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Lokesh Pal
September 15, 2025 02:25
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भारत और श्रीलंका के मध्य पाक जलडमरूमध्य में मत्स्यपालन और कच्चातिवु द्वीप की संप्रभुता को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है, जिसे यदि विवेकपूर्ण तरीके से निपटाया जाए तो यह संघर्ष के बजाय क्षेत्रीय सहयोग का प्रतीक बन सकता है।
कानूनी स्पष्टता के बावजूद, व्यावहारिक चुनौतियाँ जारी हैं:
कच्चातिवु संप्रभुता का मुद्दा सुलझ गया है, लेकिन पारिस्थितिकी, आर्थिक और राजनीतिक दबावों के कारण मत्स्यपालन विवाद अभी भी जारी है। पुरानी संधियों पर पुनः चर्चा से भारत की अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचेगा, लेकिन मछुआरों के संकट को नजरअंदाज करने से घरेलू अस्थिरता का खतरा पैदा हो सकता है। इसका समाधान स्थायी मत्स्यपालन प्रथाओं, सहकारी तंत्रों और आजीविका विविधीकरण में निहित है।
यदि व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया जाए तो पाक जलडमरूमध्य विभाजन रेखा सहयोग का सेतु बन सकता है, जिससे भारत–श्रीलंका संबंध सुदृढ़ होंगे और क्षेत्रीय सागर तथा ब्लू इकोनॉमी की दृष्टि मजबूत होगी।
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