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अनुभवात्मक अधिगम के माध्यम से भारतीय शिक्षा में परिवर्तन

Lokesh Pal May 30, 2025 02:51 37 0

संदर्भ

भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली रटने पर और परीक्षा में अच्छे प्रदर्शन को प्राथमिकता देती है, लेकिन आलोचनात्मक सोच एवं समस्या-समाधान कौशल को बढ़ावा देने के लिए अनुभवात्मक अधिगम की ओर बदलाव आवश्यक है।

अनुभवात्मक अधिगम (Experiential Learning- EL) के बारे में

  • परिभाषा: एक शिक्षार्थी-केंद्रित दृष्टिकोण, जहाँ ज्ञान को व्यावहारिक अनुभव, प्रतिबिंब और अनुप्रयोग के माध्यम से प्राप्त किया जाता है, जिसमें ‘प्रयोगात्मक अधिगम’ (क्रियामूलक ज्ञान) पर जोर दिया जाता है।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • यह परिणाम से अधिक प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करता है, सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देता है।
    • आलोचनात्मक सोच, समस्या-समाधान कौशल, रचनात्मकता एवं सहयोग कौशल का निर्माण करता है।
    • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के समग्र, कौशल-आधारित शिक्षा पर जोर को संरेखित करता है।
  • प्रासंगिकता: यह भारत की परीक्षा-केंद्रित प्रणाली की सीमाओं को संबोधित करता है, जो ‘ब्लूम वर्गीकरण’ (Bloom Taxonomy) के अनुसार रटने की आदत और निम्न-क्रम की सोच कौशल (याद करने, समझने) को प्राथमिकता देता है।

अनुभवात्मक अधिगम की सैद्धांतिक पृष्ठभूमि

  • डेविड कोल्ब (David Kolb) ने वर्ष 1984 में जॉन डेवी (John Dewey), कर्ट लेविन (Kurt Lewin) और जीन पियाजे (Jean Piaget) के कार्यों के आधार पर अनुभवात्मक अधिगम सिद्धांत (Experiential Learning Theory – ELT) का विकास किया।

  • डेविड कोल्ब का अनुभवात्मक अधिगम चक्र
    • ठोस अनुभव (करना): पर्यावरण के साथ अंतर्संबंध स्थापित करने के लिए इंद्रियों को संलग्न करना।
    • चिंतनशील अवलोकन (चिंतन): अनुभवों का विश्लेषण करना, संज्ञानात्मक असंगति की पहचान करना।
    • अमूर्त अवधारणा (सोचना): नई जानकारी को तर्कसंगत बनाना, मेंटल मॉडल को अद्यतित करना।
    • सक्रिय प्रयोग (लागू करना): समस्याओं को हल करने के लिए ज्ञान को लागू करना, जिससे नए अनुभव प्राप्त होते हैं।
  • सीखने की शैलियाँ [डेविड कोल्ब (Kolb)]
    • अपसारण (Diverging): ठोस अनुभव + चिंतनशील अवलोकन (कल्पनाशील, भावना-उन्मुख)।
    • आत्मसात (Assimilating): अमूर्त अवधारणा + चिंतनशील अवलोकन (सैद्धांतिक, प्रेरक)।
    • अभिसरण (Converging): अमूर्त अवधारणा + सक्रिय प्रयोग (समस्या-समाधान, तकनीकी)।
    • समायोजन (Accommodating): ठोस अनुभव + सक्रिय प्रयोग (सहज, अनुकूली)।

भारत को अनुभवात्मक अधिगम की आवश्यकता क्यों है?

