भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPCs) ने हाल ही में सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने के जोखिमों के बीच अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है।
रेपो दर:
रेपो दर वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक (भारत के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक) किसी भी धन की कमी की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है। मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक समिति द्वारा रेपो दर का उपयोग किया जाता है।
संबंधित तथ्य:
सकल घरेलू उत्पाद संबंधी अनुमान: दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के उम्मीद से बेहतर 7.6 प्रतिशत पर रहने के साथ RBI ने वित्त वर्ष 2024 के लिए अपने विकास संबंधी अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया है।
मुद्रास्फीति संबंधी अनुमान: वित्तीय वर्ष 2024 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 5.4 फीसदी पर अपरिवर्तित रहा।
केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति के रुख को ‘समायोजन की निकासी’ के रूप में भी बरकरार रखा।
यह लगातार पाँचवीं मौद्रिक नीति है जब MPC ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। पिछली बार फरवरी 2023 में रेपो रेट 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया गया था।
ऋण और जमा दरों पर प्रभाव:
ऋण और जमा पर ब्याज दरें अभी अपरिवर्तित रहेंगी। खुदरा ऋण के कुछ खंडों की लागत अधिक होने की उम्मीद है क्योंकि RBI ने हाल ही में खुदरा ऋण पर जोखिम भार बढ़ा दिया है।
एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट: रेपो रेट से जुड़ी सभी एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट में वृद्धि नहीं होगी। इससे उधारकर्ताओं को कुछ राहत मिलेगी क्योंकि उनकी समान मासिक किश्तें (EMI) नहीं बढ़ेंगी।
मई 2022 से नीति दर में संचयी 250 bps बढ़ोतरी के जवाब में बैंकों ने अपने रेपो-लिंक्ड एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट को उसी परिमाण से संशोधित किया है।
RBI द्वारा रेपो दर को अपरिवर्तित रखने का कारण:
कारण: खाद्य मुद्रस्फीति बढने के कारण RBI द्वारा (प्याज और टमाटर की कीमतें फिर से बढ़ रहे हैं) रेपो रेट कम नहीं किया गया है।
साथ ही मुख्य मुद्रास्फीति लगभग 4 प्रतिशत है इसलिये RBI द्वारा रेपो रेट को नहीं बढाया गया है।
उपभोक्ता मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति (CPI) सितंबर में 5.02 प्रतिशत से घटकर अक्टूबर में 4.87 प्रतिशत हो गई। हालाँकि, खुदरा मुद्रास्फीति RBI के 4 प्रतिशत लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है।
हालाँकि, हेडलाइन मुद्रास्फीति कम हो गई है, लेकिन यह वैश्विक कारकों और प्रतिकूल मौसम की घटनाओं से आने वाले आवर्ती और अतिव्यापी खाद्य कीमतों के झटकों के प्रति संवेदनशील बनी हुई है।
कोर मुद्रास्फीति में व्यापक आधार पर नरमी आई है, जो मौद्रिक नीति कार्रवाइयों के माध्यम से सफल अवस्फीति का संकेत है।
संशोधित जीडीपी अनुमान:
दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत के अनुमान से अधिक होने के कारण RBI ने अपने वित्त वर्ष 2024 के वृद्धि दर अनुमान को 6.5 प्रतिशत से संशोधित कर 7 प्रतिशत कर दिया है।
वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि बाज़ार और RBI के पूर्वानुमान 7.6 प्रतिशत से काफी अधिक रही है, जो कि वित्त वर्ष 24 की पहली छमाही में 7.7 प्रतिशत की मज़बूत वृद्धि है।
चालू वित्त वर्ष में वर्षा पर अल नीनो के प्रभाव और इसके परिणामस्वरूप कृषि उत्पादन और ग्रामीण माँग पर प्रभाव को देखते हुए वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि दर में कमी की उम्मीद है।
कुछ उच्च-आवृत्ति संकेतक, जैसे दोपहिया वाहन और FMCG की बिक्री, मनरेगा की उच्च माँग, ग्रामीण आय में कमी को दर्शाते हैं।
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