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WMO पूर्वानुमान (2025–2029)

Lokesh Pal May 30, 2025 03:01 52 0

संदर्भ

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की रिपोर्ट के अनुसार, 70% संभावना है कि वर्ष 2025 और 2029 के मध्य औसत वैश्विक तापमान, पूर्व-औद्योगिक स्तरों (1850-1900) से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाएगा।

जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) का 1.5°C लक्ष्य

  • पेरिस जलवायु समझौते का लक्ष्य: वर्ष 2015 के पेरिस समझौते में दीर्घकालिक वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस ऊपर सीमित करने का लक्ष्य रखा गया था, ताकि गंभीर जलवायु प्रभावों से बचा जा सके।
  • जलवायु प्रतिबद्धताएँ: देशों को वर्ष 2031-2035 के लिए अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) प्रस्तुत करना होगा, जिसका लक्ष्य 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य को पूरा करना है।

संबंधित तथ्य

  • WMO का नवीनतम दशकीय पूर्वानुमान, UK मौसम कार्यालय से प्राप्त जानकारी के साथ संकलित है।

WMO पूर्वानुमान (2025–2029) की मुख्य विशेषताएँ

  • 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा का उल्लंघन: 86% संभावना है कि वर्ष 2025 और 2029 के बीच न्यूनतम एक वर्ष में वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होगा।
  • सबसे गर्म वर्ष रिकॉर्ड: 80% संभावना है कि वर्ष 2025-2029 के बीच का कोई एक वर्ष 2024 से अधिक गर्म होगा, जो अभी तक का सबसे गर्म वर्ष है।
  • वैश्विक तापमान सीमा: वार्षिक वैश्विक औसत सतही तापमान 1850-1900 के औसत से 1.2 डिग्री सेल्सियस से 1.9 डिग्री सेल्सियस अधिक होने की उम्मीद है।
  • क्षेत्रीय जलवायु अनुमान
    • आर्कटिक क्षेत्र में सर्दियों में 2.4 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने की संभावना है, जो वैश्विक औसत से 3.5 गुना अधिक है।
      • वर्ष 2025 से 2029 के बीच आर्कटिक के कुछ भागों, जैसे कि बैरेंट्स सागर, बेरिंग सागर और ओखोटस्क सागर में समुद्री बर्फ के और भी अधिक संकुचित होने की संभावना है।
    • भारत सहित दक्षिण एशिया में वर्ष 2023 को छोड़कर, हालिया रुझानों को जारी रखते हुए, अधिक आर्द्र परिस्थितियों का अनुभव होने की उम्मीद है।

1.5°C तापमान सीमा उल्लंघन के निहितार्थ

  • चरम मौसमी घटनाओं में वृद्धि: 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान सीमा का उल्लंघन करने से हीटवेव, सूखा, चक्रवात और बाढ़ में वृद्धि होगी, जिससे सुभेद्य आबादी, कृषि और बुनियादी ढाँचे पर गंभीर असर पड़ेगा।
  • जैव विविधता का नुकसान: प्रवाल भित्तियों और आर्कटिक पारिस्थितिकी तंत्रों को अपरिवर्तनीय क्षति का सामना करना पड़ सकता है; आवास स्थल की हानि और तापमान तनाव के कारण प्रजातियों के विलुप्त होने की दर बढ़ जाएगी।
  • समुद्र-स्तर में वृद्धि और ग्लेशियरों का पिघलना: ध्रुवीय बर्फ और ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने से समुद्र-स्तर में तीव्र वृद्धि होगी, जिससे तटीय समुदायों और छोटे द्वीप देशों को खतरा उत्पन्न होगा।
  • खाद्य और जल असुरक्षा: बाधित मानसून पैटर्न, कम फसल की पैदावार और मीठे पानी की घटती उपलब्धता वैश्विक भूख और संसाधनों पर संघर्ष को बढ़ाएगी।

    • अमेजन में सामान्य से अधिक शुष्क स्थिति हो सकती है, जबकि उत्तरी यूरोप, साहेल, अलास्का और साइबेरिया में मई से सितंबर महीने के दौरान अधिक नमी हो सकती है।

जलवायु नीति के लिए निहितार्थ

  • मजबूत वैश्विक कार्रवाई: लगातार बढ़ते तापमान के रुझान महत्त्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई, उत्सर्जन में कटौती और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की तत्काल आवश्यकता को सशक्त करते हैं।
  • पारिस्थितिकी तंत्र और अर्थव्यवस्थाओं के लिए जोखिम: 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पार करने से जैव विविधता, कृषि, जल संसाधन और आर्थिक स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
  • जलवायु निगरानी और पूर्वानुमान: WMO इस बात पर जोर देता है कि निरंतर जलवायु ट्रैकिंग निर्णयकर्ताओं को प्रभावी ढंग से अनुकूलन करने के लिए वैज्ञानिक उपकरण प्रदान करती है।
  • भारत का जलवायु अनुकूलन: मानसून की परिवर्तनशीलता और क्षेत्रीय विसंगतियों में वृद्धि के साथ, भारत को अनुकूलन रणनीतियों, प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और जलवायु-लचीले बुनियादी ढाँचे को बढ़ाना चाहिए।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO)

  • WMO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है, जो वायुमंडलीय विज्ञान, जलवायु विज्ञान, जल विज्ञान और भू-भौतिकी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है।
  • स्थापना: वर्ष 1950 में स्थापित, अंतरराष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (1873 में स्थापित) का उत्तराधिकारी।
    • 1951 में संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी बन गई।
    • इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है।
  • सदस्यता: WMO के 193 सदस्य देश और क्षेत्र हैं, जो वैश्विक मौसम संबंधी पहलों पर सामूहिक रूप से काम करते हैं।
    • भारत वर्ष 1950 से WMO का सदस्य है।
  • प्रमुख प्रकाशन: वैश्विक जलवायु रिपोर्ट, ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन और वैश्विक वार्षिक से दशकीय जलवायु अद्यतन जारी करता है।
    • IPCC और वैश्विक जलवायु ढाँचे को वैज्ञानिक इनपुट प्रदान करता है।
  • महत्व: WMO मौसम, जलवायु और जल संबंधी सूचनाओं का विश्वसनीय आदान-प्रदान सुनिश्चित करता है, जिससे वैश्विक सतत् विकास और सुरक्षा में सहायता मिलती है।

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