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‘संपूर्ण सरकार’ और ‘संपूर्ण राष्ट्र’ संबंधी दृष्टिकोण

Lokesh Pal May 19, 2025 03:07 28 0

संदर्भ

हाल ही में आईएएस प्रशिक्षुओं और सिविल सेवकों को संबोधित करते हुए, केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्री ने ‘संपूर्ण सरकार’ और ‘संपूर्ण राष्ट्र’ के दृष्टिकोण को दोहराया, तथा ऑपरेशन सिंदूर को राष्ट्रीय एकता एवं समन्वय का एक उदाहरण बताया।

संपूर्ण सरकार (Whole-of-Government- WoG) दृष्टिकोण के लाभ

  • कुशल सेवा वितरण: यह तीव्र, पारदर्शी और डिजिटल रूप से सक्षम सार्वजनिक सेवा वितरण को सक्षम बनाता है।
    • उदाहरण: CPGRAMS केंद्रीय और राज्य मंत्रालयों में शिकायत निवारण संबंधी समाधान प्रस्तुत करता है, जिससे समाधान का समय कम हो जाता है।
  • संस्थागत जवाबदेही: स्पष्ट रूप से परिभाषित भूमिकाएँ, संयुक्त स्वामित्व और अंतर मंत्रालयी प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (KPIs) प्रशासनिक जिम्मेदारी को बढ़ाते हैं।
    • प्रदर्शन-आधारित शासन को प्रोत्साहित करता  (जैसे- आकांक्षी जिलों की रैंकिंग) है।
  • संकटकालीन प्रतिक्रिया और लचीलापन: बहु-एजेंसी एकीकरण आपात स्थितियों में तीव्र प्रतिक्रिया की अनुमति देता है।
    • उदाहरण: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय के समन्वित प्रयासों का प्रयोग करके COVID-19 महामारी प्रबंधन।

संपूर्ण सरकार  (WoG) दृष्टिकोण के बारे में

  • एक सहयोगात्मक प्रयास, जिसमें कई सरकारी विभाग क्षैतिज (अंतर-मंत्रालयी) और ऊर्ध्वाधर (केंद्र-राज्य-स्थानीय) स्तरों पर समन्वय करते हैं ताकि जटिल सार्वजनिक चुनौतियों के लिए एकीकृत समाधान प्रदान किया जा सके।
  • उद्देश्य: नीतिगत सुसंगतता को बढ़ाना, संसाधन उपयोग को अनुकूलित करना और अंतर-एजेंसी समन्वय की आवश्यकता वाले जटिल मुद्दों को संबोधित करना।

संपूर्ण सरकार  (WoG) दृष्टिकोण की मुख्य विशेषताएँ

  • एकीकृत और सहयोगात्मक शासन: विभागों के मध्य मतभेद को समाप्त करता है और क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर समन्वय सुनिश्चित करता है।
    • उदाहरण: स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय बाल पोषण संबंधी सहयोग कर रहे हैं।
  • एकीकृत संस्थागत तंत्र: सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह (Empowered Group of Secretaries- EGoS), नेटवर्क योजना समूह (Network Planning Groups – NPG) जैसे साझा प्लेटफॉर्म स्थापित करता है।
    • साझा जनादेश, सह-स्वामित्व और सुव्यवस्थित नीति निष्पादन सुनिश्चित करता है।
    • उदाहरण: PM गतिशक्ति की अंतर-मंत्रालयी शासन संरचना।
  • डिजिटल और डेटा-संचालित एकीकरण: वास्तविक समय, पारदर्शी और समन्वित कार्यान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी (जीआईएस, डैशबोर्ड, ई-गवर्नेंस) का लाभ उठाता है।
    • उदाहरण: CPGRAMS, UMANG, SDG इंडिया इंडेक्स डैशबोर्ड।
  • नागरिक-केंद्रित सेवा वितरण: पहुँच, समावेशन और विश्वास को बेहतर बनाने के लिए उपयोगकर्ता-प्रथम दृष्टिकोण के साथ नीतियों को डिजाइन करता है।
    • उदाहरण: एक राष्ट्र एक राशन कार्ड, पेंशनभोगियों के लिए डिजिटल जीवन प्रमाण-पत्र
  • परिणाम-उन्मुख निगरानी और जवाबदेही: डैशबोर्ड, इंडेक्स, प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (KPI) जैसे उपकरणों के माध्यम से न केवल आउटपुट पर बल्कि परिणामों पर ध्यान केंद्रित करता है। 
    • पारदर्शिता और अनुकूली शासन को बढ़ाता है।
    • उदाहरण: राज्य स्वास्थ्य सूचकांक, नीति आयोग द्वारा SDG रैंकिंग।
  • कानूनी-प्रशासनिक सुसंगतता और क्षमता निर्माण: कानूनी ढाँचे, मानकीकृत प्रक्रियाओं और निरंतर प्रशिक्षण द्वारा समर्थित।
    • शासन में स्थिरता, मापनीयता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।

