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Lokesh Pal
August 06, 2024 03:54
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हाल ही में सरकार ने छह राज्यों में पश्चिमी घाट के 56,800 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र (Ecologically Sensitive Area- ESA) घोषित करने के लिए एक मसौदा अधिसूचना जारी की है।
इस मसौदे का उद्देश्य इसमें शामिल छह राज्यों: महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गोवा, केरल, कर्नाटक और गुजरात के बीच सहमति बनाना है। यह मुद्दा वर्ष 2011 से ही चर्चा में है।
हिमालय पर्वत से भी पुरानी, पश्चिमी घाट की पर्वत शृंखला अद्वितीय जैव-भौतिकीय और पारिस्थितिकी प्रक्रियाओं के साथ अत्यधिक महत्त्व की भू-आकृतिक विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करती है।
पश्चिमी घाट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जैव विविधता के संरक्षण के लिए अत्यधिक वैश्विक महत्त्व के क्षेत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है, इसके अलावा इसमें उच्च भू-वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और सौंदर्य मूल्यों वाले क्षेत्र भी शामिल हैं।
पश्चिमी घाट में पौधों और जानवरों की विविधता और स्थानिकता का असाधारण स्तर है, जो महाद्वीपीय क्षेत्र के लिए बहुत अधिक है। हालाँकि, पश्चिमी घाट को कई तरह के खतरों का सामना करना पड़ा है।
पश्चिमी घाट को आने वाले खतरों से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए गए हैं:
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