100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत की लुप्तप्राय भाषाओं के संरक्षण के लिए टोडा जनजाति के प्रयास

Lokesh Pal August 14, 2025 02:45 5 0

संदर्भ

भारत, टोडा जनजाति के प्रयासों के नेतृत्व में, ‘लुप्तप्राय भाषाओं की सुरक्षा और संरक्षण योजना’ (Scheme for Protection and Preservation of Endangered Languages–SPPEL), AI उपकरणों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से टोडा जैसी लुप्तप्राय भाषाओं के संरक्षण को गति दे रहा है।

टोडा जनजाति के बारे में

  • मूल निवासी: टोडा जनजाति एक द्रविड़ जातीय समूह है, जो भारत के तमिलनाडु राज्य की नीलगिरी पहाड़ियों में निवास करता है।
    • टोडा जनजाति के लगभग 1,600 लोग नीलगिरी पहाड़ियों की 69 बस्तियों में रहते हैं।
  • भाषा: टोडा जनजाति टोडा भाषा बोलती है, जो दक्षिण भारत की एक स्वदेशी द्रविड़ भाषा है और दक्षिण द्रविड़ के टोडा-कोटा उपसमूह से उत्पन्न हुई है।
  • रीति-रिवाज: टोडा रीति-रिवाजों की कुछ अनूठी विशेषताएँ हैं,
    • धर्म: टोडा जनजाति का धर्म भैंस-केंद्रित है। वे कई दुग्ध गतिविधियों के लिए अनुष्ठान करते हैं और केवल वे पुरुष ही पवित्र भैंसों का दूध निकाल सकते हैं, जो दुग्धपालक-पुजारी बन गए हों।
    • बहुपति प्रथा: टोडा जनजाति में भ्रातृ-बहुपतित्व प्रथा प्रचलित थी, जहाँ एक महिला परिवार के सभी भाइयों से विवाह करती थी।
    • अंतिम संस्कार की प्रथा: टोडा जनजाति में शवदाह के नौ महीने बाद एक शुष्क अंतिम संस्कार किया जाता है।
    • कढ़ाई: टोडा जनजाति की कढ़ाई कला में प्रतीकात्मक रंग संयोजन होता है: काला (अधोलोक का प्रतीक), लाल पृथ्वी का प्रतीक और सफेद आकाश का प्रतीक होता है और इसे “पुखूर” कहा जाता है।
      • यह दोनों तरफ से पहनने योग्य होता है और काली पट्टी के बाईं ओर की कढ़ाई को ‘करनोल’ और दाईं ओर की कढ़ाई को ‘करथल’ कहा जाता है।
    • फूलों का प्रतीकवाद: टोडा जनजाति वर्ष के मौसम और अवस्था को दर्शाने के लिए फूलों का उपयोग करती है।
      • उदाहरण: दक्षिण-पश्चिमी मानसून के समाप्त होने पर शोला वनों में सफेद ‘मावरश’ फूल खिलते हैं।
    • वास्तुकला: टोडा जनजाति अपने अर्द्ध-गोलाकार मेहराबनुमा छत वाले मंदिरों और घरों के लिए जानी जाती है।

टोडा भाषा संरक्षण प्रयास

  • लिपि का अभाव: टोडा भाषा की कोई मूल लिपि नहीं है।
  • संरक्षण प्रयास: साक्षरता संवर्द्धन हेतु तमिल लिपि में टोडा भाषा की एक प्रारंभिक पाठ्यपुस्तक या शिक्षण पुस्तिका तैयार करने के लिए SPPEL के साथ सहयोग।
  • युवाओं पर ध्यान केंद्रित: युवा पीढ़ी को अपनी भाषा सीखने और उसे संरक्षित करने के लिए प्रेरित करना।
  • डिजिटल उपकरण: CIIL भाषायी विश्लेषण के लिए उच्च-स्तरीय ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे उन्नत उपकरणों का उपयोग करता है।

भारत का भाषायी परिदृश्य (वर्ष 2011 की जनगणना)

