100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

खिलौना उद्योग: भारत में एक उभरता हुआ क्षेत्र (Toy Industry: An Emerging Sector in India)

Samsul Ansari January 09, 2024 05:57 243 0

संदर्भ

हाल ही में भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) लखनऊ द्वारा ‘भारत में निर्मित खिलौनों की सफलता की कहानी’ (Success Story of Made in India Toys) पर एक केस स्टडी की गई।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

खिलौना उद्योग: सनराइज क्षेत्र के रूप में 

  • अनुकूल सरकारी नीतियाँ (2014-20): भारत सरकार के प्रयासों के कारण भारतीय खिलौना उद्योग के लिए एक अनुकूल विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हुआ है। (विवरण के लिए चित्र देखें)।
    • भारत में खिलौना उद्योग संबंधी विनिर्माण इकाइयों की संख्या दोगुनी हो गई है।
    • आयातित कच्चा माल निर्भरता में 12 प्रतिशत की कमी आई है।
    • सकल बिक्री मूल्य में 10% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) की वृद्धि और श्रम उत्पादकता में समग्र वृद्धि हुई है
  • भारत में उभरता खिलौना उद्योग: भारतीय खिलौना उद्योग ने वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2022-23 के बीच उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की जिसमें आयात में 52% की भारी गिरावट तथा निर्यात में 239% की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। 
  • वैश्विक एकीकरण और बाजार तक पहुँच: भारत खिलौनों के एक शीर्ष निर्यातक राष्ट्र के रूप में उभर रहा है, जिसका कारण वैश्विक खिलौना मूल्य श्रृंखला के साथ इस क्षेत्र का  एकीकरण और संयुक्त अरब अमीरात एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों तक शून्य-शुल्क बाजार (Zero-Duty Market) के रूप में भारतीय खिलौनों की पहुँच है।

भारतीय खिलौनों के बारे में

  • ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में 
    • भारत में खिलौना उद्योग की शुरुआत सिंधु घाटी सभ्यता के समय से मानी जाती है।
    • मूल खिलौनों में तोते, बंदर और छोटी गाड़ियाँ शामिल थीं। ये सभी खिलौने प्राकृतिक सामग्रियों जैसे बांस की छड़ें, घास और प्राकृतिक मिट्टी, चट्टानों और रेशमी कपड़े से बनाए जाते थे।
  •  आधुनिक परिवर्तन
  • प्रौद्योगिकी और यंत्रो के आगमन ने कंपनियों को नए खिलौने तैयार करने के लिए प्रेरित किया।
    • भारत का लक्ष्य वर्ष 2025-2030 तक एक वैश्विक खिलौना केंद्र के रूप में उभरने  का है।

भारत में खिलौना उद्योग की स्थिति

  • उद्योग का विकास: इन्वेस्ट इंडिया के अनुसार, भारतीय खिलौना उद्योग के वर्ष 2028 तक $3 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है, जो वर्ष 2022-28 के बीच 12% की CAGR से बढ़ रहा है।
  • निवल खिलौना निर्यातक: दशकों के आयात के प्रभुत्व को समाप्त करते हुए वित्तीय वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 के दौरान भारत खिलौनों का शुद्ध निर्यातक बन गया है।
  • बाजार का आकार: घरेलू बाजार का आकार लगभग $1.5 बिलियन होने का अनुमान है।
  • MSME क्षेत्र के विकास को गति: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) श्रेणी के तहत वर्गीकृत लगभग 4,000 खिलौना उद्योग इकाइयाँ इस क्षेत्र के विकास को आगे बढ़ा रही हैं।

