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पश्चिम बंगाल ने पोलियो की अतिरिक्त खुराक देने की शुरुआत की

Lokesh Pal July 04, 2024 05:38 28 0

संदर्भ

हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार ने घोषणा की कि वह बच्चों के लिए यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Programme-UIP) के हिस्से के रूप में इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन की एक अतिरिक्त खुराक शुरू कर रही है।

  • 9 महीने में निष्क्रिय पोलियोवायरस (Inactivated Poliovirus- IPV) की एक अतिरिक्त खुराक उसके बाद किसी भी प्रकार की पोलियो बीमारी [वैक्सीन एसोसिएटेड पैरालिटिक पोलियो (Vaccine Associated Paralytic Polio) या वैक्सीन व्युत्पन्न पोलियोवायरस (Vaccine Derived Polioviruses)] से रक्षा करेगी। 

पोलियो क्या है?

  • यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर आक्रमण कर सकता है एवं जैसे-जैसे यह बढ़ता है, मांसपेशियों को सक्रिय करने वाली तंत्रिका कोशिकाओं को नष्ट कर देता है, जिससे कुछ ही घंटों में अपरिवर्तनीय पक्षाघात हो जाता है। 
  • पोलियो आमतौर पर 5 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। 
    • इसके परिणामस्वरूप मांसपेशियों में कमजोरी, स्थायी विकलांगता एवं यहाँ तक ​​कि मृत्यु भी हो सकती है।
  • इंडिया पोलियो लर्निंग एक्सचेंज (India Polio Learning Exchange) (UNICEF के साथ) के अनुसार: लकवाग्रस्त लोगों में से 5-10% की मृत्यु तब होती है, जब उनकी साँस लेने वाली मांसपेशियाँ निष्क्रिय हो जाती हैं।
  • वाइल्ड पोलियोवायरस (WPV) के तीन प्रकार: टाइप 1, टाइप 2 एवं टाइप 3। 
    • टाइप 2 वाइल्ड पोलियोवायरस: इसे सितंबर 2015 में समाप्त घोषित कर दिया गया था। आखिरी बार इसका पता भारत में वर्ष 1999 में लगा था। 
    • टाइप 3 वाइल्ड पोलियोवायरस: इसे अक्टूबर 2019 में समाप्त घोषित कर दिया गया था। इसे आखिरी बार नवंबर 2012 में पाया गया था। 
    • केवल टाइप 1 वाइल्ड पोलियोवायरस ही बचा है।
  • टीके के अलावा कोई इलाज नहीं: पोलियो का कोई इलाज नहीं है, लेकिन सुरक्षित, प्रभावी टीके हैं, जो कई बार दिए जाने पर बच्चे को जीवन भर सुरक्षित रखते हैं।

टीके (Vaccine)

  • जोनास साल्क ने पहला पोलियो टीका विकसित किया था। 
    • निष्क्रिय पोलियोवायरस टीका (Inactivated Poliovirus Vaccine)
      • IPV लोगों को तीनों प्रकार के पोलियो वायरस से बचाता है। 
      • IPV में जीवित वायरस नहीं होता है एवं यह बीमारी का कारण नहीं बन सकता है।
        • यह लोगों को पोलियो रोग से बचाता है लेकिन वायरस के संचरण को नहीं रोकता है।

साल्क द्वारा पोलियो का पहला टीका तैयार करना 

  • प्रमुख अवरोध: पहले, गैर-तंत्रिका कोशिकाओं में पोलियो का संवर्द्धन करने में असमर्थता पोलियो वैक्सीन विकसित करने में एक प्रमुख बाधा थी।
  • बाद में, एंडर्स और उनकी टीम ने एक ऐसी विधि विकसित की, जिससे पोलियो वायरस को अब वैक्सीन अनुसंधान के लिए बड़े पैमाने पर उत्पादित किया जा सके।
  • साल्क विकास: उन्होंने वायरस को फॉर्मेल्डिहाइड से उपचारित करके निष्क्रिय कर दिया एवं इसे अपने परीक्षण विषयों में उपयोग किया। 
  • निष्क्रिय वायरस के टुकड़े उनके शरीर में प्रतिरक्षा उत्पन्न करने में सक्षम थे।
  • प्रणालीगत प्रतिरक्षा: महत्त्वपूर्ण बात यह है कि चूँकि टीका मांसपेशियों में डाला गया था, इसलिए इसने प्रणालीगत प्रतिरक्षा उत्पन्न की।