संपूर्ण राष्ट्र (WoN) दृष्टिकोण के बारे में

  • यह राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने के लिए विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढाँचे और आपदा प्रबंधन में सरकार, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज, शिक्षाविदों और नागरिकों को सामूहिक रूप से शामिल करने वाला एक व्यापक ढाँचा है।
  • उद्देश्य: समावेशी, सतत् और लचीले विकास के लिए सामूहिक राष्ट्रीय प्रयासों को संगठित करना।

संपूर्ण राष्ट्र (WoN) दृष्टिकोण के लाभ

  • जन भागीदारी के माध्यम से समावेशी विकास: नागरिकों, निजी क्षेत्र, गैर-सरकारी संगठनों और संस्थानों को राष्ट्रीय मिशनों में शामिल करना।
    • उदाहरण: सामुदायिक स्वामित्व और जन जागरूकता के माध्यम से स्वच्छ भारत मिशन की सफलता।
  • विश्वास निर्माण और नागरिक जुड़ाव: लोगों को विकास प्रक्रिया में सहयोगी बनाकर सरकारी कार्रवाई की वैधता को बढ़ाता है।
    • उदाहरण: टीबी मुक्त भारत और जल शक्ति अभियान में जन भागीदारी।
  • व्यवहार परिवर्तन और सामाजिक नवाचार: सार्वजनिक अभियान स्वच्छता, पोषण, जलवायु पर दृष्टिकोण को प्रभावित करते हैं।
    • उदाहरण: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने बालिका शिक्षा पर सामाजिक मानदंडों को परिवर्तित कर दिया है।
  • अंतिम मील तक पहुँच और स्थानीय समाधान: SHG, PRIs, युवा स्वयंसेवकों जैसे जमीनी स्तर के भागीदार राष्ट्रीय योजनाओं को प्रासंगिक बनाने में मदद करते हैं।
    • उदाहरण: टीबी रोगियों को सीधे पोषण सहायता प्रदान करने वाले निक्षय मित्र।
  • गैर-राज्य संसाधनों का लाभ उठाना: राज्य की क्षमता के पूरक विकल्प के रूप में CSR फंड स्वयंसेवी नेटवर्क और शैक्षणिक ज्ञान को सक्षम बनाता है।
    • उदाहरण: कॉरपोरेट समर्थित टीबी जन आंदोलन और हर घर तिरंगा में स्कूल की भागीदारी।

