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पारगमन उन्मुख विकास

Lokesh Pal September 25, 2024 01:33 109 0

संदर्भ

वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट (World Resource Institute-WRI) इंडिया का हालिया प्रकाशन जिसका शीर्षक है:- ‘बंगलूरू में मेट्रो रेल ट्रांजिट के पास नौकरियाँ: एक सुलभ और उत्पादक शहर को सक्षम बनाना’ (Jobs near metro rail transit in Bengaluru: Enabling an accessible and productive city)

  • यह एकीकृत स्थानिक-आर्थिक नियोजन तथा पारगमन उन्मुख विकास (Transit Oriented Development-TOD) के माध्यम से नौकरियों को ट्रांजिट के निकट लाने की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करता है।

पारगमन उन्मुख विकास के लिए विश्व बैंक का 3V दृष्टिकोण

  • पारगमन उन्मुख विकास में, कोई भी आकार सभी के लिए उपयुक्त नहीं होता।
  • यह समझना कि संभावित मूल्य कहाँ, कब और कैसे बनाया जा सकता है, इसके लिए बड़े पैमाने पर पारगमन नेटवर्क में विभिन्न स्टेशनों के महत्त्व को उजागर करना आवश्यक है।
  • विश्व बैंक समूह ने 3V फ्रेमवर्क नामक एक कार्यप्रणाली विकसित की है:
    • नोड वैल्यू (Node Value): यह यात्री यातायात की मात्रा, इंट्रामॉडैलिटी और नेटवर्क के भीतर केंद्रीय रूप से स्थित सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क में स्टेशन के महत्त्व का वर्णन करता है।
    • स्थान मूल्य (Place Value): यह स्टेशन के आसपास शहरी संरचना की गुणवत्ता का वर्णन करता है; विशेष रूप से पैदल यात्री पहुँच, दुकानों, स्कूलों और स्वास्थ्य सेवा तक स्थानीय पहुँच।
    • बाजार संभावित मूल्य (Market Potential Value): यह स्टेशन क्षेत्रों के अवास्तविक बाजार मूल्य का वर्णन करता है।
      • यह वर्तमान और भविष्य की मानव घनत्व, विकास योग्य भूमि और बाजार की जीवंतता सहित माँगों पर निर्भर करता है।
  • 3V दृष्टिकोण का महत्त्व: यह ढाँचा नीति और निर्णयकर्ताओं को स्पष्ट संकेतक प्रदान करता है, जिससे यह समझा जा सके कि शहर के आर्थिक लक्ष्य, भूमि उपयोग और जन परिवहन नेटवर्क किस तरह परस्पर क्रिया करते हैं।
    • यह स्टेशनों के विभिन्न समूहों के लिए नियोजन और कार्यान्वयन उपायों की रूपरेखा तैयार करता है, जो सीमित सार्वजनिक संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग को सक्षम बनाता है।

पृष्ठभूमि 

  • भारत की वर्ष 2017 की राष्ट्रीय पारगमन उन्मुख विकास (Transit Oriented Development-TOD) नीति बड़े पैमाने पर परिवहन केंद्रों के आसपास शहरी नियोजन को बढ़ावा देती है, जिससे गतिशीलता और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
  • 3 ट्रिलियन रुपये की मेट्रो रेल परियोजनाओं (वर्ष 2022-2027 के बीच) के साथ, 27 शहर शहरी एवं आर्थिक लाभ को अधिकतम करने के लिए TOD को एकीकृत कर रहे हैं।

पारगमन उन्मुख विकास (Transit Oriented Development)

