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भारत में मौसम पूर्वानुमान

Lokesh Pal October 22, 2024 02:21 62 0

संदर्भ

भारत की लगभग दो-तिहाई आबादी बाढ़ के खतरे का सामना करती है, लेकिन केवल एक-तिहाई आबादी के पास ही आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली तक पहुँच है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD)

  • मुख्य एजेंसी: IMD भारत में मौसम और जलवायु सेवाओं के लिए प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
  • स्थापना: वर्ष 1875 में।
  • मंत्रालय: यह केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अधीन कार्य करता है।
  • मुख्यालय: मौसम भवन, लोधी रोड, नई दिल्ली में स्थित है।
  • आईएमडी ने संयुक्त राष्ट्र के ‘सभी के लिए शीघ्र चेतावनी’ (Early Warning for All) कार्यक्रम में योगदान देने के लिए साझेदारी की है। 
  • इसे दक्षिण एशिया के लिए क्षेत्रीय जलवायु केंद्र के रूप में मान्यता प्राप्त है।

संबंधित तथ्य

  • भारत में इस वर्ष मानसून का मौसम हाल के समय में सबसे खराब रहा है तथा बार-बार बाढ़ आने से अधिकांश राज्य प्रभावित हुए हैं।
  • ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (Council on Energy, Environment and Water- CEEW) के वर्ष 2021 के एक अध्ययन के अनुसार, भारत के लगभग 40% जिले बारी-बारी से जलवायु संबंधी खतरों का सामना करते हैं, जिसका अर्थ है कि बाढ़-प्रवण क्षेत्रों को शुष्क मौसम के दौरान सूखे का भी सामना करना पड़ता है और शुष्क-प्रवण क्षेत्रों को वर्षा के मौसम के दौरान बाढ़ का भी सामना करना पड़ता है।
  • CEEW द्वारा 40 वर्षों के वर्षा आँकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले दशक में मानसून के दौरान भारी वर्षा वाले दिनों में 64% तक की वृद्धि हुई है।
  • भारत को चरम मौसम के बढ़ते जोखिमों से निपटने के लिए सुरक्षा जाल के रूप में मौसम पूर्वानुमान में सटीकता लाने एवं तकनीकी नवाचार को बढ़ाने के लिए निवेश करने की आवश्यकता है।

भारत में वर्तमान मौसम पूर्वानुमान विधियाँ

  • डेटा उपयोग: भारत मौसम पूर्वानुमान के लिए उपग्रह डेटा और कंप्यूटर मॉडल पर निर्भर करता है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) मौसम के पैटर्न का विश्लेषण करने के लिए INSAT शृंखला के उपग्रहों और मिहिर (Mihir) एवं प्रत्युष (Prathyush) जैसे सुपर कंप्यूटरों का उपयोग करता है।

  • डेटा स्रोत: IMD डेटा के लिए विभिन्न स्रोतों का उपयोग करता है, जिनमें मानवयुक्त और स्वचालित मौसम केंद्र, विमान, जहाज, मौसम गुब्बारे, महासागरीय प्लव (Ocean Buoys) और उपग्रह शामिल हैं।
    • IMD पूर्वानुमानों की दक्षता में सुधार के लिए डॉपलर रडार का भी तेजी से उपयोग कर रहा है।
    • डॉपलर रडार एक विशेष रडार है, जो दूरी पर स्थित वस्तुओं के वेग संबंधी डेटा उत्पन्न करने के लिए ‘डॉपलर  प्रभाव’ का उपयोग करता है।
      • इनका उपयोग निकटवर्ती क्षेत्र में वर्षा की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है, जिससे भविष्यवाणियाँ अधिक समय पर और सटीक हो जाती हैं।
      • डॉपलर रडार की संख्या वर्ष 2013 में 15 से बढ़कर वर्ष 2023 में 37 हो गई है।

भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Meteorology- IITM)

  • अवस्थिति: पुणे, महाराष्ट्र, भारत।
  • उद्देश्य: मौसम और जलवायु पूर्वानुमान में सुधार के लिए महासागर-वायुमंडल जलवायु प्रणाली पर अनुसंधान का विस्तार करना।
  • भूमिका: मानसून मौसम विज्ञान में बुनियादी और अनुप्रयुक्त अनुसंधान के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र के रूप में कार्य करता है।
  • शासन: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन स्वायत्त संस्थान।

