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महिलाएँ, व्यवसाय और कानून 2024 रिपोर्ट

Lokesh Pal March 08, 2024 05:35 101 0

संदर्भ

हाल ही में विश्व बैंक समूह (World Bank Group) ने महिला, व्यवसाय और कानून 2024’ रिपोर्ट (Women, Business and the Law 2024’ Report) जारी की।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day)

  • लैंगिक समानता हासिल करने के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने के लिए हर वर्ष 08 मार्च को वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day- IWD) मनाती है।
  • फोकस: IWD लैंगिक समानता, प्रजनन अधिकार और महिलाओं के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • थीम: संयुक्त राष्ट्र ने आर्थिक अशक्तता को संबोधित करने पर ध्यान देने के साथ वर्ष 2024 की थीम कोमहिलाओं में निवेश: प्रगति में तेजी लाने’ (Invest in Women: Accelerate Progress) के रूप में नामित किया है, जबकि इस वर्ष के अभियान का विषयइंस्पायर इन्क्लूजन’ (Inspire Inclusion) है।

महिलाओं, व्यवसाय और कानून 2024 के बारे में

  • एक वार्षिक रिपोर्ट: यह 190 देशों की अर्थव्यवस्थाओं में महिलाओं के आर्थिक अवसर को प्रभावित करने वाले कानूनों का मूल्यांकन करने वाले वार्षिक अध्ययनों की शृंखला में 10वाँ संस्करण है।
  • विश्लेषण: इसने वैश्विक कार्यबल में महिलाओं के प्रवेश में बाधा डालने वाली, अपने, अपने परिवार और अपने समुदायों की समृद्धि में योगदान करने की उनकी क्षमता में बाधा डालने वाली चुनौतियों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया।
  • माप: यह 190 देशों की अर्थव्यवस्थाओं में विधिक लैंगिक समानता की दिशा में वैश्विक प्रगति को ट्रैक करने के लिए नए मापदंड प्रस्तुत करता है।
  • संकेतक: इस वर्ष, यह डेटा के दो सेट प्रस्तुत करता है:- महिला (Women), व्यवसाय और कानून 1.0 और एक विस्तारित संस्करण (Business and the Law 1.0 and An Expanded version), महिला (Women), व्यवसाय और कानून 2.0 (Business and the Law 2.0)। 
    • महिलाएँ, व्यवसाय और कानून 1.0 (Women, Business and the Law 1.0)
      • यह आठ संकेतकों के अपने सूचकांक को अद्यतन करता है, जिसमें गतिशीलता, कार्यस्थल, वेतन, विवाह, पितृत्व, उद्यमिता, संपत्ति और पेंशन शामिल हैं।
    • महिलाएँ, व्यवसाय और कानून 2.0 (Women, Business and the Law 2.0)
      • यह दो नए संकेतक पेश करता है: सुरक्षा (Safety) और बाल देखभाल (Childcare) एवं चल रहे संकेतकों को संशोधित करता है।

महिला, व्यवसाय और कानून 2024 की प्रमुख निष्कर्ष: लगातार वैश्विक अंतराल

  • कमजोर विधिक अधिकार: दुनिया भर में महिलाओं के विधिक अधिकार आरंभिक अनुमान से काफी कम हैं।
    • हिंसा और बच्चों की देखभाल से संबंधित कानूनी अंतर पर विचार करते समय, महिलाओं के पास पुरुषों को प्राप्त अधिकारों का दो-तिहाई या 64% से भी कम है।
    • अनुमान: पहले अनुमान लगाया गया था कि महिलाओं के पास 77% अधिकार हैं।
  • कानून संबंधी कार्यान्वयन अंतराल: कानूनों के कार्यान्वयन में पर्याप्त अंतर मौजूद है, विश्व के प्रमुख राष्ट्र औसतन पूर्ण कार्यान्वयन के लिए आवश्यक प्रणालियों में से 40% से कम की  कर पा रहे हैं।
    • उदाहरण: हालाँकि 98 देशों की अर्थव्यवस्थाओं ने महिलाओं के लिए समान वेतन को अनिवार्य करने वाले कानून बनाए हैं, पाँच में से एक से भी कम ने वेतन अंतर को संबोधित करने के उपाय या तंत्र अपनाए हैं।
  • कानूनी समानता अवसर सुधार पर: वर्ष 2023 में, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राष्ट्रों की सरकारों ने तीन श्रेणियों (वेतन, माता-पिता के अधिकार और कार्यस्थल सुरक्षा) में कानूनी समान अवसर सुधारों को आगे बढ़ाने में प्रगति की।
    • हालाँकि, रिपोर्ट में ट्रैक की जा रहीं दो नई श्रेणियों (बाल देखभाल तक पहुँच और महिला सुरक्षा) में खराब प्रदर्शन का पता चला।
  • सुरक्षा एवं बाल देखभाल पर खराब प्रदर्शन: पहली बार ट्रैक किए जा रहे दो संकेतकों (सुरक्षा और बाल देखभाल) में लगभग सभी अर्थव्यवस्थाओं ने खराब प्रदर्शन किया।
    • महिला सुरक्षा पर: यह एक महत्त्वपूर्ण कमजोरी के रूप में उभरा, जिसका वैश्विक औसत स्कोर केवल 36 था, जो दर्शाता है कि महिलाओं को घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, बाल विवाह और स्त्री-हत्या के खिलाफ आवश्यक कानूनी सुरक्षा का बमुश्किल एक-तिहाई हिस्सा प्राप्त है।
    • बाल सुरक्षा पर: केवल 78 देशों की अर्थव्यवस्थाएँ माता-पिता को वित्तीय या कर सहायता प्रदान करती हैं और केवल 62 देशों में बाल देखभाल सेवाओं के लिए गुणवत्ता मानक हैं।
  • महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय असमानताएँ: आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation and Development- OECD) की उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में से 11 देश 90 अंक या उससे अधिक अंक प्राप्त करते हैं।