संपूर्ण राष्ट्र (WoN) दृष्टिकोण की मुख्य विशेषताएँ

  • बहु-हितधारक सहयोग: इसमें सरकार, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज, मीडिया, शिक्षा जगत और नागरिक शामिल होते हैं।
    • यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को विभिन्न हितधारकों के बीच मिलकर डिजाइन और कार्यान्वित किया जाए।
    • उदाहरण: कोविड-19 वैक्सीन रोलआउट में सरकारी एजेंसियाँ, फार्मा उद्योग, गैर सरकारी संगठन और स्वयंसेवक शामिल थे।
  • साझा दृष्टिकोण और राष्ट्रीय प्रतिबद्धता: समान राष्ट्रीय लक्ष्यों, जैसे कि विकसित भारत@2047, टीबी मुक्त भारत, या SDG लक्ष्य पर आधारित
    • सामूहिक जिम्मेदारी और जनभागीदारी (लोगों की भागीदारी) को बढ़ावा देता है।
    • उदाहरण: स्वच्छ भारत मिशन ने नागरिक सहभागिता, धार्मिक संस्थानों, स्कूलों आदि का सहयोग प्राप्त किया।
  • एकीकृत संचार और लामबंदी: व्यवहार परिवर्तन और भागीदारी को संगठित करने के लिए जन अभियान, सोशल मीडिया और सामुदायिक आउटरीच का उपयोग करता है।
    • उदाहरण: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने मानसिकता में बदलाव के लिए मीडिया, स्थानीय चैंपियन, स्कूलों और पंचायतों का लाभ उठाया।
  • अंतर-क्षेत्रीय जुड़ाव के लिए संस्थागत तंत्र: गैर-सरकारी हितधारकों के साथ सरकार के समन्वय के लिए औपचारिक मंच।
    • उदाहरण: SDG स्थानीयकरण में UNDP, उद्योगों, नागरिक समाज के साथ नीति आयोग की साझेदारी।
  • स्थानीयकृत और संदर्भ-विशिष्ट कार्यान्वयन: क्षेत्रों और समुदायों में विविधता की पहचान करता है तथा पंचायतों, स्थानीय निकायों, गैर-सरकारी संगठनों, SHG को हस्तक्षेपों को अनुकूलित करने के लिए सशक्त बनाता है।
    • उदाहरण: आकांक्षी जिला कार्यक्रम का अभिसरण मॉडल।
  • वितरित स्वामित्व के माध्यम से लचीलापन: पूरे देश में न कि केवल राज्य के अंतर्गत जिम्मेदारी को शामिल करके दीर्घकालिक स्थिरता का निर्माण करता है।
    • अति-केंद्रीकरण को कम करता है, जमीनी स्तर पर लचीलापन बढ़ाता है और सार्वजनिक विश्वास को बढ़ावा देता है।

भारत में ‘संपूर्ण सरकार ’ और ‘संपूर्ण राष्ट्र’ दृष्टिकोण के अनुप्रयोग

संपूर्ण सरकार  (WoG) के अनुप्रयोग

  • पीएम गतिशक्ति – मल्टीमॉडल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट: GIS समर्थित राष्ट्रीय मास्टर प्लान के माध्यम से 36 मंत्रालयों का समन्वय।
    • समन्वयित कार्यान्वयन के लिए सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह (Empowered Group of Secretaries- EGoS) और नेटवर्क नियोजन समूहों (Network Planning Groups- NPG) का उपयोग करता है।
    • परिणाम: निर्बाध नियोजन, कम देरी, अंतिम-मील कनेक्टिविटी।
  • डिजिटल इंडिया: एकीकृत डिजिटल सेवाएँ प्रदान करने के लिए आधार,  UPI, Digilocker, UMANG, आदि को एकीकृत करता है।
    • IT, वित्त, ग्रामीण विकास, शिक्षा मंत्रालय सहयोग करते हैं।
    • परिणाम: भारत का दूसरे सबसे बड़े डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में उदय।
  • नीति आयोग द्वारा एसडीजी इंडिया इंडेक्स: सभी मंत्रालयों और राज्यों में योजनाओं के साथ एसडीजी लक्ष्यों का मानचित्रण करता है।
    • प्रतिस्पर्द्धी और सहकारी संघवाद को आगे बढ़ाने के लिए निगरानी और रैंकिंग को सक्षम बनाता है।
  • एकीकृत शिकायत निवारण: CPGRAMS: कार्मिक मंत्रालय राज्य/जिला पोर्टलों को केंद्रीय प्रणालियों के साथ एकीकृत करता है।
    • परिणाम: शिकायत निपटान समय में भारी कमी; कोविड-19 महामारी के दौरान 90% से अधिक नागरिक संतुष्टि।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया तंत्र: NDMA IMD, NDRF, रक्षा बलों, राज्य सरकारों से इनपुट एकीकृत करता है।
    • उदाहरण: GIS, दूरसंचार अलर्ट और अंतर-एजेंसी समन्वय का उपयोग करके एकीकृत चक्रवात या बाढ़ प्रतिक्रिया।
  • राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम: भारत ने वैश्विक एसडीजी लक्ष्य (वर्ष 2030) प्राप्ति से पाँच वर्ष पूर्व (वर्ष 2025 तक) टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है।
    • यह दृष्टिकोण WHO की टीबी उन्मूलन रणनीति से लिया गया है, लेकिन इसे घरेलू नवाचारों के माध्यम से भारत की सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं के अनुकूल बनाया जा रहा है।