महत्त्व

  • रोजगार गहन क्षेत्र: इस उद्योग में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में शिल्पकारों की उपस्थिति के कारण रोजगार के कई अवसर प्राप्त होते हैं।
    • भारत का खिलौना बाजार वर्ष 2024 तक $2-$3 बिलियन (वर्ष 2017 के  $1.7 बिलियन से) तक बढ़ने की क्षमता है और इस क्षेत्र में प्रत्येक $100 मिलियन के निवेश से 20,000 प्रत्यक्ष नौकरियाँ और 8000 अप्रत्यक्ष नौकरियाँ उत्पन्न की जा सकती हैं।
  • विनिर्माण का विस्तार: यह घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करके मेक इन इंडिया के प्रयास में सहायता करेगा, जिससे खिलौना आयात पर निर्भरता घटेगी।
    • भारतीय खिलौनों का बाजार आकार वर्ष 2021 में $1.4 बिलियन से बढ़कर वर्ष 2023 में $1.7 बिलियन तक पहुँच गया है।
  • निर्यात क्षमता और विदेशी मुद्रा प्राप्ति: भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत से लिए गए विषयों, कहानियों और पात्रों का उपयोग कर बनाए गए शानदार खिलौने भारतीय और विदेशी बाजारों को आकर्षित करेंगे, जिससे भारत के लिए विदेशी मुद्रा आय अर्जित होगी।(इन्फोग्राफिक्स देखें)। 
  • शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा: खिलौने मनोरंजन और शैक्षिक संसाधन दोनों के रूप में कार्य करते हैं।
    •  बच्चों के सीखने के अनुभवों को शैक्षिक खिलौनों से समृद्ध किया जा सकता है जो उनमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, कला और गणित (STEAM) जैसे विषयों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करते हैं।
    • जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी और विज्ञान उन्नत हुआ, समस्या-समाधान कौशल, STEM शिक्षा और अवधारणा विकास के माध्यम के रूप में काम करने वाले खिलौनों की मांग में वृद्धि देखी गई।
  • ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना: इससे स्थानीय महिलाओं को पारंपरिक कला का उपयोग करने और स्थानीय बाजारों में अपनी पैठ बनाने में मदद मिलती है।
    • उदाहरण के लिए- झारखंड में महिलाएँ विभिन्न मेलों में नियमित प्रदर्शनियाँ आयोजित करके खिलौने बनाने और बेचने के लिए चूरा, मिट्टी, कपड़े और अन्य चीजों का उपयोग करना सीख रही हैं।

 

भारत में खिलौना उद्योग की संभावनाएँ

  • बाजार का आकार: उपभोक्ताओं के अधिकाधिक जागरूक होने के साथ ही विविध, शैक्षिक और उच्च गुणवत्ता वाले खिलौनों की मांग में वृद्धि हो रही है।
  • उपभोक्ता आधार: भारत की लगभग 25 प्रतिशत आबादी 0-14 वर्ष की श्रेणी में आती है।
  • कम लागत श्रम: KPMG-FICCI के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में कम लागत वाला श्रम खिलौना उद्योग के लिए एक महत्त्वपूर्ण विकास की संभावना प्रदान करता है।
    • भारत में प्रति घंटा श्रम लागत $1.7 है जबकि चीन में यह $5.8 है।
  • खिलौना उद्योग में STEM अवधारणाओं में वृद्धि की उम्मीद: शिक्षा क्षेत्र में खिलौनों के जरिए विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) की अवधारणाओं को शामिल करने की उम्मीद लगातार बढ़ रही है।
    • ये नवोन्मेषी खिलौने बच्चों को डिजिटल युग के लिए आवश्यक कौशल, जैसे कोडिंग और रोबोटिक्स ज्ञान से संबद्ध करेंगे।
  • अंतरराष्ट्रीय समर्थन: भारत के खिलौना निर्माताओं को वैश्विक खरीदारों से समर्थन मिलना शुरू हो गया है। अमेरिका स्थित खुदरा दिग्गज वॉलमार्ट भारतीय आपूर्तिकर्ताओं से खिलौने खरीदने पर विचार कर रही है।
    • वॉलमार्ट ने भारत से कुल $10 बिलियन आयात का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें भारतीय खिलौनों का आयत भी शामिल हैं।
  • चीन प्लस वन रणनीति: ऐसे समय में जब कई देश चीन के उत्पादों के विकल्प की तलाश कर रहे हैं, ऐसे में भारतीय खिलौना उद्योग खिलौनों के आयात के लिए एक वैकल्पिक गंतव्य के रूप में काम कर सकता है।
    • स्टेटिस्टा के अनुसार, चीन वर्ष 2022 में दुनिया का सबसे बड़ा खिलौना बाजार था, जो कुल खिलौना व्यापार मूल्य का 59.2% निर्यात कर रहा था।

खिलौना उद्योग से जुड़ी चुनौतियाँ:

