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ग्लोबल वार्मिंग में CO2 का सबसे अधिक योगदान क्यों है?

Lokesh Pal November 19, 2024 04:07 30 0

संदर्भ

‘ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट’ (Global Carbon Project) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, जीवाश्म ईंधन के जलने से भारत में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन वर्ष 2024 में 4.6% बढ़ने की उम्मीद है, जो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • उच्चतम उत्सर्जन: जीवाश्म ईंधन से भारत के CO2 उत्सर्जन में वर्ष 2024 में 4.6% की वृद्धि होने की उम्मीद है, जो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है।
  • वैश्विक उत्सर्जन: वैश्विक CO2 उत्सर्जन वर्ष 2024 में रिकॉर्ड 37.4 बिलियन टन तक पहुँचने वाला है, जो वर्ष 2023 से 0.8% की वृद्धि थी।
  • वर्ष 2023 में वैश्विक जीवाश्म CO2 उत्सर्जन में सबसे बड़ा योगदान: चीन (31%), संयुक्त राज्य अमेरिका (13%), भारत (8%), और यूरोपीय संघ (7%)।
    • ये चार क्षेत्र वैश्विक जीवाश्म CO2 उत्सर्जन का 59% हिस्सा हैं, जबकि शेष विश्व का योगदान 41% है।
  • ग्लोबल वार्मिंग संबंधी चेतावनी: इस दर पर, 50% संभावना है कि ग्लोबल वार्मिंग लगभग छह वर्षों में 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकती है।
    • स्थल और महासागर CO2 सिंक ने संयुक्त रूप से कुल CO2 उत्सर्जन का लगभग आधा हिस्सा कवर किया है।

ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट (Global Carbon Project- GCP) के बारे में

  • ‘ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट’ (Global Carbon Project- GCP) एक गैर-सरकारी संगठन है, जो कार्बन चक्र और अन्य जैव-रासायनिक चक्रों का अध्ययन करता है।
  • GCP की स्थापना वर्ष 2001 में ‘अर्थ सिस्टम साइंस पार्टनरशिप’ (Earth System Science Partnership- ESSP) द्वारा की गई थी।
  • यह ‘फ्यूचर अर्थ’ की एक मुख्य परियोजना है और विश्व जलवायु अनुसंधान कार्यक्रम का एक अनुसंधान भागीदार है।
    • GCP  का कार्य सैकड़ों स्वयंसेवी वैज्ञानिकों द्वारा समर्थित है।
  • GCP  के लक्ष्यों में शामिल हैं:
    • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की मात्रा निर्धारित करना: GCP वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारणों और मात्राओं का अध्ययन करता है।
    • कार्बन चक्र को समझना: GCP कार्बन चक्र और अन्य जैव-रासायनिक चक्रों का अध्ययन करता है, जिसमें मनुष्यों और जैव-भौतिक प्रणाली के बीच की अंतःक्रियाएँ शामिल हैं।
    • नीति और कार्रवाई का समर्थन करना: GCP का शोध ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए नीतिगत बहस और कार्रवाई का समर्थन करता है।
  • GCP की परियोजनाओं में शामिल हैं:
    • वैश्विक कार्बन बजट: कार्बन बजट और रुझानों पर वार्षिक अपडेट देना। 
    • मीथेन बजट: वैश्विक मेथेन बजट और रुझानों पर नियमित अपडेट देना।
    • वैश्विक कार्बन एटलस: कार्बन प्रवाह पर डेटा का पता लगाने और उसकी निगरानी के लिए एक मंच प्रदान करना।

ग्लोबल वार्मिंग

  • ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर पर्यावरणीय मुद्दा है, जिसका पृथ्वी की जलवायु प्रणाली पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।

  • यह वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों (GHG) के संचय के कारण औसत तापमान में दीर्घकालिक वृद्धि को संदर्भित करता है।
  • तापमान में इस वृद्धि के वैश्विक जलवायु पैटर्न पर कई प्रभाव पड़ते हैं, जिनमें चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि, ग्लेशियरों और ध्रुवीय बर्फ की चोटियों का पिघलना, समुद्र के स्तर में वृद्धि और पारिस्थितिकी तंत्र में व्यवधान शामिल हैं।

ग्लोबल वार्मिंग में CO2 की भूमिका

  • प्राथमिक चालक: CO2 वैश्विक तापमान वृद्धि के लगभग 70% के लिए जिम्मेदार है।
  • रेडिएटिव फोर्सिंग (Radiative Forcing- RF): IPCC 2013 की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु चालकों में CO2 का RF सबसे अधिक सकारात्मक है।
  • औद्योगिक क्रांति के बाद से तापमान में वृद्धि
    • वर्ष 1750 के बाद से CO2 का स्तर 50% बढ़ गया है।
    • अब, वायुमंडलीय CO2 पूर्व-औद्योगिक स्तरों (NASA डेटा) का 150% है।