संपूर्ण राष्ट्र (WoN) के अनुप्रयोग

  • स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat Mission-SBM): स्थानीय सरकारों के साथ-साथ नागरिकों, गैर-सरकारी संगठनों, धार्मिक निकायों, मीडिया, निजी क्षेत्र को संगठित किया गया।
    • स्वच्छता प्रथाओं को बदलने के लिए व्यावहारिक अभियानों (जैसे- दरवाजा बंद अभियान) का प्रयोग किया गया।
    • परिणाम: 100 मिलियन से अधिक शौचालय बनाए गए, खुले में शौच में उल्लेखनीय कमी आई।
  • कोविड-19 महामारी का प्रबंधन: शामिल वैज्ञानिक (वैक्सीन अनुसंधान एवं विकास), नागरिक समाज (खाद्य और ऑक्सीजन सहायता), आईटी कंपनियाँ (आरोग्य सेतु, कोविन)।
    • सामुदायिक रसोई, गैर-सरकारी संगठन, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन सभी ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • परिणाम: सार्वजनिक-निजी सामंजस्य के साथ बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान।
  • आकांक्षी जिला कार्यक्रम: केंद्र, राज्य और जिला प्रशासन निजी क्षेत्र (CSR), गैर-सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर काम करते हैं।
    • प्रमुख क्षेत्रों में अभिसरण: शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, वित्तीय समावेशन। 
    • उदाहरण: नीति आयोग डैशबोर्ड क्षेत्र-स्तरीय हस्तक्षेपों को गति देने के लिए वास्तविक समय डेटा की निगरानी करता है।
  • हर घर तिरंगा अभियान (आजादी का अमृत महोत्सव): स्कूलों, RWA, कॉरपोरेट्स, SHG और नागरिकों को तिरंगा फहराने के लिए प्रेरित किया।
    • नागरिक भागीदारी के साथ सांस्कृतिक पहचान का एकीकरण।

WoG और WoN दृष्टिकोण के वैश्विक उदाहरण

  • सिंगापुर – शिक्षा और कौशल पारिस्थितिकी तंत्र: शिक्षा, जनशक्ति, व्यापार और सार्वजनिक अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के मंत्रालयों में एक एकीकृत WoG मॉडल को अपनाया।
    • बाजार की माँगों के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण को संरेखित करने के लिए तकनीकी शिक्षा संस्थान (Institute of Technical Education- ITE) बनाया।
  • आयरलैंड- नौकरियों और उच्च शिक्षा को जोड़ना: भविष्य की कौशल आवश्यकताओं पर विशेषज्ञ समूह ने शिक्षा और उद्योग मंत्रालयों का समन्वय किया।
    • सरकार द्वारा वित्तपोषित, उद्योग-नेतृत्व वाले प्रशिक्षण नेटवर्क बनाए।
  • कोरिया गणराज्य – डिजिटल सरकार और ग्रीन न्यू डील: कोरिया ग्रीन न्यू डील (2020) के तहत एकीकृत मंत्रालय (पर्यावरण, उद्योग, विज्ञान, वित्त)।
  • उद्देश्य: हरित अर्थव्यवस्था, डिजिटल परिवर्तन, रोजगार सृजन (1.9 मिलियन नौकरियाँ)।
    • अंतर-क्षेत्रीय कार्यान्वयन के लिए एक केंद्रीय नियोजन निकाय का उपयोग करता है।
  • पेरू – क्रेसर रणनीति के माध्यम से ‘स्टंटिंग रिडक्शन’: एकीकृत स्वास्थ्य, शिक्षा, जल, स्वच्छता मंत्रालय और स्थानीय सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों, निजी क्षेत्र को शामिल किया।
    • परिणाम आधारित वित्तपोषण और जन जागरूकता अभियानों का उपयोग किया।
  • ऑस्ट्रेलिया – डिजिटल परिवर्तन एजेंसी (Digital Transformation Agency – DTA): सभी सरकारी एजेंसियों को नागरिक-प्रथम डिजिटल सेवाओं में स्थानांतरित करने में सहायता करती है।
    • अंतर-एजेंसी सहयोग के लिए दिशा-निर्देश, वित्तपोषण और मानक प्रदान करती है।
    • बाहरी उपयोगकर्ता फीडबैक लूप के साथ WoG द्वारा सेवा सुधार को आगे बढ़ाने का एक अच्छा उदाहरण।