  • परीक्षा-केंद्रित दृष्टिकोण: रटने को प्राथमिकता दी जाती है, जिसमें छात्र ज्ञान का प्रयोग नहीं करते हैं।
    • 80% छात्र अनुप्रयोग-आधारित प्रश्नों से जूझते हैं (ASER रिपोर्ट, 2023)।
  • सीमित कौशल विकास: समस्या-समाधान, सहयोग और संचार जैसे 21वीं सदी के कौशल को बढ़ावा देने में विफल रहता है।
    • NEP 2020 (शिक्षा मंत्रालय) के अनुसार, रटने से आलोचनात्मक सोच और व्यावहारिक कौशल सीमित हो जाते हैं।
  • असमान पहुँच और खराब बुनियादी ढाँचा: शहरी-ग्रामीण और सार्वजनिक-निजी विभाजन, ग्रामीण स्कूलों में बुनियादी ढाँचे की कमी होना।
    • UDISE+ 2021-22 (शिक्षा मंत्रालय) से पता चलता है कि 44.75% स्कूलों में कंप्यूटर हैं, 33.9% में इंटरनेट है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में अंतराल मौजूद है।
  • अपर्याप्त शिक्षक प्रशिक्षण: शिक्षकों में आधुनिक शिक्षाशास्त्र में कौशल की कमी है, वे व्याख्यान-आधारित विधियों पर निर्भर हैं।
    • वर्ष 2020 के NCTE सर्वेक्षण में पाया गया कि 70% से अधिक सेवारत शिक्षकों के पास अनुभवात्मक या योग्यता-आधारित शिक्षाशास्त्र में कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं था।
  • एक समान पाठ्यक्रम: सभी के लिए एक जैसा दृष्टिकोण विविध अधिगम शैलियों और कमजोर आधारभूत कौशलों की अनदेखी करता है।
    • ASER 2022 के अनुसार,  ग्रेड 8 के 30.5% छात्र कक्षा 2 के स्तर का पाठ नहीं पढ़ सकते हैं, जो अंतराल को दर्शाता है।
  • प्रणालीगत अप्रस्तुतता: शिक्षक-केंद्रित से छात्र-संचालित कक्षाओं में परिवर्तन अभी भी विकसित हो रहा है।
    • अधिकांश कक्षाएँ अभी भी इस धारणा के तहत संचालित होती हैं कि सीखने की प्रक्रिया सुनने से विकसित होती है।
  • कठोर एवं अतिभारित पाठ्यक्रम: उच्च कक्षाओं के लिए NCERT की पाठ्यपुस्तकें अभी भी न्यूनतम प्रोजेक्ट-आधारित या वास्तविक दुनिया के एकीकरण के साथ सैद्धांतिक सामग्री पर जोर देती हैं।
    • कक्षा 9-12 में छात्र प्रायः 6-7 विषय पढ़ते हैं, जिनमें से प्रत्येक का पाठ्यक्रम बड़ा होता है, जिससे व्यावहारिक गतिविधियों के लिए बहुत कम समय बचता है।

