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सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC)

Lokesh Pal December 14, 2024 02:05 40 0

संदर्भ 

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) तथा भारत जैसे विकासशील देश में ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ (Health for All) को लागू करना किस प्रकार व्यवहार्य बनाया जा सकता है, इस पर बहस छिड़ गई है। 

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) 

  • WHO के अनुसार, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हर किसी को वित्तीय कठिनाई के बिना गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच प्राप्त हो। UHC समानता, गैर-भेदभाव एवं स्वास्थ्य के अधिकार के सिद्धांतों पर आधारित है। 

UHC में शामिल हैं:

  • पहुँच: प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य संवर्द्धन, रोकथाम, उपचार, पुनर्वास एवं उपशामक देखभाल सहित स्वास्थ्य सेवाओं की पूर्ण श्रृंखला तक पहुँच प्राप्त है। 
  • समानता: UHC यह सुनिश्चित करता है कि सबसे अधिक हाशिए पर मौजूद आबादी तक पहुँच बनाई जाए एवं उसे कवर किया जाए। 
  • वित्तीय सुरक्षा: UHC यह सुनिश्चित करता है कि स्वास्थ्य सेवाओं के कारण वित्तीय कठिनाई न हो।

संवैधानिक प्रावधान

  • स्वास्थ्य का अधिकार जीवन के अधिकार का एक अभिन्न अंग है जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सभी मनुष्यों के लिए मौलिक अधिकार के रूप में है। 
  • संविधान के निदेशक सिद्धांतों के अनुच्छेद 47 में कहा गया है कि राज्य सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार, पोषण स्तर बढ़ाने एवं जीवन स्तर में सुधार के लिए जिम्मेदार है।

वर्तमान स्थिति

  • भारत में सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों की मिश्रित स्वास्थ्य प्रणाली है। सार्वजनिक क्षेत्र स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करता है, लेकिन सेवा वितरण तथा व्यय के मामले में निजी क्षेत्र का भारांक अधिक है।
  • खर्च: भारत स्वास्थ्य देखभाल (2023) पर सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 2.1% खर्च करता है, जो WHO द्वारा अनुशंसित 5% से कम है। इसका एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा ‘आउट-ऑफ-पॉकेट’ (Out-Of-Pocket- OOP) व्यय के रूप में है।

भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र का अवलोकन

  • स्वास्थ्य अवसंरचना: प्रति 1,511 लोगों पर 1 सरकारी डॉक्टर (WHO  की सिफारिश: 1:1,000)।
  • सार्वजनिक बनाम निजी: निजी क्षेत्र स्वास्थ्य सेवा पर अधिक भाग का प्रतिनिधित्त्व करता है, जो लगभग 70% रोगियों को सेवा प्रदान करता है।
  • बीमा पहुँच: प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) 500 मिलियन से अधिक लोगों को कवर करती है लेकिन अनौपचारिक श्रमिकों और शहरी गरीबों के लिए इसमें कुछ कमी रह जाती है।

भारत में स्वास्थ्य सेवा सांख्यिकी

  • आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE): कुल स्वास्थ्य व्यय का 55-60% हिस्सा इसके कारण खर्च होता है, जिससे प्रतिवर्ष 55 मिलियन लोग गरीबी रेखा के अंतर्गत चले जाते हैं।
  • जीवन प्रत्याशा: 69.6 वर्ष (वैश्विक औसत: 73 वर्ष)।
  • शिशु मृत्यु दर: प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 27 (2022), कई विकासशील देशों की तुलना में बेहतर है लेकिन वैश्विक मानकों से पीछे है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में चुनौतियाँ

  • स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच: लगभग 70% स्वास्थ्य देखभाल का वित्तपोषण OOP व्यय के माध्यम से किया जाता है, जिससे कई परिवारों को वित्तीय कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
  • बीमा कवरेज: केवल 25% जनसंख्या ही स्वास्थ्य बीमा के दायरे में है, तथा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच काफी असमानताएँ हैं।
  • स्वास्थ्य देखभाल कार्यबल: स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की कमी, डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात लगभग 1:1,500 है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की संस्तुति 1:1,000 है।

UHC हासिल करने में चुनौतियाँ

  • पहुँच एवं समानता: शहरी-ग्रामीण विभाजन एवं क्षेत्रीय असमानताएँ।
    • स्वास्थ्य सेवा का 70% बुनियादी ढाँचा शहरी क्षेत्रों में केंद्रित है, जबकि भारत की 65% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है।
  • विषम कार्यबल: कम सेवा वाले क्षेत्रों में डॉक्टरों, नर्सों एवं पैरामेडिक्स की कमी।
    • प्रति 1,000 जनसंख्या पर 2.06 नर्सें, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रति 1,000 पर 3 की सीमा से कम है।
  • वित्तीय सुरक्षा: स्वास्थ्य बीमा की कम पहुँच के कारण उच्च OOPE ।
    • केवल 41% जनसंख्या ही किसी न किसी प्रकार के स्वास्थ्य बीमा के अंतर्गत आती है। (NFHS-5)
  • देखभाल की गुणवत्ता: सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों में नैदानिक ​​देखभाल की गुणवत्ता में अंतर।
    •  भारत में 10% से भी कम निजी अस्पताल NABH द्वारा मान्यता प्राप्त हैं, जो गुणवत्ता असंगतता को दर्शाता है।
  • प्रशासन संबंधी मुद्दे: धन का अकुशल उपयोग, भ्रष्टाचार एवं जवाबदेही की कमी।

