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डिजिटलीकरण के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा में परिवर्तन

Lokesh Pal January 24, 2025 03:12 170 0

संदर्भ

हाल ही में WEF का आलेख, ‘भारत डिजिटल स्वास्थ्य में वैश्विक पथप्रदर्शक बन सकता है’, जारी किया गया, जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार भारत की डिजिटल स्वास्थ्य सेवा पहल देश को स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनाती है।

संबंधित तथ्य

  • रिपोर्ट में सार्वजनिक-निजी भागीदारी की भूमिका, अंतर-संचालन के महत्त्व तथा सशक्त डेटा गवर्नेंस ढाँचे की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
  • यह इस बात पर जोर देता है कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) और डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना (DHIS) जैसी भारत की पहल डिजिटल स्वास्थ्य सेवा परिवर्तन के लिए वैश्विक मानक स्थापित कर सकती है।

डिजिटल स्वास्थ्य

  • डिजिटल स्वास्थ्य, स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल तकनीकों का उपयोग है।
  • इसमें कई तरह की तकनीकें तथा अनुप्रयोग शामिल हैं, जैसे:
    • इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य
    • मोबाइल स्वास्थ्य (mHealth)
    • टेलीहेल्थ
    • स्वास्थ्य सूचना प्रौद्योगिकी (IT)
    • पहनने योग्य चिकित्सा उपकरण
    • चिकित्सा उपकरण के रूप में सॉफ्टवेयर (SaMD)
    • व्यक्तिगत चिकित्सा

भारत में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना

  • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) 
    • वर्ष 2021 में लॉन्च किए गए ABDM का उद्देश्य अद्वितीय स्वास्थ्य ID के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं तथा रोगियों को एकीकृत करके एक राष्ट्रव्यापी डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।
    •  उद्देश्य: स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे, निगरानी तथा स्वास्थ्य अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण अंतराल को भरना – शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में ताकि समुदाय इस तरह की महामारी/स्वास्थ्य संकटों के प्रबंधन में आत्मनिर्भर हो सकें।
    • ABDM की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:
      • स्वास्थ्य पहचान: व्यक्तियों के लिए चिकित्सा रिकॉर्ड संगृहीत करने और साझा करने के लिए एक अद्वितीय पहचानकर्ता।
      • हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स रजिस्ट्री (HPR): पंजीकृत हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स का एक व्यापक डेटाबेस।
      • हेल्थ फैसिलिटी रजिस्ट्री (HFR): संपूर्ण भारत में हेल्थकेयर सुविधाओं का एक डिजिटल संग्रह।
      • यूनिफाइड हेल्थ इंटरफेस (UHI): डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा प्रदान करने वाला एक ओपन नेटवर्क।
      • आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (ABHA): यह मिशन सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी या हार्डवेयर अथवा दोनों क्षेत्रों के लिए आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (ABHA) बनाने के लिए सहायता प्राप्त तथा ऑफलाइन मोड प्रदान करता है।
      • डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना (DHIS): अस्पतालों, क्लीनिकों और हेल्थकेयर स्टार्टअप्स को डिजिटल तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे पेपरलेस हेल्थकेयर सिस्टम में बदलाव में तीव्रता आती है।

