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टाइफाइड कंजुगेट वैक्सीन

Lokesh Pal November 06, 2025 04:28 26 0

संदर्भ

टाइफाइड टीकों का सबसे बड़ा उत्पादक होने तथा वैश्विक स्तर पर टाइफाइड के आधे मामलों के लिए जिम्मेदार होने के बावजूद, भारत ने अभी तक टाइफाइड कंजुगेट वैक्सीन (Typhoid Conjugate Vaccine-TCV) को अपने सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) में शामिल नहीं किया है।

टायफाइड के बारे में

  • टायफाइड ज्वर एक जीवाणुजनित संक्रमण है, जो साल्मोनेला एंटेरिका सीरोटाइप टाइफी (एस. टाइफी) नामक जीवाणु से होता है।
  • संक्रमण का मार्ग: मल-मुख मार्ग- यह रोग सामान्यतः दूषित भोजन या जल के माध्यम से प्रसारित होता है, जो स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी दुर्बल व्यवस्थाओं का परिणाम होता है।
  • वाहक: मनुष्य (जिसमें बिना लक्षण वाले वाहक भी शामिल हैं)।
  • टायफाइड के लक्षण:
    • तेज बुखार (104°F या 40°C तक)
    • कमजोरी और थकावट
    • पेट में दर्द
    • दस्त या कब्ज
    • भूख में कमी
    • चकत्ते (कुछ मामलों में त्वचा पर छोटे, सपाट, गुलाबी रंग के धब्बे)
    • गंभीर मामलों में प्लीहा (स्प्लीन) और यकृत (लिवर) का बढ़ जाना।
  • असमान प्रभाव: यह रोग मुख्यतः बच्चों और युवाओं को अधिक प्रभावित करता है, जिससे विद्यालयों एवं कार्य दिवसों की बड़ी हानि होती है।
  • उपचार: टायफाइड ज्वर के उपचार के लिए प्रमुख रूप से एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है, जो संक्रमण उत्पन्न करने वाले जीवाणु को नष्ट करती हैं। सामान्यतः प्रयुक्त औषधियाँ:-
    • सिप्रोफ्लॉक्सासिन (गर्भवती महिलाओं को छोड़कर वयस्कों के लिए)
    • एजिथ्रोमाइसिन (अन्य दवाओं के प्रति प्रतिरोधी मामलों के लिए विकल्प)
    • तृतीय पीढ़ी के सेफालॉस्पोरिन (जैसे- सेफ्ट्रियाक्सोन) गंभीर संक्रमणों या ऐसे रोगियों के लिए जो मौखिक रूप से दवा नहीं ले सकते।

टायफाइड की स्थिति

  • वैश्विक प्रभाव (विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार): प्रतिवर्ष लगभग 90 से 120 लाख मामले और 1 लाख से अधिक मौतें।
  • भारत की स्थिति
    • अनुमानित 45 लाख मामले और लगभग 8,930 वार्षिक मृत्यु (SEFI का अध्ययन, वर्ष 2017–2020)।
    • संक्रमण दर: प्रति 1,00,000 बाल-वर्ष पर 576 से 1,173 मामले (गरीब शहरी क्षेत्रों में अधिक)।

भारत में टायफाइड नियंत्रण की चुनौतियाँ

  • निदान संबंधी अंतराल
    • रक्त संवर्द्धन (ब्लड कल्चर)– इसे ‘गोल्ड स्टैंडर्ड’ परीक्षण माना जाता है, यह सीमांत स्तरों पर बहुत कम उपलब्ध है।
    • पुरानी और अविश्वसनीय जाँचें जैसे विडाल टेस्ट अभी भी व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं।
    • इससे गलत निदान और एंटीबायोटिक दवाओं के अविवेकपूर्ण उपयोग की प्रवृत्ति बढ़ती है, जो आगे प्रतिरोध (रेजिस्टेंस) को और बढ़ावा देती है।
    • अन्य रोगों के साथ भ्रम की स्थिति: टायफाइड के लक्षण डेंगू, मलेरिया, स्क्रब टाइफस और कोविड-19 से मिलते-जुलते हैं।
  • एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) में वृद्धि
    • 1950 के दशक से क्लोरैमफेनिकोल, एंफिसिलिन और को-ट्रिमोक्साजोल के प्रतिरोधी टायफाइड स्ट्रेन पाए जा चुके हैं।
    • अब सेफ्ट्रियाक्सोन और एजिथ्रोमाइसिन की प्रभावशीलता में भी कमी देखी जा रही है।
    • पाकिस्तान में XDR (व्यापक औषधि-प्रतिरोधी) टायफाइड के स्ट्रेन पहले ही सामने आ चुके हैं – जो भारत के लिए एक गंभीर खतरा है।
  • जल और स्वच्छता की खराब गुणवत्ता
    • स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन के बावजूद, सुरक्षित पेयजल की पहुँच अभी भी सीमित है।
    • 302 जिलों में केवल 6% शहरी परिवारों को सुरक्षित जल आपूर्ति उपलब्ध है, परंतु ग्रामीण कवरेज इससे भी कम है।
    • भोजन और जल के निरंतर प्रदूषण से संक्रमण का प्रसार  होता है।
  • अपर्याप्त निगरानी
    • राष्ट्रीय स्तर पर टायफाइड की निगरानी प्रणाली असंगत और अपूर्ण है।
    • विश्वसनीय और दीर्घकालिक आँकड़ों की कमी टीकाकरण कार्यक्रम के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में विलंब उत्पन्न करती है।

