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अन्य जीवों की तुलना में मधुमक्खियों की समझ (Understanding Bees Compared to Other Organisms)

Samsul Ansari December 25, 2023 11:54 166 0

संदर्भ 

हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने मधुमक्खियों की मानसिक समझ को लेकर कई प्रयोग किये। संबंधित तथ्य

  • वैज्ञानिकों ने बताया कि मधुमक्खियाँ शून्य संख्यात्मकता का आदेश देने के लिए ‘इससे कम’ की अवधारणा का विस्तार करती हैं।
  • मधुमक्खियों ने अफ्रीकी भूरे तोते, नॉन-ह्यूमन प्राइमेट्स और यहाँ तक ​​कि प्रीस्कूली के बच्चों की तुलना में अपनी समझ का अच्छा प्रदर्शन किया।

निष्कर्ष

  • ‘कम’ और ‘अधिक’ की अवधारणाओं को समझने के लिए प्रशिक्षण: इस प्रयोग में, वैज्ञानिक पाया कि मधुमक्खियाँ यह समझने में सक्षम थी कि पाँच, दो या तीन से अधिक होता है।
    • इसके अलावा, इसके लिए भी प्रशिक्षित किया कि शून्य ‘संख्यात्मक टेबल में सबसे नीचे है।’
  • शून्य को एक से कम के रूप में पहचानना: मधुमक्खियाँ लगातार शून्य को एक से छोटी संख्या के रूप में चुनती हैं। यह एक ऐसी मानसिक समझ है, जो अन्य कुछ जानवरों के लिए चुनौतीपूर्ण है।
  • निर्णय लेने की प्रक्रिया पर पुरस्कार का प्रभाव: जब ‘एक से कम’ के संभावित उत्तर के रूप में दो और शून्य के बीच विकल्प दिया गया, तो उन्होंने लगभग आधा बार ही शून्य का चयन किया।
    • यह बताता है कि दो संख्याओं के बीच चुनाव पर किसी एक संख्या के लिए लगातार पुरस्कृत किया गया, इस प्रकार मधुमक्खियों की निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित किया गया।
  • मधुमक्खी के व्यवहार पर संख्यात्मक दूरी के प्रभाव का आकलन: मधुमक्खियों ने आसानी से पहचान लिया कि शून्य अन्य उपलब्ध संख्याओं से छोटी है।
    • हालाँकि, संख्याओं के बीच अंतर बढ़ाने के कारण वे ज्यादा सटीक निर्णय ले पाएँ।
    • यह अवलोकन सटीक विकल्प चुनने की उनकी क्षमता पर संख्यात्मक दूरी के महत्त्वपूर्ण प्रभाव को दिखाता है।

मधुमक्खी पालन के बारे में

  • मधुमक्खियाँ जैव विविधता का एक महत्त्वपूर्ण घटक हैं, जो उच्च गुणवत्ता वाला भोजन जैसे- शहद, रॉयल जेली और पराग प्रदान करती हैं, साथ ही अन्य उत्पाद जैसे- मोम, प्रोपोलिस भी प्रदान करती हैं।

महत्त्व

  • परागण: वैश्विक स्तर पर लगभग 85 प्रतिशत फसलों के परागण में मधुमक्खियाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • जलवायु परिवर्तन से निपटना: मधुमक्खियों द्वारा परागण से पौधों की निरंतर वृद्धि सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। अंततः यह वृद्धि वायुमंडल से CO2 लेकर और ऑक्सीजन छोड़कर वातावरण को शुद्ध करने के लिए जिम्मेदार है।
  • फसल उत्पादकता में वृद्धि: मधुमक्खियों के परागण से विभिन्न फसलों की पैदावार में 5% से 33150% तक की वृद्धि होती है।

राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (NBB)

  • यह 1860 के सोसायटी पंजीकरण अधिनियम XXI के तहत एक पंजीकृत सोसायटी है।
  •  उद्देश्य: शहद उत्पादन और परागण के माध्यम से फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए देश में वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना।
  • यह एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) के तहत राष्ट्रीय स्तर की एजेंसियों (NLAs) में से एक है।

भारत में मधुमक्खी पालन से संबंधित आँकड़े

  • राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के पास लगभग 12,699 मधुमक्खी पालक और 19.34 लाख मधुमक्खी कालोनियाँ पंजीकृत हैं।
  • उत्पादन: भारत लगभग 1,33,200 मीट्रिक टन शहद (वर्ष 2021-22 का द्वितीय अनुमान) का उत्पादन करता है।
  • निर्यात: भारत दुनिया के प्रमुख शहद निर्यातक देशों में से एक है और इसने 74,413 मीट्रिक टन शहद का निर्यात किया है जिसका मूल्य वर्ष 2021-22 के दौरान 1221.17 करोड़ रुपये  था।
  • भारतीय शहद के प्रमुख बाजार संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश, कनाडा आदि हैं।
  • भारत में प्रमुख शहद उत्पादक राज्य: उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, बिहार।
  • शहद की किस्में: सरसों शहद, नीलगिरी शहद, लीची शहद, सूरजमुखी शहद, पोंगामिया शहद, मल्टी-फ्लोरा हिमालयन शहद, बबूल शहद और जंगली वनस्पति शहद आदि भारत से निर्यात की जाने वाली शहद की कुछ प्रमुख किस्में हैं।
  • मीठी क्रांति (Sweet Revolution): यह मधुमक्खी पालन के समग्र विकास पर केंद्रित है।
  • राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (NBHM): यह केंद्र सरकार की योजना है, जिसमें वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन को विकसित और प्रचारित करना है ताकि गुणवत्तापूर्ण शहद और मधुमक्खी संबंधी अन्य उत्पादों का उत्पादन हो सके।
    • इसे राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।

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