    • अनुसंधान और विकास: हाल ही में सितंबर 2024 में, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) तथा IIT कानपुर ने एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
      • आईआईटी कानपुर द्वारा विभिन्न मशीन लर्निंग मॉडल पाइपलाइनों में एक संघीय शिक्षण मंच, एक गुणवत्ता-संरक्षण डेटाबेस, एआई मॉडल की तुलना और सत्यापन के लिए एक खुला बेंचमार्किंग प्लेटफॉर्म तथा ABDM के तहत अनुसंधान हेतु एक सहमति प्रबंधन प्रणाली विकसित की जाएगी।
    • उपलब्धियाँ
      • 20 जनवरी, 2025 तक 73 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (ABHA) सफलतापूर्वक खोले जा चुके हैं। 
      • 5 लाख से ज्यादा स्वास्थ्य पेशेवर पंजीकृत हैं।
      •  उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात आयुष्मान भारत खाताधारकों वाले शीर्ष 5 राज्य हैं। कुल लाभार्थियों में से 49.15% महिलाएँ हैं।
  • ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा
    • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) द्वारा वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म, दूरस्थ परामर्श को सक्षम बनाता है, जिससे भौतिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर बोझ कम होता है।
    • इस प्लेटफॉर्म में दो मॉड्यूल शामिल हैं
      • ई-संजीवनी OPD: दूरस्थ रूप से डॉक्टर से मरीज के परामर्श की सुविधा प्रदान करना।
      • ई-संजीवनी AB-HWC: दूरदराज के क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवा पहुँच के लिए स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एHealth and Wellness Centers- HWC) को विशेषज्ञ डॉक्टरों से जोड़ना।
  • यू-विन पोर्टल 
    • अक्टूबर 2024 में लॉन्च किया गया यू-विन पोर्टल टीकाकरण सेवाओं के पूर्ण डिजिटलीकरण और सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं और जन्म से 17 वर्ष तक के बच्चों के लिए टीकाकरण रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए विकसित किया गया है।
    • डिजिटल प्लेटफॉर्म की नागरिक-केंद्रित सेवाओं में शामिल हैं ‘
      • ‘कभी भी पहुँच’ तथा ‘कहीं भी’ टीकाकरण सेवाएँ,
      • U-WIN वेब-पोर्टल या U-WIN नागरिक मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके नागरिकों द्वारा स्व-पंजीकरण
      • यूनिवर्सल क्यूआर-आधारित ई-टीकाकरण प्रमाण-पत्र और
      • अपने लिए आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (ABHA) आई.डी. और अपने बच्चों के लिए चाइल्ड ABHA आई.डी. बनाएँ।
    • पोर्टल हिंदी सहित 11 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है।
    • नवंबर 2024 तक 7.43 करोड़ लाभार्थियों को पंजीकृत किया जा चुका है, 1.26 करोड़ टीकाकरण सत्र आयोजित किए जा चुके हैं तथा 27.77 करोड़ प्रशासित वैक्सीन खुराकें U-WIN पर दर्ज की जा चुकी हैं।
  • आरोग्य सेतु ऐप
    • इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य ऐप में बदल दिया गया है, जो ABDM द्वारा संचालित डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं की एक पूरी शृंखला को समाहित करता है।
    • सेवाएँ
      • आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (ABHA) के लिए पंजीकरण।
      • डिजिटल लैब रिपोर्ट, नुस्खे और निदान तक सहज पहुँच।
      • ई-संजीवनी OPD के माध्यम से ऑनलाइन डॉक्टर की नियुक्तियाँ।
      • कोविड-19 टीकाकरण प्रमाण-पत्र डाउनलोड या अपडेट करने की सुविधा।
  • ई-अस्पताल पहल
    • अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली (HMIS): SaaS मॉडल का उपयोग करके सरकारी अस्पतालों के लिए आंतरिक वर्कफ्लो को सरल बनाता है।
    • संबद्ध प्लेटफॉर्म 
      • ई-ब्लडबैंक: व्यापक रक्त बैंक प्रबंधन।
      • ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली (ORS): ABHA से जुड़ी अस्पताल सेवाओं तक ऑनलाइन पहुँच को सक्षम बनाता है।
  • राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Tele Mental Health Programme- Tele-MANAS)
    • देश में गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाओं तक पहुँच को और बेहतर बनाने के लिए सरकार द्वारा इसे 10 अक्टूबर, 2022 को लॉन्च किया गया था।
    • प्रगति
      • 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 53 टेली-मानस सेल स्थापित किए गए।
      • जनवरी 2025 तक 17.6 लाख कॉल का प्रबंधन किया गया।