अनुभवात्मक अधिगम का महत्त्व

  • आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान कौशल को मजबूत करता है: अनुभवात्मक अधिगम शिक्षार्थियों को जटिल वास्तविक जीवन परिदृश्यों में उलझा देता है, जहाँ उन्हें समस्याओं की पहचान करनी होती है, मूल कारणों का विश्लेषण करना होता है और समाधान तैयार करना होता है।
    • उदाहरण: CBSE के ‘समस्या समाधान मूल्यांकन’ (PSA) ने छात्रों को वास्तविक जीवन की स्थितियों के माध्यम से कार्य करने की आवश्यकता को एकीकृत किया।
  • अवधारणा एवं समझ में सुधार करता है: निष्क्रिय रूप से सुनने की तुलना में अनुभवात्मक अधिगम से बेहतर स्मृति समेकन होता है।
  • समग्र विकास को बढ़ावा देता है: मन, शरीर और भावना को संबद्ध कर संपूर्ण-बाल विकास के दृष्टिकोण को पूरा करता है।
    • भावनात्मक बुद्धिमत्ता, सामाजिक संवेदनशीलता, नैतिक तर्क को प्रोत्साहित करता है।
    • दिल्ली का हैप्पीनेस करिकुलम (Happiness Curriculum) भावनात्मक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए अनुभवात्मक रणनीतियों के रूप में कहानी सुनाना, समूह साझा करना और आत्म-प्रतिबिंब का उपयोग करता है।
  • कौशल विकास और कॅरियर को बढ़ावा देता है: इंटर्नशिप, प्रोजेक्ट और सिमुलेशन के माध्यम से, EL सॉफ्ट स्किल्स (संचार, टीमवर्क) और हार्ड स्किल्स (कोडिंग, लेखन, मॉडल बनाना) दोनों का निर्माण करता है।
    • ग्रेड 6 से व्यावसायिक प्रशिक्षण के NEP 2020 के लक्ष्य के साथ संरेखित करता है।
  • प्रेरणा एवं छात्र जुड़ाव को प्रोत्साहित करता है: इसे वास्तविक दुनिया के अर्थ से जोड़कर सीखने को आनंददायक एवं प्रासंगिक बनाता है।
    • जब सीखना लक्ष्य-निर्देशित और सामाजिक रूप से आधारित होता है, तो छात्र अधिक भागीदारी दिखाते हैं।
    • आत्मनिर्णय सिद्धांत (Self-Determination Theory) (डेसी एवं रयान) के अनुसार, स्वायत्तता एवं सार्थकता आंतरिक प्रेरणा को बढ़ाती है, जो अनुभवात्मक अधिगम (EL) की मुख्य विशेषताएँ हैं।
  • बहुविषयक और एकीकृत अधिगम को सक्षम बनाता है: छात्र विभिन्न विषयों में अवधारणाओं को जोड़ते हैं, जिससे रचनात्मकता एवं प्रणालीगत सोच में वृद्धि होती है।
    • ऐसा अधिगम प्रणाली जलवायु परिवर्तन, सार्वजनिक स्वास्थ्य आदि जैसी वास्तविक दुनिया की चुनौतियों को हल करने के लिए आवश्यक है।
    • उदाहरण: ‘स्वच्छ ऊर्जा’ पर एक परियोजना भौतिकी (सौर पैनल), अर्थशास्त्र (लागत-लाभ), और नैतिकता (पहुँच की समानता) को एकीकृत कर सकती है।
  • चिंतनशील एवं आजीवन शिक्षार्थी बनाता है: चिंतनशील घटक (पत्रिकाएँ, चर्चाएँ, आत्म-मूल्यांकन) आत्म-जागरूकता, विकास मानसिकता और अधिगम कौशल को विकसित करते हैं।
    • आजीवन जिज्ञासा और अनुकूलनशीलता को बढ़ावा देता है, जो 21वीं सदी की ज्ञान अर्थव्यवस्था के मूल हैं।
  • शिक्षकों की भूमिका में बदलाव (प्रशिक्षक से सुविधाकर्ता तक): शिक्षक मार्गदर्शक, संरक्षक एवं सह-शिक्षार्थी बन जाते हैं।
    • व्यक्तिगत प्रतिक्रिया एवं सहयोगात्मक अर्थ-निर्माण को बढ़ावा देता है।

भारतीय संदर्भ में अनुभवात्मक अधिगम

  • ऐतिहासिक और दार्शनिक आधार: भारत में अनुभवात्मक अधिगम की समृद्ध विरासत है, जो पश्चिम में इसके सिद्धांत विकसित होने से बहुत पहले से है।
  • गुरुकुल प्रणाली: प्राचीन शिक्षा में गुरु के मार्गदर्शन में कृषि, तीरंदाजी, शिल्पकला और दार्शनिक विचार सहित अनुभवात्मक अधिगम शामिल था।
  • रबींद्रनाथ टैगोर का शांतिनिकेतन: प्रकृति-आधारित, कला-एकीकृत और समग्र शिक्षा को बढ़ावा दिया। उनकी शिक्षा पद्धति ने रचनात्मकता और भावना के साथ क्षेत्र अवलोकन को सम्मिलित किया था।
  • महात्मा गांधी की नई तालीम (बुनियादी शिक्षा)
    • उत्पादक कार्य के माध्यम से शिक्षा पर जोर दिया।
    • सिर, दिल और हाथ को एकीकृत करने का लक्ष्य रखा गया।
    • माना जाता है कि वास्तविक शिक्षा शारीरिक श्रम + नैतिक प्रशिक्षण + बुद्धि से आती है।

