, जहाँ आवंटन प्रशासनिक आधार पर किया जाएगा।

भारत में दूरसंचार क्षेत्र

  • दूरसंचार उद्योग को निम्नलिखित उपक्षेत्रों में विभाजित किया गया है: अवसंरचना (Infrastructure), उपकरण (Equipment), मोबाइल वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर्स (Mobile Virtual Network Operators-MNVO), व्हाइट स्पेस स्पेक्ट्रम, 5जी, टेलीफोन सेवा प्रदाता और ब्रॉडबैंड।
  • भारत में दूरसंचार उद्योग वर्ष 2023 में अगस्त माह  तक 1.179 अरब (वायरलेस + वायरलाइन ग्राहक)  ग्राहक आधार के साथ दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है।
  • भारत ने “देश के भीतर मोबाइल ब्रॉडबैंड इंटरनेट ट्रैफिक” और “अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट बैंडविड्थ” में दूसरा स्थान हासिल किया है।
  • 5G नेटवर्क सभी 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों में शुरू किया गया है।

  • सरकार ने पहली अनुसूची के तहत 19 सेवाओं/इकाइयों को सूचीबद्ध किया है, जिसमें नीलामी प्रक्रिया को दरकिनार कर प्रशासनिक तौर पर स्पेक्ट्रम दिया जा सकता है।
  • इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा (Defence), सार्वजनिक प्रसारण, आपदा प्रबंधन आदि के साथ BSNL और MTNL  सहित उपग्रह सेवा लाइसेंस धारकों द्वारा वैश्विक मोबाइल निजी संचार उपग्रह सेवाएँ (Global mobile personal communication by satellite services- GMPCS)  भी शामिल हैं।
  • पहली अनुसूची के अलावा नीलामी के माध्यम से स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
  • संदेशों का अवरोधन: दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच के संदेशों को निम्नलिखित निर्दिष्ट आधारों पर रोका जा सकता है:
    • राज्य की सुरक्षा।
    • अपराधों को भड़काने से रोकथाम।
    • सार्वजनिक व्यवस्था/शांति।
  • दूरसंचार सेवाओं का निलंबन: विधेयक राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में और आपातकालीन स्थिति में केंद्र सरकार को अस्थायी रूप से दूरसंचार सेवाओं का नियंत्रण लेने की अनुमति देता है।
  • प्रेस संदेशों के लिए दिशा-निर्देश: केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्रेस संदेशों को तब तक रोका या कब्जे में नहीं लिया जाएगा जब तक कि उनका प्रसारण लागू नियमों के तहत निषिद्ध न हो।
  • अप्रयुक्त स्पेक्ट्रम के लिए दिशा-निर्देश: विधेयक सरकार को अपर्याप्त कारणों से अप्रयुक्त स्पेक्ट्रम को वापस लेने की अनुमति देता है और स्पेक्ट्रम को साझा करने, व्यापार करने और पट्टे पर देने का मार्ग प्रशस्त करता है।
    • यह अप्रयुक्त स्पेक्ट्रम को सरेंडर करने का विकल्प प्रदान करता है, लेकिन इसके लिए सरकार की ओर से कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।
    • अनजाने में हुई चूक के स्वैच्छिक प्रकटीकरण को प्रोत्साहित करने और अनुपालन को सुविधाजनक बनाने के लिए एक स्वैच्छिक अंडरटेकिंग तंत्र (Voluntary Undertaking Mechanism) शुरू किया गया है।
  • शिकायत निवारण (Grievance Redressal): नियमों और शर्तों के उल्लंघन के लिए विवाद समाधान प्रक्रिया में एक स्तरीय संरचना शामिल है, जिसमें एक निर्णय अधिकारी, अपील की एक नामित (Designated) समिति और दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (Telecom Disputes Settlement and Appellate Tribunal-TDSAT) शामिल हैं।
  • साइबर सुरक्षा उपाय (Cyber Security Measures): केंद्र सरकार संचार नेटवर्क और सेवाओं की साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियम प्रदान कर सकती है।
    • उपायों में दूरसंचार नेटवर्क में उत्पन्न, प्रसारित, प्राप्त या संगृहीत ट्रैफिक डेटा का संग्रह, विश्लेषण और प्रसार शामिल हो सकता है।
  • मानक निर्दिष्ट करने की शक्तियाँ: केंद्र सरकार दूरसंचार उपकरण, बुनियादी ढाँचे, नेटवर्क और सेवाओं के लिए मानक तथा मूल्यांकन निर्धारित कर सकती है।
    • दूरसंचार उपकरण केवल विश्वसनीय स्रोतों से ही खरीदे जाने चाहिए।
  • राइट ऑफ वे (Right of Way) : दूरसंचार अवसंरचना को स्थापित करने के लिए, सुविधा प्रदाता सार्वजनिक या निजी संपत्ति पर ‘राइट ऑफ पैसेज’  (Right of Passage)  का अनुरोध कर सकते हैं।
    • जहाँ तक संभव हो ‘राइट ऑफ पैसेज’ गैर-भेदभावपूर्ण  (non-discriminatory ) और गैर-विशिष्ट (non-exclusive) होने चाहिए।
  • उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा: केंद्र सरकार, उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिए उपाय लागू कर सकती है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं;
    • विज्ञापन संदेश जैसे विशिष्ट संदेश (Specified messages) प्राप्त करने के लिए पूर्व सहमति प्राप्त करना।
    • उपयोगकर्ताओं को मैलवेयर या निर्दिष्ट संदेशों की रिपोर्ट करने की अनुमति देने वाला तंत्र।
  • TRAI  में नियुक्तियाँ: सदस्यों की नियुक्ति हेतु TRAI अधिनियम में संशोधन :
    • अध्यक्ष के रूप में सेवा देने हेतु कम-से-कम 30 वर्ष का पेशेवर/व्यावसायिक अनुभव। 
    • सदस्यों के रूप में सेवा करने देने हेतु कम-से-कम 25 वर्ष का पेशेवर/व्यावसायिक अनुभव।
  • आपदा के दौरान संदेशों का प्राथमिकता प्रसारण: किसी भी सार्वजनिक आपातकाल के दौरान, केंद्र या राज्य सरकार किसी भी दूरसंचार सेवा को अस्थायी रूप से स्थगित कर सकती है।
    • सरकार यह गारंटी देने के लिए एक प्रणाली स्थापित कर सकती है कि प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति के लिए अधिकृत उपयोगकर्ता द्वारा भेजे गए संदेश पहले प्रसारित किए जाएँ।

सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि (Universal Service Obligation Fund-USOF)

  • USOF की स्थापना दिसंबर 2003 में भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम ,1885 में संशोधन करके की गई थी।
  • यह ग्रामीण, दूरदराज और असेवित (unserved) क्षेत्रों में लोगों को सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण  ICT  सेवाओं तक व्यापक और गैर-भेदभावपूर्ण पहुँच प्रदान करता है।
  • दूरसंचार ऑपरेटर USOF में अपने  समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenue) का 5% योगदान करते हैं।

  • डिजिटल भारत निधि: विधेयक सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि (USOF) का नाम बदलकर ‘डिजिटल भारत निधि’  करता है और अनुसंधान तथा विकास के लिए इसके उपयोग की अनुमति देता है।
  • शुल्क माफ करने का अधिकार (Authority to Waive fees): विधेयक सरकार को उपभोक्ताओं के हित में प्रवेश शुल्क, लाइसेंस शुल्क, जुर्माना आदि माफ करने की शक्ति देता है।

विधेयक को लेकर चिंताएँ

  • गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए, संस्थाओं को अपने उपयोगकर्ताओं का बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण करना अनिवार्य है। इससे उपयोगकर्ताओं की प्राइवेसी से जुड़ी चिंताएँ बढ़ जाती हैं।
  • परिभाषा में अस्पष्टता: ‘दूरसंचार सेवाओं’ की नई परिभाषा को सामान्य रखा गया है और इसकी व्यापक व्याख्या की संभावना है।
    • OTT  संचार सेवाओं के विशिष्ट संदर्भ को ‘दूरसंचार सेवाओं’ की परिभाषा से हटा दिया गया है।
  • नेटवर्क पर कब्जा: विधेयक सरकार को नेटवर्क पर “अस्थायी नियंत्रण/कब्जा” करने का अधिकार देता है।
    • विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार को “कब्जे” को परिभाषित करने और यह निर्दिष्ट करने की आवश्यकता है कि “अस्थायी” कार्यकाल कितने समय तक चलेगा।
  • शक्ति का संभावित दुरुपयोग: विधेयक केंद्र और राज्य सरकारों को किसी भी सार्वजनिक आपातकाल के दौरान या ‘सार्वजनिक सुरक्षा के हित में’ संचार निलंबित करने का अधिकार देता है। हालाँकि सरकार द्वारा  इस शक्ति का दुरुपयोग असहमति  को रोकने के लिए भी किया जा सकता है।
  • TRAI की  प्रतिबंधात्मक शक्तियाँ: मसौदे में TRAI अध्यक्ष की भूमिका के लिए निजी क्षेत्र के कॉरपोरेट अधिकारियों की नियुक्ति की अनुमति देने का भी प्रावधान है।
    • यह बदलाव TRAI की  भूमिका को सीमित कर सकता है क्योंकि दूरसंचार क्षेत्र में प्रगतिशील और सकारात्मक विकास को बढ़ावा देने के लिए किसी भी उद्योग निगरानीकर्ता (Industry watchdog) के पास तटस्थ और स्वतंत्र दृष्टिकोण नहीं होगा।
  • स्पेक्ट्रम आवंटन (Spectrum Allocation): इस मामले पर निजी दूरसंचार कंपनियों में मतभेद है। 
    • इस वर्ष जून में TRAI की  परामर्श प्रक्रिया के दौरान एलन मस्क के स्टारलिंक (Starlink), अमेजॅन के प्रोजेक्ट कुइपर (Project Kuiper) और भारत के टाटा समूह ने नीलामी के माध्यम से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन का विरोध किया। जबकि  भारतीय एयरटेल और रिलायंस जियो ने स्पेक्ट्रम नीलामी का समर्थन किया।

निष्कर्ष

  • दूरसंचार विधेयक, 2023 दूरसंचार सुधार प्रक्रिया की दिशा में एक प्रगतिशील कदम का प्रतिनिधित्व करता है।
  • हालाँकि, हितधारकों द्वारा उठाई गई चिंताओं का समाधान किया जाना चाहिए।

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