डिजिटल स्वास्थ्य सेवा को आकार देने वाली प्रमुख नीतियाँ

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति  (NHP) 2017
    • NHP, 2017 स्वास्थ्य सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर देता है।
    • यह पहुँच तथा दक्षता में सुधार के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड, स्वास्थ्य सूचना प्रणाली और टेलीमेडिसिन की वकालत करता है।
    • उद्देश्य: विशेष रूप से ग्रामीण और कम सेवा वाले क्षेत्रों में सेवा वितरण में अंतराल को दूर करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा ढाँचे के भीतर डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को एकीकृत करना।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM)
    • NHP एक ऐसा कार्यक्रम है, जो NHP के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य करता है।
    • NHP निम्नलिखित के लिए सहायता प्रदान करता है:
      • स्वास्थ्य अवसंरचना में सुधार
      • स्वास्थ्य सुविधाओं में पर्याप्त मानव संसाधनों की उपलब्धता
      • विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में वंचित तथा हाशिए पर पड़े समूहों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता और पहुँच में सुधार करना।
    • दो उप-मिशन
      • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM)
      • राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (NUHM)
    • जनवरी 2025 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को अगले पाँच वर्षों के लिए जारी रखने की मंजूरी दी।
  • स्वास्थ्य डेटा प्रबंधन नीति (HDM Policy)
    • इसे दिसंबर 2020 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किया गया था, जो डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड के लिए डेटा गोपनीयता, सुरक्षा और शासन मानकों को रेखांकित करता है।
    • यह रोगी की सहमति, डेटा गोपनीयता और सुरक्षित डेटा एक्सचेंज सुनिश्चित करता है।
    • नीति निर्दिष्ट करती है कि व्यक्ति की सहमति के बिना बीमा और दवा कंपनियों सहित किसी भी अन्य इकाई के साथ कोई डेटा साझा नहीं किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (NDHM)
    • डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर भारत में स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2020 में इस मिशन की शुरुआत की गई थी।
    • विजन: इसका उद्देश्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है।
    • संरेखण: यह स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढाँचा बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 तथा राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य ब्लूप्रिंट (NDHB) के साथ संरेखित है।
    • प्रमुख घटक
      • स्वास्थ्य पहचान-पत्र (ABHA): व्यक्तियों के लिए अपने स्वास्थ्य रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से एक्सेस करने और संगृहीत करने के लिए एक अद्वितीय पहचानकर्ता।
      • डिजी डॉक्टर: प्रमाणित डॉक्टरों के बारे में विस्तृत जानकारी रखने वाला एक संग्रह, जिसमें योग्यता और अनुभव शामिल हैं।
      • स्वास्थ्य सुविधा रजिस्टर (HFR): संपूर्ण भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं का एक केंद्रीकृत डेटाबेस।
      • व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड (PHR): इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड, जो व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य संबंधी जानकारी संगृहीत करते हैं।
      • इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड (EMR): रोगियों के व्यापक चिकित्सा और उपचार इतिहास को संगृहीत करने के लिए एक वेब-आधारित प्रणाली।

    • डेटा सुरक्षा तथा अंतरसंचालनीयता: यह मिशन स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र में डेटा गोपनीयता और सुरक्षित अंतरसंचालनीयता सुनिश्चित करने के लिए एक संयुक्त तंत्र का उपयोग करता है।
  • प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM-ABHIM)
    • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) है, जिसका उद्देश्य देश भर में स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे और प्रणालियों में सुधार करना है जो प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक देखभाल सेवाओं पर केंद्रित है।
    • स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे, निगरानी तथा अनुसंधान में अंतराल को दूर करने के लिए शुरू किया गया।
      • इसका उद्देश्य भविष्य की महामारियों और आपदाओं से निपटने के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों को तैयार करना भी है।
    • योजना अवधि: वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक।

