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Lokesh Pal
March 21, 2025 03:13
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केरल उच्च न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि मीडिया में हिंसक सामग्री के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं, लेकिन इस संबंध में की गई किसी भी कार्रवाई में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए।
नैतिक कथानक को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, सेंसरशिप के जरिए लागू नहीं किया जाना चाहिए। सार्वजनिक तथा संवैधानिक नैतिकता को विनियमों का मार्गदर्शन करना चाहिए, लेकिन कलात्मक अभिव्यक्ति को निर्देशित नहीं करना चाहिए।
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