CO2 के प्रमुख प्रभाव के कारण

  • प्रचुरता: CO2, CH4 और HFC की तुलना में वायुमंडल में अधिक प्रचुर मात्रा में है।
  • दीर्घ समय पर स्थायित्त्व: CO2 वायुमंडल में अधिक समय तक रहती है:
    • CH4: लगभग एक दशक में वायुमंडल से बाहर निकल जाती है। (CO2 में परिवर्तित हो जाती है)
    • CO2: 40% 100 वर्षों तक, 20% 1000 वर्षों तक और 10% 10,000 वर्षों वायुमंडल में बनी रहती है।
    • N2O: लगभग एक शताब्दी तक वायुमंडल में बनी रहती है।
  • क्षमता बनाम प्रभाव
    • CH4, CO2 से 80 गुना अधिक शक्तिशाली है, और HFCs हजारों गुना अधिक शक्तिशाली हैं, लेकिन CO2 की विशाल मात्रा इसे सबसे अधिक प्रभावशाली बनाती है।

ग्रीनहाउस गैसों के बारे में

  • ग्रीनहाउस गैसें वायुमंडलीय गैसों का एक प्रकार है, जो सौर विकिरण को अवशोषित करके सतह के तापमान को बढ़ाने की क्षमता रखती हैं।
  • प्रकार: कार्बन डाइऑक्साइड, मेथेन, ओजोन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन और जलवाष्प।

  • प्रभाव: ग्रीनहाउस प्रभाव, जो ग्रीनहाउस गैसों के कारण होता है, एक प्राकृतिक घटना है, जो पृथ्वी पर जीवन के पनपने के लिए आवश्यक है।
    • हालाँकि, यदि ग्रीनहाउस प्रभाव आवश्यकता से अधिक बढ़ जाता है, तो इससे ग्लोबल वार्मिंग नामक घटना उत्पन्न होती है।
  • स्रोत: औद्योगिक और वाहन उत्सर्जन, धान की खेती, जीवाश्म ईंधन निष्कर्षण आदि जैसी मानवजनित गतिविधियों के कारण कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य विकिरण अवशोषित करने वाली गैसों की मात्रा में वृद्धि हुई है।
    • इन ग्रीनहाउस गैसों के अत्यधिक उत्सर्जन से पृथ्वी की उन्हें प्राकृतिक रूप से अवशोषित करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग होती है।

ग्रीनहाउस गैसों के प्रभाव

  • पृथ्वी का गर्म होना: ग्रीनहाउस गैसों के कारण, सूर्य के प्रकाश से उत्पन्न ऊष्मा पृथ्वी के वायुमंडल में फँस जाती है। यह प्रक्रिया पृथ्वी को बहुत गर्म बनाती है।

  • ध्रुवीय बर्फ का पिघलना: वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण, ध्रुवीय बर्फ पिघल जाती है। इससे पृथ्वी की जलवायु पर भारी असर पड़ सकता है।
  • प्रवाल का क्षय होना: समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि से कोरल के अस्तित्व को नुकसान पहुँच सकता है, जो गर्म तापमान के प्रति संवेदनशील होते हैं।
  • समुद्र के स्तर में वृद्धि: ध्रुवीय बर्फ के पिघलने से समुद्र का स्तर बढ़ सकता है, जिससे निचले तटीय क्षेत्र जलमग्न हो सकते हैं।
  • जलवायु अनिश्चितताएँ: जलवायु परिवर्तन, जो ग्रीनहाउस प्रभाव का परिणाम है, जलवायु में अनिश्चितताएँ उत्पन्न करेगा। इससे चक्रवात, बाढ़, भूस्खलन आदि जैसी आपदाएँ हो सकती हैं।

ग्रीनहाउस गैस नियंत्रण रणनीतियाँ

  • इलेक्ट्रिक वाहन: इससे कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होगा।
  • अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना: कोयले पर निर्भरता कम करने के लिए सौर, पवन, जैव ईंधन, ज्वार आदि जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • वनीकरण: पेड़ लगाने से कार्बन का संचयन होगा।
    • इससे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता पर नियंत्रण रहेगा।
  • जलवायु अनुकूल कृषि: मेथेन उत्सर्जित करने वाली फसलों से बचना चाहिए। यदि यह संभव नहीं है, तो मेथेन फुटप्रिंट को कम करना चाहिए।
  • जियोइंजीनियरिंग (Geoengineering): कार्बन कैप्चर जैसी विधि वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता को कृत्रिम रूप से कम करने की अनुमति देती है।

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