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भारत में बाघों की जनसंख्या: NCBS अध्ययन

Lokesh Pal February 03, 2025 01:40 21 0

संदर्भ

हाल ही में एक नए अध्ययन के अनुसार, पिछले दो दशकों में भारत में बाघों की आबादी में 30% की वृद्धि हुई है।

बाघ के बारे में 

  • बाघ विश्व की सबसे बड़ी जंगली बिल्ली (Wild Cat) प्रजाति हैं।
  • वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा टाइग्रिस (Panthera tigris)
  • संरक्षण स्थिति IUCN: लुप्तप्राय (Endangered)
  • महत्त्व: बाघ एक सर्वोच्च शिकारी प्रजाति है और ये स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • आवास संबंधी आवश्यकताएँ: बाघ एक विशाल भू-परिदृश्य से संबंधित प्रजाति है।
    • उन्हें विविध आवास वाले विशाल क्षेत्रों की आवश्यकता है। 
      • बाघों के लिए इन क्षेत्रों को मानवीय व्यवधान से मुक्त और शिकार से समृद्ध होना चाहिए।
      • बाघ परिदृश्य कहे जाने वाले ये क्षेत्र जैव विविधता और आस-पास रहने वाले मानव समुदायों की कल्याण के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  • भारत में बाघों की वर्तमान जनसंख्या
    • वर्ष 2022 के एक अनुमान के अनुसार, भारत में न्यूनतम 3,167 बाघ हैं।
    • उन्नत सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग करके एक डेटा विश्लेषण के अनुमान के अनुसार:
      • भारत में बाघों की अधिकतम सीमा: 3,925 बाघ।
      • औसत संख्या: 3,682 बाघ।
    • बाघों की आबादी की वार्षिक वृद्धि दर 6.1% है, जो एक स्थिर प्रगति का संकेत देती है।

बाघों की संख्या में वृद्धि के पीछे मुख्य कारक

  • संतुलित संरक्षण रणनीति
    • भारत की संरक्षण सफलता वैज्ञानिक दृष्टिकोण और भूमि-साझाकरण तथा भूमि-बचत विधियों के मिश्रण के कारण है।
    • संरक्षित क्षेत्र- इन क्षेत्रों में मानव आवागमन प्रतिबंधित होता है।
    • बहु-उपयोग वन (भूमि साझाकरण) बाघों को मानवीय आबादी के साथ रहने की अनुमति देते हैं, जिससे सिद्ध होता है कि मानव-पशु सह-अस्तित्व संभव है।
  • सशक्त विधायी समर्थन
    • संरक्षण प्रयासों को सशक्त वन्यजीव कानूनों का समर्थन प्राप्त है, जिनमें शामिल हैं:
      • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972
      • वन संरक्षण अधिनियम, 1980
      • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)
  • सामाजिक-आर्थिक कारकों की भूमिका
    • आर्थिक समृद्धि एवं सांस्कृतिक मूल्यों ने बाघ संरक्षण में मदद की है।
    • वनों पर कम निर्भरता एवं बेहतर आर्थिक स्थिति वाले क्षेत्रों में बाघों की अधिक संख्या देखी जाती है।
    • चुनौतियाँ
      • उच्च गरीबी एवं संघर्ष वाले क्षेत्रों (जैसे छत्तीसगढ़ तथा झारखंड में नक्सल प्रभावित क्षेत्र) में बाघों की आबादी में गिरावट देखी गई है।

भविष्य की चुनौतियाँ एवं सिफारिशें

  • चुनौतियाँ
    • राजनीतिक अस्थिरता और आवास की हानि के कारण 1,57,000 वर्ग किलोमीटर का संभावित बाघ आवास रिक्त है।
    • मानव-वन्यजीव संघर्ष एक चुनौती बना हुआ है।
  • सुधार के लिए सिफारिशें
    • संरक्षित क्षेत्रों एवं आवास गलियारों का विस्तार करना।
    • बाघों की सुरक्षा के लिए अवैध शिकार नियंत्रण उपायों को मजबूत करना।
    • स्थानीय समुदायों के लिए स्थायी आजीविका को बढ़ावा देना।
    • संघर्ष शमन रणनीतियों में सुधार करना, जिनमें शामिल हैं:
      • प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली।
      • त्वरित प्रतिक्रिया दल।

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