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उत्तर प्रदेश में डीजीपी नियुक्ति के नए नियम

Lokesh Pal November 07, 2024 03:42 58 0

संदर्भ 

उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्रिमंडल ने अपने पुलिस महानिदेशक (DGP) की नियुक्ति के लिए नए नियमों (‘पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश चयन एवं नियुक्ति नियमावली, 2024’) को मंजूरी दे दी है।

‘पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश चयन एवं नियुक्ति नियमावली, 2024’ के बारे में

  • उत्तर प्रदेश सरकार ने ब्रिटिश काल के पुलिस अधिनियम, 1861 के तहत नए नियमों का प्रस्ताव किया है।
  • उद्देश्य: आधिकारिक वक्तव्य के अनुसार, ये नियम वर्ष 2006 के प्रकाश सिंह एवं अन्य बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय के परिप्रेक्ष्य में लाए गए हैं। निर्णय में राज्य सरकारों से एक नया पुलिस अधिनियम बनाने का आह्वान किया गया है, जो नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा और कानून का शासन स्थापित करेगा।
  • पृष्ठभूमि: उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 से कोई नियमित पुलिस महानिदेशक नहीं है क्योंकि राज्य ने राज्य पुलिस प्रमुख नियुक्त किए जाने के योग्य वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारियों का पैनल नहीं बनाया है।
    • सर्वोच्च न्यायालय जल्द ही कम-से-कम आठ राज्यों अर्थात् पंजाब, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, झारखंड और बिहार को तदर्थ पुलिस महानिदेशक नियुक्त करने के लिए जारी किए गए अवमानना ​​नोटिसों पर सुनवाई करेगा।
  • प्रावधान
    • चयन एवं नियुक्ति समिति: पुलिस महानिदेशक के चयन एवं नियुक्ति के लिए समिति होगी।
      • अध्यक्ष: इसकी अध्यक्षता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे।
      • अन्य सदस्य: राज्य के मुख्य सचिव; UPSC का एक नामित व्यक्ति; उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या नामित व्यक्ति; गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव; तथा सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक।
    • निश्चित कार्यकाल: नए नियमों में पुलिस महानिदेशक कार्यालय का न्यूनतम कार्यकाल दो वर्ष निर्धारित किया गया है।
    • पात्रता: पात्र अभ्यर्थियों के पास रिक्ति सृजन की तिथि तक छह माह की सेवा शेष होनी चाहिए।
      • इसके अलावा, जो अधिकारी वर्तमान में वेतन मैट्रिक्स के स्तर 16 पर महानिदेशक (DG) की भूमिका में कार्यरत हैं, उनके भी चयन के लिए विचार किया जाएगा।
    • निष्कासन: राज्य सरकार पुलिस महानिदेशक को दो वर्ष पूरे होने से पहले हटा सकती है, यदि उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला या भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया हो या वह अन्यथा अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में विफल रहता हो।

