100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

अंटार्कटिका की बर्फ के पिघलने में गर्म जल की भूमिका

Lokesh Pal June 27, 2024 06:10 58 0

संदर्भ

हाल ही में वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिक बर्फ की चादरों के ‘अनियंत्रित तरीके से पिघलने’ की ओर एक नई स्थिति का पता लगाया है, जो स्थल और उस पर स्थित बर्फ के बीच समुद्री गर्म जल के प्रवेश के कारण हो रहा है। 

  • मानव-जनित वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, अंटार्कटिका में बर्फ की चादरें पिघल रही हैं, जिससे वैश्विक समुद्र स्तर में वृद्धि का खतरा उत्पन्न हो रहा है और तटीय समुदायों के लिए खतरा पैदा हो रहा है। 

टिपिंग पॉइंट (Tipping Points)

  • IPCC के अनुसार, टिपिंग पॉइंट ‘किसी प्रणाली में महत्त्वपूर्ण सीमा होती है, जिसे पार करने पर प्रणाली की स्थिति में प्रमुख परिवर्तन आ सकता है, अक्सर यह समझ बनी रहती है कि यह परिवर्तन अपरिवर्तनीय है। 

रनवे मेल्टिंग (Runaway Melting)

  • महासागर के तापमान में वृद्धि के कारण एक ऐसा बिंदु उत्पन्न हो सकता है, जिसके बाद महासागर का जल बर्फ की चादर के नीचे अनियंत्रित तरीके से प्रवेश कर जाता है तथा यह प्रक्रिया बर्फ पिघलने की प्रक्रिया के रूप में जारी रहती है। 

संबंधित तथ्य

  • दुष्चक्र (Vicious Cycle): महासागरों के तापमान में वृद्धि से ‘अनियंत्रित’ प्रतिक्रिया प्रभाव उत्पन्न हो सकता है, जो समुद्री गर्म जल को और अधिक अंतर्देशीय क्षेत्रों में धकेल देता है, जिससे पिघलने की दर अधिक होती है और समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ता है। 

बर्फ के नीचे समुद्री गर्म जल का प्रवेश

  • प्रेरणार्थक कारण (Causative Reason): इस तरह का प्रवेश बर्फ की चादर के नीचे से बहने वाले ताजे जल और अपेक्षाकृत महासागर के गर्म जल के बीच घनत्व में अंतर के कारण होती है, जहाँ बर्फ समुद्र तल से मिलती है, यह वह क्षेत्र जिसे ग्राउंडिंग लाइन के रूप में जाना जाता है। 
    • यह सैकड़ों मीटर बर्फ के नीचे होता है, लेकिन सिमुलेशन से पता चलता है कि गर्म जल कुछ स्थानों पर कई किलोमीटर तक अंदर तक फैल सकता है। 
    • ‘रनवे’ सकारात्मक प्रतिक्रिया प्रभाव: जब महासागर का जल एक निश्चित तापमान सीमा तक पहुँच जाता है, तो यह ग्राउंडिंग लाइन पर बर्फ को तेजी से पिघला देता है, जिसे बहने वाली बर्फ द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है। 
      • जैसे-जैसे इस रिक्त स्थान में वृद्धि होती है, अधिक समुद्री जल बर्फ की चादर के नीचे बह सकता है और आगे अंतर्देशीय क्षेत्र में प्रवेश कर सकता है, जो एक “अनियंत्रित” सकारात्मक प्रतिक्रिया प्रभाव के बराबर है। 

थ्वाइट्स ग्लेशियर – डूम्सडे ग्लेशियर (Thwaites Glacier – Doomsday Glacier)

  • इसकी चौड़ाई अधिकतम 120 किमी. है, यहाँ बर्फ तेजी से पिघल रही है तथा पिछले कुछ वर्षों में यहाँ बर्फ पिघलने की दर में वृद्धि में बढ़ोतरी हुई है। 
  • अपने आकार (1.9 लाख वर्ग किमी.) के कारण, इसमें इतना जल है कि यह विश्व के समुद्र स्तर को आधे मीटर से अधिक बढ़ा सकता है। 
    • पाइन आइलैंड ग्लेशियर के साथ-साथ इसे पश्चिमी अंटार्कटिक बर्फ की चादर के ‘संवेदनशील भाग’ के रूप में वर्णित किया गया है, क्योंकि यह महत्त्वपूर्ण रूप से पीछे हटने के प्रति संवेदनशील है। 

अंटार्कटिका की बर्फ पिघलने का प्रभाव

  • समुद्र स्तर में वृद्धि (Sea Level Rise): अंटार्कटिका के ग्लेशियरों के पिघलने से वैश्विक समुद्र स्तर में तीव्र वृद्धि हो रही है, जिससे विश्व भर के तटीय क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं। 
    • उदाहरण के लिए: पश्चिमी अंटार्कटिका में स्थित थ्वाइट्स ग्लेशियर (Thwaites Glacier) यदि पूरी तरह से पिघल जाए तो इससे समुद्र के जल स्तर में 3 मीटर की वृद्धि हो सकती है। 
  • थर्मोहैलाइन सर्कुलेशन (Thermohaline Circulation): पिघलते ग्लेशियरों से निकलने वाला ताजा जल थर्मोहैलाइन सर्कुलेशन को बाधित कर सकता है, जिससे अल-नीनो (El-Nino) और ला-नीना (La-Nina) परिघटनाओं सहित वैश्विक जलवायु प्रणालियाँ प्रभावित हो सकती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: दक्षिणी महासागर की लवणता में परिवर्तन को अल-नीनो पैटर्न में परिवर्तन से जोड़ा गया है। 
  • समतापमंडलीय तापमान में अचानक वृद्धि (Sudden Stratospheric Warming- SSW): पिघलते ग्लेशियरों के कारण अंटार्कटिका में समतापमंडलीय तापमान में अचानक वृद्धि (SSW) हो सकती है, जिससे दक्षिणी गोलार्द्ध में मौसम का पैटर्न प्रभावित हो सकता है, जैसे ऑस्ट्रेलिया में वनाग्नि की घटनाओं में वृद्धि। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2019-2020 की ऑस्ट्रेलियाई बुशफायर को आंशिक रूप से अंटार्कटिक SSW घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। 
  • एल्बिडो प्रभाव (Albedo Effect): बर्फ का आवरण कम होने से पृथ्वी का एल्बिडो प्रभाव कम हो जाता है, जिससे तापमान बढ़ जाता है और बर्फ पिघलने की गति बढ़ जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: अंटार्कटिक प्रायद्वीप में बर्फ की मात्रा में कमी आई है, जिससे एल्बिडो में कम हुआ है। 
  • जैव विविधता पर प्रभाव (Biodiversity Impact): बर्फ की हानि समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करती है, जिससे क्रिल जैसी प्रजातियों के आवास में व्यवधान उत्पन्न होता है, जो अंटार्कटिका के खाद्य जाल के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। 
    • उदाहरण के लिए: क्रिल आबादी में गिरावट देखी गई है, जिसका असर पेंगुइन और अन्य समुद्री प्रजातियों पर पड़ा है। 
  • महासागरीय अम्लीकरण (Ocean Acidification): बर्फ पिघलने से महासागरों में अधिक मात्रा में ताजा जल प्रवेश करता है, जिससे pH स्तर में परिवर्तन हो सकता है जो महासागरीय अम्लीकरण में योगदान दे सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: दक्षिणी महासागर में अम्लीकरण की दर तेजी से बढ़ रही है, जिससे समुद्री जीवन प्रभावित हो रहा है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.