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‘लॉस एंड डैमेज’ फंड से अमेरिका की वापसी

Lokesh Pal March 11, 2025 02:29 18 0

संदर्भ

अमेरिका ने ‘लॉस एंड डैमेज’ फंड (Loss and Damage Fund) के बोर्ड से अपना नाम वापस ले लिया है।

संबंधित तथ्य

  • यह निर्णय ट्रंप प्रशासन द्वारा अंतरराष्ट्रीय जलवायु समझौतों से लगातार अलग होने को दर्शाता है।
  • अमेरिका ने पेरिस समझौते से खुद को अलग कर लिया, IPCC में अमेरिकी वैज्ञानिकों की भागीदारी को रोक दिया और ग्रीन क्लाइमेट फंड के लिए फंडिंग रद्द कर दी।

‘लॉस एंड डैमेज’ फंड (Loss and Damage Fund-LDF) के बारे में

  • यह ‘लॉस एंड डैमेज’ के संदर्भ में एक कोष है, जिसका अधिदेश विकासशील देशों की सहायता के लिए नुकसान और क्षति को संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित करना है।
  • मिस्र में वर्ष 2022 में 27वें UNFCCC सम्मेलन (COP27) में स्थापित किया गया था।
  • सदस्य देशों के बीच समझौतों के बाद COP28 में परिचालन शुरू किया गया।
  • इस कोष की देखरेख एक शासी बोर्ड द्वारा की जाती है, जो वित्तीय संसाधनों के आवंटन का निर्धारण करने के लिए जिम्मेदार है।
  • विश्व बैंक चार वर्षों के लिए अंतरिम ट्रस्टी के रूप में कार्य कर रहा है।

LDF का उद्देश्य

  • जलवायु परिवर्तन के कारण आर्थिक और अन्य नुकसान झेल रहे विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • चरम मौसमी घटनाओं और समुद्र के बढ़ते स्तर और मरुस्थलीकरण जैसी धीमी गति से शुरू होने वाली प्रक्रियाओं से प्रभावित क्षेत्रों का समर्थन करता है।
  • विकासशील देश, विशेष रूप से छोटे द्वीपीय देश, औद्योगिक देशों द्वारा जलवायु क्षति के कारण लंबे समय से वित्तीय सहायता की माँग कर रहे हैं।

‘लॉस एंड डैमेज’ फंड से संबंधित चिंताएँ

  • जलवायु निधि अक्सर प्रभावित क्षेत्रों, खासकर उप-राष्ट्रीय स्तर पर, तक धीमी गति तक पहुँचती है।
  • LDF को समय पर वित्तीय सहायता वितरित करने में इसी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • उत्सर्जन में भारी कमी के बिना, जलवायु परिवर्तन तीव्र हो जाएगा, जिससे शमन, अनुकूलन और हानि और क्षति निधि की आवश्यकता बढ़ जाएगी।

अमेरिकी वापसी के निहितार्थ

  • निधि पर प्रभाव: अब तक निधि के लिए लगभग 750 मिलियन डॉलर का वादा किया गया है, जिसमें से अमेरिका ने 17.5 मिलियन डॉलर का योगदान दिया है।
  • जलवायु न्याय में अनिश्चितता: LDF बोर्ड से अमेरिका के हटने से वैश्विक जलवायु न्याय और ऐतिहासिक उत्सर्जन के लिए जवाबदेही कमजोर होती है।

आपदा प्रबंधन के चरण

घटक

विवरण

उदाहरण

शमन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करके जलवायु परिवर्तन को सीमित करने के लिए की गई कार्रवाई। सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण।
अनुकूलन जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए सक्रिय कार्रवाई। अफ्रीका में मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए ग्रेट ग्रीन वॉल पहल।
‘लॉस एंड डैमेज’ जलवायु परिवर्तन के शमन या अनुकूलन के अतिरिक्त अपरिवर्तनीय परिणाम। बढ़ते समुद्री स्तर के कारण मालदीव के जलमग्न होने का खतरा।

जलवायु वित्त के बारे में

  • जलवायु वित्त में शमन और अनुकूलन का समर्थन करने के लिए सार्वजनिक तथा निजी स्रोतों से स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण शामिल है।
  • जलवायु वित्त के सिद्धांत
    • प्रदूषक भुगतान सिद्धांत: उच्च उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार देशों को जलवायु वित्त में अधिक योगदान देना चाहिए।
    • सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियाँ (CBDR-RC): विकसित देशों को जलवायु अनुकूलन और शमन में विकासशील देशों की सहायता करनी चाहिए।