  • प्रमुख चर: पूर्वानुमानकर्ता वर्षा का अनुमान लगाने और चक्रवातों पर नजर रखने के लिए बादलों की गति, बादलों के शीर्ष तापमान एवं जलवाष्प की मात्रा जैसे कारकों की जाँच करते हैं।
  • पूर्वानुमान प्रक्रिया: भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Meteorology) प्रत्येक वर्ष अप्रैल में पहला दीर्घकालिक मानसून पूर्वानुमान जारी करता है तथा मई के अंत में इसे अद्यतन करता है एवं मासिक आधार पर इसमें संशोधन करता है।

सटीक मौसम पूर्वानुमान का महत्त्व

  • तैयारी के लाभ: चरम मौसम की घटनाओं के खिलाफ बेहतर तैयारी, समय पर चेतावनी देने, विद्युत आपूर्ति का समन्वय करने और किसानों को फसल सुरक्षा के बारे में सलाह देने के लिए उच्च सटीकता वाले मौसम पूर्वानुमान महत्त्वपूर्ण हैं।
  • सार्वजनिक सुरक्षा: स्पष्ट और सटीक भविष्यवाणियाँ खराब मौसम के बारे में समय पर चेतावनी देकर सार्वजनिक सुरक्षा को बढ़ाती हैं, जिससे व्यक्तियों एवं संगठनों को आवश्यक सावधानियाँ बरतने में मदद मिलती है।
    • उदाहरण: NCRB की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली मौतों में आकाशीय बिजली गिरना सबसे बड़ा कारण है और वर्ष 2022 में प्राकृतिक आपदाओं के कारण 2,821 आकस्मिक मौतें हुईं।
  • संसाधन प्रबंधन: सटीक भविष्यवाणियाँ प्रभावी संसाधन आवंटन में मदद करती हैं, जैसे आपातकालीन सेवाओं की तैनाती एवं आपदाओं के दौरान राहत सामग्री वितरित करना।
    • उदाहरण: वर्ष 2020 में चक्रवात अम्फान के दौरान सटीक भविष्यवाणियों के कारण पश्चिम बंगाल और ओडिशा में दस लाख से अधिक लोगों को निकालने और प्रभावी संसाधन आवंटन में मदद मिली।

भारत में मौसम पूर्वानुमान से संबंधित चुनौतियाँ

  • अपर्याप्त मौसम निगरानी ग्राउंड स्टेशन:  कुल 3,00,000 से अधिक ग्राउंड स्टेशनों (AWS/ARG) और लगभग 70 DWRs की आवश्यकता है।
    • हालाँकि, वर्तमान में, IMD लगभग 800 स्वचालित मौसम स्टेशन (AWS), 1,500 स्वचालित वर्षा गेज (ARG) और 37 डॉपलर मौसम रडार (DWR) संचालित करता है।
    • इसके परिणामस्वरूप, विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में डेटा संग्रहण में अंतराल उत्पन्न होता है, जो वास्तविक समय डेटा संग्रहण में बाधा उत्पन्न करता है, जिसके कारण पूर्वानुमान पुराने ऐतिहासिक वर्षा पैटर्न पर निर्भर हो जाते हैं।
  • तकनीकी बाधाएँ: बजट की कमी के कारण भारत को उन्नत पूर्वानुमान प्रौद्योगिकी के लिए सीमित संसाधनों का सामना करना पड़ रहा है।
    • उदाहरण: भारत के पूरे पश्चिमी तट पर केवल पाँच राडार निगरानी करते हैं।
    • अहमदाबाद (गुजरात), बंगलूरू (कर्नाटक) और जोधपुर (राजस्थान), जिन्हें हाल ही में बार-बार बाढ़ का सामना करना पड़ा है, में अभी तक रडार स्थापित नहीं हैं।
  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन से प्रभावित चरम मौसम की घटनाएँ लगातार और अप्रत्याशित होती जा रही हैं, जिससे वार्षिक मानसून का पूर्वानुमान लगाना अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।
  • सटीकता संबंधी मुद्दे: पिछले दशक में IMD के पूर्वानुमानों में सुधार हुआ है, लेकिन स्थानीय सटीकता के मामले में अभी भी संघर्ष करना पड़ता है।
    • उदाहरण: इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2024 में लगभग 40% दिनों में मुंबई के लिए वर्षा की भविष्यवाणी गलत होगी।
  • स्थानीय प्राधिकारियों के साथ अप्रभावी समन्वय: मौसम संबंधी चेतावनियों पर समय पर प्रतिक्रिया देने में बाधा उत्पन्न होती है।
  • विविध जलवायु क्षेत्र: भारत के विविध भूगोल का अर्थ है कि विभिन्न क्षेत्रों में मौसम का पैटर्न काफी भिन्न हो सकता है, जिससे पूर्वानुमान प्रक्रिया जटिल हो जाती है।
    • पहाड़ों, मैदानों और समुद्रतटों की उपस्थिति स्थानीय मौसम संबंधी घटनाओं को जन्म दे सकती है, जिनका पूर्वानुमान लगाना कठिन होता है।