संपूर्ण समाज (Whole-of-Society- WoS) दृष्टिकोण

  • इसका तात्पर्य सार्वजनिक स्वास्थ्य, आपदा लचीलापन या सतत् विकास जैसे सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में समाज के सभी क्षेत्रों– जिसमें सरकार, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज, शिक्षा, मीडिया, आस्था आधारित समूह और व्यक्तिगत नागरिक शामिल हैं – की सक्रिय भागीदारी और सहयोग से है।
    • यह संपूर्ण सरकार (WoG) दृष्टिकोण से अधिक व्यापक है तथा संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण (WoN) से अधिक सहभागी है तथा समावेशी सामाजिक स्वामित्व और जमीनी स्तर पर भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करता है।

प्रमुख विशेषताएँ

  • समावेशी हितधारक जुड़ाव: इसमें गैर-राज्य अभिकर्ता शामिल हैं: गैर-सरकारी संगठन, एसएचजी, सीएसआर इकाइयाँ, शिक्षाविद, मीडिया, RWA, सामुदायिक स्वयंसेवक।
  • समाधानों का सह-निर्माण: समुदाय निष्क्रिय प्राप्तकर्ता होने के बजाय समस्याओं की पहचान करते हैं और प्रतिक्रियाओं को सह-डिजाइन करते हैं।
  • व्यवहारिक और सामाजिक परिवर्तन अभिविन्यास: मूल्यों, दृष्टिकोणों और दैनिक प्रथाओं (जैसे- स्वच्छता, पोषण, ऊर्जा उपयोग) को बदलने का लक्ष्य रखता है।
  • स्थानीयकृत और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील: स्थानीय ज्ञान, परंपराओं (जैसे- आदिवासी स्वास्थ्य आउटरीच, स्कूल अभियान) पर आधारित।
  • विकेंद्रीकृत स्वामित्व: नागरिक नेतृत्व वाली निगरानी, ​​फीडबैक लूप और सहकर्मी-नेतृत्व वाले अभियानों को प्रोत्साहित करता है।
  • राज्य और लोगों के मध्य के अंतराल को समाप्त करता है: सामुदायिक विश्वास संरचनाओं में सेवा वितरण को जोड़कर शासन अलगाव को कम करता है।