  • असंगठित क्षेत्र: खिलौना उद्योग अभी भी असंगठित है, जिसमें अभी भी स्थानीय उत्पादकों का वर्चस्व है (भारत के 4,000 खिलौना निर्माताओं में से 60% असंगठित हैं) और साथ ही उपकरण और तकनीक में निवेश करने के लिए नवाचार एवं संसाधनों का अभाव है।
    • वर्तमान में अधिकतम खिलौना निर्माता कंपनियाँ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और मध्य भारतीय राज्यों में स्थित हैं।
    • इस क्षेत्र में अत्यंत छोटी इकाइयों का वर्चस्व हो गया है; लगभग 75% सूक्ष्म इकाइयाँ हैं और 22% लघु एवं मध्यम उद्यम हैं। छोटी इकाइयों के लिए उत्पादन गुणवत्ता सुनिश्चित करने और गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO) द्वारा निर्धारित कड़े गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के लिए मशीन और उपकरण खरीदना व्यवहार्य नहीं है।
  • कच्चे माल के लिए आयात निर्भरता: KPMG-FICCI की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को खिलौनों के निर्माण के लिए अधिकांश कच्चे माल और मशीनों को चीन और अन्य एशियाई देशों से आयात करना पड़ता है।
  • प्रौद्योगिकी का अभाव: भारत में खिलौना निर्माण के लिए 3D उत्पाद प्रोटोटाइप जैसी इंजीनियरिंग का अभाव है और साथ ही  में यहाँ वैश्विक गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में मदद करने वाली प्रमाणित परीक्षण सुविधाएं भी नहीं हैं।
    • यहाँ कोई खिलौना डिजाइन संस्थान नहीं है और न ही ऐसा कोई पाठ्यक्रम है। भारत अधिक मैनुअल और पारंपरिक खिलौने बनाता है, जो दुनिया भर में कुल खिलौनों की बिक्री का केवल 16% है।
  • मशीनरी पर उच्च आयात शुल्क: भारत में इलेक्ट्रॉनिक और बैटरी चालित खिलौनों के उत्पादन में वृद्धि हुई है लेकिन छोटे खिलौना निर्माता उच्च आयात शुल्क के कारण उनके उत्पादन के लिए उपकरण नहीं खरीद सकते हैं।
  • अप्रयुक्त क्षमता: विश्व के खिलौना उद्योग जिसका वर्तमान बाजार आकार 10 लाख करोड़ से अधिक है में भारत का योगदान केवल 1% है, जो यह दर्शाता है कि इसमें अपार संभावनाएं हैं।

खिलौना क्षेत्र में सरकारी हस्तक्षेप

  • राष्ट्रीय खिलौना कार्य योजना (NAPT): यह खिलौना उद्योग क्षेत्र में ‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा देने के लिए NAPT के माध्यम से 20 से अधिक मंत्रालयों/विभागों को एक साथ लाकर व्यापक समर्थन प्रदान करता है।
  • सीमा शुल्क में वृद्धि: आयातित खिलौनों पर मूल सीमा शुल्क (BCD) फरवरी 2020 में 20% से बढ़कर 60% और मार्च 2023 में 70% हो गया है, जिसका उद्देश्य घरेलू खिलौना उद्योग को सस्ते आयात से बचना तथा स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहित करना है।
  • QCO में नियम BIS अधिनियम, 2016 की धारा 16 के तहत बनाए गए हैं, जो 14 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों हेतु खिलौनों की सुरक्षा के लिए सात भारतीय मानकों के अनुरूप होना अनिवार्य बनाते हैं।
  • खिलौनों के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO): बाजार में सस्ती गुणवत्ता वाले सामानों की बिक्री को रोकने के लिए, इसे वर्ष 2020 में जारी किया गया था तथा यह 1 जनवरी, 2021 से लागू हुआ है। 
  • परीक्षण सुविधा के बिना सूक्ष्म-बिक्री इकाइयों को लाइसेंस: वर्ष 2020 में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने विशेष प्रावधानों को अधिसूचित किया था, जिससे लघु-इकाइयों को खिलौनों के निर्माण के लिए एक वर्ष के लिए बिना परीक्षण सुविधा के और ‘इन-हाउस’ परीक्षण सुविधा स्थापित किए बिना लाइसेंस प्रदान किया जा सके। जिसे बाद में तीन वर्षों तक बढ़ा दिया गया था।
  • घरेलू खिलौना उद्योग को बढ़ावा देने के लिए क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने ‘पारंपरिक उद्योगों के पुनरुद्धार के लिए निधि योजना’ (SFURTI) के तहत 19 खिलौना समूहों का समर्थन करता है।
  • प्रचारात्मक पहल: स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा देने और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए भी कई पहल की गई हैं, जिनमें भारतीय खिलौना मेला 2021, टॉयकैथॉन आदि शामिल हैं।
  • नोएडा में खिलौना पार्क: इस खिलौना पार्क में खिलौनों के निर्माण और निर्यात के लिए औद्योगिक इकाइयाँ होंगी, जिनमें उच्च गुणवत्ता वाले इलेक्ट्रॉनिक खिलौने, खेल के मैदान के उपकरण, सॉफ्ट खिलौने, स्लाइड, प्लास्टिक के खिलौने, लकड़ी के खिलौने और बोर्ड गेम शामिल हैं।

