अंतर्निहित कमियों के कारण कई देशों में विडाल परीक्षण के उपयोग में गिरावट आई है। हालाँकि भारत में परीक्षण का व्यापक उपयोग किया जा रहा है।
टाइफाइड (Typhoid)
परिचय: टाइफाइड बुखार को आँत्र ज्वर भी कहा जाता है, यह एक जीवाणु संक्रमण है, जो पूरे शरीर में फैल सकता है और कई अंगों को प्रभावित कर सकता है।
विस्तार: टाइफाइड दूषित भोजन और जल से फैलता है और यह साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, जो खाद्य पदार्थों की विषाक्तता के लिए उत्तरदायी है।
लक्षण: इसमें तेज बुखार, पेट दर्द, कमजोरी और मतली, उल्टी, दस्त या कब्ज और दाने जैसे अन्य लक्षण दिखाई देते हैं।
कुछ लोग, जिन्हें वाहक कहा जाता है, लक्षण-मुक्त रह सकते हैं और उनके मल में बैक्टीरिया कई महीनों से लेकर वर्षों तक फैलते रहते हैं।
टाइफाइड रोग का बढ़ता दायरा: यदि इलाज न किया जाए तो टाइफाइड जानलेवा हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 90 लाख लोगों में टाइफाइड का पता चलता है और 1.1 लाख लोगों की इससे मौत हो जाती है।
टाइफाइड का निदान
विस्तृत चिकित्सा इतिहास और गहन जाँच के अलावा, इस प्रक्रिया में रोगी के रक्त या अस्थि मज्जा से बैक्टीरिया को पृथक करना और उनकी प्रयोगशाला में जाँच करना शामिल है।
PCR आधारित विधियाँ: कुछ PCR-आधारित आणविक विधियाँ बेहतर मानी जाती हैं, लेकिन ये लागत, विशेष बुनियादी ढाँचे, कुशल कर्मियों की आवश्यकता तथा आगे के परीक्षणों के लिए बैक्टीरिया को पुनः प्राप्त करने में असमर्थता के कारण सीमित हैं।
विडाल परीक्षण (Widal Test)
परिचय: भारत में चिकित्सक सार्वजनिक और निजी दोनों स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्रों में टाइफाइड के निदान के लिए व्यापक रूप से विडाल परीक्षण का उपयोग करते हैं।
एंटीबॉडी का पता लगाना: अन्य संक्रमणों की तरह, प्रतिरक्षा प्रणाली आँत्र ज्वर के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया के प्रत्युत्तर में एंटीबॉडी उत्पन्न करती है।
विडाल परीक्षण इन एंटीबॉडी का तेजी से पता लगाता है और उनकी मात्रा निर्धारित करता है। यह एक बिंदु ‘देखभाल परीक्षण’ के रूप में कार्य करता है और इसके लिए विशेष कौशल या बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता नहीं होती है।
विडाल टेस्ट से संबंधित चिंताएँ
एकल निदान की अप्रभावीता: एकल विडाल परीक्षण से एक सकारात्मक परिणाम निश्चित रूप से टाइफाइड संक्रमण की उपस्थिति का संकेत नहीं देता है और इसके विपरीत, एक नकारात्मक परिणाम रोग की अनुपस्थिति की पुष्टि नहीं करता है।
सक्रिय संक्रमण का सटीक निदान करने के लिए, चिकित्सकों को 7-14 दिनों के अंतराल पर एकत्र किए गए कम-से-कम दो सीरम नमूनों का परीक्षण करने की आवश्यकता होती है।
विडाल टेस्ट कट-ऑफ मूल्यों का मानकीकरण: उच्च और निरंतर टाइफाइड वाले क्षेत्रों में, बैक्टीरिया के खिलाफ एंटीबॉडी का एक निश्चित स्तर पहले से ही रक्त में मौजूद हो सकता है।
अभिकर्मकों का प्रभाव: विभिन्न एंटीबॉडी की उपस्थिति को प्रकट करने के लिए विडाल परीक्षण में उपयोग किए जाने वाले अभिकर्मक अन्य बैक्टीरिया, वायरस या परजीवियों या यहाँ तक कि टाइफाइड, टीकाकृत व्यक्तियों में संक्रमण के विरुद्ध उत्पादित एंटीबॉडी के साथ ‘क्रॉस-रिएक्शन’ कर सकते हैं, जिससे गलत सकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं।
पूर्व एंटीबायोटिक उपचार भी एंटीबॉडी स्तर को प्रभावित कर सकता है और नकारात्मक परिणाम दे सकता है।
आँत्र ज्वर का सही निदान और उचित उपचार महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यदि बीमारी का ठीक से प्रबंधन नहीं किया गया तो कुछ ही हफ्तों में आँतों में गंभीर रक्तस्राव जैसी गंभीर जटिलताएँ विकसित हो सकती हैं।
परीक्षण के उपयोग के परिणाम
भारत में टाइफाइड की व्यापकता का निर्धारण करने में चुनौतियाँ: परिणामों की अशुद्धि के कारण, भारत में टाइफाइड की वास्तविक व्यापकता अस्पष्ट बनी हुई है।
रक्त नमूना संग्रह के लिए इष्टतम समय के बारे में अपर्याप्त जागरूकता, किटों के मानकीकरण की कमी और अपर्याप्त गुणवत्ता नियंत्रण के कारण समस्या बढ़ जाती है।
रोगियों पर आर्थिक बोझ: कई राज्यों में मरीजों से एकल विडाल परीक्षण के आधार पर टाइफाइड निदान के बाद स्थानीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा एंटीबायोटिक इंजेक्शन की प्रति खुराक का मूल्य 500 से 4,000 रुपये वसूलने की सूचना मिली है।
शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के मरीजों ने इन एंटीबायोटिक दवाओं को प्राप्त करने के लिए संपत्ति बेचने की सूचना दी है।
एंटीबायोटिक दवाओं का अतार्किक उपयोग: यह रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) का एक प्रमुख कारण है। यह ज्ञात है कि बैक्टीरिया उपभेदों एवं प्रजातियों के बीच AMR संचारित करने में सक्षम हैं और वे भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं हैं।
आगे की राह
सर्वोत्तम-अभ्यास रणनीतियों को अपनाना: बेहतर पॉइंट-ऑफ-केयर परीक्षणों की खोज की जानी चाहिए, जो विडाल परीक्षण की जगह ले सकें।
जब तक वे उपलब्ध न हों, चिकित्सक सर्वोत्तम अभ्यास रणनीतियों का उपयोग कर सकते हैं, जो बैक्टीरिया के खिलाफ उपलब्ध प्रभावी एंटीबायोटिक दवाओं के क्षेत्रीय डेटा के आधार पर तर्कसंगत निदान और उसके बाद के उपचार के विकल्प प्रदान करते हैं।
बेहतर नैदानिक परीक्षणों तक पहुँच में सुधार: रक्त या अस्थि मज्जा संवर्द्धन करना अक्सर संभव नहीं होता है क्योंकि इसके लिए देश के अधिकांश हिस्सों में प्रयोगशाला बुनियादी ढाँचे की कमी होती है।
बेहतर निगरानी: विडाल परीक्षण के अत्यधिक उपयोग के लिए जिम्मेदार AMR से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए, बेहतर निगरानी उपाय आवश्यक हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की वर्ष 2021 की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, संवेदनशीलता निर्धारित करने के लिए परीक्षण किए गए नमूनों की संख्या व्यापक रूप से भिन्न थी, जो ‘पूर्व’ क्षेत्र में एक से लेकर ‘उत्तर’ क्षेत्र में 126 नमूनों तक थी।
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