भारत में मौसम पूर्वानुमान से संबंधित पहल

  • मिशन मौसम (Mission Mausam): इसे सितंबर 2024 में ₹2,000 करोड़ के बजट के साथ मंजूरी दी गई थी।
    • नोडल निकाय: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (भारत सरकार)। 
    • कार्यान्वयन संस्थान: इसका कार्यान्वयन भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (National Centre for Medium Range Weather Forecasting- NCMRWF) और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Meteorology- IITM) द्वारा किया जाता है।
    • उद्देश्य: यह मिशन उन्नत उपकरणों के साथ अवलोकन नेटवर्क का विस्तार करने तथा उन्नत वायुमंडलीय भौतिकी एवं मशीन लर्निंग के माध्यम से पूर्वानुमान सटीकता को बढ़ाने पर केंद्रित है। 
  • राष्ट्रीय मानसून मिशन (National Monsoon Mission): ऐतिहासिक पैटर्न पर निर्भरता से वास्तविक समय डेटा संग्रहण में परिवर्तन के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा वर्ष 2012 में पहल की गई।
    • मिशन मानसून (Mission Monsoon) के अंतर्गत मंत्रालय ने अत्याधुनिक मौसम एवं जलवायु पूर्वानुमान मॉडल विकसित किए हैं।
    • उदाहरण: लघु श्रेणी से मध्यम श्रेणी (1-10 दिन), विस्तारित श्रेणी (10 दिन से 30 दिन) और मौसमी (एक मौसम तक) के लिए मॉडल। 
  • मौसम ऐप (Mausam App): IMD ने वर्तमान मौसम, वर्षा, आर्द्रता, सूर्योदय/सूर्यास्त, चंद्रोदय/चंद्रास्त आदि जैसी सभी मौसम संबंधी सेवाओं के लिए एक एकीकृत GIS आधारित इंटरैक्टिव मोबाइल ऐप मौसम लॉन्च किया।
    • यह ऐप भारत में विभिन्न उपयोगकर्ताओं के लिए 12 भारतीय भाषाओं का समर्थन करता है।
  • मौसमग्राम (Mausamgram): यह एक IMD उपकरण है, जो विशिष्ट स्थानों के लिए वास्तविक समय मौसम अपडेट एवं पूर्वानुमान देता है। 
    • ‘मौसम’ ऐप और वेबसाइट पर उपलब्ध, यह स्थान के नाम या पिनकोड का उपयोग करके 10 दिनों तक के लिए प्रति घंटा और 3-6 घंटे का पूर्वानुमान प्रदान करता है।
  • मौसम विश्लेषण और पूर्वानुमान सक्षम प्रणाली (Weather Analysis and Forecast Enabling System- WAFES): WAFES (मौसम विश्लेषण और पूर्वानुमान सक्षम प्रणाली) एक आंतरिक वेब-GIS आधारित निर्णय समर्थन प्रणाली है, जिसे IMD द्वारा पंच महाभूत अर्थात् जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश से प्रेरित होकर विकसित किया गया है।
    • यह ‘UPHHEATT’ पहल (कल्याण के लिए) के तहत शहरी (Urban), विद्युत (Power), जल विज्ञान (Hydrology), स्वास्थ्य (Health), ऊर्जा (Energy), कृषि (Agriculture), परिवहन (Transport) और पर्यटन (Tourism) जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करता है। 
  • किसानों के लिए पंचायत मौसम सेवा (Panchayat Mausam Sewa for Farmers): पंचायत मौसम सेवा पोर्टल, IMD, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय और ग्रीन अलर्ट मौसम सेवा द्वारा विकसित किया गया है।
    • यह पंचायत प्रमुखों और सचिवों को अंग्रेजी, हिंदी और 12 क्षेत्रीय भाषाओं में मौसम पूर्वानुमान प्रदान करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि मौसम संबंधी अद्यतन जानकारी भारत के प्रत्येक गाँव तक पहुँचे।
  • नेशनल फ्रेमवर्क ऑफ क्लाइमेट सर्विसेस (National Framework of Climate Services- NFCS): IMD द्वारा प्रस्तुत NFCS, प्रमुख मौसम मापदंडों और चरम स्थितियों पर जलवायु विज्ञान संबंधी आँकड़े प्रस्तुत करता है, जिसे प्रत्येक 10 वर्ष में अद्यतन किया जाता है। 
    • IMD ने वर्ष 1901 से डेटा को डिजिटल कर दिया है तथा जलवायु दृश्यावलोकन और संवेदनशीलता मानचित्रों तक सार्वजनिक पहुँच प्रदान करता है।
    • वर्ष 2021 से मासिक और मौसमी जलवायु पूर्वानुमान उपलब्ध हैं।