‘शिक्षा से मेरा तात्पर्य है बच्चे और मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा की सर्वोत्तम विशेषताओं को सामने लाना।’                                                                                                – एम. के. गांधी

अनुभवात्मक अधिगम को बढ़ावा देने वाली राष्ट्रीय स्तर की पहल

  • अनुभवात्मक अधिगम पर CBSE परिपत्र (2020): संबद्ध स्कूलों में अनुभवात्मक अधिगम को अनिवार्य घोषित किया गया।
    • सुझाए गए उपकरण: कहानी सुनाना, परियोजना-आधारित कार्य, क्षेत्रगत प्रदर्शन, चिंतनशील गतिविधियाँ।
  • समग्र शिक्षा: समावेशी, गतिविधि-आधारित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करती है, विशेष रूप से आधारभूत एवं प्राथमिक स्तरों पर।
    • शिक्षाशास्त्र, सामुदायिक जुड़ाव और आकलन प्रक्रिया का समर्थन करती है।
  • अटल टिंकरिंग लैब्स (नीति आयोग): 10,000 से अधिक स्कूल नवाचार, रोबोटिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए प्रयोगशालाओं से सुसज्जित हैं।
    • विशेष रूप से स्कूली छात्रों के बीच डिजाइन सोच और प्रोटोटाइप निर्माण को प्रोत्साहित करता है।

राज्य-स्तरीय नवाचार

  • दिल्ली: हैप्पीनेस करिकुलम, एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम। (ये आत्मनिरीक्षण, वास्तविक दुनिया के कार्य और रचनात्मकता सीखने के अनुभवात्मक अधिगम सिद्धांतों पर आधारित हैं)
  • केरल: हाई-टेक स्कूल प्रोजेक्ट में डिजिटल सिमुलेशन और समुदाय-नेतृत्व वाली शिक्षा को शामिल किया गया है।

उच्च शिक्षा में एकीकरण

  • राष्ट्रीय नवाचार और स्टार्ट-अप नीति (NISP) विश्वविद्यालयों में परियोजना-आधारित, शोध-आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित करती है।
  • स्वयं (SWAYAM) और दीक्षा (DIKSHA) प्लेटफॉर्म कार्यों और रिफ्लेक्शन चेकपॉइंट्स के साथ ऑनलाइन सामग्री होस्ट करते हैं।
  • IIT और अशोका विश्वविद्यालय जैसे संस्थान सक्रिय रूप से पाठ्यक्रम में अनुभवात्मक प्रयोगशालाओं, सिमुलेशन और लाइव परियोजनाओं को शामिल करते हैं।