भारत: डिजिटल हेल्थकेयर में वैश्विक नेतृत्व तथा सहयोग

  • वैश्विक पथप्रदर्शक के रूप में भारत: अपनी विविध जनसंख्या, मजबूत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना तथा नवोन्मेषी निजी क्षेत्र के कारण भारत डिजिटल स्वास्थ्य परिवर्तन में सबसे आगे है।
    • WHO  ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन डिजिटल हेल्थ (GIDH) के एक प्रमुख प्रस्तावक के रूप में, भारत वैश्विक सहयोग, अंतर-संचालन तथा डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों तक समान पहुँच को बढ़ावा देता है।
    • वर्ष 2023 में G20 शिखर सम्मेलन की भारत की अध्यक्षता ने वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य ढाँचे को आगे बढ़ाने में अपनी भूमिका पर प्रकाश डाला।
  • अनुकरणीय डिजिटल स्वास्थ्य मॉडल: आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) जैसी भारत की डिजिटल स्वास्थ्य पहल विकासशील देशों के लिए आदर्श के रूप में कार्य करती है।
    • CoWIN प्लेटफॉर्म: 2 बिलियन से अधिक टीकाकरण का प्रबंधन किया गया है तथा इसे कई देशों द्वारा अपने टीकाकरण अभियान के लिए अपनाया गया है।
    • ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म: लाखों दूरस्थ परामर्शों को सक्षम किया गया, जिससे स्वास्थ्य सेवा संबंधी असमानताओं को पाटने में टेलीमेडिसिन की क्षमता का प्रदर्शन हुआ।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPPs): स्वास्थ्य सेवा में नवाचार और मापनीयता के लिए सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग आवश्यक है।
    • विश्व आर्थिक मंच द्वारा डिजिटल हेल्थकेयर ट्रांसफॉर्मेशन (DHT) पहल जैसी पहलों का उद्देश्य वैश्विक उपयोग के लिए स्केलेबल सार्वजनिक-निजी मॉडल का प्रदर्शन करना है।
  • सीमा पार सहयोग: भारत सीमा पार डिजिटल स्वास्थ्य साझेदारी का समर्थन करता है:
    • स्वास्थ्य सेवा प्रौद्योगिकी में अतिरेक को समाप्त करना।
    • AI-संचालित निदान, ब्लॉकचेन-आधारित स्वास्थ्य रिकॉर्ड और टेलीमेडिसिन में नवाचार को गति देना।
    • बढ़ती लागत, असमान पहुँच और पुरानी बीमारियों के बोझ जैसी सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा चुनौतियों का समाधान करना।
  • स्केलेबल तथा लागत प्रभावी समाधान: भारत के स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र में अन्य देशों के लिए अनुकूलनीय स्केलेबल, लागत प्रभावी समाधान सिद्ध हुए हैं-
    • आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (ABHA) व्यक्तियों को स्वास्थ्य रिकॉर्ड पर नियंत्रण प्रदान करता है।
    • U-WIN पोर्टल व्यापक टीकाकरण रिकॉर्ड डिजिटलीकरण सुनिश्चित करता है।
  • भारत की डिजिटल स्वास्थ्य सेवा सफलता की मान्यता
    • विश्व आर्थिक मंच सहित वैश्विक संगठन भारत की डिजिटल सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों को नवाचार, समानता तथा मापनीयता के मानक के रूप में स्वीकार करते हैं।
    • वर्ष 2024 में शुरू की गई DHT पहल, वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को बढ़ावा देने के लिए ज्ञान के आदान-प्रदान और बहु-हितधारक जुड़ाव पर जोर देती है।
  • भविष्य का दृष्टिकोण: भारत निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित करके वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए तैयार है-
    • प्रारंभिक पहचान तथा कुशल निदान के लिए AI-संचालित स्वास्थ्य सेवा नवाचार।
    • सुरक्षित तथा अंतर-संचालनीय स्वास्थ्य डेटा प्रबंधन के लिए ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकियाँ।
    • संवेदनशील स्वास्थ्य जानकारी की सुरक्षा के लिए उन्नत साइबर सुरक्षा ढाँचे।