    • उच्चतम और निम्नतम स्कोर वाली अर्थव्यवस्थाओं के बीच स्कोर का अंतर उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक स्पष्ट है, जिसमें 75 अंकों का पर्याप्त अंतर है।
  • अन्य क्षेत्रों में महिलाओं के सामने आने वाली बाधाएँ
    • उद्यमिता पर: विश्व स्तर पर, महिलाओं की उद्यमशीलता का समर्थन करने वाले केवल 44% कानूनी प्रावधान लागू हैं। प्रत्येक पाँच कॉरपोरेट बोर्ड पदों में से केवल एक पर महिला काबिज है।
    • वेतन पर: पुरुषों को भुगतान किए गए प्रत्येक डॉलर पर महिलाएँ केवल 77 सेंट कमाती हैं।
    • राष्ट्रीयता अधिकारों पर: 28 अर्थव्यवस्थाओं में, एक महिला एक पुरुष की तरह अपनी राष्ट्रीयता बच्चों को नहीं दे सकती है।
    • सेवानिवृत्ति पर: 62 अर्थव्यवस्थाओं में, जिस उम्र में पुरुष और महिलाएँ सेवानिवृत्त हो सकते हैं, वह समान नहीं है, महिलाएँ पुरुषों की तुलना में पहले सेवानिवृत्त हो रही हैं।
      • 81 देशों की अर्थव्यवस्थाओं में, एक महिला के पेंशन लाभ में बच्चे की देखभाल से संबंधित कार्य उसकी अनुपस्थिति में शामिल नहीं किये जाते हैं।

भारत के प्रदर्शन की महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि

  • रैंकिंग में सुधार: 74.4% स्कोर के साथ भारत की रैंक मामूली सुधार के साथ 113 हो गई है।
    • हालाँकि देश का स्कोर वर्ष 2021 से स्थिर बना हुआ है, इसकी रैंकिंग वर्ष 2021 में 122 से घटकर वर्ष 2022 में 125 और वर्ष 2023 सूचकांक में 126 हो गई है।
  • कानूनी अधिकारों में असमानता: भारतीय महिलाओं के पास पुरुषों की तुलना में केवल 60% कानूनी अधिकार हैं, जो वैश्विक औसत 64.2% से थोड़ा कम है।
  • दक्षिण एशिया में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन: भारत ने अपने दक्षिण एशियाई समकक्षों से बेहतर प्रदर्शन किया, जहाँ महिलाओं को पुरुषों की तुलना में केवल 45.9% कानूनी सुरक्षा प्राप्त है।
  • महिलाओं के वेतन पर: महिलाओं के वेतन को प्रभावित करने वाले कानूनों का मूल्यांकन करने वाले संकेतक में भारत को सबसे कम अंकों में से एक प्राप्त हुआ है।
    • संभावित समाधान: भारत समान कार्य के लिए समान वेतन अनिवार्य करने, महिलाओं को पुरुषों के बराबर रात में काम करने की अनुमति देने और महिलाओं को पुरुषों के साथ समान स्तर पर औद्योगिक नौकरियों में शामिल होने में सक्षम बनाने जैसे उपायों पर विचार कर सकता है।
  • सहायक ढाँचे पर: भारत ने वैश्विक और दक्षिण एशियाई औसत दोनों से अधिक स्कोर किया।
    • ढाँचे में सबसे कम संकेतक बाल देखभाल था।
    • संभावित समाधान: बाल देखभाल प्रदाताओं की सार्वजनिक रूप से सुलभ रजिस्ट्री या डेटाबेस बनाना और बाल देखभाल सेवाओं के लिए सरकारी वित्तीय सहायता चाहने वाले माता-पिता के लिए एक अच्छी तरह से परिभाषित आवेदन प्रक्रिया लागू करना।

