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सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा पर केंद्रीय बजट 2025

Lokesh Pal February 10, 2025 12:46 38 0

संदर्भ 

भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए, केंद्रीय वित्त मंत्री ने वर्ष 2025-26 के लिए 99,858.56 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो पिछले वित्त वर्ष से लगभग 11 प्रतिशत की वृद्धि है।

बजट आवंटन

  • कुल आवंटन: ₹99,858.56 करोड़ (वर्ष 2024-25 में ₹89,974 करोड़ से 11% वृद्धि)।

प्रमुख नीतिगत उपाय

  • स्वास्थ्य सेवा व्यय और नीतिगत अंतराल: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के लिए 37,226.92 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, लेकिन कुल बजट में इसका हिस्सा समय के साथ कम होता गया।
    • आयुष्मान भारत PMJAY आवंटन: 9,406 करोड़ रुपये (वर्ष 2024-25 से 29% वृद्धि)।
    • PM आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PMABHIM): 4,200 करोड़ रुपये (पिछले वर्ष से 40% वृद्धि)।
  • जीवन रक्षक दवाओं पर शुल्क में कटौती
    • बुनियादी सीमा शुल्क (BCD) से छूट प्राप्त आवश्यक दवाओं का विस्तार।
    • 36 नई जीवन रक्षक दवाएँ जोड़ी गईं (कैंसर, दुर्लभ बीमारियों, पुरानी बीमारियों के लिए)।
    • 6 जीवन रक्षक दवाओं पर 5% की रियायती सीमा शुल्क लगेगा।
  • कैंसर देखभाल अवसंरचना: वर्ष 2025-26 तक सरकारी अस्पतालों में 200 नए कैंसर डेकेयर सेंटर खोले जाएँगे।
    • अगले 3 वर्षों में जिला स्तर पर कैंसर उपचार सुविधाएँ स्थापित करने की योजना है।
  • गिग वर्कर्स के लिए स्वास्थ्य सेवा कवरेज
    • आयुष्मान भारत (AB-PMJAY) के अंतर्गत समावेशन।
    • चिकित्सा देखभाल तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत ई-श्रम पोर्टल पर 10 मिलियन गिग वर्कर्स का पंजीकरण।
    • AB-PMJAY के लिए बजट: ₹4,200 करोड़।
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डिजिटल अवसंरचना
    • डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी-संचालित स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करना।
    • AI के लिए उत्कृष्टता केंद्र: तकनीक-संचालित स्वास्थ्य सेवा समाधानों को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये का निवेश।
  • चिकित्सा पर्यटन-‘हील इन इंडिया’ पहल
    • भारत को वैश्विक चिकित्सा पर्यटन केंद्र के रूप में बढ़ावा देना।
    • भारत को वैश्विक चिकित्सा पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय रोगियों हेतु वीजा (आगमन पर) की शुरुआत।
  • चिकित्सा शिक्षा एवं कार्यबल
    • इस वर्ष 10,000 नई मेडिकल सीटें जोड़ी जाएँगी, जिसका दीर्घकालिक लक्ष्य 5 वर्षों में 75,000 सीटें बढ़ाना है।
    • अटल टिंकरिंग लैब्स का विस्तार: सरकारी स्कूलों में 50,000 ATL का विस्तार किया जाएगा।

मुख्य आँकड़े

  • कुल स्वास्थ्य व्यय (THE): वित्त वर्ष 2022 में 9,04,461 करोड़ रुपये (GDP का 3.8%)।
  • सरकारी स्वास्थ्य व्यय (GHE): वित्त वर्ष 2015 में THE के 29% से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 48% हो गया।
  • आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE): वित्त वर्ष 2015 में THE के 62.6% से घटकर वित्त वर्ष 2022 में 39.4% हो गया।
  • आयुष्मान भारत PM-JAY: 12 करोड़ परिवारों (55 करोड़ व्यक्तियों) को कवर करता है, जिसमें 30,000 अस्पताल पैनल में शामिल हैं।