टाइफाइड कंजुगेट वैक्सीन (TCV) के बारे में

  • यह एक संयुग्म वैक्सीन है, जिसमें VI पॉलीसैकेराइड एंटीजन (जीवाणु से प्राप्त) को एक वाहक प्रोटीन से जोड़ा जाता है ताकि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाया जा सके, विशेष रूप से छोटे बच्चों में।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की अनुशंसा: WHO ने वर्ष 2018 में स्थानिक देशों के लिए TCV को दृढ़ता से अनुमोदित किया।
  • TCV के लाभ
    • एकल-खुराक इंजेक्शन के रूप में दी जाती है।
    • छोटे बच्चों (6 माह या उससे अधिक आयु) में बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है।
    • दीर्घकालिक प्रतिरक्षा सुनिश्चित करता है।
    • गंभीर मामलों जैसे आंतों के छिद्र (Intestinal Perforation) और सेप्सिस की रोकथाम करता है।
    • उच्च जोखिम युक्त क्षेत्रों में बच्चों और वयस्कों दोनों में प्रभावी है।
  • लागत प्रभावी: नवी मुंबई फील्ड ट्रायल (वर्ष 2018) में प्रति खुराक लागत 1.87 डॉलर पाई गई, जो उपचार की लागत की तुलना में बहुत कम है।
  • प्रमुख भारतीय निर्माता: भारत बायोटेक (टाइपबार TCV), सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, जाइडस लाइफ साइंसेज।

भारत को TCV को सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) में क्यों शामिल करना चाहिए?

  • विशाल रोग भार: वैश्विक टाइफाइड रोग का आधा भार भारत पर है।
    • UIP में TCV को शामिल करने से इसके मामलों, अस्पताल में भर्ती और मृत्यु की संख्या में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है, विशेष रूप से बच्चों और शहरी गरीबों में।
  • औषधि प्रतिरोध पर नियंत्रण हेतु: टीकाकरण संक्रमण दर को कम करता है और परिणामस्वरूप एंटीबायोटिक के दुरुपयोग को घटाता है, जिससे एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) पर नियंत्रण में सहायता मिलती है।
  • स्वास्थ्य समानता को बढ़ावा देने हेतु: वर्तमान में TCV केवल निजी क्षेत्र में उच्च लागत पर उपलब्ध है।
    • UIP में शामिल किए जाने पर यह संवेदनशील आबादी के लिए निःशुल्क सुलभ होगा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (वर्ष 2017) में उल्लिखित समानता के सिद्धांत के अनुरूप होगा।
  • भारत की वैक्सीन क्षमता का उपयोग करने हेतु: भारत वैश्विक वैक्सीन निर्माण केंद्र है और अन्य देशों को TCV का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। फिर भी, घरेलू उपयोग में यह पीछे है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य में आत्मनिर्भरता को कमजोर करने वाली अस्पष्ट नीति अंतराल को दर्शाता है।
  • वैश्विक एवं क्षेत्रीय उदाहरण: पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश ने GAVI के सहयोग से TCV को अपनी राष्ट्रीय टीकाकरण अनुसूचियों में सफलतापूर्वक एकीकृत किया है।
    • भारत की 250 मिलियन डॉलर की GAVI साझेदारी (वर्ष 2023-2026) स्पष्ट रूप से TCV की शुरुआत का समर्थन करती है, परंतु इस पर कार्रवाई में विलंब हुआ है।

गावी, द वैक्सीन सपोर्ट

  • स्थापना: वर्ष 2000 में।
  • प्रकार: सार्वजनिक–निजी वैश्विक स्वास्थ्य साझेदारी (जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, विश्व बैंक और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन शामिल हैं)।
  • उद्देश्य: निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बच्चों के लिए जीवन-रक्षक टीकों तक पहुँच में सुधार करना।

सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के बारे में

  • प्रारंभ
    • वर्ष 1978 में इसे विस्तारित टीकाकरण कार्यक्रम (EPI) के रूप में प्रारंभ किया गया।
    • वर्ष 1985 में इसका नाम बदलकर सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) रखा गया।
  • उद्देश्य: सभी बच्चों और गर्भवती महिलाओं को प्रतिरोध योग्य रोगों के विरुद्ध निःशुल्क टीकाकरण प्रदान करना।
    • पहुँच: टीके सरकारी/निजी स्वास्थ्य संस्थानों तथा निर्धारित दिनों पर टीकाकरण सत्र स्थलों (आंगनवाड़ी केंद्रों या अन्य स्थानीय स्थलों) पर उपलब्ध कराए जाते हैं।
  • प्रशासनिक उत्तरदायित्व: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित।
  • वर्तमान कवरेज: वर्तमान में 12 टीके शामिल हैं (जिनमें खसरा, पोलियो, पेंटावैलेंट, तथा चयनित राज्यों में HPV टीका सम्मिलित है)।

मिशन इंद्रधनुष (MI)

  • प्रारंभकर्ता: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) द्वारा वर्ष 2014 में।
  • उद्देश्य: सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के अंतर्गत सभी टीकाकरण से रहित एवं आंशिक रूप से टीकाकरण युक्त बच्चों का पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करना।

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