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संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा ने भारत की वन अग्नि सुरक्षा योजना को अपनाया

Lokesh Pal December 15, 2025 01:38 30 0

संदर्भ

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के सातवें सत्र का समापन 11 प्रमुख पर्यावरणीय प्रस्तावों को अपनाने के साथ हुआ।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा का सातवाँ सत्र

  • यह सत्र संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के मुख्यालय, नैरोबी (केन्या) में आयोजित किया गया।
    • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा विश्व की पर्यावरण संबंधी सर्वोच्च निर्णय-निर्माण संस्था है।
    • यह प्रत्येक दो वर्ष में केन्या के नैरोबी में पर्यावरण मंत्रियों की बैठक आयोजित करता है।
    • यह सत्र संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा सभी वार्ताओं से हटने के निर्णय के कारण प्रभावित रहा।
    • UNEA, 8 दिसंबर, 2027 में नैरोबी, केन्या में आयोजित होगा, जिसके लिए जमैका के मंत्री मैथ्यू समूडा को अध्यक्ष चुना गया।

  • थीम: एडवांसिंग सस्टेनबल सॉल्यूशंस फॉर ए रेजिलियंट प्लैनेट’ (Advancing sustainable solutions for a resilient planet)
  • उद्देश्य: मानवता और प्रकृति के बीच सामंजस्य को पुनर्स्थापित करना तथा विश्व के सबसे कमजोर लोगों के जीवन में सुधार लाना।
  • सदस्यता: इसमें संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों की सार्वभौमिक सदस्यता है।

UNEA-7 की प्रमुख उपलब्धियाँ

  • पूर्ण सत्र में अनेक तात्कालिक पर्यावरणीय मुद्दों पर प्रस्ताव अपनाए गए, जिनमें शामिल हैं:
    • प्रवाल भित्तियों का संरक्षण
    • सतत् रसायन और अपशिष्ट प्रबंधन
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता की पर्यावरणीय सततता
    • खनिज और धातु शासन
    • सारगैसो समुद्री शैवाल का प्रबंधन
    • हिमनदों और क्रायोस्फीयर का संरक्षण
    • प्रदूषण से उत्पन्न रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटना
    • पर्यावरणीय समझौतों के बीच सामंजस्य को बढ़ाना
    • युवाओं की भागीदारी को प्रोत्साहन
  • भारत द्वारा प्रस्तुत वनाग्नि संबंधी प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से अपनाया गया।

भारत का वनाग्नि प्रबंधन प्रस्ताव

  • एक प्रमुख परिणाम के रूप में भारत के वैश्विक वनाग्नि प्रबंधन को सुदृढ़ करने’ संबंधी प्रस्ताव को व्यापक समर्थन मिला।
  • वनाग्नियाँ, अब मौसमी और स्थानीय घटनाओं से बदलकर स्थायी वैश्विक खतरा बन गई हैं।
  • यह परिवर्तन जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है, जैसे- तापमान वृद्धि, सूखे और भूमि-उपयोग का दबाव।
  • चिंताजनक अनुमान: वनाग्नि घटनाओं में तीव्र वृद्धि की संभावना है:-
    • वर्ष 2030 तक 14 प्रतिशत
    • वर्ष 2050 तक 30 प्रतिशत
    • वर्ष 2100 तक 50 प्रतिशत
  • प्रस्ताव के अंतर्गत प्रमुख कार्रवाइयाँ: प्रतिक्रिया-आधारित अग्निशमन से हटकर निवारक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान करना।
    • प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और जोखिम मानचित्रण पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
    • उपग्रह-आधारित निगरानी और समुदाय-स्तरीय चेतावनी तंत्र को सशक्त बनाना।
    • पारिस्थितिकी पुनर्स्थापन के माध्यम से सहनशीलता विकसित करना।
    • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा संचालित वैश्विक अग्नि प्रबंधन केंद्र को सुदृढ़ करना।
    • समेकित अग्नि प्रबंधन रणनीतियाँ विकसित करने वाले देशों के लिए जलवायु वित्त तक बेहतर पहुँच का आह्वान।
  • यह पहल वन-आश्रित समुदायों की सुरक्षा और महत्त्वपूर्ण कार्बन भंडारों के संरक्षण का लक्ष्य रखती है।

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