WoG और WoN दृष्टिकोणों को लागू करने में चुनौतियाँ

संपूर्ण सरकार (Whole-of-Government- WoG) दृष्टिकोण को लागू करने में चुनौतियाँ

  • एकाकी नौकरशाही संरचनाएँ: मंत्रालय और विभाग प्रायः अलग-थलग होकर काम करते हैं, जिनमें क्षैतिज समन्वय का अभाव होता है।
    • पीएम गतिशक्ति को ऐसे एकाकीपन को दूर करने के लिए नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (Network Planning Groups- NPG) के संस्थागत निर्माण की आवश्यकता थी।
  • खराब इंटरऑपरेबिलिटी और डेटा शेयरिंग: मंत्रालयों में तकनीकी प्रणालियों में मानकीकृत डेटा आर्किटेक्चर का अभाव है।
    • यूएन ई-गवर्नमेंट सर्वे ने कई देशों में सीमित इलेक्ट्रॉनिक पहचान प्रबंधन और ट्रैकिंग सिस्टम का उल्लेख किया।
  • निचले स्तरों पर सीमित डिजिटल क्षमता: जिला और स्थानीय निकायों में एकीकृत डिजिटल शासन को संचालित करने की क्षमता का अभाव है।
    • SDG स्थानीयकरण ढाँचे ने पाया कि कई राज्यों में डैशबोर्ड से जुड़े SDG सेल की कमी है।
  • संयुक्त परियोजनाओं में जवाबदेही का प्रसार: साझा स्वामित्व अक्सर अस्पष्ट जिम्मेदारी और दोष-स्थानांतरण की ओर ले जाता है।
    • टीबी मुक्त भारत में, कई विभाग शामिल हैं, जिससे जवाबदेही का पता लगाना कठिन हो जाता है।
  • प्रशासनिक सुधारों का प्रतिरोध: सिविल सेवक डिजिटल प्लेटफॉर्म या क्रॉस-डिपार्टमेंट सहयोग पर जाने का विरोध कर सकते हैं।
    • कोविड-19 महामारी के दौरान ई-ऑफिस को अपनाने में मंत्रालयों में काफी भिन्नता देखी गई।
  • राजनीतिक चक्रों के कारण अल्पकालिकता: दीर्घकालिक परियोजनाएँ नेतृत्व परिवर्तन या राजनीतिक बदलावों के प्रति संवेदनशील होती हैं।
    • संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग (United Nations Department of Economic and Social Affairs- UN DESA) ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि जब तक WoG सुधारों को कानूनी रूप से संस्थागत नहीं बनाया जाता, तब तक उन्हें विभिन्न प्रशासनों में बनाए रखना कठिन होगा।

संपूर्ण राष्ट्र (WoN) को लागू करने में चुनौतियाँ

  • जन जागरूकता और सहभागिता का अभाव: नागरिक सार्वजनिक कार्यक्रमों को समझ नहीं पाते या उनमें सार्थक रूप से भाग नहीं ले पाते।
    • टीबी मुक्त भारत अभियान में जनभागीदारी के बावजूद, नागरिकों की दीर्घकालिक भागीदारी को बनाए रखना एक चुनौती बनी हुई है।
  • नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं के मध्य असमान क्षमता: NGO, SHG और स्थानीय निकायों में प्रभावी रूप से योगदान करने की अलग-अलग क्षमता है।
    • SDGS स्थानीयकरण रिपोर्ट में विभिन्न क्षेत्रों में NGO तथा राज्य की भागीदारी में भिन्नता देखी गई।
  • राज्य एवं समाज के बीच विश्वास की कमी: ऐतिहासिक अविश्वास या पारदर्शिता की कमी सार्वजनिक सहयोग को कम कर सकती है।
    • CPGRAMS में शिकायत निवारण के माध्यम से विश्वास बहाल करने के लिए फीडबैक तंत्र महत्त्वपूर्ण थे।
  • विविध हितधारकों के समन्वय में कठिनाई: कई गैर-राज्य अभिकर्ताओं (कॉरपोरेट, एनजीओ, नागरिक) को लक्ष्यों के सावधानीपूर्वक संरेखण की आवश्यकता होती है।
    • पेरू की क्रेसर रणनीति में, मजबूत ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज संरेखण ‘स्टंटिंग’ में कमी के लिए महत्त्वपूर्ण था, लेकिन इसे दोहराना दुर्लभ था।
  • स्वयंसेवा या सीएसआर फंडिंग पर निर्भरता: गैर-सरकारी समर्थन (जैसे- निक्षय मित्र) पर अत्यधिक निर्भरता अप्रत्याशितता को जन्म दे सकती है।
    • जब स्वयंसेवकों का उत्साह या कॉरपोरेट फंड कम हो जाता है, तो टीबी समर्थन पहल स्थिरता के मुद्दों का सामना करती है।
  • सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएँ: व्यवहार परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध अभियानों में बाधा डाल सकता है।
    • स्वच्छ भारत के लिए, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, खुले में शौच को समाप्त करने के लिए दीर्घकालिक मानसिकता परिवर्तन की आवश्यकता है।