  • एकभाषी: 89.59 करोड़ लोग।
  • द्विभाषी: 22.90 करोड़ लोग।
  • त्रिभाषी: 8.60 करोड़ लोग।
  • चुनौती: प्रमुख भाषाएँ (हिंदी, बंगाली, मराठी) लुप्तप्राय जनजातीय भाषाओं पर भारी पड़ रही हैं।

‘लुप्तप्राय भाषाओं की सुरक्षा और संरक्षण योजना’ के बारे में

  • SPPEL भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की एक पहल है, जिसका क्रियान्वयन मैसूर स्थित केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (Central Institute of Indian Languages- CIIL) द्वारा किया जाता है।
  • उद्देश्य: भारत की संकटग्रस्त भाषाओं, विशेषकर 10,000 से कम लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं या जिनका पहले कभी भाषायी अध्ययन नहीं किया गया है, का दस्तावेजीकरण और अभिलेखीकरण करना।
    • भविष्य की पीढ़ियों के लिए इन भाषाओं की सुरक्षा हेतु व्याकरण, शब्दकोश और जातीय-भाषायी प्रोफाइल जैसे संसाधन तैयार करना।
  • प्रमुख गतिविधियाँ
    • फील्डवर्क, व्याकरण और शब्दावली रिकॉर्डिंग।
    • द्विभाषी और त्रिभाषी शब्दकोशों, शब्दावलियों, जातीय-भाषायी प्रोफाइलों का निर्माण।
    • वैश्विक डिजिटल रिपॉजिटरी (जैसे- संचिका वेबसाइट) पर सामग्री अपलोड करना।
  • लुप्तप्राय भाषाओं का दस्तावेजीकरण: 117 भाषाओं की पहचान की गई; भविष्य का लक्ष्य 500 है।

वैश्विक संदर्भ और UNESCO की भूमिका

  • यूनेस्को रिपोर्ट: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सहयोग से; आदिवासी/स्वदेशी भाषाओं के संरक्षण की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।
  • स्वदेशी भाषाओं का अंतरराष्ट्रीय दशक (2022-2032): दुनिया की 7,000 भाषाओं में से लगभग 50% के संकटग्रस्त होने की गंभीर स्थिति पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतरराष्ट्रीय दिवस (9 अगस्त)
    • 2025 थीम: “स्वदेशी लोग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता: अधिकारों की रक्षा, भविष्य को आकार देना।”
    • उदाहरण: पॉलिनेशियाई समुदाय प्रवाल भित्ति संरक्षण के लिए AI का उपयोग कर रहे हैं, जबकि न्यूजीलैंड का ‘ते हिकू मीडिया’ माओरी भाषा के पुनरुद्धार के लिए AI का प्रयोग करता है।
    • चुनौतियाँ: AI विकास में स्वदेशी प्रतिनिधित्व का अभाव; स्वदेशी ज्ञान का अनधिकृत उपयोग।

भाषा संरक्षण के लिए सरकारी सहायता

  • जनजातीय कार्य मंत्रालय की पहल
    • जनजातीय अनुसंधान, सूचना, शिक्षा, संचार और कार्यक्रम (TRI-ECE) योजना: AI-आधारित भाषा संरक्षण (जैसे- भाषिणी AI अनुवाद उपकरण)।
      • आदिवासी भाषाओं और संस्कृति के अध्ययन के लिए 58.70 लाख रुपये का प्रावधान।
  • संस्कृति मंत्रालय
    • अनुसंधान और डिजिटलीकरण के माध्यम से लोक और जनजातीय कलाओं को बढ़ावा देना।
    • राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन: पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण।
    • राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन: 4.5 लाख गाँवों की सांस्कृतिक विरासत का मानचित्रण।
    • जनपद संपदा प्रभाग: क्षेत्रीय कार्य के माध्यम से लुप्त होती परंपराओं का दस्तावेजीकरण।
    • राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव: जागरूकता के लिए जनजातीय कलाओं का प्रदर्शन।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति(NEP)-2020: स्थानीय भाषाओं के संरक्षण के लिए बहुभाषी शिक्षा पर जोर दिया गया है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.