भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने केंद्र सरकार को अधिशेष (Surplus) के रूप में 2.1 लाख करोड़ रुपये के हस्तांतरण को मंजूरी प्रदान की।
संबंधित तथ्य
यह केंद्र के लिए एक राजकोषीय लाभ के रूप में है, क्योंकि यह पहले की तुलना में काफी अधिक है।
अंतरिम केंद्रीय बजट 2024-25 में, सरकार ने RBI, राष्ट्रीयकृत बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लाभांश/अधिशेष का अनुमान 1.02 लाख करोड़ रुपये लगाया था।
इसके साथ ही, केंद्रीय बोर्ड ने वित्त वर्ष 2023-24 में आकस्मिक जोखिम बफर को केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट के 6.5 प्रतिशत तक बढ़ाने का भी निर्णय लिया है, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 6 प्रतिशत से अधिक है।
आकस्मिक जोखिम बफर
आकस्मिक बफर जोखिम से तात्पर्य उस धनराशि से है, जो RBI को अपनी वर्तमान देनदारियों (जैसे दिन-प्रतिदिन की लागत, कर्मचारी वेतन आदि) को पूरा करने और मौद्रिक तथा विदेशी मुद्रा कार्यों जैसे अपने वैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने के लिए बनाए रखना होता है।
आकस्मिक बफर जोखिम RBI के आर्थिक पूँजी ढाँचे का हिस्सा होती है।
महत्त्व
यह बफर ‘रेनी डे’ (एक वित्तीय स्थिरता संकट) के लिए होता है और इसे “अंतिम उपाय के ऋणदाता के रूप में अपनी भूमिका” पर विचार करते हुए केंद्रीय बैंक द्वारा बनाए रखा जाता है।
बिमल जालान की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति: अधिशेष और बफर दोनों का निर्धारण आर्थिक पूँजी ढाँचे के आधार पर किया गया है, जैसा कि पूर्व RBI गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की थी।
अधिशेष का कारण
अपेक्षा से अधिक हस्तांतरण केंद्रीय बैंक की विदेशी और घरेलू संपत्तियों तथा विदेशी मुद्रा लेन-देन से ब्याज आय में वृद्धि का परिणाम हो सकता है।
इसने आगामी सरकार के लिए काफी राजकोषीय क्षमता तैयार की है, जब वह मौजूदा राष्ट्रीय चुनावों के बाद पूर्ण बजट पेश करेगी।
अधिशेष का उपयोग
यह अधिशेष, जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.4 प्रतिशत है, का उपयोग निम्नलिखित में से किसी भी तरीके से किया जा सकता है-
इसका उपयोग सरकार के राजकोषीय घाटे में पहले से बताई गई तुलना में अधिक गिरावट लाने के लिए किया जा सकता है – अंतरिम बजट में, सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 में अपने घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 5.8 प्रतिशत से घटाकर वर्ष 2024-25 में 5.1 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा था।
अधिक हस्तांतरण से विनिवेश जैसे क्षेत्रों में संभावित राजस्व कमी को पूरा करने में मदद मिल सकती है।
अगली सरकार अंतरिम बजट में पूँजीगत व्यय के लिए आवंटित राशि को बढ़ाने का विकल्प भी चुन सकती है।
बजटीय पूँजीगत व्यय 11.1 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद का 3.4 प्रतिशत आँका गया था।
10 वर्ष की बॉण्ड यील्ड में गिरावट का असर बाजार पर पहले से ही महसूस किया जा रहा है।
अन्य संबंधित तथ्य
वित्त वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 9.5 प्रतिशत घाटे की घोषणा करते हुए इसे वर्ष 2025-26 तक 4.5 प्रतिशत से नीचे लाने का प्रतिबद्धता जताई थी।
केंद्र का पूँजीगत व्यय और जीडीपी अनुपात वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी के 2.5 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 3.23 प्रतिशत और वर्ष 2024-25 (अंतरिम बजट) में 3.4 प्रतिशत हो गया है, जिससे इसके व्यय की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
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