  • परिचय: पारगमन उन्मुख विकास (TOD) सार्वजनिक परिवहन के नोड्स और कॉरिडोर के आसपास घनत्वीकरण है, ताकि परिवार अपनी नौकरियों के स्थान के पास रह सकें।
    • TOD ट्रांजिट स्टेशनों के प्रभाव क्षेत्र में उच्च घनत्व आधारित मिश्रित भूमि उपयोग विकास के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है, अर्थात पैदल तय की जाने वाली दूरी (500-800 मीटर) के अंतर्गत।
    • यह उन्हें निजी वाहनों पर निर्भर रहने के बजाय कार्य पर जाने या आवश्यकता पड़ने पर सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने में सक्षम बनाता है।
    • यह शहरी विकास को बढ़ावा देता है जो कॉम्पैक्ट, मिश्रित-उपयोग, पैदल यात्री और साइकिल-अनुकूल है तथा सार्वजनिक परिवहन स्टेशनों के आसपास नौकरियों, आवास, सेवाओं एवं सुविधाओं को क्लस्टर करके बड़े पैमाने पर परिवहन के साथ निकटता से एकीकृत है।
  • आधार पर: TOD इस आधार पर आधारित है कि यदि एक साथ योजना बनाई जाए तो आर्थिक विकास, शहरी परिवहन और भूमि उपयोग को अधिक कुशलता से प्रबंधित किया जा सकता है।
  • उदाहरण: TOD को स्टॉकहोम, कोपेनहेगन, हांगकांग SAR, टोक्यो और सिंगापुर सहित दुनिया भर के शहरों में शहरी स्तर पर सफलतापूर्वक लागू किया गया है।
  • चित्र में दिखाया गया है: ट्रांजिट स्टेशनों के साथ TOD

पारगमन-उन्मुख विकास के लाभ

  • आवागमन के समय में कमी: आवागमन की आवश्यकता को कम करना और इस प्रकार, सड़कों पर यातायात और भीड़भाड़ को कम करना और साथ ही वाहनों से होने वाले प्रदूषण को भी कम करना।
  • उपलब्ध भूमि का कुशल उपयोग सक्षम बनाना।
  • संकुलन प्रभाव (Agglomeration Effects): अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्रों में उच्च घनत्व और नौकरियों के संकेंद्रण को बढ़ावा देते हुए, TOD संकुलन प्रभाव बनाता है, जो शहर की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाने के लिए उपयोगी है।
    • अध्ययनों से पता चला है कि उदाहरण के लिए, नौकरी घनत्व को दोगुना करने से आर्थिक उत्पादकता में 5 से 10% की वृद्धि होती है।
    • यह संकेंद्रण उच्च गुणवत्ता वाले सार्वजनिक क्षेत्रों और कम आवागमन दूरी वाले जीवंत समुदायों का निर्माण करता है, जिससे शहर अधिक रहने योग्य बनते हैं।
  • रियल एस्टेट मूल्य में वृद्धि: मास ट्रांजिट की निकटता TOD पड़ोस तक पहुँच में सुधार करती है, जिससे उनका आकर्षण बढ़ता है और रियल एस्टेट मूल्य में वृद्धि होती है।
  • पैदल संचालन योग्य समुदायों का निर्माण करके स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली को सक्षम बनाना: निजी वाहनों पर निर्भरता कम करने के लिए पैदल चलने, साइकिल चलाने और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना।
  • सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार: TOD पैदल यात्री और गैर-मोटर चालित परिवहन (NMT) अनुकूल बुनियादी ढाँचे का निर्माण करके पारगमन स्टेशनों की पहुँच को बढ़ाता है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को लाभ होता है, जिससे पारगमन सुविधा की सवारियों में वृद्धि होती है और प्रणाली की आर्थिक एवं वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार होता है।

