100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

वोलबैचिया जीवाणु द्वारा एन्कार्सिया फॉर्मोसा ततैयों के विकास में हस्तक्षेप

Lokesh Pal July 16, 2024 03:10 140 0

संदर्भ

शेनयांग कृषि विश्वविद्यालय (Shenyang Agricultural University- SAU) के शोधकर्ताओं द्वारा करंट बायोलॉजी (Current Biology) पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चलता है कि वोलबैचिया  बैक्टीरिया (Wolbachia bacteria) ने एन्कार्सिया फॉर्मोसा (Encarsia formosa) नामक ततैया को नर ततैया से पूरी तरह से छुटकारा दिलाने के लिए हस्तक्षेप किया। 

वोलबैचिया (Wolbachia) के बारे में

  • वोलबैचिया अत्यंत सामान्य जीवाणु है, जो 50 प्रतिशत कीट प्रजातियों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, जिनमें कुछ मच्छर, फ्रूट फ्लाई, पतंगे, ड्रैगनफ्लाई और तितलियाँ शामिल हैं। 
  • विश्व मच्छर कार्यक्रम (World Mosquito Program) के शोधकर्ताओं ने डेंगू पर सफलतापूर्वक नियंत्रण पाने के लिए वोलबैचिया बैक्टीरिया से संक्रमित मच्छरों का उपयोग किया है। 

वोलबैचिया की खोज

  • प्रारंभिक अनुसंधान (1920 का दशक): मार्शल हर्टिग (Marshall Hertig) और शिमोन बर्ट वोलबैक (Simeon Burt Wolbach) ने मॉसक्विटो इम्यून सेल (Mosquito Immune Cells)  [इसे ‘हेमोसाइट्स’ (Hemocytes) के नाम से जाना जाता है] के भीतर बैक्टीरिया की खोज की।  
    • बाद के अध्ययनों में अधिकांश कीटों, मच्छरों सहित आर्थ्रोपोडा, फल मक्खियों, पतंगों, ड्रैगनफ्लाई और तितलियों में समान बैक्टीरिया पाए गए। 
    • जीनस वोलबैचिया का नामकरण: जिस जीनस से यह बैक्टीरिया संबंधित था उसका नाम ‘वोलबैचिया’ (Wolbachia) रखा गया। 

वोलबैचिया का संचरण गति विज्ञान

  • प्रजनन कोशिकाओं में उपस्थिति: वोलबैचिया बैक्टीरिया कीट के अंडों में मौजूद होते हैं, लेकिन शुक्राणुओं में अनुपस्थित होते हैं। 
  • मादाओं द्वारा संचरण: मादाएँ अपनी संतानों को वोलबैचिया संचारित कर सकती हैं, लेकिन नर ऐसा नहीं कर सकते। बैक्टीरिया के दृष्टिकोण से यह एक विकासवादी मृत-अंत है। 
  • लैंगिक अनुपात में परिवर्तन: चूँकि केवल मादाएँ ही अपनी संतानों में वोलबैचिया को संचारित कर सकती हैं, इसलिए वोलबैचिया ने अपने कीट मेजबानों में परिवर्तन करने के तरीके विकसित कर लिए हैं, जिससे नर संतानों की तुलना में मादा संतानों की संख्या अधिक हो जाती है। 
  • इससे बैक्टीरिया का निरंतर संचरण सुनिश्चित होता है।

एन्कार्सिया फॉर्मोसा (Encarsia formosa) ततैया का महत्त्व 

  • कृषि महत्त्व: वे सफेद मक्खियों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जो प्रमुख कृषि कीट हैं। 
    • ये ततैया दुनिया के पहले जैविक कीट नियंत्रण एजेंटों में से थे। 
    • ‘व्हाइट बी’, पौधों का रस ग्रहण करती हैं, जिससे उत्पादकता में हानि होती है।
  • जैविक नियंत्रण तंत्र
    • ततैया सफेद मक्खी के शिशुओं (या लार्वा) को खोजती है और उन पर अपने अंडे देती है। 
    • जब अंडे फूटते हैं, तो निकलने वाले लार्वा नवजात शिशु में प्रवेश करते हैं, उसके ऊतकों को खाते हैं, वयस्कता तक बढ़ते हैं और इस प्रक्रिया में नवजात शिशु को मार देते हैं। 
  • मादा ततैया प्रभावी शिकारी होती हैं: मादा ततैया सफेद मक्खियों के विरुद्ध प्रभावी खोजी और विध्वंसक हथियार के रूप में कार्य करती हैं। 
    • परजीवी भूमिका के लिए नर ततैया अनावश्यक हैं। 

लैंगिक अनुपात पर वोलबैचिया का प्रभाव

  • प्राकृतिक घटना: जंगली में, एन्कार्सिया फॉर्मोसा ततैया शायद ही कभी नर पैदा करते हैं। 
    • गुणसूत्र दोहरीकरण: जंगली अवस्था में, सामान्य वोलबैचिया स्तर, अनिषेचित अंडों में गुणसूत्र संख्या को दोगुना करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे मादा विकास सक्षम होता है। 
      • इस प्रक्रिया के पीछे का तंत्र फिलहाल अज्ञात है।
  • प्रयोगशाला में खोज: एंटीबायोटिक उपचार (जैसे- टेट्रासाइक्लिन) वोलबैचिया की सांद्रता को कम करता है और इसके परिणामस्वरूप, लगभग 70% संतानें नर होती हैं। 

