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खरपतवारों के कारण फसल उत्पादकता में 92,000 करोड़ रुपये की हानि

Lokesh Pal October 07, 2024 03:49 96 0

संदर्भ

भारतीय बीज उद्योग महासंघ (Federation of Seed Industry of India- FSII) द्वारा कराए गए एक अध्ययन के अनुसार, खरपतवार के कारण फसल उत्पादकता में प्रतिवर्ष 92,000 करोड़ रुपए (11 बिलियन डॉलर) की हानि हो रही है।

भारतीय बीज उद्योग महासंघ (FSII)

  • FSII अनुसंधान एवं विकास आधारित पादप विज्ञान उद्योग का 40 सदस्यीय संगठन है, जो देश में खाद्य, चारा और फाइबर के लिए उच्च प्रदर्शन गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन में कार्यरत है।
  • सदस्य कंपनियाँ अनुसंधान आधारित प्रजनन अनुप्रयोगों और बीज प्रौद्योगिकियों में लगी हुई हैं, जिससे किसान सतत् माध्यम से कृषि उत्पादकता में सुधार लाने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित कृषि समाधान अपनाने में सक्षम हो रहे हैं तथा फसल कटाई से पहले और बाद में होने वाली हानि को न्यूनतम कर रहे हैं।
  • यह अंतरराष्ट्रीय बीज संघ (ISF) और एशिया एवं प्रशांत बीज संघ (Asia and Pacific Seed Association-APSA) सहित अंतरराष्ट्रीय संघों से संबद्ध है।
  • विजन: सदस्य कंपनियों द्वारा किए जाने वाले बीज अनुसंधान में ध्यान और निवेश बढ़ाना तथा कृषि उत्पादकता में सुधार के लिए उनके नवीन उत्पादों को बढ़ावा देना।
  • मिशन: किसानों की आय दोगुनी करने के दृष्टिकोण को साकार करने में योगदान देना है।

शोध के मुख्य निष्कर्ष

  • फसल उत्पादकता में हानि: संपूर्ण भारत में खरीफ फसलों में लगभग 25-26% तथा रबी फसलों में 18-25% उपज हानि के लिए खरपतवार जिम्मेदार हैं, जिससे कृषि क्षेत्र को महत्त्वपूर्ण वित्तीय क्षति होती है।
  • फसलें एवं क्षेत्र: अध्ययन में 11 राज्यों के 30 जिलों में चावल, गेहूँ, मक्का, कपास, गन्ना, सोयाबीन और सरसों सहित सात प्रमुख फसलों पर ध्यान केंद्रित किया गया। शोधकर्ताओं ने 3,200 किसानों, 300 डीलरों और कृषि विज्ञान केंद्रों एवं कृषि विभाग के अधिकारियों से जानकारी एकत्र की।
  • खरपतवार नियंत्रण में नवाचार की कमी: यह इस मुद्दे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए नई, प्रौद्योगिकी-संचालित खरपतवार नियंत्रण रणनीतियों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

खरपतवार (Weed) क्या हैं?

  • खरपतवार अवांछित तथा अनचाहे पौधे हैं, जो भूमि और जल संसाधनों का उपयोग करके कृषि फसलों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं।
  • कृषि भूमि, वन, जलीय तंत्र आदि में खरपतवार वांछनीय तथा लाभकारी पौधों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करते हैं।
  • ये खरपतवार फसलों के लिए आवश्यक पोषक तत्त्वों का उपभोग कर लेते हैं, जिससे फसलों को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्त्व नहीं मिल पाते हैं जिससे फसलों की वृद्धि बाधित होती है।
    • खरपतवार के उदाहरण: ऐमारैंथ, बरमूडा घास, बाइंडवीड, ब्रॉडलीफ प्लांटैन, आदि।

खरपतवार के लाभ

  • भोजन और औषधि के रूप में: अनेक खरपतवारों, जैसे डंडेलियन और लैम्ब क्वार्टर, की पत्तियों या जड़ों का उपयोग भोजन अथवा हर्बल औषधि के रूप में किया जा सकता है।
    • कई खरपतवारों में औषधीय गुण होते हैं तथा उनका उपयोग दवा में किया जाता है जैसे कि फिलांथस निरुरी (पीलिया), एक्लिप्टा अल्बा (बिच्छू का डंक), साइनोडोन डेक्टीलॉन (अस्थमा)।
  • संकेतक के रूप में खरपतवार: खरपतवारों का उपयोग अच्छी एवं खराब मृदा की पहचान करने के लिए किया जा सकता है।
    • कोलोनम (Colonum) समृद्ध मृदा में उगता है, जबकि सिम्बोपोगोन (Cymbopogon) अपर्याप्त रोशनी वाली मृदा में उगता है और सेज अपशिष्ट जल निकासी वाली मृदा में उगता है।
    • खरपतवार जल स्तर, मृदा के संघनन और पीएच जैसी स्थितियों का संकेत दे सकते हैं।
  • कच्चा माल: खरपतवारों का उपयोग पेपर माचे, बायो-गैस और उपभोज्य प्रोटीन, सुगंधित तेल आदि बनाने के लिए किया जा सकता है।