भारत में मौसम पूर्वानुमान को बेहतर बनाने की दिशा में आगे की राह

  • उन्नत डेटा संग्रहण
    • सघन उपकरण नेटवर्क: अधिक विस्तृत डेटा एकत्र करने के लिए स्थानीय क्षेत्रों में अधिक संख्या में मौसम निगरानी उपकरण (जैसे, वर्षामापी, तापमान सेंसर) स्थापित करना।
    • मोबाइल मौसम स्टेशन: चरम मौसम की घटनाओं के दौरान वास्तविक समय डेटा प्रदान करने के लिए महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में मोबाइल मौसम स्टेशन तैनात करना।
    • निजी सहयोग: उदाहरण: केरल, ओडिशा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने IMD की जानकारी बढ़ाने के लिए निजी एजेंसियों की मदद माँगी है।
  • तकनीकी परिवर्द्धन: उदाहरण: भारत अगले वर्ष तक 900 करोड़ रुपये की लागत से अपना सबसे तेज सुपरकंप्यूटर खरीदने जा रहा है, जो मौजूदा प्रणालियों से तीन गुना तेज होगा तथा ब्लॉक स्तर पर मौसम पूर्वानुमान में सुधार करेगा।
    • भारत के पश्चिमी तट पर तथा उच्च जलवायु जोखिमों का सामना कर रहे बड़े शहरी केंद्रों में मौसम अवलोकन प्लेटफॉर्म स्थापित करने को प्राथमिकता दी जाएगी।
    • सरकार की अगले दो से तीन वर्षों में 25 और डॉपलर रडार जोड़ने की योजना है।
  • प्रौद्योगिकी का एकीकरण: पैटर्न पहचान और विसंगति का पता लगाने के माध्यम से अति स्थानीय वर्षा पूर्वानुमान के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का अधिक उपयोग।
    • उदाहरण: आईआईटी-बॉम्बे के प्रायोगिक मॉडलों ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं, तथा आईएमडी की तुलना में अधिक सटीकता प्राप्त की है।
  • संचार रणनीतियों का उपयोग करना: स्थानीय समुदायों के लिए अनुकूलित मौसम संबंधी जानकारी तैयार करने तथा उसे व्यापक दर्शकों तक प्रभावी ढंग से पहुँचाने के लिए मोबाइल ऐप, सोशल मीडिया, सामुदायिक रेडियो आदि जैसे विभिन्न चैनलों का उपयोग करके प्रसारित करने की आवश्यकता है।
  • मौसम संबंधी डेटा तक खुली पहुँच: शोधकर्ताओं और उद्यमियों के लिए मौसम संबंधी आँकड़ों को खुले तौर पर उपलब्ध कराना, ताकि वे चरम मौसम संबंधी घटनाओं के पीछे के कारणों को बेहतर ढंग से समझने के लिए उपयोग के मामले विकसित कर सकें।
    • इससे स्थानीय स्तर पर प्रारंभिक चेतावनी उपकरणों के निर्माण में भी मदद मिलती है।
      • उदाहरण: संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और यूरोपीय संघ ने अपने मौसम पूर्वानुमान डेटा को क्लाउड पर उपलब्ध करा दिया है, जिसे कोई भी उपयोग कर सकता है।
  • सार्वजनिक प्रतिक्रिया तंत्र: पूर्वानुमान की सटीकता पर फीडबैक प्रदान करने के लिए जनता और स्थानीय प्राधिकारियों के लिए चैनल बनाना, जिससे पूर्वानुमान मॉडलों को निरंतर परिष्कृत किया जा सके।

निष्कर्ष 

जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील देशों में से एक भारत के लिए सटीक मौसम पूर्वानुमान महत्त्वपूर्ण हैं। वे गर्मी और वर्षा के लिए पूर्व चेतावनी, विद्युत आपूर्ति के समन्वय और किसानों को उनकी फसलों की सुरक्षा के लिए मार्गदर्शन के माध्यम से बेहतर तैयारी करने में सक्षम बनाते हैं।

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