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Samsul Ansari December 30, 2023 04:08 270 0
संदर्भ
हाल ही में राष्ट्रपति ने संसद द्वारा पारित 3 नए आपराधिक कानून विधेयकों को मंजूरी दे दी है।
संबंधित तथ्य
भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली का इतिहास
आपराधिक कानून सुधार समिति
विधेयक की आवश्यकता
प्रतिशोधात्मक से सुधारात्मक न्याय: औपनिवेशिक न्याय प्रणाली केवल अपराधियों को दंडित करने पर ही केंद्रित थी, यह अपराधियों के पुनर्वास के उपाय करने और पीड़ितों की सुरक्षा के लिए उपायों को लागू करने में असफल रहा।
भारतीय न्याय संहिता की मुख्य विशेषताएँ:
भारतीय दंड संहिता, 1860 [The Indian Penal Code (IPC), 1860]: इसके अंतर्गत निम्नलिखित अपराध शामिल हैं:
संगठित अपराध: इसमें अपहरण, जबरन वसूली, कॉन्ट्रैक्ट हत्या, जमीन पर कब्जा, वित्तीय घोटाले और साइबर अपराध जैसे अपराध शामिल हैं, जो एक संगठित गिरोह द्वारा किए जाते हैं।
प्रमुख चुनौतियाँ:
दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (The Code of Criminal Procedure- CrPC):
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता अधिनियम, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita-BNSS)
मुख्य विशेषताएँ: CrPC भारत में आपराधिक न्याय के प्रक्रियात्मक पहलुओं को विनियमित करती है। BNSS में CrPC के अधिकांश प्रावधानों को बरकरार रखा गया है।
प्रस्तावित प्रमुख परिवर्तनों में शामिल हैं
महत्वपूर्ण मुद्दे
प्ली बारगेनिंग बचाव (Defense) और अभियोजन (Prosecution) पक्ष के बीच एक समझौता है, जहाँ अभियुक्त (Accused) कम अपराध या सजा के लिए दोष स्वीकारता है।
आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 यह पुलिस अधिकारियों या जेल अधिकारियों को दोषियों अथवा किसी अपराध के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों से कुछ पहचान योग्य जानकारी (जैसे उँगलियों के निशान, जैविक नमूने) एकत्र करने की अनुमति देता है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के बारे में
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (Indian Evidence Act- IEA)
मुख्य विशेषताएँ: भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) अधिनियम, 2023 [Bharatiya Sakshya (Second) Act- BSB] IEA के अधिकांश प्रावधानों को बरकरार रखता है।
IEA दो प्रकार के साक्ष्य दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्य प्रदान करता है।
महत्त्वपूर्ण मुद्दे
निष्कर्ष
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