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ब्रह्मांड में सर्पिल आकाशगंगाएँ

Lokesh Pal July 04, 2024 05:17 51 0

संदर्भ

हाल ही में एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित एक नए अध्ययन में खगोलविदों से उस सिद्धांत पर सवाल किया गया, जिसके अंतर्गत पहले यह माना जाता था कि सर्पिल आकाशगंगाएँ लगभग 6 अरब वर्ष पहले निर्मित हुईं। 

  • ब्रह्मांड लगभग 13.8 अरब वर्ष पुराना है और इसमें विभिन्न प्रकार की आकाशगंगाएँ हैं, सर्पिल से लेकर अंडाकार तक तथा उभारयुक्त या बिना उभाररहित भी।

आकाशगंगाओं के प्रकार

    सर्पिल आकाशगंगाएँ

दीर्घवृत्ताकार आकाशगंगाएँ

      क्वासर्स (Quasars)

  • ये आकाशगंगाएँ विशाल घूर्णनशील ‘पिनव्हील’ जैसी दिखती हैं, जिनमें तारों की एक पैनकेक जैसी डिस्क और एक केंद्रीय उभार या तारों का सघन समूह होता है। 
  • सर्पिल भुजाएँ अधिक या शिथिल रूप से मुड़ी हुई हो सकती हैं। 
  • ये प्रभामंडल, पुराने तारों, तारा समूहों और डार्क मैटर के मिश्रण से घिरी हुई हैं। 
  • सबसे नवीन तारे गैस-समृद्ध वातावरण में बनते हैं, जबकि पुराने तारे पूरे डिस्क में और उभार एवं प्रभामंडल के भीतर पाए जा सकते हैं।
  • इनका आकार पूरी तरह गोल से लेकर अंडाकार तक होता है। 
  • सर्पिल आकाशगंगाओं के विपरीत, अंडाकार आकाशगंगाओं में आमतौर पर थोड़ी गैस और धूल होती है और बहुत कम संगठन या संरचना दिखाई देती है। 
  • तारे यादृच्छिक दिशाओं में कोर के चारों ओर परिक्रमा करते हैं और आम तौर पर सर्पिल आकाशगंगाओं की तुलना में पुराने होते हैं क्योंकि नए सितारों को बनाने के लिए आवश्यक गैस बहुत कम बची रहती है। 
  • वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि अंडाकार आकाशगंगाएँ सर्पिल के साथ टकराव और विलय से उत्पन्न होती हैं।
  • क्वासर सक्रिय आकाशगंगाओं का सबसे चमकदार प्रकार है।
  • ये विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम में प्रकाश उत्सर्जित करते हैं, शक्तिशाली कण जेट उत्पन्न करते हैं और मिल्की वे जैसी आकाशगंगा द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा से हजारों गुना अधिक ऊर्जा उत्सर्जित कर सकते हैं।
  • मार्केरियन 231 नामक निकटतम क्वासर लगभग 600 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित है।

मुख्य निष्कर्ष

  • सृष्टि निर्माण और विकास के पुराने सिद्धांत पर अब संदेह
    • खगोल विज्ञान में प्रचलित मान्यता: जैसे-जैसे ब्रह्मांड सघन प्लाज्मा अवस्था से ठंडा होता गया, इसमें अधिक-से-अधिक गर्म गैसें शामिल होती गईं।
      • इससे पदार्थ के समूहों का निर्माण हुआ, जो अंततः आकाशगंगाओं में बदल गए।
      • इन शुरुआती आकाशगंगाओं का आकार अनियमित था और उनमें डिस्क नहीं थीं।
      • सर्पिल ‘भुजाएँ’: लेकिन जैसे-जैसे वे ठंडी होती गईं, उनमें गर्म, मोटी डिस्क का निर्माण हुआ, जो बाद में पतली होती गईं और अंत में सर्पिल ‘भुजाएँ’ बन गईं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें अरबों वर्ष लग गए।
    • निष्कर्ष: हाल के शोध से पता चलता है कि इसका शीतलन और सर्पिल होने का निर्माण एक ही ब्रह्मांडीय समय के आसपास होता है।
  • सर्पिल आकाशगंगाओं का वृद्धिकारक अंश
    • शोधकर्ताओं ने सर्पिल आकाशगंगाओं की संख्या की तुलना कुल आकाशगंगाओं की संख्या से की। 
    • बिग बैंग के 3 बिलियन से 7 बिलियन वर्ष के बीच, सर्पिल आकाशगंगाओं का अंश लगभग 8% से बढ़कर 48% हो गया। जैसे-जैसे ब्रह्मांड पुरातन होता गया: सर्पिल आकाशगंगाएँ उस समय अधिक हो गईं, जब तारा निर्माण चरम पर था। 
    • पूर्व अवलोकन: इसने 5% से 30% तक की वृद्धि का संकेत दिया।
  • भविष्य की आकाशगंगा का विकास
    • गैस की कमी: समय के साथ, सर्पिल आकाशगंगाओं की भुजाओं में गैस कम होती जाती है, जिससे नए तारों का निर्माण धीमा हो जाता है।
    • गैलेक्टिक टकराव: पूर्वानुमानित टकराव, जैसे कि मिल्की वे और एंड्रोमेडा के बीच, तारों के निर्माण को फिर से शुरू कर सकते हैं और अंडाकार आकाशगंगाएँ बना सकते हैं।

प्रारंभिक ब्रह्मांड में आकाशगंगाओं का पता लगाना

कार्यप्रणाली: चूँकि प्रकाश को यात्रा करने में समय लगता है, इसलिए वैज्ञानिक इन आकाशगंगाओं से आने वाले प्रकाश का उपयोग समय में पीछे जाकर ब्लैक होल के विकास और आकाशगंगा विकास का अध्ययन करने के लिए कर सकते हैं।

टेलिस्कोप का उपयोग: जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (JWST) बनाम हबल स्पेस टेलिस्कोप (HST)

  • शुरुआत और सहयोग: JWST परियोजना की शुरुआत वर्ष 1996 में NASA, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी (CSA) के बीच सहयोग के रूप में हुई थी।
  • हबल की उत्तरवर्ती: इसे हबल स्पेस टेलिस्कोप के बाद अगली पीढ़ी के अंतरिक्ष दूरबीन के रूप में माना गया है, जिसका ध्यान अवरक्त खगोल विज्ञान पर है।

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