अनुभवात्मक अधिगम और NEP 2020

  • नीतिगत मान्यता: NEP 2020 अपने शैक्षणिक सुधारों के केंद्र में अनुभवात्मक अधिगम (EL) को रखता है। यह अनुभवात्मक अधिगम (EL) को एक परिवर्तनकारी उपकरण के रूप में देखता है:
    • रटने की आदत से दूर रहना।
    • सार्थक समझ सुनिश्चित करना।
    • रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान जैसे 21वीं सदी के कौशल विकसित करना।
  • अनुभवात्मक अधिगम के लिए NEP 2020 में प्रमुख प्रावधान
    • शैक्षणिक बदलाव: अनुभवात्मक अधिगम (EL) को प्रत्येक विषय में मानक दृष्टिकोण होना चाहिए।
      • इसमें व्यावहारिक गतिविधियाँ, कहानी सुनाना, भूमिका निभाना, वास्तविक दुनिया की समस्या का समाधान और आलोचनात्मक चिंतन शामिल है।
    • कला, खेल और व्यावसायिक कौशल के साथ एकीकरण: सभी स्तरों पर कला-एकीकृत, खेल-एकीकृत और व्यावसायिक-एकीकृत शिक्षा को अनिवार्य बनाता है।
      • छात्र ग्रेड 6 से आगे इंटर्नशिप और फील्ड एक्सपोजर में शामिल हो सकते हैं।
    • बहु-विषयक और लचीला पाठ्यक्रम: क्रॉस-पाठ्यचर्या लिंकेज वाले विषयों में अन्वेषण को प्रोत्साहित करता है।
      • शिक्षार्थियों के लिए रुचियों का पालन करने के लिए लचीलापन, विज्ञान, मानविकी और कला में अनुभवात्मक मॉड्यूल को सक्षम करना।
    • मूल्यांकन सुधार: योगात्मक से रचनात्मक, योग्यता-आधारित मूल्यांकन में बदलाव।
      • अनुप्रयोग, रचनात्मकता, सहयोग और वास्तविक जीवन की समस्या-समाधान के मूल्यांकन पर जोर देना।
    • शिक्षक प्रशिक्षण और सुविधा: शिक्षकों को सीखने के सुविधाकर्ता के रूप में पुनः उन्मुख किया जाना चाहिए, न कि सामग्री के प्रेषक के रूप में।
      • अनुभवात्मक रणनीतियों में सेवा-पूर्व और सेवाकालीन प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करना (जो NCERT के नए NISHTHA मॉड्यूल में प्रतिबिंबित है)।

अनुभवात्मक अधिगम (EL) की चुनौतियाँ एवं आलोचनाएँ

  • शिक्षक की तत्परता और मानसिकता में अंतर: अधिकांश शिक्षकों को उपदेशात्मक तरीकों में प्रशिक्षित किया जाता है और अनुभवात्मक अधिगम (EL) के लिए केंद्रीय सुविधा तकनीकों के बारे में जानकारी का अभाव होता है।
    • कई लोग सामग्री-प्रदायक से मार्गदर्शक और सह-शिक्षक बनने के बदलाव का विरोध करते हैं।
  • माता-पिता और संस्थानों से सांस्कृतिक प्रतिरोध: अनुभवात्मक अधिगम (EL) को प्रायः ‘तुच्छ’ या ‘गैर-शैक्षणिक’ के रूप में देखा जाता है, विशेषतः भारत जैसे परीक्षा-केंद्रित प्रणालियों में।
    • कई राज्यों में माता-पिता अंकों, रैंक और सरकारी नौकरियों के लिए दबाव डालते हैं, उन्हें डर है कि अनुभवात्मक अधिगम (EL) ‘पढ़ाई का समय बर्बाद करता है।’
  • पाठ्यक्रम की कठोरता और समय की कमी: पाठ्यक्रम में विषय-वस्तु बहुत अधिक है और यह खोजपूर्ण, छात्र-गति से सीखने की अनुमति नहीं देता है। 
    • शिक्षकों के पास व्यस्त कार्यक्रम और परीक्षा लक्ष्यों के कारण सार्थक अनुभवात्मक अधिगम (EL) आयोजित करने के लिए समय की कमी है। 
  • नीतिगत-अभ्यास लिंक में कार्यान्वयन अंतराल: NEP 2020, अनुभवात्मक अधिगम (EL) का समर्थन करती है, लेकिन रोलआउट अनियमित एवं अव्यवस्थित होता है। 
    • अनुभवात्मक पाठ्यक्रम के लिए कोई राष्ट्रीय ढाँचा अभी तक मौजूद नहीं है; राज्य NEP की व्यापक रूप से अलग-अलग तरीकों से व्याख्या करते हैं। 
    • शिक्षाशास्त्र और स्कूल संस्कृति में जमीनी स्तर पर पुनर्गठन के बिना अधोस्तरीय सुधार प्रायः विफल हो जाते हैं।