आगे की राह                        

  • खिलौना उद्योग के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना:भारतीय खिलौना उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार को एक विशेष योजना शुरू करनी चाहिए। इससे न केवल घरेलू बल्कि वैश्विक बाजार के लिए भी उच्च गुणवत्ता वाले खिलौनों का विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित होगा। 
    • इससे अधिक हितधारक इस उद्योग क्षेत्र में शामिल होंगे, जिससे यह एक अधिक संगठित क्षेत्र बन जाएगा और ‘भारत में निर्मित’ खिलौनों की मांग बढ़ेगी।
  • नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देना: भारतीय खिलौना व्यवसाय को समकालीन बाजार में सफल होने के लिए नवाचार और रचनात्मकता को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
    • खिलौना निर्माता खिलौनों में संवर्धित वास्तविकता (Augmented Reality), आभासी वास्तविकता (Virtual Reality) और IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) जैसी तकनीक को शामिल कर सकते हैं क्योंकि यह सीखने और संज्ञानात्मक विकास को प्रोत्साहित करने में मदद करेगा।
  • उद्यमिता को बढ़ावा देना: वित्त, शिक्षा और बुनियादी ढाँचे के विकास के रूप में सरकारी सहायता की मदद से खिलौना उद्यमियों का एक संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जा सकता है।
    • इनक्यूबेटरों और अनुसंधान केंद्रों के माध्यम से नवाचार और उद्यमिता का समर्थन करके, दीर्घकालिक सफलता के लिए आवश्यक वातावरण बनाया जा सकता है।
    • नीति और प्रौद्योगिकी में सुधार के कदम उत्पाद नवाचार का मार्ग प्रशस्त करेंगे। उदाहरण के लिए, छोटा भीम पर आधारित खिलौनों की घरेलू स्तर पर मांग बढ़ी है।
  • वैश्विक हितधारकों से सीखना : भारत खिलौनों की प्रति व्यक्ति खपत में सुधार के लिए  अमेरिका से सीख सकता है, जिसका खिलौना बाजार काफी मजबूत है।
    • दूसरी ओर, चीन को दुनिया की खिलौना फैक्ट्री कहा जाता है। भारत अपनी खिलौना निर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अपनी क्षमता, जैसे कि अपने कार्यबल और तकनीकी क्षमताओं का लाभ उठा सकता है।
  •  उद्योग प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देना: सरकार अतिरिक्त क्लस्टर स्थापित करके, निर्यात सब्सिडी प्रदान करके और भारत के मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) में खिलौनों को शामिल करके इस क्षेत्र की सहायता कर सकती है।
  • कौशल उन्नयन और पुनर्कौशल (Upskilling and Reskilling): देश के 70 लाख कामगारों को उद्योग की बदलती मांगों के अनुकूल ढालने और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने वाले श्रम कानूनों और नियमों को बनाने से हमें आर्थिक लाभ उठाने में मदद मिल सकती है।
  • प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त के लिए संयुक्त सहयोग: भारत को मौजूदा वैश्विक खिलौना केंद्रों जैसे चीन और वियतनाम के एक प्रतिस्पर्धी विकल्प के रूप में स्थापित करने के लिए खिलौना उद्योग और सरकार के बीच सहयोग आवश्यक है। इन प्रयासों में शामिल हैं:
    • एक समर्पित खिलौना नीति का निर्माण एवं कार्यान्वयन
    • राष्ट्रीय रचनात्मक हब (C-Hub) जैसी एक नोडल एजेंसी की स्थापना
    • ब्रांड निर्माण में निवेश
    • क्षेत्रीय कारीगरों के साथ सहयोग करना
    • विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, कला और गणित के खिलौनों का लाभ उठाने के लिए वैश्विक खिलाड़ियों के साथ रणनीतिक गठजोड़।

निष्कर्ष 

भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए खिलौना निर्माण एक आदर्श क्षेत्र है। गुणवत्ता, कौशल और आपूर्ति श्रृंखला चुनौतियों का समाधान भारतीय खिलौना उद्योग के अपेक्षित विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.