भारत में WoG और WoN दृष्टिकोण को मजबूत करने संबंधी आगे की राह

  • समन्वय तंत्र को संस्थागत बनाना: सभी स्तरों (केंद्रीय, राज्य, जिला) पर EGoS, NPG और SDG सेल जैसे शीर्ष समन्वय निकायों को मजबूत बनाना।
    • बहु-विभागीय और बहु-क्षेत्रीय मिशनों में भूमिकाओं की निरंतरता तथा स्पष्टता सुनिश्चित करना।
  • स्थानीय स्तर पर क्षमता निर्माण में निवेश करना: एकीकृत शासन में जिला कलेक्टरों, पंचायत अधिकारियों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करना।
    • प्रभावी कार्यान्वयन सेवाओं और जवाबदेही के अंतिम-मील अभिसरण पर निर्भर करता है।
  • अंतर-संचालन योग्य डिजिटल अवसंरचना का निर्माण करना: मंत्रालयों और राज्यों में मानकीकृत डेटा-साझाकरण प्रोटोकॉल और अंतर-संचालन योग्य प्रणालियाँ विकसित करना।
    • वास्तविक समय निगरानी, ​​सेवा वितरण और नागरिक प्रतिक्रिया एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर निर्भर करती है।
  • जन भागीदारी को एक सतत् प्रक्रिया बनाना: अभियान आधारित उपाय अपनाना और निक्षय मित्र, SHG और RWA जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से नागरिक जुड़ाव को संस्थागत बनाना।
    • व्यवहारिक, पर्यावरणीय और स्वास्थ्य परिणामों में सफलता के लिए निरंतर सार्वजनिक भागीदारी महत्त्वपूर्ण है।
  • प्रोत्साहन और मान्यता प्रणाली को संरेखित करना: अंतर-एजेंसी सहयोग और नवाचार को पुरस्कृत करने के लिए SDG इंडिया इंडेक्स, NeSDA, PM अवार्ड्स फॉर एक्सीलेंस जैसे उपकरणों का उपयोग करना।
    • प्रेरणा, न केवल जनादेश, विभागों में सहयोग को बढ़ावा देती है।
  • कानूनी और नियामक ढाँचे को मजबूत करना: राष्ट्रीय नीति दिशा-निर्देशों और राज्य प्रशासनिक नियमों में WoG/WoN सिद्धांतों को शामिल करना।
    • कानूनी समर्थन राजनीतिक चक्रों में निरंतरता सुनिश्चित करता है और जवाबदेही को बढ़ाता है।
  • वास्तविक समय की निगरानी और प्रतिक्रिया प्रणाली विकसित करना: पारदर्शी, सहभागी शासन के लिए डैशबोर्ड, मोबाइल ऐप और एआई टूल का उपयोग करना।
    • उत्तरदायी नीति-निर्माण के लिए नागरिक इनपुट और अनुकूली डेटा उपयोग की आवश्यकता होती है।

निष्कर्ष

‘संपूर्ण सरकार ’ और ‘संपूर्ण राष्ट्र’ के दृष्टिकोण भारत के परिवर्तनकारी शासन के लिए महत्त्वपूर्ण हैं, जो समावेशी, सतत् विकास को प्राप्त करने के लिए अंतर-एजेंसी सामंजस्य और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देते हैं। संस्थागत सुधारों, डिजिटल एकीकरण और निरंतर सार्वजनिक सहभागिता के माध्यम से नौकरशाही शिथिलता और सीमित स्थानीय क्षमता जैसी चुनौतियों का समाधान करके, भारत वर्ष 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार कर सकता है।

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