प्रमुख स्वास्थ्य देखभाल योजनाएँ और कार्यक्रम

  • आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY): वर्ष 2018 में दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित स्वास्थ्य आश्वासन योजना के रूप में शुरू की गई।
    • इसने प्रारंभ में 12.34 करोड़ परिवारों के 55 करोड़ व्यक्तियों को कवर करते हुए संवेदनशील आबादी को लक्षित किया।
    • कवरेज: माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती होने के लिए प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करता है।
    • विस्तार: 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को शामिल करने के लिए विस्तारित करके 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को लाभ प्रदान किया जाएगा।
    • प्रभाव: 36.36 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी किए गए, 30,000 अस्पतालों को पैनल में शामिल किया गया।
  • प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM-ABHIM): एक केंद्र प्रायोजित योजना (CSS), जिसका उद्देश्य भारत में स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे और सेवाओं में सुधार करना है।
    • इस योजना की अवधि वर्ष 2021-2022 से वर्ष 2025-2026 तक है।
    • उद्देश्य: 9,594 उप-केंद्र-स्वास्थ्य कल्याण केंद्रों (HWC) और 577 क्रिटिकल केयर ब्लॉकों सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM)
    • लॉन्च: भारत सरकार द्वारा वर्ष 2013 में पिछले मिशनों को शामिल करते हुए लॉन्च किया गया।
      • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (2005) और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (2012)।
    • घटक: इसमें स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण, प्रजनन-मातृ-नवजात-शिशु और किशोर स्वास्थ्य (RMNCH+A), तथा संचारी और गैर-संचारी रोग, बुनियादी ढाँचे का रखरखाव शामिल है।
    • उद्देश्य: NHM में न्यायसंगत, किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच की उपलब्धि की परिकल्पना की गई है, जो लोगों की आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी एवं जवाबदेही को संदर्भित करता हैं।
    • आवंटन: रोग निगरानी, ​​उन्नत परीक्षण सुविधाओं और आपातकालीन तैयारियों में सुधार के लिए 37,226.92 करोड़ रुपये।
  • जन औषधि योजना
    • वर्ष 2008 में शुरू की गई, यह योजना प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) का हिस्सा थी।
    • उद्देश्य: नागरिक, विशेषकर कम आय वर्ग और जीर्ण बीमारियों से पीड़ित लोगों को सस्ती दवाइयाँ उपलब्ध कराना।
    • विस्तार: वर्ष 2024 तक देश भर में 14,000 से अधिक जन औषधि केंद्र की स्थापना।

भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की चुनौतियाँ

  • कम सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय: भारत का सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा व्यय सकल घरेलू उत्पाद (बजट 2025) का केवल 1.94% है, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के 2.5% के लक्ष्य से बहुत कम है।
    • चीन (3.2%) और ब्राजील (3.9%) जैसे देश सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में स्वास्थ्य सेवा पर काफ़ी अधिक खर्च करते हैं।
  • अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना: भारत में प्रति 1,000 लोगों पर अस्पतालों में केवल 1.3 बेड हैं, जो कि प्रति 1,000 पर 3.5 की विश्व स्वास्थ्य संगठन की संस्तुति से बहुत कम है।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता में कमी है; भारत में डॉक्टर-रोगी अनुपात 1:1,511 है (विश्व स्वास्थ्य संगठन 1:1,000 की संस्तुति करता है)।
  • चिकित्सा पेशेवरों की कमी: भारत में प्रति 1,000 लोगों पर केवल 1.7 नर्स हैं, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 1,000 पर 3 के मानक से कम है।
    • बिहार और झारखंड में डॉक्टरों की संख्या सबसे कम है, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की पहुँच खराब है।
  • उच्च रोग भार (NCD  बनाम संचारी रोग): गैर-संचारी रोग (NCD) भारत में 63% मौतों का कारण बनते हैं (जैसे- हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर)।
    • भारत में 77 मिलियन मधुमेह रोगी हैं (चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर)।
  • निवारक स्वास्थ्य सेवा के लिए सीमित समर्थन; निवारक उपायों की तुलना में उपचारात्मक देखभाल पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • सीमित स्वास्थ्य बीमा कवरेज: 400 मिलियन से अधिक भारतीयों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है, विशेषकर अनौपचारिक क्षेत्र में।
    • आयुष्मान भारत (PMJAY) 12 करोड़ परिवारों को कवर करता है, लेकिन निम्न-मध्यम वर्ग के श्रमिक बीमा रहित हैं।
  • खराब निवारक और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा: राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के 66% के लक्ष्य के बावजूद, स्वास्थ्य बजट का केवल 40% प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा पर खर्च होता है।
    • भारत में तपेदिक (TB) के मामले उच्च बने हुए हैं- राष्ट्रीय TB उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) जैसे प्रयासों के बावजूद, सालाना 2.2 मिलियन मामले सामने आते हैं।
  • स्वास्थ्य सेवा में डिजिटल विभाजन: ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुँच लगभग 38% है, जिससे टेलीमेडिसिन और डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों की पहुँच सीमित हो गई है।
    • डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं तक असमान पहुँच, स्वास्थ्य संबंधी असमानताओं को बढ़ा रही है।
    • बजट 2025 में AI और डिजिटल स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी गई है, लेकिन ग्रामीण पहुँच के लिए संरचित दृष्टिकोण का अभाव है।
  • आउट-ऑफ-पॉकेट में उच्च व्यय (OOPE): आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, भारत का OOPE 39.4% है, जिससे कई लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा वहनीय नहीं रह गई है।
    • यू.के. और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में लगभग 13% OOPE है, क्योंकि वे सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों पर निर्भर हैं।
  • वृद्ध आबादी और दीर्घकालिक देखभाल की कमी: भारत की वृद्ध आबादी वर्ष 2050 तक 340 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है।
    • जापान और जर्मनी जैसे देशों में भारत के विपरीत समर्पित वृद्धावस्था देखभाल नीतियाँ हैं।