खरपतवारों का वर्गीकरण 

  • वार्षिक खरपतवार: वे खरपतवार जो केवल एक मौसम या एक वर्ष तक जीवित रहते हैं तथा उसी मौसम या वर्ष में अपना जीवन चक्र पूरा करते हैं, वार्षिक खरपतवार कहलाते हैं।
    • उदाहरण: बोअरहाविया इरेक्टा (Boerhavia Erecta)।
  • द्विवार्षिक: यह पहले मौसम में वानस्पतिक वृद्धि पूरी करता है, अगले मौसम में फूल और बीज देता है और फिर नष्ट हो जाता है।
    • उदाहरण: अल्टरनेन्थेरा इचिनाटा (Alternanthera Echinata)।
  • बारहमासी: बारहमासी दो वर्ष से अधिक समय में वृद्धि करते हैं और लगभग अनिश्चितकाल तक पनपते रह सकते हैं। वे प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने के लिए अनुकूलित हैं।
    • उदाहरण: सोनचस आर्वेन्सिस (Sonchus Arvensis)।

खरपतवार का प्रभाव

  • फसल उत्पादन को कम करता है: खरपतवार मुख्य फसल के साथ स्थान, प्रकाश, नमी और मृदा के पोषक तत्त्वों के लिए प्रतिस्पर्द्धा करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उपज में कमी आती है। 
  • फसल की गुणवत्ता को प्रभावित करता है: वे उत्पाद को दूषित करते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता कम हो जाती है। 
  • बीमारियों के लिए मेजबान के रूप में कार्य: वे फसल के पौधों को प्रभावित करने वाले कई अवांछित रोगाणुओं को आकर्षित कर सकते हैं।

खरपतवार प्रबंधन के लिए सिफारिशें

रिपोर्ट में विभिन्न खरपतवार प्रबंधन पद्धतियों पर प्रकाश डाला गया है, जिनसे पारंपरिक तरीकों की तुलना में लागत में 40-60% तक कमी आ सकती है।

खरपतवार प्रबंधन की कुछ तकनीकें इस प्रकार है:-

  • शाकनाशी का उपयोग: अधिक प्रभावी और कुशल खरपतवार नियंत्रण के लिए शाकनाशी का उपयोग करना।
  • मशीनीकरण: खरपतवार हटाने के लिए मशीनरी का उपयोग करना, ताकि मैनुअल श्रम पर निर्भरता कम हो।
  • फसल चक्रण: खरपतवार चक्र को समाप्त करने के लिए फसलों को चक्रीय रूप से लगाना।
  • आवरण फसल: खरपतवार की वृद्धि को कम करने के लिए आवरण फसलों का उपयोग करना।
  • जैविक नियंत्रण: जैविक एजेंटों का प्रयोग करके प्राकृतिक खरपतवार नियंत्रण तंत्र का उपयोग करना।
  • शाकनाशी सहिष्णु किस्म: DSR तथा ZT गेहूँ, शाकनाशी सहिष्णु नवीन किस्में हैं, जो किसानों को महत्त्वपूर्ण लाभ प्रदान करती हैं।
    • ये किस्में जल-गहन परंपरागत पद्धतियों जैसे कि पोखर बनाना और रासायनिक खरपतवारनाशकों के साथ रोपाई की जगह लेती हैं, जिससे जल की खपत और श्रम लागत कम हो जाती है।

खरपतवार प्रबंधन चुनौतियों पर रिपोर्ट 

  • ‘खरपतवार प्रबंधन-उभरती चुनौतियाँ तथा प्रबंधन रणनीतियाँ’ शीर्षक वाली रिपोर्ट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा  FSII के सहयोग से जारी की गई थी।
  • इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है, कि खरपतवार फसल हानि का एक प्रमुख कारण है, जो प्रारंभिक जुताई चरण से लेकर कटाई के बाद के चरण तक संसाधनों के लिए फसलों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करते हैं।
  • खरपतवार नियंत्रण की लागत: प्रति एकड़ खरपतवार नियंत्रण की औसत लागत फसल और क्षेत्र के आधार पर ₹3,700 से ₹7,900 के बीच होती है।

खरपतवार नियंत्रण पर विशेषज्ञ की राय

  • ICAR के प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रभाग के उप महानिदेशक ने बढ़ती खरपतवार समस्या से निपटने के लिए सार्वजनिक-निजी सहयोग के महत्त्व पर बल दिया।
    • उन्होंने कहा कि श्रम तथा संसाधन की कमी से उत्पन्न चुनौतियों पर नियंत्रणपाने के लिए मशीनीकरण, खरपतवारनाशक-सहिष्णु गुण तथा सटीक कृषि आवश्यक हैं।
  • कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने खरपतवार प्रबंधन के लिए समग्र, एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया, विशेष रूप से प्राकृतिक और जैविक खेती के संदर्भ में।
    • उन्होंने एक मजबूत खरपतवार प्रबंधन ढाँचे की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें कृषि उत्पादकता में सुधार के लिए पारंपरिक, यांत्रिक, रासायनिक तथा नवीन समाधानों को शामिल किया गया हो।

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