राज्य पुलिस महानिदेशकों की नियुक्ति

  • केंद्र सरकार की ओर से UPSC अध्यक्ष की अध्यक्षता वाली एक पैनल समिति संबंधित राज्य सरकार को 3 अधिकारियों की सूची देती है। राज्य सरकार को सूची में से एक नाम चुनना होता है और उसे पुलिस महानिदेशक के पद पर नियुक्त करना होता है।
    • सदस्य: समिति में केंद्रीय गृह सचिव, राज्य सरकार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक तथा गृह मंत्रालय द्वारा नामित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के प्रमुखों में से एक शामिल होता है, जो इसके सदस्यों के समान कैडर से नहीं होता है।
  • राज्य सरकार को अपनी ओर से वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारियों का एक पैनल बनाना होगा, जो राज्य पुलिस प्रमुख नियुक्त किए जाने के योग्य हों, जैसा कि वर्ष 2006 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा निर्धारित किया गया है।
  • राज्य पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति के लिए UPSC के दिशा-निर्देश: UPSC ने पहली बार वर्ष 2009 में राज्य पुलिस महानिदेशक के पद पर नियुक्ति के लिए एक पैनल तैयार करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए थे।
    • चयन: राज्य सरकार द्वारा विभाग के तीन वरिष्ठतम अधिकारियों में से पुलिस महानिदेशक का चयन किया जाएगा, जिन्हें UPSC द्वारा उस पद पर पदोन्नति के लिए पैनल में शामिल किया गया है।
    • केवल उन पुलिस अधिकारियों को ही राज्य के पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्ति के लिए विचार किया जाएगा, जिनकी सेवानिवृत्ति से पहले कम-से-कम छह महीने की सेवा शेष हो।
    • केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर अधिकारी: यदि केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) राज्य सरकार को सूचित करता है कि “अधिकारियों को कार्यमुक्त करना संभव नहीं होगा” तो समिति राज्य डीजीपी के पद के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारियों का मूल्यांकन नहीं करेगी।
    • अनुभव: योग्य अधिकारियों को कानून और व्यवस्था, अपराध शाखा, आर्थिक अपराध शाखा, या खुफिया शाखा जैसे क्षेत्रों में दस वर्ष का अनुभव तथा खुफिया ब्यूरो, अनुसंधान और विश्लेषण विंग, या केंद्रीय जाँच ब्यूरो जैसे केंद्रीय निकायों में प्रतिनियुक्ति की आवश्यकता होती है।
    • शॉर्टलिस्ट करना: अधिकतम 3 उम्मीदवारों को ही शॉर्टलिस्ट किया जा सकता है, लेकिन “असाधारण परिस्थितियों” में सूची में तीन से कम अधिकारी शामिल हो सकते हैं।

पुलिस सुधार पर सर्वोच्च न्यायालय का प्रकाश सिंह मामले में निर्णय

  • वादी: उत्तर प्रदेश पुलिस और असम पुलिस के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह ने वर्ष 1996 में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद पुलिस सुधारों की माँग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी।
  • सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय: इसने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पुलिस सुधार लाने का निर्देश दिया और कई निर्देश जारी किए, जिन्हें लागू करने की जरूरत थी ताकि पुलिस को किसी भी राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त किया जा सके।
  • निर्देश: निर्णय में उच्चतम न्यायालय के छह मुख्य निर्देश थे:-
    • स्थायी सुरक्षा: राज्य के IG और पुलिस महानिदेशक कार्यालय को नियुक्ति के बाद न्यूनतम 2 वर्ष की स्थायी सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए, ताकि उनके कामकाज में राजनीतिक हस्तक्षेप की स्थिति से बचा जा सके।
    • शक्तियों का पृथक्करण: दस लाख या उससे अधिक की आबादी वाले कस्बों/शहरी क्षेत्रों से शुरू करके, धीरे-धीरे छोटे कस्बों/शहरी क्षेत्रों तक पुलिस व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए जाँच और कानून व्यवस्था के कार्य को अलग करना।
    • पुलिस स्थापना बोर्ड की स्थापना: राज्य स्तर पर पुलिस अधिकारियों और वरिष्ठ नौकरशाहों से मिलकर बना एक पुलिस स्थापना बोर्ड (Police Establishment Board-PIB) पुलिस उपाधीक्षक के पद से नीचे के अधिकारियों के सभी स्थानांतरण, पोस्टिंग, पदोन्नति और अन्य सेवा संबंधी मामलों पर निर्णय लेगा।
    • राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण (State Police Complaints Authority-SPCA): पुलिस कार्रवाई से पीड़ित आम लोगों को अपनी शिकायतें दर्ज कराने के लिए एक मंच देने हेतु राज्य और जिला स्तर पर राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण (SPCA) की स्थापना करना।
    • राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग: केंद्रीय पुलिस संगठनों (Central Police Organisations-CPO) के प्रमुखों के चयन और नियुक्ति के लिए उपयुक्त नियुक्ति प्राधिकरण के समक्ष रखे जाने वाले पैनल को तैयार करने के लिए संघ स्तर पर एक राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग की स्थापना करना।
    • राज्य सुरक्षा आयोग: राज्य सुरक्षा आयोग (State Security Commissions-SSC) की स्थापना करना, जिसमें राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, रिबेरो समिति या सोराबजी समिति द्वारा अनुशंसित किसी भी मॉडल पर नागरिक समाज के सदस्य शामिल होंगे।

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