UNFCCC द्वारा समन्वित बहुपक्षीय जलवायु कोष

फंड

वर्ष/अनुबंध

उद्देश्य

वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) वर्ष 1994 पर्यावरणीय परियोजनाओं के लिए विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
अनुकूलन निधि (AF) वर्ष 2001 (क्योटो प्रोटोकॉल) विकासशील देशों द्वारा पूर्ण स्वामित्व के साथ अनुकूलन परियोजनाओं का समर्थन करता है।
स्वच्छ विकास तंत्र (CDM) वर्ष 2001 (क्योटो प्रोटोकॉल) विकसित देशों को विकासशील देशों में उत्सर्जन-कमी परियोजनाओं में निवेश करने की अनुमति देता है।
ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) वर्ष 2010 (COP16) विकासशील देशों में शमन और अनुकूलन परियोजनाओं का समर्थन करता है।
अल्प विकसित देश कोष (LDCF) वर्ष 2010 (GCF के अंतर्गत) कम विकसित देशों के लिए लक्षित सहायता प्रदान करता है।
विशेष जलवायु परिवर्तन कोष (SCCF) वर्ष 2010 (GCF के अंतर्गत) विकासशील देशों में अनुकूलन और शमन परियोजनाओं का समर्थन करता है।
कैनकुन समझौते (Cancun Agreements) वर्ष 2010 अल्पकालिक और दीर्घकालिक जलवायु वित्त का संग्रहण।
पेरिस समझौता वर्ष 2015 विकसित राष्ट्रों ने वर्ष 2025 तक जलवायु वित्त पोषण के लिए प्रति वर्ष कम-से-कम 100 बिलियन डॉलर जुटाने की प्रतिबद्धता जताई है।
‘लॉस एंड डैमेज’ फंड वर्ष 2022 (COP27 & COP28) जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
स्वच्छ प्रौद्योगिकी निधि (CTF) वर्ष 2008 (विश्व बैंक के अंतर्गत) स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन का समर्थन करता है।
रणनीतिक जलवायु कोष (SCF) वर्ष 2010 नवीन जलवायु अनुकूलन समाधानों पर ध्यान केंद्रित करता है।

भारत की जलवायु वित्त पहल

  • जलवायु परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय अनुकूलन निधि (NAFCC) (2015): अनुकूलन परियोजनाओं का समर्थन करता है।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा निधि (2010-11): स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान और परियोजनाओं को वित्तपोषित करता है।
  • इच्छित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (INDC) (2015): पेरिस समझौते के तहत भारत की प्रतिबद्धताएँ।
  • जलवायु परिवर्तन वित्त इकाई (2011) : जलवायु वित्त नीतियों का समन्वय करती है।

जलवायु वित्त की चुनौतियाँ

  • फंडिंग गैप: राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के तहत प्रदान किया जाने वाला जलवायु वित्त राष्ट्रीय आवश्यकताओं से कम है।
  • असमान पहुँच: कम विकसित देशों को बहुपक्षीय जलवायु कोषों से प्रति व्यक्ति कम फंडिंग मिलती है।
  • धीमी स्वीकृति प्रक्रिया: नौकरशाही बाधाओं के कारण फंड वितरण में देरी होती है, जिससे समय पर जलवायु कार्रवाई प्रभावित होती है।
  • व्यवहार्यता गैप फंडिंग: कई परियोजनाओं को निष्पादन के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

आगे की राह 

  • ‘लॉस एंड डैमेज’ फंड को मौजूदा जलवायु वित्त तंत्र द्वारा छोड़े गए अंतराल को पाटना चाहिए।
  • उत्सर्जन में कमी जैसे मूल कारणों को संबोधित किए बिना, केवल वित्तीय सहायता जलवायु आपदाओं को नहीं रोक पाएगी।
  • भारत को जलवायु वित्त को सुव्यवस्थित करने, प्रभावी अनुकूलन और हानि तथा क्षति प्रतिक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए एक स्पष्ट कानूनी एवं नीतिगत ढाँचे की आवश्यकता है।
  • कमजोर समुदायों की सुरक्षा के लिए स्थानीय स्तर पर संचालित अनुकूलन प्रयासों को मजबूत करना महत्त्वपूर्ण है।

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