आगे की राह

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि: राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 के अनुसार, सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय को सकल घरेलू उत्पाद के 2.5% तक बढ़ाया जाना चाहिए।
    • प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने के लिए NHM बजट आवंटन में वृद्धि करना।
    • अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करने के लिए तंबाकू और शर्करा युक्त उत्पादों पर स्वास्थ्य सेवा उपकर लागू करना।
  • प्राथमिक और निवारक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करना: निवारक देखभाल पर ध्यान देना, टीकाकरण, जाँच, जीवनशैली में हस्तक्षेप बढ़ाना।
    • NHP 2017 के अनुसार, सुनिश्चित करना कि स्वास्थ्य बजट का दो-तिहाई हिस्सा प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के लिए आवंटित किया जाए।
  • चिकित्सा अवसंरचना और मानव संसाधन में सुधार करना: 100 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज जोड़कर, विशेषकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में डॉक्टर-और मरीज के अनुपात को बढ़ाना ।
    • ग्रामीण क्षेत्रों के लिए टेलीमेडिसिन और मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयों को बढ़ावा देना। 
    • ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा वितरण के लिए तमिलनाडु के हब-एंड-स्पोक मॉडल को पूरे देश में दोहराया जा सकता है।
  • स्वास्थ्य बीमा का विस्तार करना और OOPE को कम करना 
    • आयुष्मान भारत (PMJAY) का विस्तार करना: ‘लापता मध्यम’ (निम्न-मध्यम वर्ग के कर्मचारी) को इसमें शामिल करना।
    • स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर सब्सिडी देना और बीमा पर GST को 18% से घटाकर 5% करना।
    • जर्मनी का सार्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा मॉडल सभी नागरिकों के लिए कवरेज सुनिश्चित करता है, जिससे जेब से होने वाले खर्च में कमी आती है।
  • डिजिटल स्वास्थ्य और AI एकीकरण: इंटरऑपरेबल इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (EHR) बनाने के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (Ayushman Bharat Digital Mission-ABDM) को बढ़ावा देना।
    • निदान और पूर्वानुमानित स्वास्थ्य सेवा (जैसे- AI-संचालित टीबी और कैंसर स्क्रीनिंग) के लिए AI का उपयोग करना।
  • वृद्ध आबादी और दीर्घकालिक देखभाल को संबोधित करना: गृह-आधारित और चलित देखभाल मॉडल के साथ एक राष्ट्रीय वृद्ध-चिकित्सा देखभाल नीति प्रस्तुत करना।
    • जापान की एकीकृत वृद्ध देखभाल प्रणाली को भारत की बढ़ती वृद्ध आबादी के लिए अनुकूलित किया जा सकता है।
  • फार्मास्यूटिकल्स में मेडिकल टूरिज्म और R&D को बढ़ावा देना: कर प्रोत्साहन के साथ विशेष मेडिकल टूरिज्म जोन (Special Medical Tourism Zones-SMTZ) बनाना। 
    • फार्मास्यूटिकल्स और मेड-टेक में R&D के लिए फंडिंग बढ़ाना (उदाहरण के लिए, शोध के लिए भारित कर कटौती)। 
    • सिंगापुर का उच्च गुणवत्ता वाला मेडिकल टूरिज्म इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रत्येक वर्ष हजारों अंतरराष्ट्रीय मरीजों को आकर्षित करता है।

निष्कर्ष 

केंद्रीय बजट 2025 ने एक मजबूत नींव रखी है, लेकिन सतत विकास के लिए अधिक धन, निवारक देखभाल पर ध्यान और डिजिटल परिवर्तन आवश्यक हैं। बुनियादी ढांचे की कमी, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों और सामर्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान करना भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने और समग्र स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।

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