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Lokesh Pal
September 05, 2025 03:01
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अगस्त 2025 में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया के सेवानिवृत्त होने पर सर्वोच्च न्यायालय में दो रिक्तियाँ तो उत्पन्न हुईं, परंतु किसी महिला की नियुक्ति न होने से यह स्पष्ट है कि न्यायपालिका अब भी गंभीर लैंगिक असंतुलन से जूझ रही है। वर्तमान में केवल न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना ही महिला न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं।
एक वास्तविक समावेशी न्यायपालिका के निर्माण के लिए, भारत को न्याय, समानता और निष्पक्षता के संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखते हुए, महिलाओं का समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना होगा। महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने वाले वातावरण को बढ़ावा देकर, न्यायपालिका एक अधिक लोकतांत्रिक संस्था बन सकती है, जो भारतीय संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए, सभी नागरिकों की प्रभावी ढंग से सेवा करती है।
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