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आक्रामक प्रजातियों का खतरा (threat of invasive species)

Samsul Ansari January 27, 2024 03:28 404 0

संदर्भ

हाल के वर्षों में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (Kaziranga National Park) में अत्यधिक आक्रामक प्रजातियों (Invasive Species) जैसे- मिमोसा (Mimosa), सियाम (Siam) और लुडविगिया पेरुवियाना (Ludwigia Peruviana) का तेजी से प्रसार हुआ है।

मिमोसा (Mimosa) प्रजाति के बारे में

  • उत्पत्ति: यह एक बेल की तरह दिखने वाला पौधा है, जिसका मूल क्षेत्र उत्तरी अमेरिका महाद्वीप  है।
  • परिचय: यह एक छुईमुई (Touch Me Not) जैसा शेमप्लांट (Shameplant) या बहुत संवेदनशील पौधा है। इसे असमिया भाषा में नीलाजी बॉन (Nilaji Bon) या लाजुकी लता (Lajuki Lata) कहा जाता है।
  • असम क्षेत्र में मिमोसा प्रजाति का परिचय: चाय उद्योग से जुड़े किसानों/व्यापारियों ने नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) के लिए मिमोसा नामक आक्रामक प्रजाति को इस क्षेत्र में स्थापित किया था।
    • नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले सूक्ष्मजीवों द्वारा नाइट्रोजन गैस (N2) को जैविक रूप से उपलब्ध नाइट्रोजन अर्थात् अमोनिया में परिवर्तित करने की प्रक्रिया नाइट्रोजन स्थिरीकरण कहलाती है।
  • मिमोसा के प्रसार के लिए अनुकूल कारक
    • प्रतिवर्ष बाढ़ की बढ़ती आवृत्ति।
    • कई जल निकायों और छोटी नदियों की उपस्थिति जो बीजों के अंकुरण के लिए नम स्थिति प्रदान करती है।
  • चिंताएँ: ‘वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (WTI) के वर्ष 2002 के अध्ययन से पता चला है कि काजीरंगा की बागोरी रेंज (Bagori Range) का 56% हिस्सा मिमोसा से ढका हुआ है। इसकी दो किस्में मिमोसा इनविसा (Mimosa Invisa) और मिमोसा इनविसेनर्मिस (Mimosa Invisainermis) पूरे पार्क में फैल रही हैं।
    • मिमोसा इनविसा एक काँटेदार बेल है जबकि मिमोसा इनविसेनर्मिस काँटे रहित बेल है। 
    • काँटे रहित प्रजाति जो तेजी से फैल रही है और कई मवेशियों की जान भी ले रही है, परिणामस्वरूप मवेशियों को एलर्जी होने से उनकी मृत्यु हो रही है।
  • प्रसार से रोकथाम: ‘वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (WTI) ने सुझाव दिया कि केवल मिमोसा प्रजातियों की जड़ों को प्रत्यक्ष रूप से हटाने से इसके प्रसार को रोका जा सकता है।

आक्रामक प्रजातियों (Invasive Species) के बारे में

  • एक आक्रामक प्रजाति किसी भी प्रकार की जीवंत वनस्पति/जीव (पौधा, कीट, मछली, कवक, बैक्टीरिया, एक उभयचर जो किसी पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) का मूल निवासी नहीं है) हो सकता है। उदहारण: जलकुंभी (Water Hyacinth)
  • चिंताएँ: यह देशी प्रजातियों और स्थानीय जैव विविधता को नष्ट करके पर्यावरण, अर्थव्यवस्था, यहाँ तक ​​कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकते हैं।
  • जैव विविधता पर कन्वेंशन (Convention on Biological Diversity- CBD) के लिए जैव सुरक्षा पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल (Cartagena Protocol) आक्रामक प्रजातियों के प्रभाव को संबोधित करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देता है।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (Kaziranga National Park)

  • अवस्थिति: इसे वर्ष 1974 में राष्ट्रीय उद्यान, वर्ष 2007 में बाघ अभयारण्य, वर्ष 1985 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) के रूप में घोषित किया गया था।
    • इसे ‘बर्डलाइफ इंटरनेशनल’ द्वारा एक महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र के रूप में भी मान्यता दी गई है।
  • प्रसिद्ध: काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एक सींग वाले गैंडों की आबादी के लिए प्रसिद्ध है।
    • यहाँ घास के मैदानों और जल निकायों के साथ अद्वितीय आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है।

सियाम (Siam) प्रजाति के बारे में

  • उत्पत्ति: यह एक फूलदार झाड़ी है, जो मध्य एवं दक्षिण अमेरिका में पाई जाती है।
  • वैज्ञानिक नाम: क्रोमोलाएना ओडोरेटा (Chromolaena odorata)।
  • चिंताएँ: असम कृषि विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2013 से 2023 के बीच असम के गोलाघाट जिले में क्रोमोलाएना ओडोरेटा  की संख्या में 28% की वृद्धि देखी गई।
    • यह झाड़ी मवेशियों के लिए जहरीली होती है।
      • हालाँकि, सियाम का उपयोग कीट विनाशक के रूप में भी किया जा सकता है।

लुडविगिया पेरुवियाना (Ludwigia Peruviana)  प्रजाति के बारे में

  • अन्य नाम (वैज्ञानिक नाम): पेरूवियन वाटर प्राइमरोज (Peruvian Water Primrose)
  • चिंताएँ: शोधकर्ताओं के अनुसार, ये जलीय पौधे वर्ष 2022 में 500 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैले थे, जो इस क्षेत्र में नदी धाराओं और आर्द्रभूमि में मछलियों की जैव विविधता को प्रभावित कर रहे हैं।

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