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Lokesh Pal September 14, 2024 02:31 128 0
जब से अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization) की नवीनतम विश्व रोजगार और सामाजिक परिदृश्य (World Employment and Social Outlook) रिपोर्ट में नौकरियों में गिरावट एवं बढ़ती असमानता को ऑटोमेशन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ते दायरे से जोड़ा गया है, तब से सार्वभौमिक बुनियादी आय (Universal Basic Income) की अवधारणा पर चर्चा शुरू हो गई है।
अपनी विशाल जनसंख्या, आय असमानता और बड़ी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के कारण भारत को UBI से कई तरह से लाभ हो सकता है।
सफल कार्यान्वयन के लिए सतर्क, चरणबद्ध और सुनियोजित दृष्टिकोण आवश्यक है।
वैश्विक अनुभवों से सीख लेकर, प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर तथा भारत के विविध सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य द्वारा प्रस्तुत अद्वितीय चुनौतियों का समाधान करके, UBI को इस तरह से लागू किया जा सकता है, जिससे जोखिम को न्यूनतम करते हुए देश की कल्याणकारी संरचना को मजबूती मिले।
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