वोलबैचिया और ट्रा जीन (Tra Gene)

  • विकासवादी संरक्षण
    • ट्रा जीन कीटों में क्रमिक रूप से संरक्षित रहता है तथा मादा विकास को बढ़ावा देता है।
    • ‘विकासात्मक रूप से संरक्षित’ का अर्थ है कि सभी कीटों में यह गुण पाया जाता है।
    • यदि यह जीन विखंडित हो जाए (या उत्परिवर्तित हो जाए) तो मादाओं के बजाय नर का जन्म होना स्वाभाविक है। 
  • SAU शोधकर्ताओं द्वारा की गई खोज
    • शोधकर्ताओं ने पाया कि एन्कार्सिया फोर्मोसा ततैयों में ‘ट्रा जीन’ पूर्ण नहीं था, इसमें महत्त्वपूर्ण भाग गायब थे।  
    • लेकिन उन्होंने पाया कि इन ततैयों के अंदर रहने वाले वोलबैचिया बैक्टीरिया में ट्रा जीन का अपना कार्यशील संस्करण मौजूद था। 
    • यद्यपि ततैयों का अपना ट्रा जीन पूर्ण नहीं था, फिर भी उन्होंने वोलबैचिया के ट्रा जीन का उपयोग किया। 
    • इससे ततैयों को मादा संतान पैदा करने की अनुकूल अंतःस्थिति मिल गई।
  • नई खोज
    • यह पहली बार है जब वैज्ञानिकों ने बैक्टीरिया (वोलबैचिया) को किसी कीट को ऐसा जीन देते देखा है, जो उसे मादा बनाने में मदद करता है। 
    • सामान्यतः बैक्टीरिया में इस प्रकार का जीन नहीं होता, इसलिए कीटों के विकास और प्रजनन के संबंध में यह एक बड़ी खोज है।

SAU शोधकर्ताओं द्वारा अवलोकन 

  • उपचारित नरों में प्रजनन व्यवहार का अभाव: एंटीबायोटिक उपचार के बाद SAU शोधकर्ताओं द्वारा उत्पादित नरों में मादाओं के साथ प्रजनन व्यवहार नहीं देखा गया। 
  • कारण: प्रजनन व्यवहार में कमी, आबादी से लंबे समय तक अनुपस्थिति या एंटीबायोटिक उपचार के अनपेक्षित प्रभाव के कारण हो सकती है। 
    • एंटीबायोटिक उपचार से अनजाने में उनके प्रजनन व्यवहार पर असर पड़ सकता है। 
  • प्रजनन का महत्त्व: नरों द्वारा मादाओं के साथ प्रजनन किए बिना, प्रजाति आनुवंशिक सामग्री का आदान-प्रदान करने और हानिकारक उत्परिवर्तनों को हटाने की क्षमता खो देती है। 
    • यह स्थिति ततैया-वोलबैचिया समूह के संभावित विलुप्तीकरण का कारण बन सकती है। 
  • वोलबैचिया के लिए अनुकूल रणनीतियाँ
    • वोलबैचिया बैक्टीरिया इतने प्रभावी पाए गए कि वे अपने मेजबान के निषेचित अंडों में गुणसूत्रों की संख्या को दोगुना कर सकते हैं और उन्हें ‘ट्रा जीन’ की आपूर्ति कर सकते हैं। 
    • वे कभी-कभी कुछ नरों को प्रजनन की अनुमति भी देते हैं, जो इस प्रजाति के विलुप्त होने को रोकने के लिए महत्त्वपूर्ण हो सकता है। 

चींटियों, मधुमक्खियों और ततैयों जैसे हाइमनोप्टेरान (Hymenopterans) में हेप्लो-डिप्लोइड लिंग निर्धारण (Haplo-Diploid Sex Determination) 

  • चींटियों, मधुमक्खियों और ततैयों जैसे कीटों में हेप्लो-डिप्लोइड लिंग निर्धारण से यह तय होता है कि संतान नर होगी या मादा। 
    • संतानों का विकास अलग-अलग तरीके से होता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें गुणसूत्रों का एक सेट प्राप्त होता है या दो सेट। 
  • मादा (द्विगुणित): उनके पास गुणसूत्रों के दो सेट होते हैं, प्रत्येक माता-पिता से एक। जब वे अंडे देते हैं, तो अर्द्धसूत्री विभाजन नामक एक विशेष प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक अंडे को केवल गुणसूत्रों का एक सेट मिले। 
  • नर (अगुणित): उनके पास गुणसूत्रों का केवल एक सेट होता है, जो उन्हें पूरी तरह से उनकी माँ से मिलता है। जब वे शुक्राणु बनाते हैं, तो माइटोसिस नामक एक सरल प्रक्रिया इस एकल सेट को उनके सभी शुक्राणु कोशिकाओं में कॉपी कर देती है। 
    • निषेचित अंडे (मादा से) द्विगुणित मादा बन जाते हैं, जबकि अनिषेचित अंडे (नर से) अगुणित नर बन जाते हैं। 

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.