हितधारक

UHC के पेशेवर

UHC के विपक्ष

मरीजों OOPE में कमी, देखभाल तक बेहतर पहुँच, स्वस्थ आबादी PM-JAY जैसी योजनाओं में बहिष्करण त्रुटियों का जोखिम।
सरकार स्वस्थ कार्यबल, सामाजिक स्थिरता के माध्यम से आर्थिक लाभ। उच्च राजकोषीय बोझ, कार्यान्वयन चुनौतियाँ।
प्राइवेट सेक्टर बीमा उठाव में वृद्धि, नवप्रवर्तन के अवसर। सीमित मूल्य निर्धारण योजनाओं के तहत संभावित लाभ हानि।

सर्वोत्तम प्रथाएँ

भारत

  • तमिलनाडु: मुफ्त दवाओं एवं निदान के साथ मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली।
  • केरल: लगभग सार्वभौमिक टीकाकरण एवं भारत में सबसे कम IMR हासिल किया।
  • हरियाणा: मुख्यमंत्री मुफ्त उपचार योजना गरीबों के लिए मुफ्त उपचार सुनिश्चित करती है।

वैश्विक

  • थाईलैंड: प्रगतिशील कराधान, उच्च नागरिक संतुष्टि के माध्यम से UHC हासिल किया गया।
  • क्यूबा: समुदाय-केंद्रित मॉडल के माध्यम से सार्वभौमिक प्राथमिक देखभाल।
  • रवांडा: समुदाय-आधारित बीमा, >90% स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करना।

समाज में गरीबी एवं स्वास्थ्य के बीच अंतर्संबंध 

  • स्वास्थ्य एवं गरीबी: खराब स्वास्थ्य उच्च OOPE के कारण परिवारों को गरीबी के चक्र में फंसा देता है।
  • स्वास्थ्य एवं समाज: खराब स्वास्थ्य देखभाल पहुँच से असमानता एवं सामाजिक अशांति बढ़ती है।
  • स्वास्थ्य एवं OOPE : OOPE के कारण वित्तीय कठिनाइयों से शिक्षा, भोजन एवं आवास पर खर्च कम हो जाता है, जिससे गरीबी बनी रहती है।

UHC के समर्थन के लिए सरकारी पहल

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017
  • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM)
  • राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (NUHM)
  • चार मिशन मोड परियोजनाएँ शुरू कीं
    • पीएम-आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (PM-ABHIM)
    • आयुष्मान भारत स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र (ABHWCs)
    • प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY)
    • राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (NDHM)

आगे की राह

  • एकीकृत दृष्टिकोण: सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों को पीएम पोषण (PM POSHAN) जैसी शिक्षा एवं पोषण पहल के साथ जोड़ना।
  • सरकार के स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि: आर्थिक सर्वेक्षण वर्ष 2022-23 के अनुसार, सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल को सुलभ एवं किफायती बनाने के लिए, केंद्र तथा राज्यों के सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय को वर्ष 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद के 2.5% तक पहुँचने के लिए प्रगतिशील तरीके से बढ़ाया जाना चाहिए।
    • WHO द्वारा अनुशंसित सकल घरेलू उत्पाद का 5%।
  • निवारक देखभाल पर ध्यान देना: टीकाकरण, स्वच्छ जल एवं स्वच्छता के माध्यम से बीमारी का बोझ कम करना।
  • वैश्विक सहयोग: सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना, एवं महामारी संबंधी तैयारियों पर सहयोग करना। 
  • जवाबदेही तंत्र: फंड ट्रैकिंग एवं सार्वजनिक शिकायत निवारण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।
  • सार्वजनिक प्रणालियों को मजबूत करना: ग्रामीण स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना, अधिक कार्यबल को नियुक्त करना।
  • बीमा को बढ़ावा देना: अनौपचारिक श्रमिकों सहित PM-JAY कवरेज का विस्तार करना।
  • निजी क्षेत्र को विनियमित करना: उपचार की लागत को सीमित करना एवं गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करना।
  • डिजिटल स्वास्थ्य: दूरदराज के क्षेत्रों के लिए टेलीमेडिसिन एवं स्वास्थ्य तकनीक का लाभ उठाना।
    • वर्ष 2030 तक SDGs हासिल करने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में UHC का कायाकल्प करना।
    • UHC सतत विकास लक्ष्य (SDGs) लक्ष्य 3.8 में शामिल है।
  • UHC 2030 पार्टनरशिप जैसे WHO सहयोग में भाग लेना।

निष्कर्ष

प्रणालीगत कमियों को दूर करके एवं सफल मॉडलों से सीख लेकर, UHC सामाजिक समानता तथा आर्थिक विकास में योगदान करते हुए भारत के स्वास्थ्य परिदृश्य को बदल सकता है। भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली की संस्थागत क्षमता को मजबूत करना एवं स्वास्थ्य क्षेत्र को वित्तीय हस्तांतरण करना, UHC को भारत में वास्तविकता बना देगा। इससे भारतीय आबादी के जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने में मदद मिलेगी।

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