  • मौखिक पोलियो टीका (Oral Polio Vaccine)
    • अल्बर्ट सबिन ने एक और टीका विकसित किया: इसमें पोलियो के जीवित उपभेदों को मकाक कोशिकाओं में क्रमिक रूप से विकसित करके कमजोर कर दिया गया, जिससे वे मानव संक्रमण के लिए अनुपयुक्त हो गए।
    • इसमें लिविंग वायरस पार्टिकल्स थे, इसे संक्रमण के प्राकृतिक तरीके पर निर्भर रहना पड़ता था एवं इसलिए इसे मौखिक रूप से प्रशासित किया जाता था। यह ओरल पोलियो वैक्सीन (Oral Polio Vaccine- OPV) थी।
    • वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस (Vaccine-derived Polioviruses- VDPVs): दुर्लभ मामलों में, वैक्सीन वायरस समय के साथ प्रसारित होने एवं अपर्याप्त प्रतिरक्षा वाले समुदायों या कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों में उत्परिवर्तित होने में सक्षम हो सकता है। 

पोलियो उन्मूलन का लक्ष्य 

  • इस प्रकार WHO की वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल, वर्ष 2024 के अंत तक पोलियो उन्मूलन की अपनी समय सीमा से चूक जाएगी।
  • अगस्त 2020 में अफ्रीका को पोलियो मुक्त घोषित किए जाने के बाद से: वाइल्ड पोलियो वायरस अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान के ग्रामीण इलाकों तक ही सीमित हो गया है। 
  • पुनः प्रकट होना: साइंस की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इन दोनों देशों के बड़े शहरों में वायरस पुनः पनपने लगा है।
  • पुनः उभरने का कारण: गलत सूचना, संघर्ष, गरीबी एवं इन अलग-थलग क्षेत्रों तक सीमित पहुँच तथा टीके के प्रति जनजागरूकता न होना। 
  • इसमें यह भी दर्ज किया गया है कि अब तक, 33 देशों में वैरिएंट पोलियोवायरस का प्रकोप हुआ है, जैसे कि यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, इजरायल एवं मलावी में।

      • ये उत्परिवर्तित OPV उपभेद पोलियो रोग का कारण बन सकते हैं। इन्हें पोलियोवायरस वेरिएंट या वैक्सीन-डिराइव्ड पोलियोवायरस (Vaccine-Derived Polioviruses- VDPVs) कहा जाता है।

भारत में पोलियो की स्थिति

  • वर्ष 1995 में: भारत ने वर्ष 1995 में पल्स पोलियो प्रतिरक्षण कार्यक्रम (Pulse Polio Immunization Programme) शुरू किया, जिससे 80 के दशक में प्रत्येक वर्ष पोलियो के मामले 50,000-1,00,000 से घटकर वर्ष 2012 में शून्य हो गए।
  • वर्ष 2012 में: WHO ने भारत को स्थानिक देशों की सूची से हटा दिया।
  • जनवरी 2014 में: तीन वर्ष तक शून्य मामले सामने आने के बाद भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया।
  • 27 मार्च 2014: भारत सहित WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र को ‘क्षेत्रीय प्रमाणन आयोग’ (Regional Certification Commission- RCC) द्वारा पोलियो मुक्त प्रमाणित किया गया है। 
  • भारत ने वैक्सीन व्युत्पन्न पोलियो वायरस (Vaccine Derived PolioVirus- VDPV) की संभावना को कम करने के लिए सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन की शुरुआत की, जो देश में जारी है।

वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (Global Polio Eradication Initiative- GPEI)

  • दुनिया भर से पोलियो उन्मूलन के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना।
  • GPEI का लक्ष्य सभी वाइल्ड, वैक्सीन-संबंधी एवं साबिन पोलियोवायरस का उन्मूलन और रोकथाम करना है, ताकि कोई भी बच्चा फिर से लकवाग्रस्त पोलियोमाइलाइटिस से पीड़ित न हो।
  • इसके पाँच साझेदार हैं, WHO, रोटरी इंटरनेशनल (Rotary International), यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (US Centers for Disease Control and Prevention), UNICEF, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (Bill & Melinda Gates Foundation) एवं GAVI, वैक्सीन अलायंस।
  • GPEI के चार स्तंभों में शामिल हैं- नियमित टीकाकरण (Routine Immunization), पूरक टीकाकरण (Supplementary Immunization), टार्गेटेड मोप-अप अभियान (Targeted Mop-up Campaigns)

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