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जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) संशोधन विधेयक, 2024

Lokesh Pal February 08, 2024 04:31 129 0

संदर्भ 

हाल ही में राज्यसभा ने जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया।

संबंधित तथ्य 

  • यह विधेयक जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 में संशोधन के फलस्वरूप लाया गया है।
    • इस विधेयक में कई उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखकर उस पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
    • राज्य बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव किया गया है।
    • इस कानून को शुरुआत में हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू किया जाएगा।
प्रावधान 

जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 

जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) संशोधन विधेयक, 2024 

उद्योग स्थापित करने में सहमति से छूट अधिनियम के अनुसार, किसी भी उद्योग या संयंत्र की स्थापना के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है, क्योंकि बोर्ड को अवशिष्ट जल की निकासी संबंधी जानकारी देनी पड़ती है।
  • विधेयक में प्रावधान है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के परामर्श से केंद्र सरकार कुछ श्रेणियों के औद्योगिक संयंत्रों को ऐसी पूर्व अनुमति लेने से छूट दे सकती है।
  • विधेयक में यह भी प्रावधान है कि केंद्र सरकार ‘राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB)’ द्वारा दी गई अनुमति को मंजूरी देने, अस्वीकार करने या रद्द करने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर सकती है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति  अधिनियम के तहत, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) के अध्यक्ष को मनोनीत राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। इस विधेयक में कहा गया है कि केंद्र सरकार SPCB के अध्यक्ष के नामांकन की प्रक्रिया और सेवा की शर्तों को निर्धारित करेगी।
प्रदूषणकारी पदार्थों का स्राव 
  • राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड किसी भी गतिविधि पर तुरंत रोक लगाने के लिए निर्देश जारी कर सकता है, जिससे जल निकायों में हानिकारक या प्रदूषणकारी पदार्थों का स्राव हो रहा है।
  • कुछ मामलों को छोड़कर, अधिनियम जल निकायों या भूमि पर प्रदूषणकारी पदार्थों के संबंध में मानकों (जो SPCB द्वारा निर्धारित होंगे) के उल्लंघन पर भी रोक लगाता है।
  • छूट: भूमि को उपयोग करने के लिए किसी जल निकाय के किनारे गैर-प्रदूषणकारी सामग्री जमा किया जा सकता है।
  • सजा: इन प्रावधानों का उल्लंघन करने पर डेढ़ साल से छह साल तक का कारावास और जुर्माना हो सकता है।
इस विधेयक में सजा के प्रावधान को हटा दिया गया है तथा इसके बजाय 10,000 रुपये से 15 लाख रुपये के बीच जुर्माना का प्रावधान है।
निगरानी करने वाले उपकरणों के साथ छेड़छाड़  अधिनियम में ऐसे किसी प्रावधान का उल्लेख नहीं है।
  • इस विधेयक में निगरानी उपकरणों के साथ छेड़छाड़ के लिए दंड का उचित प्रावधान है, जो किसी उद्योग या संयंत्र के स्थापित होने की शर्तें तय करता है।
  • 10,000 रुपये से 15 लाख रुपये के बीच जुर्माना का प्रावधान होगा।
अन्य अपराधों के लिए जुर्माना 
  • अधिनियम के तहत, जिन अपराधों के लिए सजा स्पष्ट रूप से निर्देशित नहीं है, उसमें तीन महीने का कारावास या 10,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
  • अधिनियम के तहत, किसी भी प्रावधान के उल्लंघन के लिए जुर्माना नहीं देने पर तीन साल तक के कारावास की सजा हो सकती है, या लगाए गए जुर्माने की राशि को दोगुना किया जा सकता है।
विधेयक में सजा के रूप में कारावास को हटा दिया गया है तथा 10,000 रुपये से 15 लाख रुपये के बीच जुर्माने का प्रावधान है।
अपराधों का संज्ञान  अधिनियम के अनुसार, यदि केंद्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) या राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) द्वारा शिकायत की जाती है, या किसी व्यक्ति अथवा संस्थान द्वारा शिकायत दर्ज कराई जाती है, तो न्यायालय अपराध का संज्ञान ले सकती है। विधेयक में पूर्व के प्रावधानों के अलावा यह भी कहा गया है कि यदि संबंधित अधिकारी द्वारा शिकायत की जाती है तो संज्ञान लिया जा सकता है।
सरकारी विभागों द्वारा अपराध  संबंधित विभाग के प्रमुख को सरकारी विभागों द्वारा किए गए अपराधों के लिए दोषी माना जाएगा, जब तक कि दोषी व्यक्ति साबित न कर दे कि इस उल्लंघन से बचने के लिए तमाम उचित उपाय किए गए थे। विधेयक निर्देशित करता है कि यदि कोई विभाग अधिनियम के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करता है तो संबंधित विभाग के प्रमुख को अपने मासिक मूल वेतन के बराबर जुर्माना देना पड़ सकता है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Centre Pollution Control Board- CPCB) 

    • इसका गठन सितंबर, 1974 में जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत किया गया था।
      • वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत इस बोर्ड की शक्तियाँ और कार्यों को निर्धारित किया गया है।
  • प्रमुख कार्य
    • जल प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और न्यूनीकरण द्वारा राज्यों में जलधाराओं और कुओं की सफाई एवं रख-रखाव को बढ़ावा देना।
    • वायु की गुणवत्ता में सुधार करना तथा देश में वायु प्रदूषण को रोकना, नियंत्रित करना एवं कम करना
  • यह केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत तकनीकी सेवाएँ भी प्रदान करता है।

संशोधन का महत्त्व

  • विकास और पर्यावरण संरक्षण में संतुलन: यह विधेयक सुनिश्चित करता है कि व्यवसायी और कंपनियाँ छोटी तकनीकी या प्रक्रियात्मक चूक के लिए कारावास की चिंता छोड़कर आसानीपूर्वक काम कर सकें।
  • जल प्रदूषण संबंधी चिंताओं को दूर करने में पारदर्शी माध्यम: अपराधों के लिए दंड का निर्धारण अपराधों की गंभीरता के अनुरूप होंगे, जिससे निष्पक्ष और आनुपातिक दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा।

जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 

  • यह अधिनियम भारत में प्रदूषण नियंत्रण के लिए निर्मित पहला राष्ट्रीय कानून है।
  • यह जल प्रदूषण को रोकने और कम करने के लिए एक संस्थागत संरचना की स्थापना करता है।
  • यह जल की गुणवत्ता और प्रवाह के लिए मानक निर्धारित करता है।
  • अधिनियम का मुख्य उद्देश्य: सीवेज प्रणाली, उर्वरकों और कीटनाशकों के रसायनों के कारण प्रमुख नदियों और इसकी सहायक नदियों के जल प्रदूषण की जाँच करना।
  • उद्योगों को अपने अपशिष्ट पदार्थों को जलीय निकायों में प्रवाहित करने के लिए अनुमति लेनी होगी।
  • इसी अधिनियम के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Centre Pollution Control Board- CPCB) का गठन किया गया था।

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