भारत में अनुभवात्मक अधिगम के लिए आगे की राह 

  • पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों में अनुभवात्मक अधिगम (EL) को शामिल करना: संरचित अनुभवात्मक मॉड्यूल को शामिल करने के लिए NCERT/SCERT पाठ्यपुस्तकों को पुनः डिजाइन करना जिनमें केस स्टडी, प्रतिबिंब संकेत और क्षेत्र-आधारित कार्य को शामिल किया जाना चाहिए।
    • प्रोजेक्ट आधारित और अधिगम को पाठ्यक्रम पूरा करने का मूल आधार बनाना, न कि वैकल्पिक संवर्द्धन।
  • मूल्यांकन प्रणाली में सुधार: रटने-आधारित, योगात्मक मूल्यांकन से योग्यता और प्रदर्शन-आधारित मूल्यांकन में बदलाव।
    • पोर्टफोलियो, सहकर्मी समीक्षा, चिंतनशील पत्रिकाएँ, मौखिक प्रस्तुतियाँ और सामुदायिक प्रतिक्रिया शामिल करना।
  • शिक्षकों को प्रशिक्षक के रूप में प्रशिक्षित करना: निष्ठा (NISHTHA) और दीक्षा (DIKSHA) के अंतर्गत सेवाकालीन शिक्षक प्रशिक्षण का विस्तार करना, जिसमें शामिल हैं:-
    • चिंतनशील शिक्षण
    • सहयोगी शिक्षण विधियाँ
    • गतिविधि और केस-आधारित निर्देश
    • दूसरों को सलाह देने के लिए प्रत्येक राज्य में ‘मास्टर फैसिलिटेटर कैडर’ (Master Facilitator Cadres) बनाना।
  • बुनियादी ढाँचे और संसाधन पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना: बुनियादी अनुभवात्मक अधिगम (EL) बुनियादी ढाँचे को सुनिश्चित करना जिनमें गतिविधि प्रयोगशालाएँ, डिजिटल डिवाइस, परियोजनाओं के लिए सुरक्षित स्थान दिया जाना चाहिए।
    • अटल टिंकरिंग लैब्स, बाल भवन और मोबाइल मेकर लैब जैसी पहलों को वंचित जिलों तक पहुँचाना।
  • प्रासंगिक और सांस्कृतिक प्रासंगिकता के साथ अनुभवात्मक अधिगम (EL) को स्थानीय बनाना: कक्षा के कार्यों में समुदाय-आधारित शिक्षा, स्थानीय इतिहास, कला, शिल्प और पारिस्थितिकी को शामिल करना।
    • SDG, पर्यावरण और नागरिक मूल्यों से जुड़ी जगह-आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित करना।
  • माता-पिता और समुदायों को शामिल करना: अनुभवात्मक अधिगम (EL) के दीर्घकालिक लाभों के बारे में माता-पिता की जागरूकता बढ़ाना, विशेषकर ग्रामीण और परीक्षा-केंद्रित संदर्भों में।
    • सामुदायिक सलाहकारों, स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों को स्कूल परियोजनाओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • एक राष्ट्रीय ढाँचा और निगरानी प्रणाली विकसित करना: NCERT के तहत एक राष्ट्रीय अनुभवात्मक शिक्षण मानक ढाँचा (NELSF) स्थापित करना।
    • स्कूल-स्तरीय अनुभवात्मक शिक्षण ऑडिट, छात्रों से फीडबैक और चिंतनशील लॉग का उपयोग करके कार्यान्वयन की निगरानी करना।

निष्कर्ष 

भारत की शैक्षिक विरासत में निहित और NEP 2020 का केंद्रबिंदु, अनुभवात्मक अधिगम, आलोचनात्मक सोच एवं समग्र विकास को बढ़ावा देकर परीक्षा-केंद्रित प्रणाली का मुकाबला करती है। पाठ्यक्रम सुधार और शिक्षक प्रशिक्षण के माध्यम से बुनियादी ढाँचे की कमी और सांस्कृतिक प्रतिरोध जैसी चुनौतियों पर नियंत्रण पाना इसके प्रभावी एकीकरण को सुनिश्चित करेगा।

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