भारत में महिलाओं से संबंधित चुनौतियाँ

  • निम्न साक्षरता दर: भारत में महिलाओं की साक्षरता दर (65.46%), विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, अभी भी बहुत खराब बनी हुई है।
    • पुरुष साक्षरता दर 80% है।
  • कार्यबल में कम भागीदारी: भारत के पुलिस बल में केवल 11.75% महिलाएँ हैं और कृषि के बाहर नियमित वेतन वाली 56.5% महिलाओं को किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा प्राप्त नहीं है।
  • सुरक्षा संबंधी चिंता: महिलाओं को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जैसे- भ्रूण हत्या, घरेलू हिंसा, बलात्कार, तस्करी, जबरन वेश्यावृत्ति, सम्मान हत्या, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न आदि।
    • वर्ष 2024 में, भारत की अपराध दर प्रति 1,00,000 लोगों पर 445.9 थी। भारत में अपराध दर में वर्ष 2020 में 487.8 से गिरावट दर्ज की गई थी। हालाँकि, महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 4% की वृद्धि हुई।
  • आवश्यक सुविधाएँ: मासिक धर्म को ठीक से प्रबंधित करने के लिए आवश्यक स्वच्छता उत्पादों, मासिक धर्म शिक्षा और स्वच्छता तथा स्वच्छता सुविधाओं तक पहुँच का अभाव।
    • वर्ष 2011 में किए गए संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में केवल 13% लड़कियों को मासिक धर्म से पहले मासिक धर्म के बारे में पता है।
  • रूढ़िवाद की भूमिका: भारतीय समाज का एक बड़ा वर्ग पुरुषों की भूमिका को सभी वित्तीय जिम्मेदारियाँ लेने और बाहर काम करने के रूप में मानता है तथा महिलाओं को उनके बच्चों के पालन-पोषण के कार्यों के कारण श्रमिकों के रूप में कम विश्वसनीय माना जा सकता है।
  • समाजीकरण प्रक्रिया में अंतर: भारत के कई हिस्सों में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, पुरुषों और महिलाओं के लिए अभी भी अलग-अलग समाजीकरण मानदंड हैं।
    • महिलाओं से मृदुभाषी, शांत और मौन रहने की अपेक्षा की जाती है, जबकि पुरुषों को आत्मविश्वासी, तेज आवाज में बोलने वाला और अपनी इच्छा के अनुसार कोई भी व्यवहार प्रदर्शित करने में सक्षम होना चाहिए।
  • विधायिका में कम प्रतिनिधित्व: पूरे भारत में विभिन्न विधायी निकायों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है।
    • अंतर-संसदीय संघ (Inter Parliamentary Union- IPU) के अनुसार, भारत में 17वीं लोकसभा में 14.44% महिलाएँ हैं।

