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ब्रिटेन की संसद गर्भपात को अपराधमुक्त करने पर विचार कर रही है

Lokesh Pal June 19, 2025 02:32 5 0

संदर्भ

ब्रिटेन में गर्भपात कानून में बदलाव पर विचार किया जा  रहा है, ताकि महिलाओं को गर्भपात कराने के संदर्भ में उन पर मुकदमा चलाने से रोका जा सके।

संबंधित तथ्य

  • ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में एक व्यापक अपराध विधेयक में दो संशोधन प्रस्तुत किए गए, जिसमें गर्भावस्था के किसी भी चरण में गर्भपात को अपराध से मुक्त करने की माँग की गई। 
  • पिछले पाँच वर्षों में, 100 से अधिक महिलाओं को गर्भपात से संबंधित जाँच का सामना करना पड़ा, जिसमें गर्भपात के मामले भी शामिल हैं, जिससे पुराने कानूनों पर चिंता बढ़ गई है। 
    • कुछ महिलाओं पर 24 सप्ताह की सीमा से अधिक गर्भपात की गोलियाँ लेने के लिए मुकदमा चलाया गया।

प्रमुख प्रस्ताव

  • महिलाओं के लिए गैर-अपराधीकरण (टोनिया एंटोनियाजी का संशोधन): महिलाओं को किसी भी स्तर पर अपने स्वयं के गर्भधारण को समाप्त करने के लिए अभियोग से बचाया जाएगा।
    • इसका उद्देश्य कमजोर महिलाओं को अपराधीकरण से बचाना है।
  • चिकित्सा पेशेवरों के लिए सुरक्षा: दूसरा संशोधन डॉक्टरों एवं गर्भपात में सहायता करने वाले अन्य लोगों को अभियोजन से बचाएगा।

गर्भपात क्या है?

  • गर्भपात, गर्भावस्था की समाप्ति है, जिसके परिणामस्वरूप भ्रूण या गर्भ को समाप्त कर दिया जाता है।
  • गर्भावस्था के चरण और व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर इसे दवा या शल्य चिकित्सा प्रक्रिया के माध्यम से किया जा सकता है।

भारत में गर्भपात कानून

  • विधिक ढाँचा: भारत में गर्भपात कानूनों को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) अधिनियम, 1971 द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो विशिष्ट परिस्थितियों में गर्भपात की अनुमति देता है।
  • MTP अधिनियम, 1971 को गर्भपात तक पहुँच को उदार बनाने और महिलाओं को असुरक्षित तरीकों का सहारा लेने से रोकने के लिए प्रस्तुत किया गया था।
  • इसने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 312 के तहत सामान्य आपराधिक निषेध के अपवाद बनाए, जो गर्भपात को अपराध घोषित करता है।
  • इसे वर्ष 2021 में गर्भावधि सीमा बढ़ाने और अधिक श्रेणियों को शामिल करने के लिए संशोधित किया गया था।

वर्ष 2021 में संशोधन के बाद MTP अधिनियम (1971) के तहत प्रमुख प्रावधान

  • गर्भावस्था के 20 सप्ताह तक: एक पंजीकृत चिकित्सा कर्मचारी (Registered Medical Practitioner-RMP) की राय से गर्भपात की अनुमति है।
  • 20 से 24 सप्ताह: इसके लिए दो RMP की राय की आवश्यकता होती है, और यह महिलाओं की विशिष्ट श्रेणियों तक ही सीमित है।
  • 24 सप्ताह से अधिक: केवल तभी अनुमति दी जाती है जब मेडिकल बोर्ड भ्रूण में पर्याप्त असामान्यता की पुष्टि करता है।
    • न्यायालय असाधारण मामलों (जैसे- बलात्कार पीड़िताएँ, स्वास्थ्य जोखिम) में हस्तक्षेप कर सकते हैं।

24 सप्ताह तक गर्भपात के लिए पात्र श्रेणियाँ

  • बलात्कार, यौन उत्पीड़न या अनाचार से पीड़ित लोग।
  • नाबालिग।
  • गर्भावस्था के दौरान वैवाहिक स्थिति में परिवर्तन (जैसे- तलाक या विधवा होना)।
  • गंभीर शारीरिक दिव्यांग महिलाएँ (दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुसार)
  • मानसिक रूप से बीमार महिलाएँ।
  • भ्रूण की विकृति जो जीवन के लिए असंगत है या गंभीर दिव्यांगता का कारण बनती है।
  • सरकार द्वारा घोषित मानवीय, आपदा या आपातकालीन स्थितियों में महिलाएँ।

वैश्विक कानूनों की तुलना में भारत का रुख 

  • कई देशों की तुलना में अधिक प्रगतिशील (जैसे- कुछ अमेरिकी राज्यों की तरह कोई व्यापक प्रतिबंध नहीं)।
  • न्यायालय प्रायः भ्रूण के अधिकारों पर महिलाओं की स्वायत्तता को प्राथमिकता देते हैं।

भारत में गर्भपात कानून से संबंधित मुद्दे

  • अविवाहित महिलाओं का बहिष्कार: कानून में अविवाहित महिलाओं को 20-24 सप्ताह की श्रेणी में स्पष्ट रूप से शामिल नहीं किया गया है। 
    • न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, सर्वोच्च न्यायलय ने वर्ष 2022 में अविवाहित महिला के लिए 24-सप्ताह के गर्भपात की अनुमति दी है। 
  • डॉक्टर-केंद्रित, महिला-केंद्रित नहीं: MTP अधिनियम एक ‘प्रदाता संरक्षण’ कानून है, जो महिलाओं के अधिकारों की गारंटी देने के बजाय डॉक्टरों को आपराधिक दायित्व से बचाता है। 
  • भ्रूण व्यवहार्यता बहस: न्यायलय कभी-कभी देर से गर्भपात से इनकार करते समय भ्रूण व्यवहार्यता (लगभग 24 सप्ताह) पर विचार करते हैं।

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