100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

तेलंगाना में तीन नए पुरातात्त्विक स्थल की खोज

Lokesh Pal April 20, 2024 05:31 380 0

संदर्भ

पुरातत्त्वविदों की एक टीम ने तेलंगाना के मुलुगु जिले के ‘SS तडवई मंडल’ में ‘बंडाला गाँव’ के पास ओरागुट्टा में एक अद्वितीय लौह युग के महापाषाण स्थल की खोज करने का दावा किया है।

संबंधित तथ्य

  • साइट (स्थल) की खोज: इस स्थल की खोज ‘के.पी. राव’, हैदराबाद विश्वविद्यालय के इतिहास के प्रोफेसर और चौधरी प्रवीण राजू, योगी वेमना विश्वविद्यालय, आंध्र प्रदेश के शोधार्थी की एक संयुक्त टीम ने की थी।
  • अद्वितीय स्मारकों की उपस्थिति: इस स्थल पर नए प्रकार के स्मारक हैं, जो भारत के अन्य क्षेत्रों में अभी तक कहीं भी प्रकाश में नहीं आए हैं।
    • आमतौर पर इस क्षेत्र में एक प्रकार का महापाषाण स्मारक पाया जाता है, जिसे ‘डोलमेनॉइड सिस्ट्स‘ के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र के अधिकांश स्मारक चौकोर या आयताकार आकार के हैं।

ओरागुट्टा की अनूठी विशेषताएँ

  • कैप-स्टोन्स द्वारा आकारित ‘डोल्मेनॉइड सिस्ट’: ‘साइड स्लैब’ को ‘कैप-स्टोन’ के आकार के अनुसार स्लैब के साथ व्यवस्थित किया गया है। इसलिए प्रत्येक ‘डोल्मेनॉइड सिस्ट’ का एक अद्वितीय आकार होता है, जैसा कि ‘कैप-स्टोन’ द्वारा निर्धारित होता है।
    • यूरोप में ऐसे स्मारकों को ‘पैसेज चैंबर्स’ के नाम से जाना जाता है।
  • नए शैलकला स्थल: टीम ने भद्राद्री कोठागुडेम जिले के गुंडाला मंडल के दमराटोगु में दो नए शैल कला स्थलों की भी खोज की।
    • इनमें से एक स्थल, जिसे ‘देवरलबंद मुला‘ के नाम से जाना जाता है, में केवल जानवरों का चित्रण है, मनुष्यों का कोई चित्रण नहीं है।
    • चूँकि कोई हथियार या घरेलू जानवर नहीं पाए गए हैं, इसलिए यह माना जाता है कि यह चित्रकला 8000 – 3000 ईसा पूर्व के बीच मध्यपाषाण युग की हो सकती हैं।

लौह युग

  • प्रायद्वीपीय भारत में लौह युग का कालक्रम: प्रायद्वीपीय भारत में, लौह युग मोटे तौर पर 1000 ईसा पूर्व से 100 ईसवी तक की अवधि को शामिल करता है।
  • यह वह काल भी है, जिसके पाठ्य साक्ष्य उपलब्ध हैं। इसलिए, विद्वान केवल पुरातात्त्विक  साक्ष्यों के साथ कार्य करने या उपलब्ध पाठ्य साक्ष्यों को शामिल करके अपने दृष्टिकोण में भिन्न होते हैं।
  • महापाषाण काल की प्रमुखता: प्रायद्वीपीय भारत में, लौह युग मुख्य रूप से क्षेत्र के भीतर मेगालिथिक संरचनाओं को शामिल करता है, जो प्रायः निवास स्थलों से जुड़े होते हैं।
  • उत्तर भारत में लौह युग: पुरातात्त्विक रूप से इसका प्रतिनिधित्व उन संयोजनों द्वारा किया जाता है, जिनमें मुख्य रूप से ‘चित्रित ग्रे वेयर’ (PGW) और ‘नॉर्दन ब्लैक पॉलिश वेयर’ (NBPW) जैसे विशेष प्रकार के मृदभांड शामिल हैं।

मेगालिथ

  • परिचय: प्रागैतिहासिक कला में, मेगालिथ एक बड़ा, अक्सर अनावर्णित पत्थर होता है, जिसका उपयोग 4500-1000 ईसा पूर्व की अवधि के दौरान विभिन्न प्रकार के नवपाषाण, ताम्रपाषाण या कांस्य युग के स्मारकों के निर्माण में किया गया है।
  • महापाषाण कालीन स्मारक: प्रायद्वीपीय भारत के महापाषाण कालीन स्मारक, माना जाता है कि इन्हें लौह युग (1500 ईसा पूर्व – 200 ईसवी) में बनाया गया था।
    • हालाँकि महापाषाण स्थल पूरे भारत में पाए जाते हैं, लेकिन वे ज्यादातर प्रायद्वीपीय भारत में केंद्रित हैं।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.