आगे की राह

  • कानूनों में सुधार और सार्वजनिक नीतियाँ बनाने पर जोर देना
    • कानूनों में सुधार के प्रयासों में तेजी लाना और सार्वजनिक नीतियाँ बनाना, जो महिलाओं को काम करने तथा व्यवसाय शुरू करने के लिए सशक्त बना सके।
    • महिला सुरक्षा, बच्चों की देखभाल और व्यावसायिक अवसरों तक पहुँच से संबंधित कानूनों में सुधार करना।
    • ऐसी रूपरेखाएँ स्थापित करना, जो लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाले कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन का समर्थन करना।
    • कॉरपोरेट बोर्डों पर महिलाओं के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी कोटा लागू करना और सार्वजनिक खरीद प्रक्रियाओं के लिए लैंगिक-संवेदनशील मानदंड अनिवार्य करना।
      • भारत में कुछ प्रसिद्ध महिला सशक्तीकरण योजनाएँ हैं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (Beti Bachao Beti Padhao Scheme), महिला मंडल योजना (Mahila Mandal Scheme), महिला शक्ति केंद्र (Mahila Shakti Kendras- MSK), महिला पुलिस स्वयंसेवक, महिला ई-हाट, आदि।
  • भेदभावपूर्ण कानूनों और प्रथाओं को खत्म करना
    • ऐसे कानूनी सुधार लागू करना जो समान मूल्य के काम के लिए समान वेतन को अनिवार्य करते हैं।
    • मातृत्व और पितृत्व अवकाश प्रावधानों का विस्तार करना और गर्भवती महिलाओं को नौकरी से निकालने पर रोक लगाना।
      • भारतीय संविधान अनुच्छेद-39(D) और अनुच्छेद-42 के तहत पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए समान काम के लिए समान वेतन की गारंटी देता है।
      • भारतीय संविधान भी अनुच्छेद-15(1) और अनुच्छेद-15(2) के तहत लिंग के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है।
  • वित्तीय सहायता प्रदान करना
    • छोटे बच्चों वाले माता-पिता को वित्तीय सहायता प्रदान करना और बाल देखभाल सेवाओं के लिए गुणवत्ता मानक स्थापित करना।
    • बच्चों की देखभाल से संबंधित कार्य अनुपस्थिति की अवधि को ध्यान में रखते हुए, महिलाओं के लिए समान सेवानिवृत्ति लाभ सुनिश्चित करना।
      • केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित लखपति दीदी (Lakhpati Didi) कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के बीच आर्थिक सशक्तीकरण और वित्तीय स्वतंत्रता को उत्प्रेरित करना है।
      • लखपति दीदी एक स्व-सहायता समूह की सदस्य हैं, जो एक लाख रुपये (₹1,00,000) या उससे अधिक की वार्षिक घरेलू आय अर्जित करती हैं।
  • विश्व आर्थिक विकास के लिए महिला कार्यबल: लगातार धीमी वृद्धि के युग में, वैश्विक कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने से दृष्टिकोण काफी उज्ज्वल हो सकता है।
    • रोजगार और उद्यमिता में लैंगिक अंतर को कम करने से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 20% से अधिक की वृद्धि हो सकती है।
    • अगले दशक में लैंगिक अंतर को खत्म करने से वर्तमान वैश्विक विकास दर अनिवार्य रूप से दोगुनी हो जाएगी।
  • महिला सुरक्षा: महिलाओं की सुरक्षा के लिए, निर्भया स्क्वाड (Nirbhaya Squad) जैसे अधिक महिला पुलिस बलों को शामिल करने की आवश्यकता है, जिसमें प्रशिक्षित महिला पुलिस अधिकारी शामिल हों।
    • निर्भया स्क्वाड का गठन यौन उत्पीड़न, पीछा करने, बलात्कार और एसिड अटैक्स सहित महिलाओं के खिलाफ होने वाले विभिन्न अपराधों को रोकने के लिए किया गया था।

अन्य देशों की प्रथाओं से सीखने की आवश्यकता

  • रवांडा का राजनीतिक प्रतिनिधित्व: वर्ष 2003 में अपनाया गया रवांडा का संविधान कहता है कि 30% संसदीय सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
  • आइसलैंड का समान वेतन कानून: वर्ष 1961 से आइसलैंड में लैंगिक आधारित वेतन संबंधी भेदभाव अवैध है। और वर्ष 2018 में, आइसलैंड ने एक नया कानून अपनाया, जिसके लिए कंपनियों को यह प्रदर्शित करने की आवश्यकता है कि उनका वेतन समान मूल्य के संदर्भ में उचित है।
  • स्वीडन में माता-पिता की छुट्टी: स्वीडन 480 दिनों की सवैतनिक माता-पिता को छुट्टी प्रदान करता है। टू-पैरेंट हाउसहोल्ड को पूरा लाभ तभी मिलता है जब प्रत्येक पैरेंट 90, गैर-हस्तांतरणीय दिन की छुट्टी लेते हैं, यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि किसी एक पैरेंट या जेंडर को एकमात्र देखभालकर्ता के रूप में नहीं देखा जाता है।
  • नॉर्वे का बोर्ड सदस्यता नियम: वर्ष 2008 से, नॉर्वे के लिए आवश्यक है कि सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी बोर्डों में 40% महिलाएँ हों। जो कंपनियाँ अनुपालन करने में विफल रहती हैं, वे विघटन का जोखिम उठाती हैं।
  • यूनाइटेड किंगडम की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (National Health Service): यू.के. की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा गर्भपात और लिंग डिस्फोरिया के उपचार को कवर करती है।

निष्कर्ष

नई महिला, व्यवसाय और कानून 2.0 त्रि-स्तरीय दृष्टिकोण, महत्त्वपूर्ण कमियों को उजागर करता है और दर्शाता है कि महिलाओं के अधिकारों की स्थिति पर विशेषज्ञों की धारणाएँ हमेशा उन अधिकारों के अनुरूप नहीं होती हैं, जो व्यवहार में उन अधिकारों को लागू करने के लिए आवश्यक हैं। समान अवसर कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक मजबूत सहायक ढाँचे और सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता होती है।

भारत में महिला उद्यमियों के बारे में पढ़ने के लिए, click here

समाचार स्रोत: World Bank

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