पारगमन उन्मुख विकास अनिवार्यताएँ

  • उच्च गुणवत्ता वाला सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क: उदाहरण: बस रैपिड ट्रांजिट (BRT) (अहमदाबाद) – मेट्रो (दिल्ली) – कंप्यूटर रेल (मुंबई)।
  • भूमि उपयोग में तीव्रता: प्रति वर्ग किलोमीटर अधिक परिवार, प्रति वर्ग किलोमीटर अधिक लोग और प्रति वर्ग किलोमीटर अधिक नौकरियाँ।
  • सार्वजनिक परिवहन के निकट किफायती आवास: निम्न आय वाले परिवारों को नौकरियों तक पहुँच प्रदान करने के लिए।
  • पैदल यात्री और साइकिल अवसंरचना: सार्वजनिक परिवहन तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए (अंतिम मील कनेक्टिविटी)।
  • गतिविधियों और उपयोगों का मिश्रण: कार्य या मनोरंजन के लिए यात्रा की जाने वाली दूरी को कम करने के लिए।
    • शहरी डिजाइन जो सभी उपयोगकर्ता समूहों के लिए निर्मित और खुली जगहों की गुणवत्ता को बढ़ाता है।

पारगमन उन्मुख विकास को सक्षम बनाने के लिए आगे की राह

  • विभिन्न क्षेत्रों में समन्वित योजना: ‘पारगमन उन्मुख विकास’ (TOD) को साकार करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता है।
    • शहर के मास्टर प्लान में TOD को एक प्रमुख घटक के रूप में एकीकृत करने की आवश्यकता है, जिससे उन शहरी केंद्रों की पहचान की जा सके, जो जन परिवहन नेटवर्क एवं बुनियादी ढाँचे के साथ संरेखित हों।
  • मिश्रित भूमि उपयोग को बढ़ावा देना: TOD क्षेत्र में विकास/पुनर्विकास के लिए मिश्रित भूमि उपयोग निर्धारित किया जाना चाहिए क्योंकि इससे खरीदारी, मनोरंजन और सार्वजनिक सुविधाएँ, जैसे स्कूल, पार्क, खेल के मैदान, अस्पताल आदि जैसी अधिकांश गतिविधियाँ निवासियों द्वारा पैदल तय की जाने वाली दूरी के भीतर उपलब्ध होने से यात्रा की आवश्यकता कम हो जाएगी।
  • पारगमन पहुँच में वृद्धि: सार्वजनिक परिवहन के पक्ष में नीतियों को लागू करने की आवश्यकता है, जैसे शहरी क्षेत्रों में पार्किंग की उपलब्धता को कम करना और निजी वाहनों की तुलना में सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देना।
  • मल्टीमॉडल एकीकरण: एकीकृत मल्टीमॉडल परिवहन प्रणालियों को निर्बाध कनेक्टिविटी और उपयोगकर्ता के अनुकूल डिजाइन सुनिश्चित करना चाहिए।
    • भीड़भाड़ को रोकने तथा ट्रांजिट स्टेशनों के आसपास प्रथम एवं अंतिम मील कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए पर्याप्त पार्किंग तथा पिक-अप/ड्रॉप-ऑफ क्षेत्र आवश्यक हैं।
  • पैदल यात्रियों, साइकिल चालकों और गैर-मोटर चालित परिवहन (NMT) उपयोगकर्ताओं पर ध्यान देना: सड़कों को सभी आयु समूहों के उपयोगकर्ताओं और पैदल यात्रियों, साइकिल चालकों, मोटर चालकों तथा पारगमन सवारों सहित सभी प्रकार के यात्रियों के लिए डिजाइन किया जाना चाहिए। वे सभी के लिए सुरक्षित एवं सुलभ होनी चाहिए।
  • प्रदर्शन के लिए स्थानीयकृत कार्यान्वयन: शहर, शहर के केंद्रों के पास प्रबंधनीय, स्थानीयकृत क्षेत्रों में ToD परियोजनाएँ शुरू कर सकते हैं।
    • ये सफल परियोजनाएँ अन्य क्षेत्रों में ToD प्रयासों को बढ़ाने, आत्मविश्वास बढ़ाने और सफल मॉडलों को दोहराने के लिए प्रदर्शन के रूप में कार्य कर सकती हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय उदाहरणों से सीखना: स्थानीय संदर्भ और आवश्यकताओं के अनुरूप अन्य शहरों में प्रभावी साबित हुई रणनीतियों और प्रथाओं को अपनाना।

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