भारत में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा परिवर्तन के अवसर

  • बेहतर पहुँच: ई-संजीवनी जैसे प्लेटफॉर्म ने 30 करोड़ से अधिक परामर्श आयोजित किए हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाएँ दूरदराज और वंचित क्षेत्रों तक पहुँच रही हैं।
    • टेलीमेडिसिन सेवाओं ने भौगोलिक बाधाओं को दूर करते हुए, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान, भौतिक यात्राओं की आवश्यकता को कम कर दिया है।
  • टीकाकरण के लिए मापनीय समाधान: CoWIN प्लेटफॉर्म ने 2 बिलियन से अधिक वैक्सीन खुराक के प्रशासन की सुविधा प्रदान की और इसे कई देशों द्वारा अपनाया गया।
    • इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि किस प्रकार डिजिटल प्लेटफॉर्म बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य पहलों का प्रबंधन प्रभावी ढंग से कर सकते हैं।
  • बेहतर स्वास्थ्य डेटा प्रबंधन: आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) एकीकृत स्वास्थ्य इंटरफेस (UHI) के माध्यम से स्वास्थ्य रिकॉर्ड को एकीकृत करता है, जिससे सुरक्षित डेटा साझा करना संभव होता है।
    • अब मरीजों को ABHA जैसे प्लेटफॉर्मों के माध्यम से व्यापक स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक पहुँच प्राप्त है।
  • निदान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता: ABDM के तहत IIT कानपुर के साथ सहयोग निदान के लिए AI का लाभ उठाता है, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों में प्रारंभिक पहचान में सुधार होता है।
    • पूर्वोत्तर भारत में कैंसर देखभाल में AI-संचालित पहल विशेष देखभाल की क्षमता को प्रदर्शित करती है।
  • डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से आर्थिक लाभ: जन औषधि केंद्रों जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म ने नागरिकों को दवाओं पर ₹30,000 करोड़ की बचत प्रदान की है।
    • कम उपचार लागत तथा मध्यम आय वर्ग की आबादी के लिए वहनीयता बढ़ाती है।
  • वैश्विक नेतृत्व और प्रतिकृति: भारत के CoWIN और ABDM प्लेटफॉर्म अब वैश्विक उदाहरण हैं, जिन्हें टीकाकरण और स्वास्थ्य रिकॉर्ड प्रबंधन के लिए अन्य देशों द्वारा अपनाया गया है।
    • WHO ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन डिजिटल हेल्थ (GIDH) में भारत की सक्रिय भूमिका इसके नेतृत्व पर जोर देती है।

भारत में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा परिवर्तन की चुनौतियाँ

  • डिजिटल डिवाइड: प्रगति के बावजूद, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रायः विश्वसनीय इंटरनेट और डिजिटल साक्षरता की कमी होती है, जिससे डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सीमित हो जाती है।
    • भारतनेट का लक्ष्य इस अंतर को पाटना है, लेकिन कई दूरदराज के क्षेत्रों में हाई-स्पीड कनेक्टिविटी अभी भी उपलब्ध नहीं है।
  • विखंडित हेल्थकेयर इकोसिस्टम: स्वास्थ्य डेटा साइलो में मौजूद है, जिससे अंतरसंचालनीयता एक चुनौती बन जाती है।
    • निजी और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच सीमित एकीकरण, एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र में संक्रमण को धीमा कर देता है।
  • गोपनीयता और डेटा सुरक्षा चिंताएँ: केवल 20% स्वास्थ्य सेवा प्रदाता स्वास्थ्य डेटा प्रबंधन नीति मानकों का पूरी तरह से अनुपालन करते हैं।
    • जैसे-जैसे डिजिटल स्वास्थ्य अपनाने की प्रक्रिया बढ़ती है, मजबूत एन्क्रिप्शन और सहमति तंत्र की आवश्यकता महत्त्वपूर्ण होती जाती है।
  • कम बीमाकरण: भारत में बीमा तक केवल 1% पहुँच है, जबकि वैश्विक औसत 7% है।
    • सीमित वित्तीय कवरेज के कारण कई नागरिक डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं का खर्च नहीं उठा सकते हैं।
  • मानकीकरण की कमी: समान स्वास्थ्य रिकॉर्ड प्रारूपों की अनुपस्थिति अंतरसंचालनीयता और एक्सचेंज को जटिल बनाती है।
    • अपोलो और मैक्स जैसी निजी अस्पताल शृंखलाएँ उन्नत प्रणालियों का उपयोग करती हैं, लेकिन प्रदाताओं के बीच डेटा पोर्टेबल नहीं है।
  • परिवर्तन का प्रतिरोध: कई स्वास्थ्य सेवा प्रदाता अभी भी मैनुअल प्रक्रियाओं पर निर्भर हैं, जो डिजिटल प्रणालियों को बोझिल पाते हैं।
    • स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के बीच अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों और वित्तीय प्रोत्साहनों की आवश्यकता है।

भारत में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा परिवर्तन के लिए आगे की राह

  • डिजिटल डिवाइड के अंतर को समाप्त करना: भारतनेट जैसी पहलों के माध्यम से  विशेषतः दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करना।
    • वंचित आबादी के बीच डिजिटल अपनाने में सुधार के लिए जागरूकता और साक्षरता अभियान शुरू करना।
  • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा को मजबूत करना: स्वास्थ्य डेटा प्रबंधन नीति के तहत मजबूत ढाँचे को लागू करना, रोगी की सहमति और सुरक्षित डेटा साझाकरण सुनिश्चित करना।
    • संवेदनशील स्वास्थ्य जानकारी को उल्लंघनों से बचाने के लिए उन्नत साइबर सुरक्षा उपायों में निवेश करना।
  • अंतरसंचालनीयता और मानकीकरण को बढ़ावा देना: स्वास्थ्य डेटा एक्सचेंज के लिए समान मानक विकसित करना, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच निर्बाध एकीकरण सुनिश्चित करना।
    • डेटा स्थिरता और उपयोगिता बढ़ाने के लिए SNOMED तथा LOINC जैसे मानकों को लागू करना।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को प्रोत्साहित करना: नवीनतम समाधानों को बढ़ाने के लिए सरकारी निकायों, निजी अस्पतालों और स्वास्थ्य-तकनीक कंपनियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।
    • नई पहलों के लिए उदाहरण के रूप में ई-संजीवनी और ABDM जैसे सफल मॉडल का उपयोग करना।
  • क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना: स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म और उपकरणों पर प्रशिक्षण प्रदान करना, जिससे प्रौद्योगिकी अपनाने के प्रति प्रतिरोध कम हो।
    • DHIS जैसी योजनाओं के तहत डिजिटल तंत्र में बदलाव के लिए अस्पतालों तथा पेशेवरों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • स्वास्थ्य सेवा में AI को लागू करना: पूर्वानुमानित निदान, व्यक्तिगत उपचार और कुशल संसाधन आवंटन के लिए AI और मशीन लर्निंग को एकीकृत करना।
    • सुरक्षित, छेड़छाड़-रहित स्वास्थ्य रिकॉर्ड तथा डेटा इंटरऑपरेबिलिटी के लिए ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करना।
    • नीति आयोग प्रौद्योगिकी दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट तथा मेडिकल स्टार्ट-अप फोरस हेल्थ के साथ मिलकर कार्य कर रहा है ताकि डायबिटिक रेटिनोपैथी का जल्द पता लगाने के लिए स्वचालित समाधान विकसित किया जा सकता है।

SNOMED CT (चिकित्सा का व्यवस्थित नामकरण- नैदानिक शर्तें) तथा LOINC (तार्किक अवलोकन पहचानकर्ता नाम और कोड) दो कोडिंग मानक हैं, जिनका उपयोग स्वास्थ्य देखभाल में रोगी डेटा में त्रुटियों को कम करने के लिए किया जाता है।

वे कैसे कार्य करते हैं:

  • LOINC: परीक्षण विधि को कोड करता है, जैसे कि रक्त संस्कृति या सीरम ग्लूकोज परीक्षण। LOINC कोड का उपयोग नैदानिक ​​और प्रयोगशाला अवलोकन के लिए किया जाता है।
  • SNOMED CT: गैर-संख्यात्मक उत्तरों को कोड करता है, जैसे कि किसी जटिल परीक्षण का परिणाम।
    • SNOMED CT का उपयोग रोग, शरीर रचना और प्रक्रियाओं सहित नैदानिक ​​चिकित्सा के लिए किया जाता है।

निष्कर्ष

भारत के डिजिटल हेल्थकेयर परिवर्तन में स्वास्थ्य सेवा की पहुँच और दक्षता बढ़ाने की अपार संभावनाएँ हैं। निरंतर नीति समर्थन, बुनियादी ढाँचे के विकास और सार्वजनिक-निजी सहयोग के साथ, भारत डिजिटल स्वास्थ्य में वैश्विक नेता के रूप में उभरने के लिए तैयार है। डिजिटल स्वास्थ्य और तकनीकी प्रगति में बढ़ते निवेश के साथ, भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को डिजिटल परिवर्तन के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त मॉडल के रूप में विकसित होने की उम्मीद है, जो अन्य विकासशील देशों के लिए मानक स्थापित करेगा।

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